राष्ट्रपति बनने के प्रबल योग; क्‍या कह रही है भावी राष्ट्रपति की कुंडली

कोविंद की कुंडली में राष्ट्रपति बनने के प्रबल योग हैं। मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्मे है कोविंद , मीन लग्न व धनु राशि की कुंडली में तृतीय स्थान का राहु व भाग्येश मंगल सप्तम स्थान में स्थित हो अप्रत्याशित राजयोग उत्पन्न करवा रहें हैं। बृहस्पति- शुक्र की युति इनमें सहज, सरल व विद्वान व्यक्तित्व बना रहे हैं। कोविंद की कुंडली में जनवरी, 1991 में उनकी राहु की महादशा प्रारंभ हुई, जिसमें राजनैतिक सफलता के संकेत हैं। सशक्त स्थान में स्वगृही सूर्य के साथ बुध की युति व अष्टम में बृहस्पति-शुक्र की युति वृहत्पराशर होरा शास्त्र के अनुसार प्रबल राजयोग बना रहे हैं। अगस्त, 2015 में बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। वर्तमान में बृहस्पति महादशा में शुक्र अंतर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा चल रही हैं, जो देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएंगे। बृहस्पति लग्नेश व दशमग हैं। इस कारण अत्यंत शुभ परिणाम प्रदान करा रहे हैं। सितंबर, 2022 तक का समय बेहद अनुकूल है, इस दौरान देशहित में ऐतिहासिक फैसले लेंगे। देश का मान-सम्मान बढ़ाएंगे। ग्रहों की अनुकूलता के अनुसार कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय हैं। मतदान के दिन सूर्य की अनुकूलता तथा परिणाम के दिन चंद्रमा की अनुकूलता उन्हें सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएगी।

सूर्य अपनी किरणों से पृथ्वी को ही आलोकित नहीं करता बल्कि आपकी जन्म कुंडली में वह शुभ होकर बैठा हो तो आपके व्यक्तित्व में भी चार चांद लगा देता है। सूर्य के शुभ प्रभाव से प्रभावित जातक आत्मविश्वासी और समाज को एक नई दिशा देने वाला होता है। सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो ऐसा जातक निराशा की गर्त में डूबा हुआ और हड्डी आदि के रोगों से ग्रस्त अपना संपूर्ण जीवन गुजारता है। जन्म कुंडली के बारह भावों में सूर्य अनुकूल फल न दे रहा हो तो प्रभावित जातक इन उपायों को करे तो उसके दुष्प्रभावों से बच कर सूर्य की कृपा दृष्टि प्राप्त कर सकता है। प्रथम भाव में बैठा सूर्य अगर जातक को परेशान कर रहा हो तो उसे जीवन में सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इसके अलावा अगर अपनी कमाई का एक हिस्सा वह दीन-दुखियों की सेवा में लगाए तो अपने जीवन में आए कष्टों को कम कर सकता है। द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य जातक को झगड़ालू बना देता है और उसकी तीखी जबान ही उसके पतन का कारण बनती है। अत: सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए जातक अपनी जीभ पर नियंत्रण करना सीखे, साथ ही धार्मिक स्थानों पर समय-समय पर दिया दान और सदाचार का पालन उसके जीवन को पटरी पर लाने में कारगर सिद्ध होगा। तृतीय भाव का सूर्य जातक की स्वयं की कमाई में ही वृद्धि करता है। अन्याय सहना या अन्याय देख कर चुप रहना जातक के सूर्य को कमजोर करता है। घर में बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद और तीर्थ यात्रा व्यक्ति की कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाती है। चतुर्थ भाव में सूर्य जन्म स्थान से दूर भाग्योदय करवाता है। ऐसा व्यक्ति पारिवारिक व्यवसाय से हट कर कार्य करता है। यहां बैठे सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए जातक अंधे व्यक्तियों को 43 दिन तक भोजन कराए और तांबे का सिक्का गले में धारण करे तो सूर्य के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND ; www.himalayauk.org

(Leading Newsportal & Daily Newspaper)

Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; csjoshi_editor@yahoo.in, himalayauk@gmail.com
Mob. 9412932030; CS JOSHI- EDITOR

Availble in: FB, Twitter, whatsup Groups (Lic. by TRAI), & all News Websites.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *