एनआरएचएम उत्तराखण्ड में 600 करोड़ का घोटाला; रहस्यमय खामोशी क्यों ?

UK नौकरशाह की भूमिका? #राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) उत्तराखंड घोटाले में करोड़ों के घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर  टॉप नौकरशाहों  की भूमिका # करोड़ों रुपये की दवाइयों की सप्लाई  टॉप नौकरशाह के रिश्‍तेदारों की कम्‍पनी ने की ?#  उत्तराखण्ड में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) के 600 करोड़ रुपये से ज्याएदा के दवा घोटाले की फाइल केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश के बावजूद तथा तत्काललीन मुख्य,मंत्री हरीश रावत द्वारा सीबीआई जांच की घोषणा के बावजूद खुल नही पायी #इस पूरे मामले में नौकरशाही की संलिप्तता तथा दवा सप्लायर के रूप मेें उत्तराखंड में तैनात एक वरीष्ठ आईएस अफसर के निकटवर्ती परिजन को दिया गया दवा सप्लाई का ठेका भ्रष्टाचार के किस्से को कई तरह से बयान भी करता है। शायद यहीं वजह है कि इस पूरे मामले में पूर्व में विभागीय जाँच के माध्यम से लीपापोती का प्रयास  # प्रधानमंत्री कार्यालय को हिमालयायूके द्वारा अवगत कराया जायेगा- 19 मई 2017 को उत्तराखण्ड विधानसभा में कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हद़येश से पूछा सवाल- छा गया सन्नाटा- एनआरएचएम योजना में घोटालों में उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद अब उत्तराखंड का नाम भी दर्ज #सनसनीखेज टॉप स्टोरी- उत्त‍राखण्ड का सबसे बडा घोटाला-#एनआरएचएम उत्तराखंड घोटाले में गहरे हैं घपले के तार # A FULL REPORT: 

प्रारंभिक जांच में यह जरूर पता चला गया था कि मामला सिर्फ 14.70 करोड़ की दवाओं की खरीद का नहीं, बल्कि 600 करोड़ रुपये की पूरी योजना में कई खेल किए गए हैं। इसके बाद सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने एनआरएचएम योजना की जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति मुख्य सचिव से की थी।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन अर्थात् एनआरएचएम योजना भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का एक कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम को अप्रैल 2005 में सात सालों के लिए शुरु किया गया था. यह योजना देश के खास तौर पर देश के 18 राज्यों के लिए केंद्रित है. इसका उद्देश्य है कि देहात में रहने वाले लोगों को बढ़िया स्वास्थ्य सेवा को सस्ते और आसान तरीके से मुहैया कराना.

उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) कार्यक्रम के तहत करोड़ों रुपये की दवाइयों की सप्लाई में कथित रूप से धांधली की सीबीआई जांच कराने का राज्य सरकार को आदेश दिया है। राज्य के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों ने कर्मचारियों के असहयोग के चलते घोटाले की जांच से हाथ खड़े कर दिए थे।
यह आदेश रमेश चन्द्र शर्मा की अर्जी पर सुनाया गया। शर्मा ने एनआरएचएम के तहत 14.70 करोड रुपये की दवाओं के वितरण में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। पहले उन्होंने इस मामले में आरटीआई के तहत याचिका दाखिल की थी, लेकिन पूरी सूचना न मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया। इसे व्यापक जनहित से जुड़ा मामला मानते हुए आयोग ने पिछले साल स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच के आदेश दिए थे।

