नितिन गडकरी प्रधानमंत्री बने- राहुल गॉधी का मास्‍टर स्ट्रोक

राहुल गांधी    भविष्‍यवाणी नही कर रहे थे, परन्‍तु किसी तैयारी के साथ बोल रहे थे-  #हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल

 #मोदी प्रधानमंत्री नहीं होंगे और वह मैं उनके चेहरे पर देख सकता हूं- नितिन गडकरी  या कोई ओर प्रधानमंत्री बने. यही गणित है.# कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मास्‍टर स्ट्रोक  का बयान जब सामने आया उस समय मोदी जी राहुल गॉधी के पीएम बनने की सहमति जताने पर वाले बयान पर घेराबंदी कर रहे थे, उस समय तक राहुल बहुत बडा बयान दे चुके थे, जिसकी काट शायद नही थी-

  #कल हिमालयायूके की फेसबुक में की गयी पोस्‍ट आज राहुल गाधी के बयान से सटीक साबित हुई- क्‍या पोस्‍ट की थी- #अधिवक्‍ता नितिन गडकरी के 27 May को जन्‍म दिवस पर हिमालयायूके की विशेष प्रस्‍तुति- 27 मई के बाद क्‍या सितारो की चाल उनको विशेष मंजिल तक पहुंचायेगी- हिमालयायूके का फोकस जल्‍द  

बेंगलुरु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने संबंधी बयान पर निशाना साधाने के लिए एक किस्सा सुनाया है. पीएम मोदी ने चुनावी रैली में हैरानी जताते हुए कहा कि क्या देश कभी ऐसे ‘अपरिपक्व और नामदार’ नेता को इस पद के लिये स्वीकार करेगा. राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा जाहिर की थी.

यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘ऐसा नामदार जो अपने गठबंधन सहयोगियों में विश्वास नहीं करता, जो कांग्रेस के अंदरूनी लोकतंत्र की परवाह नहीं करता, जिसका अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच गया है और जो खुद यह घोषणा कर रहा है कि वह 2019 में प्रधानमंत्री बनेगा.’ उन्होंने कहा, ‘क्या देश कभी ऐसे अपरिपक्व नामदार नेता को स्वीकार कर पायेगा?’

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, राहुल गांधी का नाम लिए बिना – अचानक एक आदमी आया और खुद को प्रधानमंत्री पद का दोवदार घोषित कर दिया. उसने कतार में खड़े सीनियर नेताओं और गठबंधन को नजरअंदाज कर अपनी बाल्टी आगे कर दी कि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊंगा.’ पीएम मोदी ने कहा कि ये बर्ताव बताता है कि उनके अंदर कितना अहंकार है.

पीएम मोदी ने इस किस्से के जरिए राहुल गांधी पर साधा निशाना
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘जब किसी गांव में पानी की किल्लत होती है और वहां मंगलवार को तीन बजे पानी का टैंकर आने वाला होता है, तो गांव के लोग सुबह से अपनी बाल्टी रख देते हैं. सारे गांव वाले ईमानदारी के साथ अपनी बाल्टी कतार में लगा देते हैं. गांव वालों के बीच इतनी ईमानदारी होती है कि वे बाल्टी रखकर अपने घर चले जाते हैं. उन्हें भरोसा होता है कि उनकी बाल्टी को कोई आगे-पीछे नहीं करेगा. तभी तीन बजे पानी का टैंकर आता है तो गांव का एक दबंग सीना फुलाए हुए हाथों में बाल्टी लेकर आता है और सबसे आगे पानी लेने पहुंच जाता है. यह दबंग और सिरफिरा शख्स अपने फायदे के लिए लोकतंत्र और कानून को तोड़ देता है.’पीएम मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा, ‘कल कर्नाटक में हिंदुस्तान की राजनीति में ऐसा ही हुआ. अचानक एक आदमी आया और खुद को प्रधानमंत्री पद का दोवदार घोषित कर दिया. उसने कतार में खड़े सीनियर नेताओं और गठबंधन को नजरअंदाज कर अपनी बाल्टी आगे कर दी कि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊंगा.’ पीएम मोदी ने कहा कि ये बर्ताव बताता है कि उनके अंदर कितना अहंकार है.

