मिशन 2;019 ;यू0पी0 की 46 सीटें कमजोर- भाजपा का संगठन में अहम बदलाव

भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश संगठन में कई अहम बदलाव किए#  अभी और बदलाव होने हैं # दायित्व संघ के पूर्णकालिक प्रचारकों को ही दिया जाए# हिमालयायूके न्यूज पोर्टल
2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में लगी भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश संगठन में कई अहम बदलाव किए हैं. पार्टी ने क्षेत्रीय संगठन मंत्रियों के कार्यक्षेत्र में फेरबदल किया है. इसके साथ ही पूर्णकालिक प्रचारकों की नियुक्ति की गई है. माना जा रहा है कि ये बदलाव पार्टी की जमीन पर रणनीति लागू करने में अहम भूमिका निभाएगी.

चर्चा है कि ये बदलाव केंद्र सरकार की नीतियों को आम जनता तक पहुंचाने की जीतोड़ कोशिश में लगी बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा है. पार्टी के पास अब साल भर से भी कम समय बचा है, लिहाजा संघ के साथ समन्वय उसके लिए बेहद जरूरी है.   अभी और बदलाव होने हैं. वैसे इस कवायद को कर्मठ कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने की कोशिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है. गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर उपचुनाव में हार से पार्टी का बड़ा झटका लगा है.

इसके बाद से संगठन में सुधार और बदलाव के कयास लगाए जा रहे थे. कुछ समय पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बैठक में निर्णय लिया गया था कि पार्टी में संगठन मंत्री का दायित्व संघ के पूर्णकालिक प्रचारकों को ही दिया जाए. इसी मानक को पूरा करने की कवायद शुरू हुई तो शिव कुमार पाठक संगठन मंत्री, गोरखपुर, ओमप्रकाश संगठन मंत्री, कानपुर, बृज बहादुर, संगठन मंत्री, अवध क्षेत्र के नाम सामने आए. ये पूर्व मे प्रचारक रह चुके हैं, लेकिन अब संघ के प्रचारक नहीं है. लिहाजा इन्हें इनके दायित्वों से मुक्त कर दिया गया. पार्टी का कहना है कि इन सभी को जल्द ही संगठन में दूसरे पदों, दायित्वों में समायोजित किया जाएगा. इसके साथ ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने यूपी बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्रियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किये हैं. इनमें रत्नाकर को क्षेत्रीय संगठन मंत्री, काशी के साथ ही गोरखपुर क्षेत्र के संगठन मंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई है. वह उनका केन्द्र काशी होगा. वहीं यूपी बीजेपी के प्रकोष्ठों के प्रभारी रहे प्रद्युम्न अब लखनऊ में बैठक अवध क्षेत्र के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे.

इसके अलावा क्षेत्रीय संगठन मंत्री, ब्रज क्षेत्र भवानी सिंह अब ब्रज के साथ ही कानपुर-बुन्देलखण्ड क्षेत्र के संगठन मंत्री होंगे. उनका केन्द्र आगरा रहेगा. इस बदलाव पर यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि ये बदलाव पार्टी के अंदर चलने वाली सतत प्रक्रिया है. पार्टी हमें नए विचारों, लोगों को मौका देती रही है. इस बदलाव को सिर्फ इसी रूप में लेना चाहिए.

 
अब 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. बीजेपी को रोकने के लिए सपा-बसपा समेत सभी विपक्षी दलों ने गठबंधन तैयार करना शुरू कर दिया है. कैराना लोकसभा उपचुनाव में इस गठबंधन का परीक्षण भी हुआ, जो सफल रहा है. 46 सीटें ऐसी सामने आईं, जहां गठबंधन के दलों का वोट प्रतिशत जोड़ दिया जाए तो ये बीजेपी की तुलना में कहीं ज्यादा निकलता है.

इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश की सहारनपुर से लेकर बुंदेलखंड, अवध क्षेत्र और पूर्वांचल की कई सीटें शामिल हैं. ये आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि अगर गठबंधन के प्रत्याशी को दलों का वोट ट्रांसफर हुआ तो बीजेपी के लिए 2019 में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. वहीं बीजेपी के सहयोगी अपना दल की भी एक सीट पर चुनौती है. कैराना के अलावा उत्तर प्रदेश की पहली लोकसभा सीट सहारनपुर की बात करें तो यहां बीजेपी राघव लखनपाल ने कांग्रेस के इमरान मसूद को करीब 65 हजार वोट से हराया. बीजेपी को 39 प्रतिशत वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिले.

तीसरे नंबर पर रही बसपा के जगदीश सिंह राणा को 19.57 प्रतिशत वोट मिले, जबकि सपा शादान मसूद 4.42 वोट हासिल किए. इन सभी का कुल मत प्रतिशत 57 प्रतिशत बैठता है. जो बीजेपी के 39 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है. बिजनौर में बीजेपी के कुंवर भारतेंद्र ने सपा के शाहनवाज राणा को हराया. बसपा तीसरे और रालोद चौथे स्थान पर रही. बीजेपी को करीब 45.92 प्रतिशत वोट, वहीं सपा को 26.51, बसपा को 21.70 और रालोद को 2.30 प्रतिशत वोट मिले. बीजेपी के मुकाबले सभी का कुल मत 50 प्रतिशत से ज्यादा आता है.

