मृदुभाषी और बेलाग ; राजनाथ सिंह के जन्‍म दिवस पर विशेष

10 जुलाई ; उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले (अब चंदौली जिला) की चकिया तहसील के बभोरा गांव में एक कृषक परिवार में श्री रामबदन सिंह और श्रीमती गुजराती देवी के परिवार में 10 जुलाई, 1951 को जन्मे श्री राजनाथ सिंह ने आरंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। उसके उपरांत उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर की उपाधि ली। वह के. बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश में शिक्षक रहे। 

 राजनीतिक हलकों में उन्हें काफ़ी मृदुभाषी और बेलाग बोलने वालों में माना जाता है। दिसंबर, 2009 के दौरान जब राजनाथ सिंह के बाद अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी आए थे। लेकिन 2013 की शुरुआत में, अंतिम समय में हुए जबर्दस्त उलटफेर में नितिन गडकरी भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए और इसके बाद दूसरी बार आम सहमति से राजनाथ सिंह की भाजपा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई। पार्टी के पास निश्चित तौर पर कुछ विकल्प थे लेकिन राजनाथ सिंह की निर्विवाद और प्रतिद्वंद्वियों के बीच बेहतर छवि ने उनके नाम पर सहमति बनाने में मदद की।

 

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श्री राम बदन सिंह एवं श्रीमती गुजराती देवी  के पुत्र राजनाथ सिंह का जन्‍म 10 जुलाई 1951 में एक साधारण परिवार में हुआ था। 62 वर्षीय राजनाथ सिंह का वर्ष 1974 में जनसंघ के जिला सचिव पद से शुरू राजनीतिक सफर शुरु क्‍या हुआ उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आरएसएस के स्वयंसेवक से लेकर विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के शीर्ष पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी अनूठी कार्यशैली की छाप भी छोड़ी। भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के सफर में उन्होंने युवाओं को भाजपा के पक्ष में एकजुट किया। 

वर्ष 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव बना रहा। कदम-दर-कदम आगे बढ़ने वाले राजनाथ सिंह ने 1969 में गोरखपुर में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन सचिव से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ के मिर्जापुर इकाई के सचिव बने। आपातकाल के दौरान राजनाथ सिंह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए।

 

राजनाथ सिंह की क्षमताओं का सही आंकलन उस वक्‍त हुआ जब कल्‍याण सिंह के मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में वो बतौर शिक्षा मंत्री नियुक्‍त किये गये। उन्‍होंने यूपी बोर्ड परिक्षाओं में नकल पर नकेल कस अपनी अलग पहचान बना ली। 24 अक्‍टूबर 2000 में उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। दो वर्ष से भी कम अवधि वाले मुख्यमंत्रित्व काल में राजनाथ सिंह को सामाजिक न्याय समिति गठित कर अति दलितों व अति पिछड़ों के लिए आरक्षण कोटा तय कराने के प्रयासों की खातिर याद किया जाता है।
उसके बाद राजनाथ सिंह केंद्र में कृषि और भूतल परिवहन मंत्रालय के मंत्री रहे। वर्ष 2005 में पहली बार भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बने। वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सीट से सांसद के रूप में विजयी होकर उन्होंने निर्वाचन से बचने का आरोप लगाने वाले विरोधियों को करारा जवाब दिया। किसानों के प्रति उनकी हमदर्दी और धोती कुर्ते के ठेठ हिंदुस्तानी पहनावे ने राजनाथ की छवि को भाजपा के सबसे सशक्त किसान नेता के रूप में उभारा।
सफेद कुर्ता पजामा और चमड़े की चप्‍पल पहनना बाहर से जितना आसान दिखाई देता है अंदर से यह उतना ही कठिन है। राजनाथ सिंह ने यह पहनावा युवा काल में ही अपना लिया था। राजनाथ सिंह अपने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। वे 1972 में मिर्जापुर शहर के संघकार्यवाहक बने। वर्ष 1967 से 1971 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् गोरखपुर संभाग के संगठन सचिव भी रहे।

24 मई, 2003 को वह केंद्रीय कृषि मंत्री तथा बाद में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर तथा कृषि आय बीमा योजना जैसी कुछ युगांतरकारी परियोजनाएं आरंभ कीं।
भाजपा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे देश की यात्रा की। वह भारत सुरक्षा यात्रा पर भी निकले, जिसमें उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि तथा उनसे आंतरिक सुरक्षा को खतरे का विषय लेकर कई राज्यों का भ्रमण किया। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, किसानों की पीड़ा तथा संप्रग सरकार द्वारा किए जा रहे अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण जैसे मुद्दों पर जोर दिया। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बेरोजगारी, उसके कारणों तथा समाधानों पर पुस्तक भी लिखी है।
जुलाई 2004 में वह एक बार पुनः भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। महासचिव के रूप में उन्होंने छत्तीसगढ़ तथा झारखंड का दायित्व संभाला और अपनी प्रभार संभाला एवं अपनी अनुकरणीय सांगठनिक क्षमता के द्वारा दोनों राज्यों में भाजपा की विजय सुनिश्चित की।
वह 31 दिसंबर, 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, जो पद उन्होंने 19 दिसंबर, 2009 तक संभाला। मई 2009 में वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद चुने गए।
एकबार फिर आप वर्ष जनवरी 23, 2013 से जुलाई 09, 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे.
मई 2014 में वह उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद चुने गए।
26 मई, 2014 को श्री राजनाथ सिंह ने भारत के केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली। तब से वह सक्रिय रूप से गृह मंत्री के रूप में काम कर रहें हैं ।
सन 1992 में शिक्षा मंत्री रहते हुए स्वयं पहल करके नकल निरोधी अधिनियम पारित करवाए।
सन 1998 में उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को लोकसभा चुनाव में वहां की 58 सीटों पर शानदार जीत दिलाए।
केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) जो कि स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम गलियारे का एक भाग थी, का शुभारम्भ किए।
कृषि मंत्री के रूप में कार्य करते हुए कृषि कर्ज की ब्याज दरों को 14%-18% से कम करके 8% प्रतिशत करने का कार्य किए तथा किसान आयोग का गठन और आय बीमा योजना का आरम्भ भी किए।
किसान आयोग का गठन और आय बीमा योजना का आरम्भ किए।
अविभाजित यूपी के अंतिम मुख्यमंत्री रहे।
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के बीच अति पिछड़ा वर्ग का आरम्भ कर आरक्षण व्यवस्था को एक तर्कसंगत रूप देने का प्रयास किए, जिससे आरक्षण के लाभ समाज के सबसे निचले वर्ग तक पहुँच सकें।
भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए दृढ़ता पूर्वक यह अनुरोध किए कि भाजपा शासित राज्यों द्वारा किसानों को 1% की प्रतिशत की दर से कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए और इस अनुरोध का क्रियान्वयन भी हुआ।
आपके भाजपाध्यक्ष रहने के दौरान ही सन 2008 में पार्टी ने पहली बार कर्नाटक में सरकार बनाई।
आपकी अध्यक्षता में ही भाजपा अपने संगठन में 33% पद महिलाओं को देने वाली पहली पार्टी (संभवतः पूरे विश्व में) बनी।
अपनी अध्यक्षता के दौरान ही आपने बूथ समितियों का गठन कर पार्टी को बूथ स्तर तक ले जाने का कार्य किया।
अक्तूबर, 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय सांसद के रूप में वक्तव्य देने के साथ ही आप श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिंदी में वक्तव्य देने वाले द्वितीय नेता बन गए।
आपकी अध्यक्षता में ही सन 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनावों में भाजपा 282 सीटों पर शानदार जीत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाई।

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