समाजवादी पार्टी में मची घमासान थमी

अखिलेश झुके- जन नायक मुलायम सिह ने सबका सम्‍मान बरकरार रखा- भाई समेत बर्खास्त मंत्रियों की वापसी कराएंगे मुलायम, बस थोड़ी देर में PC में करेंगे बड़ा ऐलान- समझ गये मुलायम वट व़क्ष के बिना कुछ नही- मुलायम ने किया डैमेज कन्‍टोल- भाई का, पुत्र का, मित्र का- सबका सम्‍मान बरकरार रखा-  शिवपाल समाजवादी परिवार में कैकई का खेल था यह सारा ; समाजवादी पार्टी में मची घमासान थमी  मुलायम सिंह यादव अहसानो को याद रखने वालेे जन नायक Execlusive; www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal) चन्‍द्रशेखर जोशी सम्‍पादक की प्रस्‍तुति- 

मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मैं शिवपाल और अमर सिंह के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता. दोनों का साथ कभी नहीं छोड़ सकता.तुम अमर सिंह के बारे में जानते क्या हो? उसने मुझे जेल जाने से बचाया. कम से कम सात साल की सज़ा होती. अमर सिंह हमारा भाई है. तुम्हारी हैसियत क्या है जो तुम उन्हें गाली देते हो. समाजवादी पार्टी में मची घमासान थमी  है. दो दिन पहले अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्ख़ास्त किए गए शिवपाल सिंह यादव समेत सभी चार मंत्रियों की कैबिनेट में आज ही वापसी होगी. इसके लिए फॉर्मुला तय कर लिया गया है. रविवार को ही विधायकों, मंत्रियों और एमएलसी की बैठक में अखिलेश ने शिवपाल के अलावा नारद राय, शादाब फ़ातिमा और ओमप्रकाश सिंह को मंत्रिमंडल से निकाला था. माना जा रहा है कि सोमवार को मुलायम से मिली फटकार के बाद अखिलेश को झुकना पड़ा है. इस बीच मुलायम सिंह यादव के घर एक बैठक चल रही है. जहां मुलायम ने शिवपाल और अखिलेश दोनों को बुलाया है. वहीं सोमवार देर शाम अखिलेश यादव ने अकेले जाकर मुलायम सिंह से उनके घर पर मुलाक़ात की, जबकि शिवपाल यादव अखिलेश से मिलने उनके आवास गए, लेकिन अखिलेश ने शिवपाल से मिलने से मना कर दिया, जिसके बाद शिवपाल इंतज़ार करते रहे और फिर वापस लौट गए. 

समाजवादी परिवार में कैकई का घटनाकम घटा-

रामायण में  दशरथ ने कैकई को वरदान दिए जिन्हें वो कभी भी मांग सकती थीं। फिर एक दिन, अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास दिलाया था। समाजवादी परिवार में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसकी शुरुआत 12 सितंबर से दिखने लगी थी, जब मुलायम सिंह की 54 वर्षीय पत्नी साधना गुप्ता वाराणसी गई थीं। वहां वह एक साधु से मिलीं। इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश की सरकार डगमगानेे लगी थी। कुछ घंटों के भीतर ही, 12 अक्टूबर की शाम को यूपी के मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने साधना गुप्ता के करीबी मंत्री जी.पी. प्रजापति को हटाया था। इससे अगले दिन, मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश यादव को हटा दिया और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव को नियुक्त कर दिया। उसी दिन शाम को अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से कई मंत्रालय छीन लिए। हालांकि कुछ मंत्रालय उन्हें बाद में लौटा दिए गए, लेकिन अखिलेश ने रविवार के दिन शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। बाद में अखिलेश ने प्रजापति को मंत्रिमंडल में वापस लिया, लेकिन खनन की जगह ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री का कार्यभार दिया।एक चर्चा यह भी है कि 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के समय साधना ने पति मुलायम सिंह से एक वचन लिया था। साधना ने अपने बेटे प्रतीक को भी दो साल के भीतर अखिलेश के समान दर्जा दिए जाने का वादा लिया था। 2014 में दो साल बीत गए और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मुखर स्‍वभाव की साधना गुप्ता ने दो और साल इंतजार किया। कई लोगों का मानना है कि साधना को डर था कि समय के साथ मुलायम सिंह का पार्टी में कद घटता जा रहा है। उन्हें अपने 28 साल के बेटे प्रतीक के भविष्य को लेकर भी डर था। यही डर उनके सब्र का बांध टूटने का कारण बना। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति याचिका दायर करने वाले वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को बताया, ‘मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्‍ता की मुलाकात 1989 में हुई थी। उस समय प्रतीक 1 साल का था। साधना की पहली शादी फर्रुखाबाद के एक पंसारी चंद्र प्रकाश गुप्ता से 1986 में हुई थी। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव तभी से साधना को जानते थे। साधना को सचिवालय में लिपिक का काम मिल गया और 1990 में उन्होंने पति से तलाक ले लिया।” मुलायम सिंह की पहली शादी 18 वर्ष की उम्र में मालती देवी से हुई थी। शादी के पांच साल बाद गौना हुआ। इटावा के एक स्थानीय निवासी ने अखबार को बताया, “1973 में अखिलेश यादव का जन्म हुआ था, तब से मुलायम सिंह काफी यात्रा करने लगे थे। वह अपने गांव सैफई में भी कम रुकने लगे थे। 1990 के बाद वह जब भी सैफई आते थे तो धमेंद्र यादव के पिता और अपने भाई अभय राम यादव के घर रुका करते थे।” मुलायम परिवार को करीब से जानने वाले इस शख्स ने बताया, “हमें याद है मालती देवी बहुत ही साधारण महिला थीं। वह अधिकतर समय घर के काम में ही लगी रहती थीं। वह अस्थमा से पीड़ित थीं और 2003 में उनकी मृत्यु हो गई।” मालती देवी की मृत्यु के चार साल बाद, 2007 में मुलायम ने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति से संबंधित मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया, जिसमें उन्होंने साधना गुप्ता को पत्नी और प्रतीक कोो पुत्र के रूप में स्वीकार किया। एक सूत्र ने बताया कि साधना को मुलायम सिंह के साथ सबसे पहले 1999 में लखनऊ में हुए एक कार्यक्रम के दौरान देखा गया था। साधना अक्सर मीडिया की नजर से दूर ही रही हैं। लखनऊ के गलियारे में साधना गुप्ता को कैकेई कहा जा रहा है। आमतौर पर परदे के पीछे रहने वाली साधना अखिलेश से तब से बहुत ज्यादा नाराज चल रही हैं, जब अखिलेश ने उनके करीबी गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था।

