मां पीतांबरा राजसत्ता की देवी – के दरबार पहुंचे राहुल गांधी

HIGH LIGHT; मध्य प्रदेश : मां पीतांबरा शक्तिपीठ के दरबार पहुंचे राहुल गांधी : मां बगुलामुखी को राजसत्ता की देवी कहा गया है। यहां राजनीतिक क्षेत्र में सफलता की आस लेकर राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं आते रहे है# कैलाश पर्वत के बाद मां पीतांबरा राजसत्ता की देवी – के दरबार पहुंचे राहुल गांधी # # #  मां पीतांबरा के मंदिर से कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती. राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं. #इस स्थान पर आने वाले की मुराद जरूर पूरी होती है, राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है # मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है# राहुल गांधी  के मां पीतांबरा शक्तिपीठ के दरबार पर माथा  टेकनेे मात्र से  कम से कम 28 सीटों पर असर डाल रही है मां पीताम्बरा पीठ # मां पीतांबराश्री बगुलामुखी माई के सत्‍य साधक परम आदरणीय श्रीमान बिजेेेेन्‍द्र जी पाण्‍डे- गोल्ज्यू धाम में साधना में लीन हुए सत्य साधक गुरुजी# मां बगलामुखी जी की 36 दिवसीय निराहार कठोर साधना में लीन  #  हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org

मध्यप्रदेश के चुनावी दौरे पर आये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को ग्वालियर के पास दतिया में स्थित मां पीताम्बरा शक्ति पीठ धोती कुर्ता पहनकर पहुंचे उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे। उन्होंने भी धोती कुर्ता धारण कर रखा था।

मां पीतांबरा शक्तिपीठ प0नेहरू ने १९६२ में चीन युद्व के दौरान यहां कराया था बगुलामुखी अनुष्‍ठान- चमत्‍कार हुआ था- चीन ने एकतरफा युद्व विराम कर दिया था- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं, जिन्होंने मां पीतांबरा के दर्शन किए। उनके पिता राजीव गांधी 1 बार तो दादी इंदिरा गांधी 3 बार मां पीतांबरा के दर्शन कर चुके हैं। इंदिरा गांधी पहली बार 1979, दूसरी बार 1980, तीसरी और प्रधानमंत्री बनने के बाद तीसरी बार पीतांबरा पीठ गई थीं। इसके बाद 1985 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां आए थे। बता दें कि 1962 में चीन से युद्ध के समय यहां भारत की रक्षा के लिए महायज्ञ किया गया था। नितिन गडकरी तथा उनकी पत्नी कंचन गडकरी की देवी मां में अटूट आस्था है। शक्ति पीठ पर पति नितिन गडकरी के उज्जवल राजनीतिक भविष्य के लिए देवी मां से मिन्न्त मांगी है। पूर्व में गडकरी भी पीठ पर आ चुके है;11 से 40 दिन तक चलने वाला अनुष्ठान गोपनीय होता है। योगी आदित्यनाथ के नाम से भी गुप्त अनुष्ठान हुअा था, की चर्चा है। शिवपाल सिंह यादव ने भी मत्‍था टेका था, उनकी अलग विशेष पकड बनती जा रही है,
राहुल ने दतिया के प्रसिद्ध मां पीतांबरा पीठ के दर्शन कर दौरे की शुरुआत कर दी है। यहां उन्होंने भगवा धोती पहनकर मां पीतांबरा की पूजा की।

मां पीतांबरा शक्तिपीठ के दरबार पहुंचे राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं, जिन्होंने मां पीतांबरा के दर्शन किए। उनके पिता राजीव गांधी 1 बार तो दादी इंदिरा गांधी 3 बार मां पीतांबरा के दर्शन कर चुके हैं। इंदिरा गांधी पहली बार 1979, दूसरी बार 1980, तीसरी और प्रधानमंत्री बनने के बाद तीसरी बार पीतांबरा पीठ गई थीं। इसके बाद 1985 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां आए थे। बता दें कि 1962 में चीन से युद्ध के समय यहां भारत की रक्षा के लिए महायज्ञ किया गया था।

जब भारत और चीन का युद्ध 1962 में प्रारंभ हुआ था। बाबा ने फौजी अधिकारियों एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। परिणामस्वरूप 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है। जब-जब देश के ऊपर विपत्तियां आती हैं तब-तब कोई न कोई न कोई गोपनीय रूप से मां बगलामुखी की साधना व यज्ञ-हवन अवश्य ही कराते हैं। मां पीतांबरा शक्ति की कृपा से देश पर आने वाली बहुत सी विपत्तियां टल गई हैं। इसी प्रकार सन् 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की। सन् 2000 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुनः साधनाएं एवं यज्ञ किए जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी। ऐसा कहा जाता है कि यह यज्ञ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बीहारी वाजपेयी के कहने पर यहां कराया गया था।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के दो दिवसीय दौरे पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज नवरात्रि के अवसर पर मध्यप्रदेश के दतिया जिले स्थित मां पीतांबरा शक्तिपीठ में दर्शन के लिए पहुंचे। राहुल गांधी ने अपने दो दिवसीय मध्यप्रदेश प्रवास की शुरुआत पीतांबरा पीठ में दर्शन के साथ की। वे करीब 15 मिनट तक मंदिर परिसर में रुके। 10:45 बजे हेलिकॉप्टर से रवाना होकर 11.15 बजे दतिया पहुंचेंगे और वहां 11.30 से 12 बजे तक मां पीतांबरापीठ के दर्शन करेंगे। राहुल मध्य प्रदेश के दतिया स्टेडियम में विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह हेलिकॉप्टर से 2.30 बजे डबरा पहुंचेंगे, जहां जनसभा को संबोधित करेंगे। राहुल यहां से ग्वालियर पहुंचकर राहुल सिंधिया राजघराने के माधव राव सिंधिया की समाधि पर श्रद्घांजलि देंगे। राहुल शाम 5.30 से 7.30 बजे तक ग्वालियर में रोड शो करेंगे। उसके बाद फूल बाग मैदान में विशाल आम सभा को संबोधित करेंगे। वह रात्रि विश्राम ग्वालियर में करेंगे। मध्य प्रदेश के दो दिवसीय दौरे में गांधी 6 जनसभाओं को संबोधित करेंगे और दो स्थानों पर रोड शो करेंगे। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया सभी कार्यक्रमों में राहुल गांधी के साथ रहेंगे।

