मोदी की केदारनाथ से प्रार्थना-2022 मे भारत को दुनिया में सिरमौर बनाएंगे 

2019 के लोकसभा चुनाव जीतने का विश्‍वास ? # वह संकल्प लेते हैं कि वर्ष 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर वह भारत को दुनिया में सिरमौर बनाएंगे  #मैं हिमालय का भटका हुआ इंसान हूं- मोदी # शायद बाबा ने तय किया था कि ये काम बाबा के बेटे के ही हाथ से होगा; मोदी ने कहा,
छह महीने में दूसरी बार केदारनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम के विकास की आधारशिला रख दी है. लेकिन, चार साल पहले आई भीषण त्रासदी के बाद केदारनाथ और आसपास के इलाकों में उस वक्त की तबाही के निशान आज भी जिंदा हैं. www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

केदारनाथ पहुंचे मोदी ने उस त्रासदी को याद कर एक बार फिर से तत्कालीन कांग्रेस की उत्तराखंड और केंद्र की सरकार पर आरोप लगा दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि उस वक्त त्रासदी के बाद केदारनाथ को फिर से पटरी पर लाने की उनकी कोशिश को राजनीति के चलते रोक दिया गया. मोदी का इशारा उस वक्त के कांग्रेस आलाकमान की तरफ था. हालांकि मोदी को रोकने वाले तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री विजय बहुगुणा आज भाजपा के नेता है,  मोदी उस पुराने दिन को याद कर तंज कस रहे हैं.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए और साथ ही रुद्राभिषेक भी किया. उनकी यात्रा के अगले दिन हिमालयी मंदिर के पट सर्दियों के लिए बंद हो जाएगा.
दरअसल, मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए केदारनाथ को फिर से पहले की तरह जगमग करना चाहते थे. लेकिन उस वक्त प्रदेश की हरीश रावत सरकार ने पहले हामी भरने के बाद उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. अब जबकि वो खुद प्रधानममंत्री हैं और देवभूमि उत्तराखंड में भी बीजेपी की ही सरकार बन गई है तो फिर मोदी उस पुराने दिन को याद कर तंज कस रहे हैं. 

उत्तराखंड में गुजारे अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गरूड़चट्टी में उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष बिताने का अवसर मिला और उसी समय वह यहां की मिट्टी में रम गए थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘बाबा (केदारनाथ) की यह इच्छा नहीं थी और उन्होंने मुझे वापस भेज दिया।’’  प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा ने उनके लिए यह तय किया कि उन्हें एक बाबा की नहीं बल्कि देश के सवा सौ करोड़ बाबाओं की सेवा करनी है क्योंकि जनसेवा ही प्रभुसेवा है। उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ के दर पर वह संकल्प लेते हैं कि वर्ष 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर वह भारत को दुनिया में सिरमौर बनाएंगे और हर हिंदुस्तानी इसमें अपना योगदान देगा।

वर्ष 2013 में आई प्रलयंकारी प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं को अपनी श्रद्धां​जलि देते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वह यहां आए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने केदारनाथ के पुर्निनर्माण की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री इस कार्य को गुजरात सरकार को सौंपने पर सहमत हो गए थे लेकिन दिल्ली के लोगों को यह मंजूर नहीं हुआ और राज्य सरकार ने कह दिया कि उसे गुजरात की मदद की जरूरत नहीं है। हालांकि, मोदी ने कहा, ‘‘बाबा ने यह तय किया था कि यह काम बाबा के बेटे के हाथ से ही होगा। यहां चुनाव हुए और पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बन गई। अब केदारनाथ के भव्य पुर्निनर्माण का कार्य हो रहा है।’’ 

केदारनाथ में पूजा अर्चना करने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, शायद बाबा ने तय किया था कि ये काम बाबा के बेटे के ही हाथ से होगा.   मोदी ने तीर्थ पुरोहित समाज के आवासीय भवन निर्माण, शंकराचार्य समाधि स्थल और संग्रहालय, पैदल मार्ग चौड़ीकरण, मंदाकिनी नदी घाटी का पुर्निनर्माण और सुरक्षा दीवार, सरस्वती नदी घाट और सुरक्षा दीवार निर्माण का शिलान्यास किया।

 धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केदारनाथ मंदिर के भव्य और दिव्य पुर्निनर्माण की रूपरेखा का अनावरण करते हुए राज्य सरकारों के साथ-साथ उद्योग और व्यापार जगत से भी इसमें आगे आकर योगदान का आह्वान किया और कहा कि देश इस काम के लिये धन की कमी को आड़े नहीं आने देगा। उत्तराखंड में रूद्रप्रयाग जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘केदानाथ भव्य, दिव्य और प्रेरणा का स्थान बनेगा’’ मोदी ने कहा कि इस काम के लिए देश धन की कमी नहीं रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इसमें खर्च होगा। जैसा पुर्निनर्माण होना है, वैसे पुर्निनर्माण के लिए देश धन की कमी नहीं रखेगा। मैं देश की (विभिन्न राज्य) सरकारों को भी इसमें सहभागी होने के लिए निमंत्रित करूंगा। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत मैं उद्योग और व्यापार जगत के लोगों को भी इसमें हाथ बंटाने के लिए निमंत्रण दूंगा।’’  इस संबंध में उन्होंने जेएसडब्लू (कंपनी) का आभार जताया और कहा कि उन्होंने प्रारंभिक काम के लिए जिम्मेदारी उठाना स्वीकार कर​ लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना सारा धन लगेगा, इतना सारा आधारभूत ढांचा तैयार होगा तो इसमें पर्यावरण के नियमों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाएगा।  केदारनाथ मंदिर की ओर आने वाले पूरे मार्ग का चौड़ीकरण किया जाएगा जो पूरा आरसीसी से बनेगा और उस पर सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।   

तीर्थयात्री चाहे जिस पहर में केदारनाथ पहुंचे, उसे उसी पहर का संगीत वहां सुनाई देगा, जिसे सुनता हुआ वह संगीतमय और भक्ति भाव से मंदाकिनी के तट पर चलता हुआ, मंदिर पहुंचेगा।’’

-केदारनाथ में मंदाकिनी और सरस्वती नदी के घाट विकसित कर वहां बैठने की जगह बनाई जाएगी और इन दोनों नदियों पर रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी।   

आदिगुरु शंकराचार्य की क्षतिग्रस्त समाधि इस प्रकार बनाई जाएगी कि वह मंदिर से अलग प्रतीत न हो और वहां जाकर एक महान संत की तपस्या की अनुभूति हो।

-केदारनाथ के भव्य पुर्निनर्माण के लिए यहां तीर्थ पुरोहितों, पंडितों आदि की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए खाका तैयार हुआ है। मंदिरों के वास्तुशिल्प के नियमों का पालन करते हुए इसके विकास का खाका तैयार किया गया है।’’ अब पुरोहितों को जो मकान मिलेंगे वह थ्री इन वन होंगे।’’ नीचे तीर्थयात्रियों के रहने का प्रबंध होगा, बीच की मंजिल पर वह (पुरोहित) खुद रहेंगे और ऊपर की मंजिल पर उनके मेहमानों और यजमानों के रहने का इंतजाम होगा। ‘‘24 घंटे बिजली, पानी और स्वच्छता का प्रबंध होगा। टेलीफोन, बैंक, पोस्ट ऑफिस, कंप्यूटर आदि की व्यवस्था होगी।’’

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से केदारनाथ के जीर्णोद्धार के लिए जिन विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है, उनके पूरा हो जाने के बाद दिव्य शक्ति और भक्ति के इस धाम में भक्तों के लिए बाबा भोले की राह आसान हो जाएगी. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और तीर्थाटन भी होगा.

इस बीच लोगों का ध्यान जिस चीज ने सबसे ज्यादा खींचा, वो था पीएम मोदी का काला चश्मा. पीएम मोदी ने अपनी पूरी यात्रा के दौरान काले रंग का चश्मा लगा रखा था. अब सवाल उठना भी लाजिमी है कि आखिर क्यों पीएम मोदी ने काला चश्मा लगा रखा था? तो चलिए आज कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशते हैं.
केदारनाथ में यात्रियों की सुविधाओं के लिए मंदिर मार्ग को चौड़ा किया जाएगा. पूरे रास्ते को आरसीसी से बनाया जाएगा. गौरीकुंण से मंदिर जाने का पैदल रास्ता चौड़ा होगा. मंदाकिनी-सरस्वती के संगम पर घाट बनाया जाएगा. लाइटिंग की इस तरह की व्यवस्था की जाएगी जिससे भक्तों को सुविधा भी हो और प्रकृति की मनोरम छटा का आनंद लेते हुए भक्त बाबा भोले के द्वार तक पहुंचे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर केदारनाथ धाम में मौजूद पुरोहितों के लिए भी तीन मंजिला मकान बनाने की घोषणा की. पुरोहितों के मकान में सबसे निचले फ्लोर पर आम श्रद्धालु होंगे, जबकि सबसे उपरी फ्लोर पर उन पुरोहितों के जजमान होंगे. मकान के बीच वाले फ्लोर पर पुरोहित के रहने की व्यवस्था होगी.
केदारनाथ की तबाही में विलुप्त हो चुकी आदि गुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल को भी फिर से बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की. लेकिन, इस मौके पर केदारपुरी में अपने संबोधन में मोदी ने भक्ति भाव के अलावा केदारनाथ के करीब मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के दम पर उत्तराखंड के विकास के भरोसे को भी एक बार फिर से बढ़ाया. प्रधानमंत्री ने सिक्किम से तुलना करते हुए उत्तराखंड को ऑर्गेनिक राज्य बनाने का भरोसा दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन के शुरुआती दिन हिमालय के अंदर बिताए हैं. एक बार फिर से उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि मैं हिमालय का भटका हुआ इंसान हूं, मुझे यहां का अनुभव है. प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया कि अगले साल केदारनाथ में 10 लाख श्रद्धालु आएंगे.
मोदी की कोशिश केदारनाथ के विकास करने की है. उत्तराखंड में विकास की कई परियोजनाओं को लेकर मोदी प्रतिबद्ध हैं. उनकी तरफ से केदारपुरी में भी संदेश देने की कोशिश की गई कि केंद्र और राज्य की दोनों सरकारें मिलकर विकास के साथ-साथ यात्रा को सहज और सुगम बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोडेंगी. केदारपुरी से अपने संबोधन में मोदी ने केदारधाम से ही गुजराती नववर्ष की सबको शुभकामना भी दे दी.

सर्दियों में निकलने वाले सूरज से पर्याप्त मात्रा में गर्मी नहीं मिलती है. वहीं सर्दियों में सूरज से निकलने वाली किरणें आखों को नुकसान पहुंचाती हैं. इस दौरान सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण आंखों में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसमें कैटरैक्ट और मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी बीमारियां मुख्य हैं.
विजन काउंसिल ऑफ अमेरिका की मानें तो सूरज से निकलने वाली 85 प्रतिशत अल्ट्रावायलेट किरणें बर्फ से टकराकर वापस आती हैं. जोकि आंखों से टकराने पर काफी नुकसान करती हैं. अगर आंखों से UV किरणें टकराती हैं तो आंखों में जलन होने लगती हैं. बर्फीले देशों में इन्हें स्नो ब्लाइंडनेस कहा जाता है. यह किरणें प्रत्येक उम्र वाले इंसान को नुकसान करती हैं. इसलिए जब भी आप बर्फीले इलाके में बाहर होते हैं तो आपको आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा जरूर लगाना होता है.
माना जा रहा है कि इसी वजह से पीएम मोदी केदारनाथ में काले चश्मे में नजर आए. चश्मे के अलावा पीएम का ड्रेसिंग स्टाइल भी खूब सुर्खियों में रहता है. पीएम ने इस बार की दिवाली सेना के जवानों के साथ मनाई थी और वहां भी उनका ड्रेसिंग स्टाइल आम दिनों से अलग था. जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर में जवानों के साथ दिवाली मनाने पहुंचे पीएम फौजी वाली जैकेट में नजर आए थे. और शुक्रवार को केदारनाथ में मोदी काफी स्टाइलिश ढंग से हाथ में पशमीना शॉल लपेटे नजर आए. नीला कुर्ता और ग्रे कलर की सदरी भी प्रधानमंत्री पर खूब जम रही थी.

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