अगले प्रधानमंत्री नहीं होंगे और वह मैं उनके चेहरे पर देख सकता हूं.

 कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि विपक्षी एकता के सामने 418 सीट हासिल करने वाले राजीव गांधी भी नहीं टिक सके थे. लिहाजा, विपक्षी एकजुटता ही नरेंद्र मोदी को 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री बनने से रोक सकती है. उन्‍होंने कहा कि अगले चुनावों में यदि कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है, तभी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी से बदलने का मौका देश को मिल सकता है. राहुल गांधी ने यह बातें समरुधा फाउंडेशन के उद्धाटन समारोह के दौरान हुए संवाद के दौरान कहींं. उन्‍होंने कहा कि राजनैतिक विश्‍लेषक के तौर पर मैं यह कहूं कि अगली सरकार बीजेपीबनाएगी तो आप इस बात पर हंस सकते हैं. अब यह असंभव है कि नरेंद्र मोदी 2019 चुनावों के बाद देश के प्रधानमंत्री बनें. भारतीय राजनीति में सबसे घातक चीज विपक्षी एकता है. विपक्षी एकता रास्‍ते में आने वाली सभी बाधाओं को स्‍वत: खत्‍म कर देगी. उन्‍होंने कहा कि राजीव गांधी ने 1984 के चुनावों में 40 फीसदी वोटों के साथ 415 सीटें हासिल की थी, बावजूद इसके वह विपक्षी एकता का सामना नहीं कर सके थे.  उन्‍होंने कहा कि आगामी चुनावों में विपक्ष एकजुट होता है और उसे कांग्रेस एक मंच मुहैया कराती है तो उन्‍हें पूरा विश्‍वास है कि भाजपा को सरकार बनाने का दूसरा मौका नहीं मिलेगा. राहुल गांधी ने कहा कि उनके दिमाग में एक सवाल है कि वह सरकार कैसी दिखेगी, जिसमें कई अलग-अलग पार्टियां होंगी. हालांकि अभी मैं यह निश्चित तौर पर एक बात कह सकता हूं कि नरेंद्र मोदी अगले प्रधानमंत्री नहीं होंगे और वह मैं उनके चेहरे पर देख सकता हूं.

क्या कहा था राहुल गांधी ने
एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने कहा था कि अगर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरती है तो वह प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने के लिये तैयार हैं. मोदी ने कहा कि राहुल का यह बयान इस पद के लिये उनकी जगजाहिर लालसा को दर्शाता है.  पीएम मोदी ने उन्होंने कहा, ‘कल कर्नाटक और भारत की राजनीति में कुछ हुआ. अचानक एक व्यक्ति आया और उसने घोषणा की कि उसे दूसरों की परवाह नहीं है जो पहले से ही इस कतार में खड़े हैं. सहयोगियों की भी कोई परवाह नहीं.’ 

राहुल गांधी का कहना था कि यह कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. यदि कांग्रेस पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो निश्चित तौर पर मै प्रधानमंत्री हो सकता हूं. 

चुनावी राज्य कर्नाटक में अपने चुनाव प्रचार अभियान के आखिर पड़ाव में मोदी ने कहा, ‘ऐसे कई नेता हैं जो 40 साल से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वह अचानक आये और अपनी दावेदारी रख दी और कहा मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा.’ 

मोदी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह के कार्यकाल में रिमोट कंट्रोल तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास होता था, जबकि उनके चार साल के शासन में रिमोट कंट्रोल जनता के हाथ में है. 

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की संस्कृति, सांप्रदायिकता, जातिवाद, अपराध, भ्रष्टाचार और ठेकेदारी ऐसी छह बीमारियां हैं जो कर्नाटक का भविष्य बर्बाद कर रही हैं. मोदी ने वहां मौजूद जनसमूह से कहा कि अब वक्त आ गया है कि कर्नाटक कांग्रेस को ‘अलविदा’ कहे. 

क्‍या वह 2019 में प्रधानमंत्री बन सकते हैं? इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी का कहना था कि यह कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. यदि कांग्रेस पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो निश्चित तौर पर मै प्रधानमंत्री हो सकता हूं. उन्‍होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने भाजपा और आरएसएस को सत्‍ता से हटाने का निश्‍चय कर लिया है. उत्‍तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर प्रदेश में दो या तीन राजनैतिक दलों का गठबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि बीजेपी को पांच से अधिक सीटें नहीं मिले. उत्‍तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के वोट शेयर को मिलाया जाए तो वह 70 फीसदी है. इस तरीके से विपक्षी दलों का गठबंधन भाजपा को 200 सीटों तक सीमित कर देगा. 

राहुल गांधी ने कहा कि अगले लोक सभा चुनावों में यदि बीजेपी 200 सीटों तक सिमट जाती है तो कोई भी सहयोगी दल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं होगा. भाजपा के सभी सहयोगी दल चाहेंगे कि नितिन गडकरी  या कोई ओर प्रधानमंत्री बने. यही गणित है.

कल हिमालयायूके की फेसबुक में की गयी पोस्‍ट आज राहुल गाधी के बयान से सटीक साबित हुई- क्‍या पोस्‍ट की थी- 

Top Breaking “हिमालयायूके”

कर्नाटक चुनावों में भाजपा में रणनीति के तहत येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं से दूर रखा है। राज्य में हर जगह मोदी का चेहरा दिखाई दे रहा है, हर जगह अमित शाह परदे के पीछे से रणनीति बनाते दिख रहे हैं। इस बात से भी जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि इस बार की कर्नाटक में येदियुरप्पा नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। सवाल है कि क्या भाजपा की यह रणनीति कर्नाटक में कामयाब होगी या पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगा। 
वही दूसरी ओर 2019 लोकसभा चुनावों में देश का भावी प्रधानमंत्री “हिमालय” से तय होगा, राहुल गांधी भोलेनाथ के सबसे बड़े धाम मानसरोवर जाने वाले पहले राजनेता होंगे, वही मोदी जी केदारनाथ जी से 2019 के लोकसभा चूनावो का बिगुल फुक सकते है,
“अब देखना है कि देवात्मा हिमालय तथा हिमालय में मौजूद दिव्य शक्तियों का आशिर्वाद क्या नितिन गडकरी को मिल जाएगा,

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अधिवक्‍ता नितिन गडकरी के 27 May को जन्‍म दिवस पर हिमालयायूके की विशेष प्रस्‍तुति-

नितिन गडकरी  (जन्म : २७ मई १९५७) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।  जीवन संगी  कंचन गडकरी बच्चे  निखिल, सारंग और केतकी  व्यवसाय   वकील, उद्योगपति- जन्‍म दिवस से उनके सितारे उस दिशा में चलना शुरू कर देगे जब कि विपक्ष में भी वह लोकप्रिय हो जायेगे, यही कारण उनको पीएम की कुर्सी तक पहुंचा सकता है-

वो भाजपा सरकार में सोलहवीं लोक सभा में परिवहन मंत्री हैं। इससे पहले दिसम्बर २००९ में भारतीय जनता पार्टी के नौंवें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। बावन वर्ष की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले वे इस पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे कामर्स में स्नातकोत्तर हैं इसके अलावा उन्होंने कानून तथा बिजनेस मनेजमेंट की पढ़ाई भी की है। वो भारत के एक उद्योगपति हैं। गडकरी सफल उद्यमी हैं। वह एक बायो-डीज़ल पंप, एक चीनी मिल, एक लाख २० हजार लीटर क्षमता वाले इथानॉल ब्लेन्डिंग संयत्र, २६ मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र, सोयाबीन संयंत्र और को जनरेशन ऊर्जा संयंत्र से जुड़े हैं। गडकरी ने १९७६ में नागपुर विश्वविद्यालय में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। बाद में वह २३ साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने।[3] अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वे सदा अपने वरिष्ठ नेताओं के प्रिय बने रहे।[4] १९९५ में वे महाराष्ट्र में शिव सेना- भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे। मंत्री के रूप में वे अपने अच्छे कामों के कारण प्रशंसा में रहे। १९८९ में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए, पिछले २० वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आखिरी बार २००८ में विधान परिषद के लिए चुने गए। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है और वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं।

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