मध्य प्रदेश के झांसी के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर से कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती. राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं. इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में परम तेजस्वी स्वामी जी के द्वारा की गई. मां पीतांबरा का जन्म स्थान, नाम और कुल आज तक रहस्य बना हुआ है. मां का ये चमत्कारी धाम स्वामी जी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में देशभर में जाना जाता है.

मंदिर के आचार्य हरी ओम पाठक बताते है कि चर्तुभुज रूप में विराजमान मां पीतांबरा के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी है. भक्तों के जीवन में मां के चमत्कार को आए दिन घटते देखा जा सकता है. लेकिन इस दरबार में भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं. दर्शनार्थियों को मां की प्रतिमा को स्पर्श करने की मनाही है.

माना जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. लेकिन मां को प्रसन्न करना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए करना होता है विशेष अनुष्ठान, जिसमें भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और फिर मांगी जाती है मुराद. कहते हैं विधि विधान से अगर अनुष्ठठान कर लिया जाए तो मां जल्द ही पूरी कर देती हैं भक्तों की मनोकामना. मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. माँ पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में माँ की पूजा का विशेष महत्व होता है. मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है. मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खंडेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रूप में पूजा होती है. महादेव के दरबार से बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं. सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. मां पीतांबरा के वैभव से सभी की मनोकामना पूरी होती है. भक्तों को सुख समृद्धि और शांति मिलती है, यही वजह है कि मां के दरबार में दूर दूर से भक्त आते हैं, मां की महिमा गाते हैं और झोली में खुशियां भर कर घर ले जाते हैं.

माधवराव सिंधिया, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिगि्वजय सिंह, उमाभारती, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा शक्ति बगलामुखी की कृपा से राजनीति की ऊंचाइयों के शिखर को छुआ है। इसी तरह मुबई बम कांड के दोषी संजय दत्त भी अपने उपर चल रहे मुकदमें के दौरान मां के दरबार में मत्था टेकने आए थे।

गोल्ज्यू धाम में साधना में लीन हुए सत्य साधक गुरुजी# मां बगलामुखी जी की 36 दिवसीय निराहार कठोर साधना में लीन

*लोक मंगल की कामना को लेकर गुरु जी ने शुरू की 36 दिवसीय मां बगलामुखी जी की साधना*

*भीमताल NAINITAL, UTTRAKHAND। *जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी* नैनीताल जनपद के ओखलकांडा ब्लॉक अंतर्गत पदमपुरी से बबियाड रोड पर 17 किलोमीटर आगे ऐतिहासिक प्राचीन गोल्ज्यू मंदिर में लोक मंगल की कामना को लेकर मां बगलामुखी जी की 36 दिवसीय निराहार कठोर साधना में लीन हो गए हैं।
*नवरात्रि के प्रथम दिवस गुरु जी* की लोकमंगल के पावन उद्देश्य को लेकर शुरू हुई साधना आगामी 15 नवंबर को पूर्ण होगी। 15 नवंबर को मंदिर प्रांगण में दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया जाएगा।
*बताते चलें कि सत्य साधक* गुरुजी इससे पूर्व उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड ,मध्य प्रदेश, नेपाल ,भूटान ,राजस्थान समेत तमाम देश विदेश के शक्तिपीठों में लोक कल्याण की कामना को लेकर कठोर साधना कर चुके हैं। इसके अलावा वर्षभर नियमित रूप से गुरु जी के निर्देशन में हवन यज्ञ का कार्यक्रम जारी रहता है।
*गुरुजी का मानना है कि* साधना व हवन यज्ञ के आयोजन से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही तमाम नकारात्मक शक्तियों का दमन होता है। तथा साथ ही देवीय आपदाओं भूकंप और सूखा ,अकाल ,भूस्खलन, महामारी आदि पर भी अंकुश लगता है।
*आज गोल्ज्यू धाम* में गुरु जी की साधना शुरू होने के दौरान जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के राष्ट्रीय महामंत्री हेमंत बोरा, उत्तराखंड सरकार के पूर्व दर्जा राज्यमंत्री ललित पंत, मंदिर समिति के अध्यक्ष पंकज कुलौरा, अनिल मंगली, कमल समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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