इसी तरह नगीना में भी बीजेपी 39.02 प्रतिशत वोट पाई. दूसरे स्थान पर रही सपा को 29.22 प्रतिशत और बसपा को 26.06 प्रतिशत वोट मिला था. ये जोड़ 53 प्रतिशत से ज्यादा है. मुरादाबाद में बीजेपी को 27.38 प्रतिशत मत मिले, यहां दूसरे नंबर पर सही सपा ने 22.44 वोट हासिल किए. बसपा ने 9.08 प्रतिशत और कांग्रेस ने 1.11 प्रतिशत वोट हासिल किए. ये जोड़ 33 प्रतिशत के करीब बैठता है.

इसी तरह रामपुर में बीजेपी के 37.42 प्रतिशत के जवाब में सपा, बसपा, और कांग्रेस ने मिलकर करीब 60 प्रतिशत वोट हासिल किए. संभल में भी बीजेपी ने 34.08 प्रतिशत तो सपा ने 33.59 प्रतिशत वोट हासिल किया. इसमें बसपा और कांग्रेस के वोट जोड़ दें तो ये 59 प्रतिशत आता है.

इसी तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश की अन्य सीटों जैसे मेरठ, बागपत, फतेहपुर सीकरी, आंवला, शाहजहांपुर में भी सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करता दिख रहा है. अवध क्षेत्र में लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर बीजेपी के कौशल किशोर ने 40.77 प्रतिशत वोट के साथ बसपा के आरके चौधरी को मात दी. उन्होंने 27.75 प्रतिशत वोट हासिल किए. वहीं सपा की सुशीला सरोज को 21.70 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के नरेश गौतम 4.71 प्रतिशत वोट मिले. इन सभी का जोड़ 54 प्रतिशत से ज्यादा होता है. सीतापुर, बाराबंकी, फैजाबाद, हरदोई, बहराइच, कैसरगंज, मिश्रिख, सुलतानपुर, इटावा सीट में भी गठबंधन के प्रमुख दलों का प्रदर्शन 2014 के लिहाज से बीजेपी पर भारी पड़ता दिख रहा है.

बुंदेलखंड की बात करें तो झांसी में बीजेपी की उमा भारती ने 43.60 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर सपा 29.18 प्रतिशत वोट के साथ रही, वहीं बसपा को 16.19 प्रतिशत और कांग्रेस को 6.37 प्रतिशत वोट मिले. ये जोड़ बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. झांसी के अलावा बुंदेलखंड में बांदा, फतेहपुर, कौशांबी की सीटें फंसती दिख रही हैं. पूर्वांचल की बात करें तो उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर पहले ही बीजेपी को हार की तरफ इशारा कर चुका है. इसी तरह से इलाहाबाद में बीजेपी के श्यामाचरण गुप्ता की सीट भी फंसती दिख रही है.

उन्होंने 2014 में 35.19 प्रतिशत वोट के साथ जीत हसिल की. दूसरे नंबर पर सपा 28.24 वोट के साथ रही, जबकि बसपा 18.18 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे और कांग्रेस 11.49 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर रही. यही स्थिति श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, बस्ती, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बांसगांव, लालगंज, घोसी, मछलीशहर, गाजीपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, राबट्र्सगंज में भी दिख रही है. 2014 में 2 सीटें जीतने वाले बीजेपी के सहयोगी अपना दल, जो अब अपना दल सोनेलाल हो चुका है, की बात करें तो उसने प्रतापगढ़ में 42 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत हासिल की. बसपा यहां 23.20 प्रतिशत के साथ दूसरे, कांग्रेस 15.50 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे और सपा के 13.43 प्रतिशत वोट रहे. ये जोड़ 50 प्रतिशत के करीब बैठता है.

उधर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि ये आंकड़े 2014 के हैं, 2019 में स्थिति काफी बदली हुई होगी. उन्होंने कहा कि पहली बात तो ये कि ये गठबंधन परवान नहीं चढ़ने जा रहा. उसका अहम कारण ये है कि इन दलों के बीच सीटों पर समझौता होना बेहद कठिन है. कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सपा और बसपा का बराबर प्रभाव है, ऐसे में किसे सीट मिलेगी, यह तय करना टेढ़ी खीर होगी. बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले ही 40 सीटें मांग ली हैं, लिहाजा गठबंधन अभी से खटाई में पड़ता दिख रहा है. राकेश त्रिपाठी ने कहा कि वहीं दूसरी बात ये कि 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस के भ्रष्टाचार, उनकी नकारी नीतियों के खिलाफ हम मैदान में उतरे थे. आज नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हमारे पास पांच साल के कार्यों की उपलब्धियां हैं. यही नहीं यूपी सरकार के कार्य भी हमारे लिए सकारात्मक भूमिका में हैं. वहीं उस समय के बीजेपी संगठन और आज के संगठन में भी गुणात्मक सुधार हुआ है. आज हमारी तगड़ी उपस्थिति बूथ स्तर तक है.

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