मिशन 2019- आर-पार की लडाई के लिए तैयारियां

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर जेडीयू अब मोर्चा खोलने की तैयारी में है. जेडीयू में इसे लेकर जिस तरह से सुगबुगाहट हो रही है, ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है.

इस साल के अंत में प्रस्तावित 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए एक चिंता बढ़ाने वाली खबर है. पहले से ही राजस्थान में एंटी इन्कंबेंसी झेल रही भाजपा को अब एक और झटका लगा है. यहां के दिग्गज भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी के संगठन भारत वाहिनी को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टी का दर्जा दे दिया है. इस पार्टी के अध्यक्ष तिवाड़ी के बेटे अखिलेश तिवाड़ी हैं.

फोकस- चुनाव से पूर्व अक्‍सर आप सुनते होगेे कि अमुक सीट तो हार रहे हैं, अमुक सीट पर तो नही जीत पायेगें, और करीबन सबकी  राय ऐसी बनती जाती है और वह सीट वाकई में हार ही मिलती है- इसी तरह की चर्चा इस बार यह है कि भाजपा राजस्‍थान हार रही है- क्‍या वाकई- पूरा देश जीतने के बाद राजस्‍थान हार जायेगी भाजपा- ऐसा कैसे हो जायेगा- मोदी जी के बेशुमार दौरे क्‍या राजस्‍थान में असर नही डाल पायेगें- राजनीति के चाणक्‍य माने जाने वाले अमित शाह की रणनीति क्‍या राजस्‍थान में नही चल पायेगी- सब कुछ होगा- तभी तो राजस्‍थान हारना जरूरी है- सनसनीखेज और अविश्‍वसनीय सी चर्चा लग रही है- ऐसी चर्चा में कोई वजन नही लग रहा है- परन्‍तु राजनीति का यही सत्‍य है कि जो दिखता है वो होता नही है,और जो होता हैै वो दिखता नही है- इस बार यही होने जा रहा है- राजनीति में ठिकाने लगाने के लिए दो कदम पीछे भी हटाने पडते हैं, तो क्‍या जान बूझ कर- अपने किसी बडे नेता को झटका देने की रणनीति है- राजस्‍थान में झटका-  इन सब पर हिमालयायूके की खास और सनसनीखेज रपट-  एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट- जल्‍द प्रकाशित- 

जैसे-जैसे मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, कांग्रेस और बीजेपी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं. बीजेपी की कोशिश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहानके नेतृत्व में लगातार चौथी बार सत्ता पाने की है. लेकिन पार्टी एंटी-इनकंबेंसी का भी सामना कर रही है.

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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर जेडीयू अब मोर्चा खोलने की तैयारी में है. जेडीयू में इसे लेकर जिस तरह से सुगबुगाहट हो रही है, ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है. नीती आयोग के गरवर्निंग काउंसिल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य दर्जा की जोरदार मांग की है. जिसके बाद जेडीयू पार्टी में भी इसके लिए आवाज बुलंद होने लगी है.
दिल्ली में आगामी 8 जुलाई को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक होने जा रही है. इस बैठक में निश्चित तौर पर बिहार को विशेष राज्य दर्जा दिलाने की मांग भी बुलंद की जाएगी. जेडीयू पर इन दिनों लगातार विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर तंज कसा जा रहा है. आरजेडी और कांग्रेस निशाना साध रहे हैं कि केंद्र की सहयोगी दल होने के बावजूद राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिला पा रहे हैं.
हालांकि जेडीयू भी लगातार पटलवार कर रही है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार इस बार मोर्चा खोलने वाले हैं. नीती आयोग के सामने जिस तरह से इस मुद्दे को उठाया गया है. जेडीयू तेवर सख्त दिख रहे हैं. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा स्वीकार करते हुए कहा था कि गठबंधन के साथ काम करने में कुछ परेशानियां होती है. लेकिन हर बात पर समझौता नहीं हो सकता.
वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पहले ही जेडीयू और बीजेपी के बीच बयानों का दौर जारी है. ऐसे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अहम फैसले होने की संभावना जतायी जा रही है. इस बारे में जेडीयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि बैठक के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली में 9 जुलाई को नागालैंड जेडीयू के नेता नागा समस्याओं को लेकर धरना देंगे. इससे पहले 8 जुलाई को कार्यकारिणी की बैठक होगी. जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होगी.
केसी त्यागी ने बताया कि 10 जुलाई को वह नागालैंड जेडीयू के नेताओं के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे. हालांकि सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि नीतीश कुमार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे.
वही दूसरी ओर
जैसे-जैसे मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, कांग्रेस और बीजेपी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं. बीजेपी की कोशिश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहानके नेतृत्व में लगातार चौथी बार सत्ता पाने की है. लेकिन पार्टी एंटी-इनकंबेंसी का भी सामना कर रही है. कांग्रेस इस मुद्दे का जोर-शोर से उठाने की कोशिश कर रही है. वहीं, बीजेपी के नेता एंटी-इनकंबेंसी को नकार रहे हैं. हालांकि इससे निपटने के लिए पार्टी के रणनीतिकार कई फॉर्मूले बना रहे हैं.
हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन लोगों को ही उम्मीदवार बनाएगी, जो चुनाव जीतने वाले होंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि कई विधायकों के टिकट काटे जाएंगे. हालांकि उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं हो रहा है. पहले भी टिकट कटते रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी कई विधायकों के कामकाज से खुश नहीं है. ऐसे में उनके टिकट काटकर सरकार विरोधी लहर को कम करने का प्रयास करेगी.
कई बार आजमाया फॉर्मूला, जीत लिया चुनाव
वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर नए उम्मीदवार खड़े करके चुनाव जीतना बीजेपी का प्रमुख फॉर्मूला है जिसे वह पिछले कई राज्यों के चुनावों में अपना चुकी है. उसे इस फॉर्मूले पर जीत भी मिली है. मसलन, गुजरात चुनाव में कई वर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए थे. यहां तक कि दिल्ली के नगर निगम चुनाव में भी बीजेपी ने इसी फॉर्मूले के दम पर अपनी सरकार बचाई थी. इसके अलावा, दूसरे दल के कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल कर सकती है. यानी पार्टी बाहरी प्रत्याशियों के लिए दरवाजे खोल सकती है.
बीजेपी हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है. इसी क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 14 जुलाई से उज्जैन से जन आशीर्वाद यात्रा शुरू करेंगे. मुख्यमंत्री चौहान भगवान महाकालेश्वर की पूजा कर उज्जैन से अपनी जन आशीर्वाद यात्रा शुरू करेंगे. इस मौके पर उज्जैन में एक बड़ी जनसभा होगी, जिसे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संबोधित करेंगे और वही इस यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. 14 से 16 जुलाई तक के जन आशीर्वाद यात्रा के इस पहले चरण में मुख्यमंत्री लगभग 300 किलोमीटर का सफर तय करेंगे और रतलाम में यात्रा के इस चरण को विराम देंगे. इस चरण में 11 विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री का रथ पहुंचेगा. इसी तरह जन आशीर्वाद यात्रा का दूसरा चरण 18 जुलाई को मां शारदा के दर्शन और पूजन के साथ मैहर से शुरू होगा. दो दिन की इस यात्रा को नागौद में विराम दिया जाएगा.
इसके अलावा राजस्था न में बीजेपी के लिए बडी चुनौती साबित होने जा रही है,

इस साल के अंत में प्रस्तावित 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए एक चिंता बढ़ाने वाली खबर है. पहले से ही राजस्थान में एंटी इन्कंबेंसी झेल रही भाजपा को अब एक और झटका लगा है. यहां के दिग्गज भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी के संगठन भारत वाहिनी को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टी का दर्जा दे दिया है. इस पार्टी के अध्यक्ष तिवाड़ी के बेटे अखिलेश तिवाड़ी हैं.
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से खफा चल रहे भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी से जुडी भारत वाहिनी का राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकरण हो गया है.
विधायक के पुत्र और भारत वाहिनी के संस्थापक अध्यक्ष अखिलेश तिवाड़ी के अनुसार चुनाव आयोग ने भारत वाहिनी को गत बुधवार को राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत कर लिया है. पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में सभी दो सौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने बताया कि भारत वाहिनी का प्रथम प्रतिनिधि सम्मेलन आगामी 3 जुलाई को जयपुर में होगा. सम्मेलन में चुनाव लड़ने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा. गौरतलब है कि तिवाड़ी लम्बे समय से भारत वाहिनी के बैनर तले राज्य सरकार की विफलताओं को लेकर जन जागरण कर रहे हैं. 2013 में हुए चुनावों में कांग्रेस को करारी मात देकर भाजपा सत्ता में आई थी. लेकिन पिछले काफी समय से भाजपा का हाल यहां पर खराब है. पिछले दिनों जब राजस्थान में अलवर और अजमेर में लोकसभा चुनावों के लिए उपचुनाव हुए तो भाजपा को इसमें करारी हार झेलनी पड़ी थी. इसके बाद से ही लग रहा है कि भाजपा में राजस्थान में हालात सही नहीं हैं. घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान भाजपा के दिग्गज नेता हैं. वह समय समय पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खिलाफत करते रहे हैं
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान पेयजल आपूर्ति स्तर के मामले में पीछे है और सिर्फ 44 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों में ही पूरी तरह से जलापूर्ति हो रही है. आयोग ने राज्य से ग्रामीण बस्तियों में पेय जल की गुणवत्ता और पहुंच दर में सुधार करने को कहा है. इसके साथ ही आयोग ने भूजल संरक्षण और सहभागितापूर्ण सिंचाई के लिए राज्य के प्रयासों की सराहना की है.
रिपोर्ट में एक समग्र जल प्रबंधन सूचकांक को भी शामिल किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2016-17 में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रदूषण के संबंध में पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है. जल प्रबंधन सूचकांक की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में इस समय 60 करोड़ लोग पानी संकट का सामना कर रहे हैं.
जल प्रबंधन सूचकांक में गुजरात पहले स्थान पर है और झारखंड निचले पायदान पर है. इस सूचकांक को जारी करते हुए जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ा संकट पानी का है. यह संकट आगे और गंभीर होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश में पानी की कमी नहीं है, बस पानी के प्रबंधन की कमी है. उन्होंने कहा कि कृषि प्रबंधन से इस संकट को काफी हद तक रोका जा सकता है. लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और भूमिगत जल मंत्री सुरेंद्र गोयल ने कहा कि पानी की कमी की चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार विभिन्न लोक कल्याणकारी जल परियोजनाओं पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हम ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों को भूजल उपलब्ध कराने के लिए परियोजनाओं पर करीब 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे.

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