मोदी सरकार के मंत्रियों के विभाग में बड़े बदलाव & TOP BIG NEWS

बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. #प्रधानमंत्री धमकाने और डराने वाली भाषा का इस्तेमाल करें #अस्पताल मरीजों को  मजबूर क्यों करते हैं.- सुप्रीम कोर्ट  #आम आदमी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है. #महाराष्ट्र की राजनीति में उफान #केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा -कोई जवाब दाखिल नहीं करेंगे.

कर्नाटक नतीजों से पहले बड़ी खबर — राजनीति के जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही अपने मंत्रियों के कामकाज की समय-समय पर समीक्षा करते रहते हैं और इसी समीक्षा के चलते मंत्रियों का कद तय किया जाता है. अरुण जेटली की बीमारी के चलते यह तो पहले से ही तय था कि इसकी जिम्मेदारी किसी और मंत्री को दी जाएगी, लेकिन इस चर्चा में स्मृति ईरानी कहीं नहीं थीं. जानकार बताते हैं कि कुछ मामलों को लेकर सूचना मंत्रालय काफी चर्चा में रहा था, अधिकारीवर्ग भी अपने मंत्री स्मृति ईरानी के फैसलों से खुश नहीं थे, जिसके चलते उनसे यह मंत्रालय ले लिया गया.  मोदी सरकार के मंत्रियों के विभाग में बड़े बदलाव हुए हैं. स्मृति ईरानी की जगह केन्द्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज्यवर्धन राठौड़ अब नये सूचना मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) बनेंगे. पीयूष गोयल अब देश के नये वित्त मंत्री होंगे. अरूण जेटली की खराब सेहत के कारण पीयूष गोयल को अस्थायी जिम्मेदारी दी गई है. पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया . इसका मतलब यह है कि  पीयूष गोयल नए वित्त मंत्री हैं जब तक जेटली हॉस्पिटल में हैं. स्मृति ईरानी से सूचना मंत्रालय छीना गया लेकिन उनके पास कपड़ा मंत्रालय रहेगा. एसएस अहलूवालिया का भी मंत्रालय बदला गया. केंद्रीय मंत्री अल्फोंस कनन्नथानम को इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय से हटा दिया गया है. अब अहलूवालिया इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री होंगे. पिछले वर्ष जुलाई में उपराष्‍ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद वेंकैया नायडू ने मंत्रीपद से इस्‍तीफा दे दिया था, जिसके बाद से स्‍मृति ईरानी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार संभाल रही थीं. स्‍मृति ईरानी के पास अब बस टेक्‍सटाइल मंत्रालय ही रहेगा. एस एस आहलुवालिया को इलेक्ट्रॉनिक्स और आइटी मंत्रालय मिला है. अल्फ़ॉन्स से इलेक्ट्रॉनिक्स का मंत्रिपद छिन गया है.

  होने वाले नये सूचना मंत्री राठौड़ ने 1990 के दशक के मध्य में शूटिंग रेंज में कदम रखा था, इसके बाद वह ओलंपिक खेलों में भारत के पहले व्यक्तिगत रजत पदकधारी बने थे. 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरूषों की डबल ट्रैप स्पर्धा में वह दूसरे स्थान पर रहे थे.

ओलंपिक इतिहास रचने से एक साल पहले उन्होंने सिडनी में 2003 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था. एथेंस खेलों से पहले राठौड़ को सेना की मार्कमैनशिप यूनिट के साथ दो साल के लिये दिल्ली तैनात किया गया था जिससे उन्हें शहर की तुगलकाबाद शूटिंग रेंज में अभ्यास करने में मदद मिली.

राठौड़ ने फ्रेक्चर और प्रोलेप्स्ड डिस्क से उबरकर ओलंपिक पदक जीता था. एथेंस ओलंपिक में क्वालीफायर में पांचवें स्थान पर रहकर उन्होंने फाइनल के लिये क्वालीफाई किया और रजत जीता. सैन्य परिवार में जन्में राठौड़ ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी का इम्तिहान पास किया और भारतीय सेना की सेवा शुरू की जिसमें दो साल तक कश्मीर में आतंकवादियों से भिड़ना भी शामिल रहा और उनकी मां का मानना है कि इससे वह ओलंपिक फाइनल के दौरान अच्छी लय में रहे. दूसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी राठौड़ जयपुर की ‘नाइन ग्रेनेडियर्स’ से जुड़े, जिसकी उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कमान संभाली थी. भारतीय सेना से समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने के बाद राठौड़ 2013 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और मई 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री का पद संभाला.

बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

 देश में बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. चार बैंकों को एक खरब 21 अरब 54 करोड़ 21 लाख का घाटा हुआ है. बैंकों पर ये बोझ बैड लोन की वजह से बढ़ता जा रहा है. बैंक एनपीए बढ़ने से रोकने में नाकाम हैं. इसी के चलते रिजर्व बैंक ने 21 में से 11 बैकों पर रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है. साल की आखिरी तिमाही में केनरा बैंक को 4860 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. वहीं, इलाहाबाद बैंक को 3509 करोड़, यूको बैंक को 2134 करोड़ और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 1650 करोड़का घाटा हुआ है.  आरबीआई के मुताबिक जब लोन का पैसा तीन महीनों तक वापिस नहीं आता तो उसे एनपीए मान लिया जाता है. बैंकिंग की भाषा में एनपीए को ‘नॉन परफॉर्मिंग असेट्स’ कहते हैं. जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ कहते हैं. साल 2017 में 12,553 फ्रॉड हुए,जिनमें बैंकों को 18170 करोड़ रुपए का चूना लगा था. देश का 77 फीसदी एनपीए कॉर्पोरेट घरानों की वजह से है.  एनपीए की साढ़े नौ लाख करोड़ की रकम ने बैकिंग सर्विस का कुछ इस तरह भट्टा बैठाया कि 21 में से 11 बैकों पर रिजर्व बैंक ने रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है. अब ये बैंक ना तो नया कर्ज दे सकते है और ना ही नई नौकरियां. सुधारात्मक कार्रवाई के लिए आरबीआई ने ये रोक लगाई है बैंकों का एनपीए बीते चार बरस में जिस तरह बढ़ा है, उसने बैंकों की कमर तोड़ कर रख दी है. रिजर्व बैंक के सख्त कदमों के बाद बैंकों के लिए एनपीए छिपाना अब मुश्किल हुआ है. मोदी सरकार के दौर में न तो एपीएम कम हुआ, न उस पर अंकुश ही लगा. बैंकों के बढ़ते एनपीए और घाटे ने क्रेडिट ग्रोथ पर असर डाला है. यानी बैंक कर्ज नहीं दे रहे और कर्ज नहीं दे रहे तो बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ा है. बैंकों में जमा ब्याज दर भी लगातार घट रही है. घाटे की वजह से बैंक वेतनकर्मियों का वेतन नहीं बढ़ा पा रहे हैं. इसी वजह से इस महीने के आखिर में बैंककर्मी 48 घंटे की हड़ताल पर जा रहे हैं.  पिछले हफ्ते राज्यसभा सासंद संजय ने वित्त मंत्रालय के नाम एक पत्र लिखा है. ईडी के डायरेक्टर के नाम इस तीन पेजी खत में उन 18 उघोगपतियों के नामों का जिक्र है जो देश में है और जिन्होंने अरबों रुपया लोन लेकर लौटाया नहीं है. 

