रक्षा मंत्री का इस्‍तीफा- मुख्यमंत्री की भूमिका निभायेगे

पर्रिकर को वापस गोवा में सीएम के तौर पर भेजा (www.himalayauk.org) Web & Print Media 

मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री की नई भूमिका निभाने के लिए सोमवार को रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को मनोहर पर्रिकर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्रिकर ने सोमवार को रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अब रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभाव अरुण जेटली को मिला है। पर्रिकर ने कहा था, ‘मैंने रक्षा मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया। त्याग पत्र सोमवार सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दिया है।’

बीजेपी को भले ही एक हिंदू पार्टी के तौर पर जाना जाता हो, लेकिन गोवा में इसके विधायक दल के करीब आधे सदस्य कैथोलिक ईसाई हैं.  गोवा में बीजेपी के 8 कैथोलिक उम्मीदवारों को उतारना सही साबित हुआ है. हालांकि, पार्टी 40 विधानसभा सदस्यों वाले गोवा में केवल 13 सीटें हासिल करने में ही सफल रही है, लेकिन इसके ज्यादातर कैथोलिक उम्मीदवार अपनी सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं. इसके अलावा एक कैंडिडेट आर्थर डीसिल्वा कुर्टोलिम विधानसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारने को लेकर बीजेपी की कड़ी आलोचना हुई है. हालांकि, पार्टी ने अल्पसंख्यकों के संबंध में गोवा में एक अलग रणनीति अपनाई. गोवा में बीजेपी के उम्मीदवारों में कैथोलिक उम्मीदवारों की संख्या राज्य में कैथोलिक ईसाइयों की तकरीबन 25 फीसदी आबादी के अनुपात में रही है. पार्टी ने हर सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. हालांकि, आबादी का यह अनुपात पिछली एक शताब्दी में लगातार गिरा है. इस दौरान यह घटकर आधे से चौथाई पर आ गया है. इसके बावजूद कैथोलिक ईसाई अभी भी एक मुखर और सामाजिक रूप से प्रभावशाली समुदाय के तौर पर जाने जाते हैं. राज्य के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में हिंदुओं की आबादी काफी ज्यादा है. 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में केवल एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. हालांकि पार्टी ने किसी कैथोलिक को नेता सदन नहीं चुना है. अगर ऐसा होता तो मापुसा सीट से जीतने वाले फ्रांसिस डिसूजा इस रेस में सबसे आगे थे. डिसूजा मनोहर पर्रिकर और लक्ष्मीकांत पारसेकर दोनों की कैबिनेट में पिछले पांच साल से डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे. मौजूदा एमएलए के तौर पर डिसूजा को 10,957 मिले, जबकि उनके नजदीकी प्रतिस्पर्धी प्रो-हिंदू महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के उम्मीदवार को 4,129 वोट मिले. उन्हें अपनी ज्यादातर शहरी विधानसभा सीट पर किसी खास सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ा. 2014 के आखिर में जब तब के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को दिल्ली में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, उस वक्त पारसेकर को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पार्टी के फैसले का डिसूजा ने जमकर विरोध किया था. डिसूजा उस वक्त विदेश में थे. पिछले कुछ सालों से मुख्यमंत्री पारसेकर की नॉर्थ गोवा से मैंड्रेम सीट से हार हो गई है. चार बार से इस सीट पर जीत रहे पारसेकर के लिए यह बेहद निराश करने वाली बात है क्योंकि वह निवर्तमान मुख्यमंत्री हैं.अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान ऐलान किया था कि पर्रिकर राज्य में चुनाव के बाद पार्टी की राज्य इकाई की अगुवाई करेंगे-भले ही उन्हें यह काम नई दिल्ली से करना पड़े या राज्य की राजधानी पणजी से करना पड़े. आखिरकार पर्रिकर को ही पार्टी ने वापस गोवा में सीएम के तौर पर भेजा है. उनके नेतृत्व में फिलहाल तो बीजेपी छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों को अपने साथ जोड़ कर सरकार बनाने में सफल दिख रही है.

