सावधान- जानवरों से दूरी बनाये- निपाह वायरस मनुष्यों में भी फैल सकता है

चमगादड़ , सूअर , कुत्ते , घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है.

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कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में निपाह वायरस के फैलने के डर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए आज रात को एडवाइजरी जारी किया. इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं. मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी , जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने और इस्तेमाल में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने तथा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है. इसमें कहा गया है कि बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी सलाह के अनुसार करना चाहिए और इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि विधानों में बदलाव करने चाहिए. वहीं सूचना दी गई है कि चमगादड़ , सूअर , कुत्ते , घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है.

केरल में निपाह वायरस का खतरा बढ़ता देख लोग दहशत में हैं. हालत ये है कि नर्सों और मेडिकल स्टाफ तक का लोगों ने बहिष्कार करना शुरू कर दिया है जो लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं. ऐसी रिपोर्ट है कि जो लोग इस वायरस की चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं, उन्हें दफनाने तक का विरोध हो रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि जब कोझीकोड स्थित परंबरा तालुका हॉस्पिटल की नर्सें एक स्थानीय बस में सवार हुईं तो यात्रियों ने विरोध करना शुरू कर दिया. हालत यह हो गई कि रिक्शा चालकों ने भी नर्सों को ले जाने से मना कर दिया. एक दूसरी घटना में गुरुवार को नाडाकावू पुलिस ने मवूर रोड शवदाह के दो कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जिन्होंने अशोकन नाम के एक मृतक का शव जलाने से मना कर दिया था.

अस्पतालों में जो कर्मचारी निपाह के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं या जो लोग मरीजों के संपर्क में हैं, उनसे स्वस्थ लोगों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया है. कोझीकोड के अस्पतालों में जिन पीड़ितों का इलाज चल रहा है उनका कहना है कि पहले की तुलना में मरीजों की आवक घट गई है.

कोझीकोड जिले की मेडिकल अफसर डॉ. जयश्री वासुदेवन ने जनजागरूकता फैलाने पर जोर देते हुए कहा, लोग खौफ में हैं और बुखार के कारण भी उनमें डर समा जाता है. समाजशास्त्रियों का मानना है कि लोगों में जो डर है उसे निकालना जरूरी है. एक समाजशास्त्री बेबी शिरीन ने कहा, जागरूकता फैला कर हम लोगों का ध्यान बीमारी से हटाना चाहते हैं. बीमारी के बारे में कई भ्रामक जानकारियां फैल रही हैं. लोग रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं इससे ज्यादा आसान है लोग खुद को बचा कर रखें.

दूसरी ओर, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह वायरस के फैलने के डर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए गुरुवार रात कुछ निर्देश जारी किया. इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं.

केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह विषाणु के फैलने के डर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए परामर्श जारी किया। इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं।

 मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने से मना किया है।

इस्तेमाल में न लाए जा रहे कुओं में न जाने तथा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है। बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी परामर्श के अनुसार करना चाहिए और इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि-विधानों में बदलाव करने चाहिए। परामर्श में सूचना दी गई है कि चमगादड़, सूअर, कुत्ते, घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह विषाणु जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है। खजूर न खाने की सलाह दी गई है। केले, आम को धोकर खाने की सलाह दी गई है। मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने और इस्तेमाल में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने और केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है.

 

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