अपने पत्र में राज्यसभा सासंद संजय ने कहा है, ‘’जिस तरह अरबो रुपए लेकर उघोगपति फरार हो गए, उसकी फेरहिस्त देश के सामने है.’’ पत्र में ये सवाल भी उठाया गया है कि देश के जिन उघोगपतियों ने लोन लेकर नहीं लौटाया है, उनके पासपोर्ट तक जब्त क्यों नहीं किए गए.  फिलहाल सीबीआई 44 बैकों के 292 केसों की जांच कर रही है औऱ इसी फेरहिस्त में सीबीआई ने सिर्फ इसी बरस एक हजार से ज्यादा छापे मारे हैं. वहीं, एसएफआईओ बैंकिग सेक्टर से जुड़े फ्रॉड के 300 मामलों की जांच कर रही है. एसएफआईओ का मतलब सीरियस फ्रॉड जांच आफिस होता है. ये एजेंसी धोखाधड़ी के मामलों की जांच करती है. लोन देने का सिलसिला नीरव मोदी और मेहूल चोकसी के केस में भी जारी रहा. 12 हजार करोड़ के पीएनबी घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में मेहुल चौकसी का नाम नहीं है. जबकि 31 जनवरी को हुई एफआईआर में मेहुल चौकसी नाम दर्ज था. मुबंई में दायर सीबीआई चार्जशीट में नीरव मोदी और उनके बाई निशाल मोदी और नीरव मोदी की कंपनी के एक्सक्यूटिव सुभाष परब के अलावा पीएनबी के पूर्व सीईओ अनंता सुब्रमणयम का भी जिक्र है. 

लोन देने का सिलसिला नीरव मोदी और मेहूल चोकसी के केस में भी जारी रहा. 12 हजार करोड़ के पीएनबी घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में मेहुल चौकसी का नाम नहीं है. जबकि 31 जनवरी को हुई एफआईआर में मेहुल चौकसी नाम दर्ज था. मुबंई में दायर सीबीआई चार्जशीट में नीरव मोदी और उनके बाई निशाल मोदी और नीरव मोदी की कंपनी के एक्सक्यूटिव सुभाष परब के अलावा पीएनबी के पूर्व सीईओ अनंता सुब्रमणयम का भी जिक्र है.  नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर 12 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. पीएनबी के अधिकारियों से मिलीभगत करके नीरव और मेहुल ने घोटाले को अंजाम दिया है. नीरव ने LoU यानि लेटर ऑफ अंडर टेकिंग के जरिए बैंकों से लोन लिया था, लेकिन वापस नहीं किया. नीरव मोदी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है. उसका भारतीय पासपोर्ट भी रद्द किया जा चुका है.

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प्रधानमंत्री धमकाने और डराने वाली भाषा का इस्तेमाल करें

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिकायत की है. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कर्नाटक में एक चुनावी रैली में पीएम मोदी की तरफ से की गई टिप्पणी पर सख्त आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने इस बाबत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह मोदी को इस बात के लिए आगाह कर दें कि वे अवांछित और धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इस तरह की भाषा उन्हें शोभा नहीं देती.  पूर्व पीएम मनमोहन की ओर से 13 मई को राष्ट्रपति को लिखा गया यह पत्र सोमवार को मीडिया को जारी किया गया है. पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान हुबली में मोदी की तरफ से दिए गए उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेताओं को सीमा लांघने के खिलाफ चेतावनी दी थी. पूर्व पीएम मनमोहन ने पत्र में लिखा है, “आदरणीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को आगाह करें कि वह कांग्रेस नेताओं या किसी अन्य दलों या व्यक्ति के खिलाफ इस प्रकार की अवांछित, डराने और धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इस तरह की भाषा प्रधानमंत्री के पद को शोभा नहीं देती है.”  गौरतलब है कि पीएम मोदी ने छह मई को अपने भाषण में कहा था, “कांग्रेस के नेता कान खोलकर सुन लें, अगर आप सीमा लांघेंगे तो यह मोदी है, आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.” 

पूर्व पीएम मनमोहन ने पत्र में कहा है कि मोदी की तरफ से इस्तेमाल की गई शब्दावली डराने-धमकाने वाली है और इस तरह की भाषा का इस्तेमाल अपमानित करने और शांतिभंग करने के लिए उकसाने के इरादे से किया गया. पत्र में यह भी कहा गया है कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने सार्वजनिक और निजी कार्यक्रमों और कार्यो के संचालन में मर्यादा और शिष्टाचार का पालन किया है.  पूर्व पीएम मनमोहन  ने कहा है, “यह अकल्पनीय है कि हमारी लोकतांत्रिक राजनीति में सरकार के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री धमकाने और डराने वाली भाषा का इस्तेमाल करें और विपक्षी दलों के नेताओं और सदस्यों को सार्वजनिक रूप से धमकी दें.”

मनमोहन सिंह के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, कर्ण सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, पी. चिदंबरम, ए. के. एंटनी, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल और मुकुल वासनिक ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.

(4) अस्पताल मरीजों को  मजबूर क्यों करते हैं.- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि अस्पताल मरीजों को अपनी ही दुकान से दवा और दूसरी चीजें लेने के लिए मजबूर क्यों करते हैं. अस्पतालों को ऐसा करने से क्यों नहीं रोका जाना चाहिए.

जस्टिस एसए बॉब्दे की अगुवाई में एक बेंच ने इस मामले को अहम मानते हुए जनहित में इसे स्वीकार किया है और केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस भेजा है.

वकालत की पढ़ाई कर रहे सिद्धार्थ डाल्मिया ने यह याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों को मजबूर किया जाता है कि वह अस्पताल की दुकानों से ही दवा और दूसरी जरूरी चीजें खरीदें. डाल्मिया कोर्ट में बताया कि अस्पताल में उनकी मां का ब्रेस्ट कैंसर का इलाज चल रहा था. इस इलाज के लिए उनके परिवार ने 15 लाख रुपए पहले ही खर्च कर दिए थे. इलाज के दौरान पहली बार डाल्मिया और उनके पिता को यह अहसास हुआ कि अस्पतालों, नर्सिंग होम और हेल्थ केयर सर्विस देने वाले संस्थान ऑर्गेनाइज्ड तरीके से मरीजों को लूट रही हैं. ये मरीजों को सभी दवाएं अस्पताल से ही खरीदने के लिए मजबूर करती हैं और वह भी एमआरपी पर, जबकि बाहर की दुकानों पर दवाएं थोड़ी सस्ती मिलती हैं.

डाल्मिया का कहना है कि उनकी मां के इलाज के दौरान अस्पताल से इंजेक्शन खरीदने के लिए बाध्य किया गया जबकि ओपन मार्केट में उस इंजेक्शन की कीमत 21,000 रुपए तक कम थी.

(5)आम आदमी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है. 

अरविंद केजरीवाल ने अगले लोकसभा चुनावों के लिए अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं. दिल्ली की सात सीटों में से तीन पर आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं.

अभी तक आई खबर के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पूर्व सलाहकार आतिशी मर्लिना पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. नई दिल्ली से पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा और उत्तर पूर्वी दिल्ली से पार्टी के प्रवक्ता दिलीप पांडे चुनाव लड़ेंगे. इन तीनों के नाम पर सहमति मिल गई है. दिल्ली में सात सीटें  हैं. बाकी चार सीटों में चांदनी चौक, उत्तर-पश्चिमी, दक्षिण और पश्चिमी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर विचार कर रही है.

वैसे यह माना जा रहा है कि चांदनी चौक से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पंकज गुप्ता और उत्तर-पश्चिम से गुग्गन सिंह के नाम पर चर्चा चल रही है. सिंह हाल में ही बीजेपी से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. मंगोलपुरी से विधायक राखी बिल्डान के साथ एक और नाम पर विचार हो रहा है.  तुगलकाबाद से विधायक सही राम पहलवान के नाम को लेकर चर्चा है.

(6) महाराष्ट्र की राजनीति में उफान

मुंबई : पाकिस्तान के खिलाफ भारत भले की कितनी आग उगलता रहे, लेकिन तमाम विरोधों के बाद भी दोनों देशों के बीच व्यापार बदस्तूर जारी है. इतना ही नहीं कई चीजों का बंपर उत्पादन होने बाद भी भारत सरकार पाकिस्तान ने उन चीजों का आयात कर रही है. ऐसे ही एक मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति में उफान आने लगा है. भारत में बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से चीनी का आयात किया जा रहा है. जबकि देश में चीनी का उत्पादन काफी अच्छा रहा है. इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने महाराष्ट्र में कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और पाकिस्तानी चीनी की बोरियां फाड़ दीं. 

एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड अपने समर्थकों के साथ नवी मुंबई के एक गोदाम पहुंचे और वहां उन्होंने गोदाम में रखीं पाकिस्तानी चीनी की बोरियों को फाड़ दिया. विधायक जितेंद्र आव्हाड ने बताया कि एनसीपी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दहिसर मोरी इलाके में एक चीनी गोदाम में छापा मारा. वहां बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से आयात की गई चीनी का स्टॉक था. पुलिस ने इस मामले में एनसीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. 

विधायक ने कहा कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान से चीनी का आयात कर महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के गन्ना किसानों के साथ अन्याय किया है. उन्होंने लोगों से पाकिस्तान की चीनी का बहिष्कार करने की अपील की. एनसीपी विधायक ने तो यहां तक आरोप लगाया कि चीनी की आड़ में पाकिस्तान ने विस्फोट आरडीएक्स की तस्करी की जा रही है और यह देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगी. 

उधर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने भी विदेशी चीनी के खिलाफ कई स्थानों पर प्रदर्शन किया. एमएनएस कार्यकर्ताओं ने नवी मुंबई स्थित वाशी कृषि उत्पाद बाजार समिति गए और वहां पाकिस्तानी चीनी का कारोबार कर रहे व्यापारियों को धमकाया. 

एमएनएस ने बताया कि बाहर से चीनी का आयात ऐसे समय में किया जा रहा है, जब खुद भारत का चीनी उद्योग चीनी की कम कीमतों से जूझ रहा है. इस बार चीनी का अधिक उत्पादन होने से चीनी की घरेलू कीमतों में कमी आई है. जानकारी के मुताबिक वाशी में पाकिस्तान द्वारा आयात की गई 65 लाख टन चीनी का स्टॉक है. 

चीनी मिलों की आपूर्ति बढ़ने तथा स्टॉकिस्टों और थोक उपभोक्ताओं की कमजोर मांग के कारण दिल्ली के थोक चीनी बाजार में चीनी कीमतों में 25 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई. चालू विपणन सत्र में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बीच चीनी मिलों की निरंतर आपूर्ति के कारण इसका स्टॉक बढ़ने से चीनी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. 

चीनी मिल डिलीवरी एम-30 और एस-30 की कीमतें 15-15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,600 – 2,725 रुपये और 2,690 – 2,715 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुईं.

(7)केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा -कोई जवाब दाखिल नहीं करेंगे.

जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले आर्टिकल 35A मामले की सनुवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस मुद्दे पर कोई जवाब दाखिल नहीं करेंगे. वह सिर्फ संवैधानिक मुद्दों पर बहस करेंगे. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि ये संवेदनशील मामला है. इंटरलोकुटर दस बार वहां जा चुके हैं. सभी हितधारकों से बात कर रहे हैं  और कोर्ट को फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए. उन्‍हें इंटरलोकुटर की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 अगस्त तक सारी कार्रवाई पूरी करने को कहा है. कोर्ट इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त को करेगा. सुप्रीम कोर्ट तभी तय करेगा कि मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए. कोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्ज को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. कई याचिकाओं में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-35ए को असंवैधानिक करार देने की गुहार की गई है.  दरअसल, इससे पहले जम्मू-कश्‍मीर के स्थायी निवासियों के विशेषाधिकार से संबंधित अनुच्छेद 35 ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई थी और केंद्र से उसका पक्ष पूछा था. इससे पहले कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई संवैधानिक की पीठ द्वारा किये जाने का समर्थन किया था, यदि यह अनुच्छेद संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर है या इसमें कोई प्रक्रियागत खामी है. कोर्ट ने कहा था कि तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी और फिर इसे पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजेगी.

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