नोटबंदी के खिलाफ; गोविंदाचार्य ने लिगल नोटिस भेजा

#“अच्छी तरह सोचा-समझा” नहीं ;अरुण शौरी #पार्टी के अंदर भी आलोचना #महाराष्ट्र के लोकल चुनाव में बड़ा झटका #बीजेपी पार्टी महाराष्ट्र के एक लोकल एग्रिकल्चरल बॉडी के चुनावों में बुरा तरह से हार गई #  एक्‍सक्‍लूसिव- हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल

नोटबंदी के फैसले के खिलाफ पूर्व संघ विचारक और बीजेपी के नेता रह चुके केएन गोविंदाचार्य ने आर्थिक मामलों के वित्त सचिव शक्तिदास दास को लिगल नोटिस भेजा है। नोटबंदी के बाद से ही देश भर में लोगों को हुई परेशानी के चलते कई लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा कई लोगों के इस फैसले से परेशान होकर आत्महत्या करने की भी खबरें सामने आई थीं।
इसी आधार पर केएन गोविंदाचार्य ने आर्थिक मामलों के वित्त सचिव शक्तिकांत दास को लिगल नोटिस भेजकर उन लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है जिनकी मृत्यु इस फैसले के खराब क्रियान्वयन की वजह से हुई। गोविंदाचार्य के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, वित्त सचिव शक्तिकांत दास और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को यह नोटिस भेजा गया है जिसमें उन्होंने मुआवजे का भुगतान अगले 3 दिनों में करने की बात कही है।

वही दूसरी ओर
नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष के हमलों में घिरी नरेंद्र मोदी सरकार को अब पार्टी के अंदर भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार का फैसला “अच्छी तरह सोचा-समझा” नहीं था। हालांकि शौरी साथ ही ये भी कहा कि इस फैसले की मंशाल भली हो सकती है। शौरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय विनिवेश मंत्री रहे थे। शौरी ने कहा, “इसका मकसद कालाधन खत्म करना बताया गया है तो इसलिए हर कोई कहेगा कि बहुत अच्छा। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये स्ट्राइक (हमला) अच्छी तरह सोच-समझकर की गई है। ये स्ट्राइक कालेधन पर नहीं है। ये स्ट्राइक भारत में नोटों के कानूनी चलन पर है। ये नकद लेन-देन पर स्ट्राइक है।”
अरुण शौरी ने कहा, “जिन लोगों को पास कालाधन या काली संपत्ति है वो उसे नकद के तौर पर नहीं रखते। भारत के एक प्रतिशत लोगों के पास देश की 53 प्रतिशत संपत्ति है। 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 85 प्रतिशत संपत्ति है। अब इन अमीर लोगों के पास कालाधन और बढ़ जाएगा। वो गद्दों के नीचे कालाधन नहीं छिपाने जा रहे।” शौरी के अनुसार नोटबंदी के फैसले से गरीब नागरिकों का जीवन प्रभावित हुआ था जिनका रोज का जीवन नकद लेन-देन पर टिका होता है। शौरी के अनुसार कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को टैक्स नीति में बदलाव जैसे कदम उठाने चाहिए थे।
शौरी ने नोटबंदी को सरकार का साहसी कदम बताए जाने पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, “कुएं में कूदने को भी साहस कहा जा सकात है। आत्महत्या भी साहसिक काम है।” शौरी मोदी सरकार के कई पुराने फैसलों की आलोचना कर चुक हैं। शौरी ने कहा कि वो नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था के समर्थक हैं लेकिन उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी उस दिशा में उठाया गया कदम है।

##काले धन पर शिकंजा कसने के उद्देश से नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से 500 और 1000 के नोटों के बैन के बाद पार्टी को महाराष्ट्र के लोकल चुनाव में बड़ा झटका लगा है। दरअसल, बीजेपी पार्टी महाराष्ट्र के एक लोकल एग्रिकल्चरल बॉडी के चुनावों में बुरा तरह से हार गई है। पार्टी को महाराष्ट्र में एग्रिकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी में 17 सीटों पर पीजेन्ट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया (पीडब्ल्यूडी), शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एलायंस और भाजपा में से सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया में भाजपा को एक भी सीट पर पर जीत नहीं मिली है। दरअसल, इस चुनाव में सबसे अधिक 15 सीटों पीजेन्ट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया ने जीती हैं। वहीं दूसरी ओर, शिवसेना और कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की है, लेकिन भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। बता दें कि इस चुनाव में कांग्रेस ने 25 साल बाद एपीएमसी पोल में एक सीट जीतने में सफलता हासिल कर ली है। इन चुनावों में हुई जीत का उत्सव मनाते समय स्थिति तब खराब हो गई, जब पीडब्ल्यूडी और कांग्रेस समर्थकों ने कुर्सियां और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। इस दौरान बीजेपी का एक कार्यकर्ता घायल भी हुआ है।
काले धन पर लगाम लगाने के चलते महाराष्ट्र में सामान्य जीवन पर काफी बुरा असर पड़ा है। नोटबंदी के फैसले से रिटेल और खुदरा व्यापारी भी बेहद परेशान हैं। पूरे महाराष्ट्र में बहुत से किसान और मजदूरों को भी इस फैसले की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *