गुजरात चुनाव; नोटबंदी और जीएसटी पर एक कारोबारी राज्य का फैसला?

अगर मोदी हारते है तो राह  मुश्किल होगी, क्योंकि सरकार नोटबंदी और जीएसटी को लेकर बैकफुट पर है. #गुजरात में मोदी की होम पिच पर मात दे पायेगे राहुल; बडा सवाल-#अगर मोदी बतौर पीएम गुजरात में फ्लॉप होते हैं ये कहा जाएगा कि उनके विकास का मॉडल नकली साबित#अभी तक सोशल मीडिया पर कांग्रेस  का वर्चस्‍व #  हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की प्रस्‍तुति- 

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गुजरात विधानसभा के चुनाव नतीजे पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की साख से जुडे है, चुनाव परिणामों का गंभीर व दूरगामी असर पडेगा, गुजरात विधानसभा चुनाव में दरअसल खुद मोदी फ्रंट पर है वही राहुल गॉधी की नैशनल प्रेसीडेंट पर ताजपोशी होनी है, अगर गुजरात में कांग्रेस जीती तो उत्‍साह से लबरेज हो जायेगी कांग्रेस, चुनाव मोदी लहर का टेस्ट कहा जा रहा है. अब 2019 के चुनाव में डेढ़ साल से भी कम वक्त रह गया है. गुजरात बीजेपी का गढ है इसलिए ये इसे 2019 का सेमीफाइनल और मोदी लहर का टेस्ट माना जा रहा है. अब तक मोदी लहर बिहार छोड़कर हर राज्य में दिखा है. अगर गुजरात के नतीजे भी उनकी उम्मीदों के एन मुताबिक आते हैं तो मोदी के लिए इससे बड़ी खुशखबरी नहीं हो सकती.

राहुल के लिए ये चुनाव इसलिए भी एक मौका बताया रहा है क्योंकि वो एक ऐसे राज्य के चुनाव मैदान में जहां बीजेपी काफी दिनों से सत्ता में है और सरकार विरोधी लहरें भी मुखर हैं. पटेलों की नाराज़गी जगजाहिर है. अगर ऐसे मौके को राहुल गंवा देते हैं तो उनके नेतृत्व क्षमता पर गहरे सवाल खड़े हो जाएंगे. मुमकिन है कि कुछ ऐसी आवाज़ें सुनाई पड़े जो राहुल के लिए सहज नहीं हो. गुजरात में अगर राहुल स्थानीय युवा नेताओं को अपने पाले में कर बीजेपी को मात देते हैं तो फिर उनपर दूसरे क्षेत्रीय पार्टियों और नेताओं का भी भरोसा बढ़ेगा. राहुल गांधी के नेतृत्व में एक नये गठजोड़ की संभावनाएं बनेगी जहां युवा नेतृत्व 2019 के लिए चुनौती के तौर पर खड़े होते दिखेगा.

वही एक घटनाक्रम के तहत हार्दिक पटेल के खिलाफ नॉन बेलेवल वॉरंट जारी हुआ है वही दूसरी ओर गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हुआ है. चुनाव आयोग ने गुजरात चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति ने बताया कि गुजरात में दो चरणों में चुनाव होगा. पहला फेस में 89 सीटों के लिए वोटिंग होगा. 14 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा. 21 नवंबर को नामांकन का आखिरी दिन होगा.
22 जून को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी होगी. 9 दिसंबर को पहले चरण के लिए वोटिंग होगी. दूसरे चरण के लिए 14 दिसबंर को 93 सीटों के लिए वोटिंग होगी. 18 दिसबंर को हिमाचल चुनाव के साथ गुजरात चुनाव के भी नतीजे आएंगे.

गुजरात में फिर से राजनीतिक बिसात बिछने लगी है. सभी मोहरे एक-दूसरे को मात देने की तैयारी में लग गए है. बीजेपी की कोशिश लड़ाई को मोदी बनाम राहुल रखने की ही है. बीजेपी को लगता है कि जब लड़ाई मोदी बनाम राहुल की होगी तो गुजरात में बाजी उसके ही हाथ लगेगी. गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और 1995 से ही बीजेपी सत्तासीन है. 1995, 1998, 2002, 2007, 2012 के लगातार पांच विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत जारी है. जिनमें तीन विधानसभा के चुनाव पीएम मोदी (तत्कालीन सीएम) के नेतृत्व में जीते गए. इन पांच विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सीटें 116 से 127 के बीच रही हैं तो कांग्रेस की सीटें 45 से 60 के बीच रहीं. खास बात ये है कि 1990 से 2012 के बीच कांग्रेस ने सबसे बेहतर प्रदर्शन 2012 में किया और सबसे अधिक साठ सीटें जीतीं.

हालांकि बीजेपी के लिए इस बार कांग्रेस से भी तगड़ी चुनौती मिल रही है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस की सक्रियता के चलते अब सोशल मीडिया पर चल रही इस लड़ाई में भी बीजेपी को वॉक ओवर नहीं मिल रहा है.ऐसे में गुजरात चुनाव की लड़ाई इस बार काफी दिलचस्प हो गई है.
मोदी के बगैर गुजरात में बीजेपी की हैसियत क्या है. विधानसभा के बीते चार विधानसभा चुनाव में ये पहला चुनाव है, जो मोदी के नेतृत्व में नहीं लड़ा जा रहा है. अब सीएम की कुर्सी पर विजय रुपाणी हैं. मोदी ने अपने नेतृत्व में तीनों चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाई और बड़ी जीत दिलाई. अगर मोदी बतौर पीएम गुजरात में फ्लॉप होते हैं ये कहा जाएगा कि उनके विकास का मॉडल नकली साबित हुआ है.
नोटबंदी और जीएसटी पर एक कारोबारी राज्य का फैसला क्या रहता है.नोटबंदी के बाद बीजेपी यूपी का चुनाव जीत चुकी है. लेकिन जीएसटी लागू किए जाने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है. खासकर इसे लेकर व्यापारियों और कारोबारियों में खासी नाराज़गी पाई जाती है. दूसरी तरफ हाल के दिनों में नोटबंदी को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं. इसलिए इस चुनाव में बीजेपी हारती है तो ये कहा जाएगा कि ये हार नोटबंदी और जीएसटी की वजह से हुई है.
गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश है. वो इस सूबे के 13 साल तक लोकप्रिय मुख्यमंत्री रहे. गुजरात के विकास मॉडल के सहारे ही वो देश की सत्ता के शिखर पर पहुंचे हैं. इसलिए यहां के चुनाव नतीजे सीधे तौर पर उनके सियासी कद का इम्तिहान है. प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार जीत रहे मोदी के सामने ये सिलसिला बरकरार रखने की चुनौती है. अगर वो चुनाव जीतते हैं तो उनका और उनकी सरकार का इक़बाल बुलंद होगा. जनता में उनकी पैठ और गहरी होगी. उनके विकास के मॉडल पर मुहर लगेगी. अगर मोदी हारते है तो राह  मुश्किल होगी, क्योंकि सरकार नोटबंदी और जीएसटी को लेकर बैकफुट पर है.

गुजरात में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और सरदार पटेल ग्रुप के अध्यक्ष लाल जी पटेल समेत सात लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. ये वारंट महसाणा जिले के बिसनगर सेशन कोर्ट ने जारी किया है.
दरअसल आरक्षण आंदोलन के दौरान स्थानीय बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ के आरोप में इन लोगों पर मामला दर्ज हुआ था. तीन बार कोर्ट से समन के बावजूद भी हाजिर नहीं होने के बाद अब इन लोगों के खिलाफ वारंट जारी किया गया है. 2015 से आरक्षण की मांग को लेकर पटेल समुदाय हार्दिक पटेल के नेतृत्व में गुजरात में जगह-जगह आंदोलन कर रहा है. गुजरात में कड़वा, लेउवा और आंजना तीन तरह के पटेल हैं. आंजना पटेल ओबीसी में आते हैं. जबकि कड़वा और लेउवा पटेल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. आरक्षण ना मिलने से अब पटेल बीजेपी से नाराज हैं.
गुजरात चुनाव में वीवीपैट (Voter Verifiable Paper Audit Trail) मशीनों का इस्तेमाल होगा जिनमें से पर्ची भी निकलेगी. इस पर्ची पर उस उम्मीदवार का नाम व अन्य डिटेल होंगी जिसको आपने वोट दिया है. हालांकि ये पर्ची 7 सेकेंड के बाद मशीन में ही गिर जाती है. गोवा और हिमाचल के बाद गुजरात तीसरा ऐसा राज्य होगा जो इस तकनीक का इस्तेमाल करेगा.

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