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नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) उत्तराखंड के 600 करोड़ रुपये के दवा घोटाले की फाइल अब शासन को खोलनी ही पड़ेगी। ढाई साल से डंप पड़ी इस फाइल पर केंद्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त राधाकृष्ण माथुर ने इस आदेश के 30 दिन के भीतर मुख्य सचिव व सचिव स्वास्थ्य से कार्रवाई (एक्शन टेकन) पर रिपोर्ट तलब की है।
पूर्व में राज्य सूचना आयोग के तत्कालीन सूचना आयुक्त अनिल कुमार के 31 दिसंबर 2013 के आदेश में मुख्य सचिव से सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई थी। इसके बाद 11 अप्रैल 2014 को मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच की हरी झंडी दी थी और इसी साल 29 अप्रैल को शासन ने इसका नोटिफिकेशन भी कर दिया था। हालांकि इसके बाद प्रकरण में एफआइआर दर्ज न कर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि सीबीआइ ने सितंबर 2014 में सरकार को रिमाइंडर भी भेजा था। इस मामले को पूर्व में राज्य सूचना आयोग तक ले जाने वाले आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष घाट, हरिद्वार निवासी रमेश चंद्र शर्मा ने कुछ दिन पहले पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) से शिकायत की थी। अपनी शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी उन्होंने पीएमओ से आरटीआइ में मांगी थी। पीएमओ ने जवाब दिया कि शिकायत राज्य के मुख्य सचिव को भेज दी गई है। जवाब से संतुष्ट न होने पर रमेश चंद्र शर्मा ने केंद्र सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। 21 जुलाई 2016 को मामले की सुनवाई करते हुए केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त ने सीबीआइ जांच डंप किए जाने पर मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा।
केंद्रीय सूचना आयोग के नोटिस पर मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि आदेश की प्रति अभी उन्हें नहीं मिल पाई है। जैसे ही आदेश मिलेगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। यह भी पता किया जाएगा कि नोटिफिकेशन के बाद क्यों सीबीआइ जांच को लंबित रखा गया।

अन्‍य मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार

उत्तराखंड एनआरएचएम घोटाला उत्तराखंड के तत्काघलीन मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूरी के पहले कार्यकाल में उत्तराखंड में भी एनआरएचएम में खूब खेल हुआ है। जैसा कि विदित है तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे है और उनके कार्यकाल में दवाओं के खरीद-वितरण की प्रक्रिया में हुई उच्च स्तरीय अनिमितताऐं तथा लाखों रूपये मूल्य एक्सपायरी दवाओं को रातोंरात रूड़की के ड्रगवेयर हाऊस से नालियों में फीकवायें जाने का प्रकरण ज्यादा पुराना नहीं है। इस पूरे मामले में नौकरशाही की संलिप्तता तथा दवा सप्लायर के रूप मेें उत्तराखंड में तैनात एक वरीष्ठ आईएस अफसर के निकटवर्ती परिजन को दिया गया दवा सप्लाई का ठेका भ्रष्टाचार के किस्से को कई तरह से बयान भी करता है। शायद यहीं वजह है कि इस पूरे मामले में पूर्व में विभागीय जाँच के माध्यम से लीपापोती का प्रयास किया गया और सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा जाँच में सहयोग न किये जाने व तथ्य न उपलब्ध कराये जाने के कारण तत्कालीन महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा इस मामले की जाँच करने से हाथ खड़े कर दिये गये। लिहाजा सूचना आयुक्त उत्तराखंड अनिल कुमार शर्मा की संस्तुति पर इस पूरे घोटाले की सीबीआई जाँच कराने के आदेश अप्रैल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा दिये गये तथा गृह मंत्रालय के नोटिफिकेकशन के बाद सीबीआई ने सारा मामला दर्ज कर उत्तराखंड शाखा के सीबीआई प्रमुख को इसकी जाँच के लिऐ अधिकृत किया गया था। उपरोक्त घटनाक्रम को तीन वर्ष से भी अधिक का समय गुजर गया किन्तु सीबीआई इस संदर्भ में एक कदम भी आगे बढ़ी प्रतीत नही होती ओर अब उत्तराखंड में एक बार फिर भाजपा की ही सरकार है 

वही राज्य सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने आदेश में ध्यान दिलाया कि आदेश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार ने पिछली 3 तारीखों पर कथित घोटाले के बारे में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश नहीं की है। सुनवाई के दौरान मौजूद महानिदेशक (स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण) जे. एस. पांगती ने आयोग को बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं दे रहे है, लिहाजा आयोग स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का आदेश दे सकता है। राज्य के अधिकारियों के असहयोग के चलते कथित अनियमितता की जांच पूरा करने में असक्षमता जताई है। बहरहाल, पंगटे ने कथित अनियमितताओं को लेकर अंतरिम रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट को संज्ञान लेते हुए आयोग ने उसे सीलबंद कर दिया और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए।
उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) कार्यक्रम के तहत करोड़ों रुपये की दवाइयों की सप्लाई में कथित रूप से धांधली की सीबीआई जांच कराने का राज्य सरकार को आदेश दिया है। राज्य के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों ने कर्मचारियों के असहयोग के चलते घोटाले की जांच से हाथ खड़े कर दिए थे। यह आदेश रमेश चन्द्र शर्मा की अर्जी पर सुनाया गया। शर्मा ने एनआरएचएम के तहत 14.70 करोड रुपये की दवाओं के वितरण में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। पहले उन्होंने इस मामले में आरटीआई के तहत याचिका दाखिल की थी, लेकिन पूरी सूचना न मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया। इसे व्यापक जनहित से जुड़ा मामला मानते हुए आयोग ने पिछले साल स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच के आदेश दिए थे। राज्य सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने आदेश में ध्यान दिलाया कि आदेश दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार ने पिछली 3 तारीखों पर कथित घोटाले के बारे में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश नहीं की है। सुनवाई के दौरान मौजूद महानिदेशक (स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण) जे. एस. पंगटे ने आयोग को बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं दे रहे है, लिहाजा आयोग स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का आदेश दे सकता है। राज्य के अधिकारियों के असहयोग के चलते कथित अनियमितता की जांच पूरा करने में असक्षमता जताई है। बहरहाल, पंगटे ने कथित अनियमितताओं को लेकर अंतरिम रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट को संज्ञान लेते हुए आयोग ने उसे सीलबंद कर दिया और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए।

एनआरएचएम उत्तराखंड घोटाले में गहरे हैं घपले के तार# मामला वर्ष 2008 में एनआरएचएम में 14.70 करोड़ की राशि से नि:शुल्क वितरण के लिए खरीदी गई दवाइयों से प्रकाश में आया था। इसके तहत निदेशक स्टोर ने 27 दिसंबर 2008 को 2500 किट-ए, 2050 किट-बी व 10 हजार आशा किट खरीदने का ऑर्डर ङ्क्षहदुस्तान एंटी बायोटेक कंपनी को दिया। ये वे दवाएं थी, जिनकी जिलों को आवश्यकता नहीं थी, फिर भी इनकी खरीद की गई। इसी कारण ये दवाएं लंबे समय तक रुड़की के ड्रग वेयरहाउस में डंप रहीं। बाद में जब ये एक्सपायर हो गईं, तो इन्हें नाले में बहा दिया गया। इनकी कीमत करीब 21 लाख 62 हजार 756 रुपये थी। इसी तरह वर्ष 2010 तक करीब 1.21 करोड़ रुपये की दवाएं अधिकारियों की लापरवाही से एक्सपायर हो गईं। आरटीआइ कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा को घपले को उजागर करने के लिए सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। आयोग ने इसकी विभागीय जांच को भी कहा था। तब आयोग की अंतिम सुनवाई में तत्कालीन स्वास्थ्य महानिदेशक जेएस पांगती ने आयोग के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर कहा था कि जांच में कोई भी मुख्य चिकित्साधिकारी उनका सहयोग नहीं कर रहा है, लिहाजा जांच संभव नहीं हो पा रही। हालांकि एक्सपायर दवाओं को लेकर उस समय अपर सचिव पीयूष कुमार ने अपने स्तर पर जांच की थी। जांच में यह बात सामने आई थी कि बिना सक्षम अधिकारी व समिति की अनुमति के बिना दवा खरीद के ऑर्डर में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी गई। तत्कालीन संयुक्त निदेशक आरसीएच डा. आशा माथुर को इसका दोषी पाया गया। साथ ही आधा दर्जन से अधिक अन्य कार्मिक भी घपले के लपेटे में आए। यह बात और है कि घपले करने वाले अभी पकड़ से बाहर हैं। हालांकि प्रारंभिक जांच में यह जरूर पता चला गया था कि मामला सिर्फ 14.70 करोड़ की दवाओं की खरीद का नहीं, बल्कि 600 करोड़ रुपये की पूरी योजना में कई खेल किए गए हैं। इसके बाद सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने एनआरएचएम योजना की जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति मुख्य सचिव से की थी। –
एनआरएचएम योजना में घोटालों में उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद अब उत्तराखंड का नाम भी दर्ज हो गया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में बेबी वॉर्मर की खरीद में गड़बड़झाला प्रकाश में आया है। आरटीआई के तहत मिली सूचना में खुलासा हुआ है कि राज्य में बेबी वॉर्मर अलग-अलग दरों पर खरीदे गए हैं। इस मशीन की कीमत आम तौर पर 28 से तीस हजार तक बताई जाती है जबकि राज्य में इसको 28,070 रुपये से लेकर 72,105 रुपये तक में खरीदा गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धारचूला ने 72,105 रुपए में रेडियेंट हीट वॉर्मर खरीदा है। गौरतलब है कि सभी जिलों के रेट कांट्रेक्ट के अनुसार बेबी वॉर्मर खरीदने का दावा करने के बावजूद अलग-अलग फर्मों से अलग-अलग दरों पर यह खरीद की गई है। इससे साफ होता है कि जनता की गाढ़ी कमाई लुटाई जा रही है। यहां बता दें कि प्राइवेट नर्सिंग होम भी जो बढ़िया से बढ़िया वॉर्मर लगाते हैं वह 30-32 हजार का आ जाता है।