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने तटीय राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए पर्रिकर को आमंत्रित किया है। इससे पहले पर्रिकर ने रविवार को 22 विधायकों के समर्थन वाला एक पत्र राज्यपाल को सौंपा था। मंगलवार शाम को पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। इनके साथ ही एमजीपी के नता सुदीन धावलेकर डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेंगे।
बता दें, पर्रिकर अभी राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन उन्हें सीएम बनने के लिए राज्यसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। पर्रिकर अब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, इसके लिए उन्होंने मापुसो सीट चुनी है। इस सीट से चुने गए भाजपा विधायक को पर्रिकर की जगह राज्यसभा भेजा जाएगा।
पर्रिकर ने 2012 के गोवा चुनाव में विजय दिलाई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर नौ नवंबर 2014 को रक्षा मंत्री का पद संभाला था। पर्रिकर ने कहा, ‘शुरूआती तौर पर रक्षा मंत्री की भूमिका में मुझे दिक्कत हुई लेकिन पिछले ढाई साल में मैंने अपना काम अच्छे से किया। मैंने इसे पूरी ईमानदारी से किया। रक्षा मंत्रालय एक ऐसा मंत्रालय है जहां हमेशा मंत्री के खिलाफ आरोप लगते हैं, लेकिन ढाई साल में बहुत सारी खरीद के बावजूद मंत्रालय या मेरे खिलाफ एक आरोप नहीं लगा। अगर मैं रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करता हूं तो मैं कह सकता हूं कि मैंने बलों के मनबोल को ऊंचा करने और अच्छी खरीद की दिशा में काम किया है।’

पर्रिकर ने कहा, ‘मैंने रक्षा मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया। त्याग पत्र सोमवार सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दिया है।’ गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने तटीय राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए पर्रिकर को आमंत्रित किया है। इससे पहले पर्रिकर ने रविवार को 22 विधायकों के समर्थन वाला एक पत्र राज्यपाल को सौंपा था। मंगलवार शाम को पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। इनके साथ ही एमजीपी के नता सुदीन धावलेकर डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेंगे।

पर्रिकर अभी राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन उन्हें सीएम बनने के लिए राज्यसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। पर्रिकर अब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, इसके लिए उन्होंने मापुसो सीट चुनी है। इस सीट से चुने गए भाजपा विधायक को पर्रिकर की जगह राज्यसभा भेजा जाएगा।
गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, दो निर्दलीय और राकांपा के एकमात्र विधायक के समर्थन पत्र के साथ पर्रिकर ने रविवार शाम (12 मार्च) को गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा से भेंट की। सबका साथ मिलने पर गठबंधन के पास कुल 22 विधायक हैं।गोवा की राज्यपाल मृदला सिंहा ने मनोहर पर्रिकर को गोवा का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। उन्हें शपथ लेने के 15 दिन के भीतर बहुमत साबित करने को कहा गया है।
पर्रिकर ने 2012 के गोवा चुनाव में विजय दिलाई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर नौ नवंबर 2014 को रक्षा मंत्री का पद संभाला था। पर्रिकर ने कहा, ‘शुरूआती तौर पर रक्षा मंत्री की भूमिका में मुझे दिक्कत हुई लेकिन पिछले ढाई साल में मैंने अपना काम अच्छे से किया। मैंने इसे पूरी ईमानदारी से किया। रक्षा मंत्रालय एक ऐसा मंत्रालय है जहां हमेशा मंत्री के खिलाफ आरोप लगते हैं, लेकिन ढाई साल में बहुत सारी खरीद के बावजूद मंत्रालय या मेरे खिलाफ एक आरोप नहीं लगा। अगर मैं रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करता हूं तो मैं कह सकता हूं कि मैंने बलों के मनबोल को ऊंचा करने और अच्छी खरीद की दिशा में काम किया है।’

 

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