राजनीति में गहरा असर डालेगें- ज्‍योतिषों के अनुसार

मुलायम सिंह जन्‍म दिवस पर विशेष- कर्मवादी व्यक्तित्व के धनी हैं मुलायम सिंह यादव जन्म दिन पर विशेष २२ नवम्बर :श्री मुलायम सिंह यादव के जन्‍म दिवस पर हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल सम्‍पादक की विशेष रपट- 

ज्‍योतिषविद- पं० आनन्द अवस्थी ः पटेल नगर कालोनी बछरावां, रायबरेली डी-७९, साउथ सिटी, लखनऊ

कर्मवादी व्यक्तित्व के धनी मुलायम सिंह ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने जमीनी संघर्श के बलबूते समाजवादी पार्टी तथा व्यक्तिगत अपनी लोकप्रियता के नये-नये कीर्तिमान बनाये हैं। राजनीति में विद्यार्थी जीवन से सामाजिक लक्ष्यों की ओर अग्रसर रहे हैं। अध्यापन कार्य भी किया। पथरीले रास्तों पर चडकर मंजिल तय किया करते हैं। २२ नवम्बर को ७७ वर्श की आयू पूर्ण होने पर आज भी उनका उत्साह चरम सीमा पार करता प्रतीत होता है। चाहे किसानो की समस्या हो या विद्यार्थियों की समस्या हो मुलायम सदैव अग्रणी पंक्ति में खडे दिखाई देते हैं। लोकनायक जय प्रकाष नारायण तथा डा० लोहिया की षुरु की गयी परम्पराओं का आज भी मुलायम आगे बडाते हुये प्रतीत होते हैं।
ज्योतिशीय आधार पर देखा जाये तो प्रदेश तथा देश की राजनीति में मुलायम गहरा असर डालते प्रतीत होंगे।
ज्योतिशीय स्थितिः- २२ नवम्बर १९३९ को सैफई गांव में जब मुलायम का जन्म हुआ तब नक्षत्र मंडल में कर्क लग्न उदित थी। कर्क लग्न के विशय में मान सागरी में निम्न कथन है।
कर्कलग्नेसमुत्पन्ने धर्मी भोगी जनप्रियः।
मिश्ठानपानभोक्ता च सौभाग्य धनसंयुतः।।

कर्कलग्न में जन्म होने के कारण ही मुलायम सर्व समाज में सर्वप्रिय, समाज मे अग्रणी भूमिका निभाने वाले, सार्थक वार्ता के पक्षधर, भावुकता, उदारता, परिवर्तनषीलता जैसे गुणों का समावेष अपने अन्तःकरण मे समेटे हुये है। कर्कलग्न चंचलता तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की ओर अग्रसर करती है। नयी योजनाओं म परिवर्तनषीलता के प्रतीक पुरुश के रुप में उभार भी दिखाई देगा।
आने वाला समयः- मुलायम के जन्मांक में गजकेसरी योग, परासर सिद्धान्त द्वारा निर्मित केन्द्र त्रिकोण राजयोग, बुधादित्य योग आदि पाये जाते हैं। गजकेसरी योग ने षिक्षक बनाया तो केन्द्र त्रिकोण राजयोग एवं बुधादित्य योग ने राजनीति मे असरदार राजनेता के रुप में ख्याति प्रदान की है। यही मुख्य कारण है कि मुलायम सिंह लगातार आगे ही बडते प्रतीत होते हैं। वर्तमान समय में सूर्य की महादषा सन् २०२० तक है। सूर्य महादषा मे राहु का अन्तर मुलायम के लिये तकलीफदेय रहा है। किन्तु अब सूर्य महादषा में बृहस्पति का अन्तर ०३.०९.२०१७ तक है। सूर्य और बृहस्पति परस्परिक मित्र हैं। जन्मांक, नवमांष तथा गोचर मे बृहस्पति जी परम राजयोग कारक है। सूर्य की महादषा में बृहस्पति का अन्तर मुलायम के लिये जनाधार बृद्धि के संकेत करता है। यह समय सामाजिक जीवन में उपलब्धियों भरा प्रतीत होगा।

श्री मुलायम सिंह यादव के जन्‍म दिवस पर हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की विशेष रपट- 

मुलायम  एक ऐसे भारतीय राजनेता हैं जो उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षा मन्त्री रह चुके है। वर्तमान में यह भारत की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष है।मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुधर सिंह के किसान परिवार में हुआ था. मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं. पिता सुधर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया.

मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनके ऊपर ‘भाजपा’ के क़रीबी होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनके व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। अब 2012 में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी पार्टी’ को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 मुस्लिम विधायक उनके दल में हैं।

मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमे पहला नाम “मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार” का है जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था .  इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी “मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफी” अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है.  

राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम०ए०) एव जैन इन्टर कालेज करहल (मैनपुरी) से बी० टी० करने के बाद कुछ दिनों तक इन्टर कालेज में अध्यापन कार्य भी कर चुके हैं.मुलायम सिंह उत्तर भारत के बड़े समाजवादी और किसान नेता हैं.एक साधारण किसान परिवार मे जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश मे विधायक के रूप मे शुरू किया.बहुत कम समय मे ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश मे नज़र आने लगा.मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को उपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया.सामाजिक चेतना के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं. मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने. 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे. इसके अतिरिक्त वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं.उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप मे मुलायम सिंह की पहचान है.उत्तर प्रदेश मे सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया. मुलायम सिंह की पहचान एक धर्म निरपेश नेता की है.उत्तर प्रदेश मे उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है. उत्तर प्रदेश की जनता मुलायम सिंह को प्यार से नेता जी कहती है। 2012 मे मुलायम सिंह की पार्टी समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव मे बहुमत मिला. उत्तर प्रदेश की जनता ने नेता जी के विकास कार्यो से प्रभावित होकर उनको सरकार बनाने का जनमत दिया.लोकप्रिया नेता जी ने समाजवादी पार्टी के दूसरे लोकप्रिय नेता अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया.अखिलेश यादव मुलायम सिंह के पुत्र है. अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया. ‘समाजवादी पार्टी’ के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे। विधायक का चुनाव भी ‘सोशलिस्ट पार्टी’ और फिर ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’ से लड़ा था। इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। 1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। ‘भारतीय जनता पार्टी’ के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं। लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा ‘कॉम डी सिमॉन’ की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
विधान परिषद 1982-1985 विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार) विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985 विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977 रक्षा मंत्री 1996-1998
पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में ‘अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।

ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में ख़ासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव का लोगों को न्‍याय दिलाने में विशेष योगदान है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमे पहला नाम “मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार” का है जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था .इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी “मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफी” अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है.लखनऊ की पत्रकार डॉ नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है (www.himalayauk.org) UK Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper; publish at Dehradun & Haridwar. mail. csjoshi_editor@yahoo.in  mob 09412932030

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