राज्य के सरकारी अस्पतालों में एनआरएचएम योजना के तहत बेबी वॉर्मर मशीनों की व्यवस्था तो की गई लेकिन इनकी खरीद में हुए गड़बड़झाले ने एनएचआरएम घोटालों में उत्तराखंड का नाम भी दर्ज कर दिया। अभिनव भारत संस्था के संस्थापक कौस्तुवानंद जोशी की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इन मशीनों की खरीद के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे पूरी खरीद पर सवालिया निशान लग गए हैं।

अलग-अलग जिलों की ओर से आई सूचना में साफ हुआ है कि सभी ने अलग-अलग दरों पर अलग-अलग फर्मों से यह मशीनें खरीदी हैं। श्रीदेव सुमन संयुक्त चिकित्सालय नरेंद्रनगर, टिहरी गढ़वाल में जहां 28,070 रुपयों में बेबी वॉर्मर मशीन लगाई गई है वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धारचूला ने एसएस मेडिकल सिस्टम भवाली से 72,105 में यह मशीन खरीदी है। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डीडीहाट ने इसी फर्म से 69,500 रुपये में यह मशीन खरीदी है। दिलचस्प तथ्य यह है कि इसी जिले में जिला महिला चिकित्सालय में 28,531 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनालीछीना ने 31,350 रुपयों में इस मशीन की खरीद की है।

सभी सरकारी अस्पतालों में अलग-अलग कीमतों में बेबी वॉर्मर खरीदे गए हैं। जिला महिला चिकित्सालय देहरादून में यह उपकरण 42,004 रुपये में खरीदा गया, जबकि सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में इसे 65,720 रुपये में खरीदा गया है। इसी प्रकार राजकीय संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार में 56,650, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किच्छा में 58,650, जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में 65,120 रुपये में बेबी वार्मर की खरीद की गई है। उन्होंने दावा किया कि सरकार की ओर से बेबी वार्मर का निर्धारित रेट कॉट्रेक्ट 28,070 रुपये है। इसी तरह दवाओं की खरीद में भी भारी घोटाला किया गया है। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

