भविष्य में कालेधन पर और भी कार्रवाइयां ;मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर अंकुश लागने के लिए 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया। नोटबंदी के बाद जनता को जिस तरह के कष्ट उठाने पड़ रहे हैं उस पर पीएम मोदी समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने कहा कि देशहित में जनता को ये कष्ट उठाना ही पड़ेगा। पीएम मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार भविष्य में कालेधन पर और भी कार्रवाइयां करेगी। लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि क्या इन कार्रवाइयों की जद में केवल जनता ही होगी या कभी नेताओं पर भी पीएम मोदी की नजरे इनायत होगी? पिछले साल जब आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र अग्रवाल की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों से सूचना के अधिकार के तहत आने के बाबत पूछा तो कोई भी पार्टी तैयार नहीं हुई।

photo Cation; The Prime Minister, Shri Narendra Modi being received by the Minister of State for Information & Broadcasting, Col. Rajyavardhan Singh Rathore, on his arrival for the Golden Jubilee celebrations of the Press Council of India, on the occasion of the National Press Day, in New Delhi on November 16, 2016. 

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वही दूसरी ओर आठ नवंबर को नोटबंदी का फैसला आने के बाद गुजरात में जिला कोऑपरेटिव बैंकों में भी अन्य बैंकों की तरह ही कारोबार चल रहा था, लेकिन 12 नवंबर को अचानक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक सर्कुलर जारी कर जिला सहकारी बैंकों को पुराने नोट लेने पर प्रतिबंध लगा दिया. बस फिर क्या था इस फैसले से सबसे ज्यादा राज्य में भाजपा के नेता ही भड़के हुए हैं और आरबीआई को कोस रहे हैं.भाजपा के सांसद और राजकोट जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन विट्ठल रादडिया कह रहे हैं कि इस फैसले से गांव के किसान बेहाल हो गये हैं, कहीं बाहर जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं बचे हैं. ग्रामीण इलाकों में बदहाली हो गई है, रिज़र्व बैंक का ये तुगलकी फैसला है और इसकी भर्त्सना जरूरी है.

लेकिन आखिर ये फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी, ये भी महत्वपूर्ण है. जैसे ही नोटबंदी के फैसले के बाद बैंक खुले तो अन्य बैंकों की तरह जिला सहकारी बैंकों में भी नोट बदलवाने और पुराने नोट जमा करवाना शुरू हुआ. गुजरात सरकार ने माना की कई जगह से ये फरियादें आने लगीं कि जिला सहकारी बैंकों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने लगा है.
महत्वपूर्ण है कि ज्यादातर किसानों के बैंक खाते सहकारी बैंकों में ही होते हैं. आखिर उन्हें लोन वगैरह लेने के लिए गांव की सहकारी मंडली के पास ही जाना होता है. किसानों की कमाई पूरी तरह टैक्‍स फ्री है इसलिए इन बैंकों का उपयोग होने के आरोप लगे.

गौरतलब है कि राज्य की राजनीति में सहकारी मं‍डलियों का बड़ा रोल रहता है. इसीलिए राज्य के करीब 18 जिला सहकारी बैंकों में से ज्यादातर के चेयरमैन राजनीतिज्ञ ही हैं. 15 से ज्यादा के जिला सहकारी बैंकों के चेयरमैन भाजपा से जुड़े लोग और एक बैंक कांग्रेस के पास है. रिजर्व बैंक ने भी अफरा-तफरी में पहले गुजरात में फिर देश भर में इन सहकारी बैंकों पर प्रतिबंध लगाया.

महत्वपूर्ण है कि केंद्र के इस फैसले के खिलाफ मोदी की अपनी राज्य सरकार भी खड़ी नजर आ रही है. गुजरात के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि हरेक छोटे छोटे डिस्ट्रिक्ट में भी कोऑपरेटिव बैंक हैं और उनकी शाखायें ज्यादातर गांवों में हैं और किसान लोगों के अकाउंट इन बैंक में हैं. ऐसे में रिजर्व बैंक को जो छानबीन करनी हो वो जल्द करके जितना जल्‍दी हो सके डिस्ट्रिक्‍ट कोऑपरेटिव बैंको को भी बैंकिंग कामकाज शुरू करने की मंजूरी मिलनी चाहिए.

