सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट नष्ट होते है जब …..

माघ पूर्णिमा 2019 तिथि एवं ज्योतिषीय महत्त्व | Magha Purnima 2019. “माघ पूर्णिमा व्रत” हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। 27 नक्षत्रो में मघा नक्षत्र के नाम से “माघ पूर्णिमा” की उत्पत्ति होती है। इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व बताया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी जातक गंगा स्नान करते है तथा उसके बाद जप और दान करते है उन्हें सांसारिक बंधनो से मुक्ति मिलती है। 
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जब चन्द्रमा अपनी ही राशि कर्क में होता है तथा सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस योग में सूर्य और चन्द्रमा एक दूसरे से आमने सामने होते है। इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट शीघ्र ही नष्ट हो जाते है। जिस जातक की जन्मकुंडली में चन्द्रमा नीच का है तथा मानसिक संताप प्रदान कर रहा है तो उसे सम्पूर्ण मास गंगा जल से स्नान करना चाहिए तथा अंतिम दिन दान करना चाहिए ऐसा करने से चन्द्रमा का दोष समाप्त हो जाता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य तुला राशि में है तथा मान-सम्मान, यश में कमी प्रदान कर रहा है तो वैसे व्यक्ति को माघ स्नान करना चाहिए तथा सूर्य भगवान् को प्रतिदिन अर्घ्य देना चाहिए ऐसा करने से सूर्य से मिलने वाले कष्ट दूर हो जाते है।

यह स्नान सम्पूर्ण माघ मास में चलता है अर्थात पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है। सम्पूर्ण मास में गंगा स्नान करने का विशेष महत्त्व है न की केवल पूर्णिमा के दिन। यदि जातक सम्पूर्ण मास में स्नान न कर सके, तो तीन दिन अथवा एक दिन माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए। जो जातक पूरे महीने गंगा स्नान करता वह इसी जन्म में मुक्ति का भागीदार होता है। त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है। कहा जाता है कि माघ स्नान करने वाले व्यक्ति पर भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर धन-धान्य, सुख-समृद्धि तथा संतान एवं मुक्ति प्रदान करते हैं।

 माघ पूर्णिमा व्रत 2019

हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ मास में सभी देवता मानव रूप धारण करके स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आकर वास करते है तथा प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयाग गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है इसी कारण इस स्थान का विशेष महत्व हो जाता है। इस दिन ही होली का डंडा गाड़ा जाता है। इस दिन भैरव जयंती भी मनाने की परम्परा है।

जो जातक चिरकाल तक स्वर्गलोग में रहना चाहते हैं । उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर अवश्य तीर्थ स्नान करना चाहिए।
स्वर्गलोके चिंर वासो येषां मनसि वर्तते | 
यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे॥

 माघ पूर्णिमा पर व्रत, स्नान, जप, हवन और दान का विशेष महत्त्व हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पितरों का श्राद्ध करे तथा जरूररत मंद व्यक्तियों को दान दें।

माघ पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र गंगा, यमुना नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए । यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने की पानी मे गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। यदि गंगाजल भी उपलब्ध न हो तो हाथ में जल लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करे —

ॐ गंगे च यमुना गोदावरी नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन जले सन्निधिं कुरु।

इस मंत्र के उच्चारण के बाद स्नान करना प्रारम्भ करे। स्नान के बाद सूर्यदेव को “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मन्त्र से अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद मन में माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दोपहर में किसी गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दे। दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान करे तथा काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करे। इस दिन कोशिश करे की कोई झूठ न बोले।

उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (तीर्थराज प्रयाग) शहर में प्रत्येक वर्ष माघ मेला का आयोजन होता है यह मेला सदियों से चलता आ रहा है इस मेला को कल्पवास कहा जाता है। कल्पवास की समाप्ति माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ हो जाता है। कहा जाता है की इस मास में सभी देवी-देवता इसी संगम तट पर निवास करते है इसी कारण कल्पवास का महत्त्व बढ़ जाता है।  इस मेला में विभिन्न प्रांतो तथा देश-विदेश से भक्त गण शामिल होते हैं तथा योग साधना इत्यादि भी करते है।

प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नामक विद्वान ब्राह्मण निवास करते थे। ये बहुत ही लालची थे। इनका जीवन का मूल उद्देश्य येन केन प्रकारेण धन कमाना था तथा उन्होंने ऐसा किया भी। धन कमाते कमाते वे वृद्ध दिखने लगे। वे अनेक प्रकार के व्याधि से ग्रस्त हो गए। इसी मध्य उन्हें अचानक संज्ञान हुआ की आजतक मैंने सारा जीवन धन कमाने में ही नष्ट कर दिया है। मुक्ति के लिए मैंने कुछ भी नहीं किया है। अब मेरे जीवन का उद्धार कैसे होगा? मैंने तो आजतक कोई सत्कर्म नहीं किया है। उसी समय उन्हें अचानक एक श्‍लोक स्मरण आया, जिसमें माघ मास में स्नान का महत्त्व बताया गया था।

शुभव्रत ने उसी श्‍लोक के अनुरूप माघ स्नान का संकल्प लिया और नर्मदा नदी में स्नान करने लगे। इस प्रकार वे लगातार 9 दिनों तक प्रात: नर्मदा के जल में स्नान करते रहे। दसवें दिन स्नान के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। उनके मृत्यु का समय आ गया था वे सोचने लगे की मैंने तो आजीवन धनार्जन में लगा रहा कोई भी सत्कार्य नहीं किया अतः मुझे तो नरकलोक में ही रहना पड़ेगा। परन्तु माघ मास में स्नान करने के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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