अगर कीमतों में इस तरह का अंतर है तो गड़बड़ी की गुंजाइश दिखती है। इसकी हम जांच करवाएंगे। गड़बड़ी पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी- सुरेंद्र सिंह नेगी, तत्कांलीन स्वास्थ्य मंत्री

क्या है खरीद प्रक्रिया
एनआरएचएम के तहत खरीद का काम स्वास्थ्य निदेशालय में गठित सेंट्रल मेडिकल सप्लाई डिपो (सीएमएसडी) करता है। इसके अलावा जिला स्तर पर सीएमओ को खरीद का अधिकार है। निविदा आमंत्रित कर खरीद की जाती है। उत्तराखंड में बेबी वॉर्मर की खरीद दोनों स्तरों पर हुई है। केंद्र सरकार ने इसके लिए मानक तय किए हैं। जानकारों के मुताबिक राज्य भर में एक ही तरह के वॉर्मर खरीदे जाने चाहिए थे। अलग-अलग जगह से बेबी वॉर्मर खरीदे जाने के चलते दरों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है, लेकिन बहुत ज्यादा का नहीं।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन(National Rural Health Mission) (एनआरएचएम) एक ग्रामीण भारत भर के ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम है। यह योजना १२ अप्रैल २00५ को शुरू की गयी। आरंभ में यह मिशन केवल सात साल (२00५-२0१२) के लिए रखा गया है, यह कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा में केंद्र सरकार की यह एक प्रमुख योजना है। इसका प्रमुख उद्देश्य पूर्णतया कार्य कर रही, सामुदायिक स्वामित्व की विकेंद्रित स्वास्थ्य प्रदान करने वाली प्रणाली विकसित करना है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में सुगमता से वहनीय और जवाबदेही वाली गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवायें मुहैया कराने से संबंधित है। यह योजना विभिन्न स्तरों पर चल रही लोक स्वास्थ्य सुपुर्दगी प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ-साथ विद्यमान सभी कार्यक्रमों (जैसे- प्रजनन बाल स्वास्थ्य परियोजना, एकीकृत रोग निगरानी, मलेरिया, कालाज़ार, तपेदिक तथा कुष्ठ आदि) के लिए एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं प्रदान करने से संबंधित है। इसके अंतर्गत बाल मृत्युदर में कटौती करके उसे प्रति हजार जीवित जन्मों पर तीस से नीचे लाना और कुल प्रजनन अनुपात को २0१२ तक २.१ तक लाना है। इस योजना को पूरे देश में, विशेषकर १८ राज्यों में जिनमें स्वास्थ्य अवसंरचना अत्यंत दयनीय तथा स्वास्थ्य संकेतक निम्न हैं, लागू किया गया है। इस योजना के क्रियान्वयन में लगीं प्रशिक्षित आशा की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। लगभग प्रति १000 ग्रामीण जनसंख्या पर १ आशा कार्यरत है। २0१२-१३ के संघीय बजट में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संबंध में १८११५ करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित की गयी है।
विशेष केन्द्रित राज्य अरुणाचल प्रदेश, असोम, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, मध्य प्रदेश, नागालैण्ड, उड़ीसा, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश।
मिशन के अंतर्गत किये जाने वाले कार्य स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में बढोत्तरी। स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचा का सुधार, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाना। देशी/ परंपरागत आरोग्य प्रणालियों को बढावा देना, उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का मुख्य अंग बनाना। निजी स्वास्थ्य क्षेत्र का नियमीकरण, इसके लिए मापदंड और अधिनियम बनाना। निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाना। लोगों को इलाज प्राप्त करने के लिए जो खर्च करना पडता है, उसके लिए उचित बीमा-योजनाओं का प्रबंध करना। ज़िला कार्यक्रमों का विकेंद्रीकरण करना ताकि ये ज़िला स्तर पर चलाये जा सकें। स्वास्थ्य के प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं / समुदाय की भागीदारी को बढाना। स्मयबद्ध लक्ष्य और कार्य की प्रगति पर जनता के सामने रिपोर्ट पेश करना।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार इसके लिए निम्न कार्य प्रस्तावित हैं –
गांव में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करना – आशा/ सहिया द्वारा। उप केंद्रों की क्षमताओं के विकास के लिए:- जरूरत के अनुसार नये उपकेंद्र उपकेंद्र की बिल्डिंग का निर्माण जरूरत के अनुसार एक और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम की नियुक्ति जो उसी क्षेत्र की होगी। हर उप-केंद्र को रुपया 10,000 की गैर मद निर्धारित अनुदान राशि दी जायेगी जो सरपंच और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम के नाम से बैंक में जमा होगा। महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता इसका इस्तेमाल ग्राम स्वास्थ्य समिति से चर्चा करके कर सकती है। सारी आवश्यक दवाईयां उपलब्ध होंगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के क्रियान्वयन हेतु / के क्षमता विकास के लिए निम्न कार्य किये जायेंगे – जरूरत के अनुसार बिल्डिंग का निर्माण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे खुले रहेंगे और नर्सिंग की सुविधा उपलब्ध होगी कुछ चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 24 घंटे का अस्पताल बनाया जायेगा जिसमें आपातकालीन सेवाएं प्राप्त हो सकें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो और नर्स की नियुक्ति – कुल तीन नर्स जरूरत के अनुसार एक और डॉक्टर आयुश डॉक्टर – आयुर्वेदिक, यूनानी होमियोपैथी की नियुक्ति हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को रुपया 10,000 का अनुदान मिलेगा जिसे स्थानीय स्वास्थ्य संबंधी कार्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के रख-रखाव के लिए रुपया 50,000 दिया जायेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को चलाने के लिए इनमें रोगी कल्याण समिति का गठन। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को प्रोत्साहित करने के लिए रुपया 1,00,000 की अनुदान राशि। शर्त यह है कि यह राशि राज्य को तभी दी जाये जब राज्य यह वचन दे कि रोगी कल्याण समित जो पैसा इकटठा करती है उसे वह उसी के पास रहेगा, राज्य के खाते में नहीं जायेगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए :- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की क्षमता का विकास / उच्च स्तरीय ताकि उनमें 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। निष्चेतना विशेषज्ञ की नियुक्ति आयुर्वेदिक युनानी होमियोपैथी क्लिनिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बिल्डिंग का निर्माण/ पुननिर्माण रोगी कल्याण समिति का गठन – जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए मापदंड – आइपीएचएस का पालन जरूरत के अनुसार नये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू करना सारे राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे मलेरिया, टीवी आदि और परिवार कल्याण कार्यक्रमों का राज्य और ज़िला स्तर पर समन्वयन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए जो ज़िला स्तर पर टीम बनेगी उसमें निजी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया जायेगा `आशा´ कार्यक्रम के निरीक्षण के लिए एक निगरानी समूह का गठन जननी सुरक्षा योजना सामाजिक निगरानी और जवाबदेही के लिए प्रबंध – गांव, ज़िला और राज्य के स्तर पर कमेटियां होंगी। ज़िला स्तर पर जन संवाद, राज्य स्तर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं, सुनििश्चत करना सरकार, राज्य और ज़िला अपने स्तर पर जन- स्वास्थ्य की रिपोर्ट पेश करेगी।

 

MEDIA REPORT: 
Uttarakhand CM recommends CBI probe into NRHM scam
Uttarakhand Chief Minister Harish Rawat has recommended a CBI probe into the NRHM scam running into crores of rupees, in the state.
The recommendation to this effect was made yesterday, official sources said here today.
The scam pertains to largescale irregularities in the distribution of medicines worth over Rs 14 crore under the National Rural Health Mission in the hill state in 2008-2009.
Rawat`s recommendation comes three months after the State Information made a similar recommendation, they said.
The commission`s recommendation had come on an RTI application alleging serious irregularities in distribution of medicines worth Rs 14.70 crore under the National Rural Health Mission in Uttarakhand.
The Commission had recommended a CBI probe into the scam in January this year with top health officials expressing their inability to probe it due to non-cooperation of staff.

The alleged scam had surfaced during BJP rule.
In his interim report to the commission, Director General (Health, Medical and Family Welfare) J S Pangtey had admitted that the quantity of drugs to be procured was substantially increased without any basis.
MEDIA REPORT: 

Uttarakhand State Information Commission has ordered the state government to get a CBI probe done into alleged irregularities in the distribution of medicines worth crores of rupees under NRHM programme, as top health official of the state expressed inability to probe the scam due to non-cooperation from staff.

The orders were issued on a plea of one Ramesh Chandra Sharma who had alleged serious irregularities in the distribution of medicines worth Rs 14.70 crores under the National Rural Health Mission programme. Sharma had filed RTI application in this regard but after not getting complete information, he approached the state information commission. Considering it a matter of larger public interest, the Commission ordered an inquiry by senior officials of health department last year.

State Information Commissioner Anil Sharma noted in his order that despite orders the state government did not present detailed investigation report into alleged scam on last three dates.

Director General (Health, Medical and Family Welfare) J S Pangtey, who was present during the hearing, told Commission that officials of the health department were not cooperating in the investigations, hence Commission may order probe by an independent agency.

He also expressed “inability” in completing probe into the alleged irregularities because of non-cooperation of the state officials.

However, Pangtey presented an interim report into alleged irregularities.

The report shows quantity of drugs to be procured was substantially increased without any basis, none of the districts provided details of their warehouse stocks and other inventory details which make it difficult to ascertain whether the drugs were actually distributed or thrown out as alleged.

Taking cognisance of the report, the Commission sealed it and ordered a CBI inquiry.

Sharma said the report of the health department should be forwarded to CBI in the sealed cover through Chief Secretary with necessary formalities for a probe by the central agency.

MEDIA REPORT: 
Harish Rawat recommends CBI probe into NRHM scam
Uttarakhand Chief Minister Harish Rawat has recommended a CBI probe into the NRHM scam running into crores of rupees, in the state.
The recommendation to this effect was made on Thursday, official sources said on Friday. The scam pertains to large scale irregularities in the distribution of medicines worth over Rs 14 crore under the National Rural Health Mission in the hill state in 2008-2009.
Rawat’s recommendation comes three months after the State Information made a similar recommendation, they said. The commission’s recommendation had come on an RTI application alleging serious irregularities in distribution of medicines worth Rs 14.70 crore under the National Rural Health Mission in Uttarakhand. The Commission had recommended a CBI probe into the scam in January this year with top health officials expressing their inability to probe it due to non-cooperation of staff.
The alleged scam had surfaced during BJP rule. In his interim report to the commission, Director General (Health, Medical and Family Welfare) JS Pangtey had admitted that the quantity of drugs to be procured was substantially increased without any basis.

MEDIA REPORT: 

Uttarakhand Chief Minister Harish Rawat has recommended a CBI probe into the NRHM scam running into crores of rupees, in the state.
The recommendation to this effect was made yesterday, official sources said here today.
The scam pertains to large scale irregularities in the distribution of medicines worth over Rs 14 crore under the National Rural Health Mission in the hill state in 2008-2009.
Rawat’s recommendation comes three months after the State Information Minister made a similar recommendation, they said.
The commission’s recommendation had come on an RTI application alleging serious irregularities in distribution of medicines worth Rs 14.70 crore under the National Rural Health Mission in Uttarakhand.
The commission had recommended a CBI probe into the scam in January this year with top health officials expressing their inability to probe into the matter due to non-cooperation of staff.
The alleged scam had surfaced during BJP’s rule. In his interim report to the commission, Director General (Health, Medical and Family Welfare) J S Pangtey had admitted that the quantity of drugs to be procured was substantially increased without any basis.

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www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) publish at Dehradun & Hardwar; Mail; csjoshi_editor@yahoo.in Avaible: FB, Twitter, whatsup Groups, e-edition, Major News Web Sites etc.  Bureau Report: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND 

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