भाजपा के लिए ये स्थिति धर्मसंकट की है क्योंकि एक तरफ इस पूरे फैसले को भ्रष्टाचार के खिलाफ बताया जाता है तो जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उन बैंकों के काम जल्दी शुरू करवाने की भाजपा पैरवी कर रही है. लेकिन इस बीच किसानों की स्थिति मुश्किल होती जा रही है क्योंकि उनके खाते ज्यादातर इन बैंकों में हैं.

# नीतीश कुमार ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद किए जाने के फैसले को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि मैं नोटबंदी के पूरे समर्थन में हूं। कुमार ने कहा, ‘मैं इसका हिमायती हूं। दो नंबर का जाली नोट अपने आप इससे समाप्त हो जाएगा। बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों पर भी केंद्र सरकार को जल्द से जल्द हमला करना चाहिए।’ बता दें, नीतीश कुमार ने पहले भी इस फैसले को लेकर पीएम मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, ‘हम मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने की इस पहल की प्रशंसा करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान आठ नवंबर को किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि इस कदम से देश में कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही लोगों को 31 दिसंबर तक अपने पुराने नोट बदलने या जमा कराने का वक्त दिया था।
नीतीश कुमार जहां पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी विपक्षी दल पीएम मोदी पर इस फैसले को लेकर निशाना साध रहे हैं। इनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद में विपक्षी पार्टियों ने नोटबंदी के मसले पर केंद्र सरकार को घेरा। राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखे प्रहार किए। इसके बाद बारी बसपा सुप्रीमो मायावती की आई। उन्‍होंने राज्‍यसभा में कहा कि ”मैं राज्‍यसभा में बड़ी देर से जेटली जी को देख रही हूं और वे बहुत ‘दुखी’ नजर आ रहे हैं।’ मायावती ने नोटबंदी पर चर्चा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी को भी सदन में बुलाने की मांग की। उन्‍होंने कहा, ‘यह संवेदशनील मुद्दा है, हम चाहते हैं कि पीएम राज्‍यसभा आएं और चर्चा में हिस्‍सा लें।’ मायावती ने फैसला लागू करने की सरकार की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा, ‘पीएम ने कहा कि सरकार पिछले 10 महीने से विमुद्रीकरण की तैयारी कर रही थी, इतना वक्‍त काफी होता है, हालात अभी भी काबू में नहीं हैं। असल बात ये है कि इन 10 महीनों में भाजपा के नेताओं और उद्योगपतियों ने अपना काला धन ठिकाने लगा दिया।’

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सर्वोच्च अदालत ने जब इस मसले पर नरेंद्र मोदी सरकार की राय जाननी चाहिए तो उसने कहा कि “अगर राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के तहत लाया गया तो इससे उनके सुचारू कामकाज में अड़चन आएगी…।” सरकार ने कहा कि जो लोग ढाई लाख रुपये से अधिक मूल्य के पुराने नोट अपने खातों में जमा करेंगे उनके द्वारा जमा किए गए धन की उनके “आय के स्रोत” से मिलान किया जाएगा। जो दोषी पाया जाएगा उस पर टैक्स के अलग 200 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। लेकिन आपको ये जानकार हैरत होगी कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक (एडीआर) रिफॉर्म्स के साल 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय का 69.3 प्रतिशत “अज्ञात स्रोत” से आया था।
एडीआर के आंकड़ों के अनुसार साल 2013-14 में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के पास कुल 1518.50 करोड़ रुपये थे। राजनीतिक दलों में सबसे अधिक पैसा बीजेपी (44%) के पास था। वहीं कांग्रेस (39.4%), सीपीआई(एम) (8%), बीएसपी (4.4%) और सीपीआई (0.2%) का स्थान था। सभी राजनीतिक दलों की कुल आय का 69.30 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया था। राजनीतिक पार्टियों को अपने आयकर रिटर्न में 20 हजार रुपये से कम चंदे का स्रोत नहीं बताना होता। पार्टी की बैठकों-मोर्चों से हुई आय भी इसी श्रेणी में आती है। साल 2013-14 तक सभी छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में 813.6 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों से मिले दान था। वहीं इन पार्टियों को पार्टी के कूपन बेचकर 485.8 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
जब के आंकड़े हैं तब कांग्रेस सत्ता में थी और बीजेपी विपक्ष में और यही दोनों दल अज्ञात स्रोत से चंदे के मामले में भी बाकी पार्टियों से आगे थे। साल 2013-14 में कांग्रेस की कुल आय 598.10 करोड़ थी जिसमें 482 करोड़ अज्ञात स्रोतों से आए थे। कांग्रेस को कुल आय का 80.6 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था। बीजेपी की कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी जिसमें 453.7 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से आए थे।
बीजेपी को कुल आय का 67.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से मिला था। सीपीआई(एम) की कुल आय 121.9 करोड़ रुपये थी जिसमें अज्ञात स्रोतों से आय 58.4 करोड़ रुपये थी। सीपीआई (एम) की कुल आय के 47.9 प्रतिशत का स्रोत अज्ञात था। साल 2013-14 में बीएसपी की कुल आय 66.9 करोड़ रुपये थी जिसमें 48.6 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से आए थे। बीएसपी की 72.6 प्रतिशत आय का स्रोत अज्ञात था। एनसीपी की कुल आय 55.4 करोड़ रुपये थी जिसमें 8.3 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोत से आए थे। एनसीपी की कुल आय का 15 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया था। अज्ञात स्रोतों से आय के मामले में सीपीआई एकमात्र पाक दामन राष्ट्रीय पार्टी निकली। सीपीआई की कुल आय 2.4 करोड़ रुपये थी जिसमें अज्ञात स्रोतों से कोई भी आय नहीं थी।
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केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का समर्थन करते हुए अभिनेता नाना पाटेकर ने नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का बचाव किया है। नाना पाटेकर आज जम्मू के हीरानगर और कठुआ क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों से मुलाकात करने गए थे। उन्होंने जवानों के साथ काफी समय बिताया और कहा कि इन बीएसएफ जवानों से मिलना मेरे लिए सौभाग्य है।
वहीं नाना पाटेकर ने नोटबंदी के फैसले पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। नोटबंदी के फैसले का उन्होंने बचाव किया और कहा कि सरकार ने यह एक अच्छा कदम उठाया है और हम लोग देश के लिए थोड़ी सी परेशानी तो झेल सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इतने सालों से हम कितना कुछ सह रहे हैं तो क्या ये 10-20 दिन की तकलीफ नहीं सह सकते।
नाना पाटेकर ने सीधे तौर पर नोटबंदी के फैसले का बचाव किया और इस अच्छा फैसला बताया। 65 साल के अभिनेता ने और भी कई बातें कही। उन्होंने बीएसएफ जवानों की तारीफ करते हुए कहा “न ईद है न दिवाली है न होली, इन जवानों को देखिए कितने खुश है, ये छुट्टियां भी नहीं चाहते”। इसके बाद मीडिया द्वारा जवानों की हौसला अफजाई करने के सवाल पर नाना पाटेकर ने जवाब दिया कि भला वह उन जवानों की हौसला अफजाई करने की जुर्रत कैसे कर सकते हैं जिनसे वह खुद जीने की प्रेरणा पाते हैं। अपनी बात पूरी करते हुए नाना पाटेकर ने कश्मीर के बच्चों से पत्थर के बजाए किताब उठाने की भी अपील करते हैं। इसके अलावा नाना पाटेकर ने शहीद स्मारक पर जवानों को श्रद्धांजलि दी और शहीद गुरनाम सिंह के परिवार से भी मिले। गुरनाम जम्मू और कश्मीर के कठुआ सेक्टर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे।

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