##

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अमर सिंह ने सोमवार को उन आरोपों से इनकार किया कि वह पार्टी को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव एक शानदार मुख्यमंत्री हैं लेकिन उन्हें जननेता बनने में समय चाहिए. अमर सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव पूरी तरह शानदार हैं. पहली बार शासन संभालने वाले व्यक्ति के तौर पर विकास पर उनका ध्यान, विकास का उनका एजेंडा बेहतरीन है.’’ सिंह ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि वह जननेता नहीं हैं लेकिन जननेता बनने में समय लगता है. उनकी उम्र काफी कम है. मुलायम सिंह के संगठनात्मक कौशल एवं अनुभव और अखिलेश के युवा चेहरे का साथ होना बहुत जरूरी है.’’  अमर सिंह ने कहा कि वह सपा विवाद पर कुछ भी टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि अखिलेश को मेरी शुभकामनाएं है, और वह मेरे सर्वोच्च नेता के बेटे भी हैं. साथ ही अमर सिंह ने कहा कि इन मुद्दों पर उनकी खामोशी कई सवालों का जवाब है.

###

गौरतलब है कि सोमवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने महाबैठक बुलाई थी, जिसमें अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत सभी सांसदों और विधायकों ने हिस्सा लिया था. इस बैठक में अखिलेश और शिवपाल में जमकर बहस हुई थी.

वहीं पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित रामगोपाल यादव ने दो टूक में कह दिया है कि वह मुलायम से नहीं मिलेंगे और वह अखिलेश यादव के लिए कुछ भी करेंगे. गौरतलब है कि रामगोपाल यादव ने सोमवार को अखिलेश यादव के साथ मिलकर नई पार्टी के गठन से जुड़ी अटकलों को खारिज कर दिया. उन्होंने हालांकि अगले चुनाव के बाद अपने भतीजे को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा, दूसरी पार्टी बनाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. मैं दूसरी पार्टी क्यों बनाऊंगा? जिनके पास कुछ भी नहीं है, उन्हें दूसरे दल के गठन को लेकर सोचना चाहिए. अखिलेश के पास सब कुछ है. लोग उनके साथ हैं. अखिलेश के प्रति एक बार फिर अपने समर्थन का इजहार करते हुए रामगोपाल ने सपा नेताओं शिवपाल यादव और अमर सिंह को उनके खिलाफ किसी जनसभा में आरोप लगाने और वहां से सकुशल लौटने की चुनौती दी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए रामगोपाल ने कहा कि किसी भी अन्य पार्टी में मुख्यमंत्री के खिलाफ व्यक्तिगत लड़ाई नहीं छेड़ी जाती है. यह निराशाजनक है कि अखिलेश पार्टी के ही लोगों के निशाने पर हैं.

इसी बैठक में शिवपाल यादव ने कहा कि मैं गंगाजल ले कर और अपने इकलौते बेटे की कसम खाता हूं कि अखिलेश ने मुझसे कहा कि वह अलग पार्टी बनाएंगे. नेताजी आपने मुझे अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश को अध्यक्ष बनाया तो मैं उन्हें लेने एयरपोर्ट गया लेकिन जब अखिलेश को हटा कर मुझे बनाया तो उन्होंने मेरे विभाग छीन लिए. मेरा क्या कसूर है. मैंने मुख्यमंत्री का कौन-सा आदेश नहीं माना. यूपी का नेतृत्व अब आपको संभालने की ज़रूरत है. मैंने बिहार में महागठबंधन कराया. नेताजी उससे बहुत बड़े नेता बनते. रामगोपाल ने तुड़वा दिया.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *