रामदेव धुरंधर ‘वैश्विक हिंदी साहित्य सम्मान’ से विभूषित

वैश्विक हिंदी संगोष्ठी में हुआ विचार मंथन

9 फरवरी 2018 को मुंबई में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा मुंबई रेल कॉरपोरेशन के संयुक्त तत्वाधान में एक ‘वैश्विक संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया जिसमें देश – विदेश के अनेक विद्वानों ने सहभागिता की। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता मॉरीशस के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर थे। वैश्विक हिंदी सम्मेलन द्वारा श्री रामदेव धुरंधर को ‘वैश्विक हिंदी साहित्य सम्मान’ से विभूषित किया गया। श्री रामदेव धुरंधर ने मॉरीशस के भाषिक परिवेश और हिंदी के प्रचलन और प्रसार की जानकारी दी। उन्होंने कहा – ‘मैं मॉरीशस में शब्द बोता हूं और भारत में उनकी फसल काटता हूं।’ उन्होंने कहा कि मुंबई में मेरे लिए ‘वैश्विक संगोष्ठी’ में भाग लेना एक स्वर्णिम अवसर है जिसके माध्यम से मैं मुंबई के और मुंबई से बाहर के लेखकों, विद्वानों और भारतीय भाषा प्रेमियों के विचार जान पा रहा हूँ।

सम्मेलन में अतिथि विशेष, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की अपर आयुक्त श्रीमती मनप्रीत आर्य ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि हिंदी को उसका उचित स्थान दिलवाने के लिए केवल बातों से बात नहीं बनेगी, इसके लिए सबको मिल कर सार्थक प्रयास करने होंगे। अभी हममें इसकी कमी दिखाई देती है। उन्होंने हिंदी के प्रयोग व प्रसार को बढ़ाने में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों की भी सराहना की और मुंबई रेल विकास निगम को भी ऐसी सार्थक संगोष्ठी के आयोजन का सहभागी होने की बधाई दी।

अतिथि विशेष मुंबई विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. करुणा शंकर उपाध्याय ने विश्व और भारत के स्तर पर हिंदी के प्रयोग पर प्रसार के महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि हम सब जो हिंदी भाषा या भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं उन्हें मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने देश-विदेश में हिंदी के प्रयोग व प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा सरकार हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के लिए कटिबद्ध दिखाई देती लगता है जल्द ही हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनेगी। हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का बढ़ाने के लिए सभी भारतीय भाषाओं को एकजुट हो कर मिलकर रणनीति बन कर प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस कार्य में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के सार्थक प्रयासों को रेखांकित किया ।

संगोष्ठी का संचालन करते हुए वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक डॉ एम एल गुप्ता ‘आदित्य’ ने कहा कि लकीर पीटते हुए देश की ज्यादातर कंपनियाँ अपना प्रचार ग्राहक की भाषा के बजाए अंग्रेजी में करती है। इस प्रकार देश में प्रचार की ज्यादातर राशि उत्पाद या कंपनी आदि के प्रचार के स्थान पर अंग्रेजी के प्रचार पर खर्च कर रही हैं। उन्होंने उन चंद कंपनियों कीसराहना की जो प्रचार, सूचना व ग्राहक सेवा के लिए ग्राहक की भाषा का प्रयोग कर रही हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा कि भारतीय भाषाओं को बचाने और बढ़ाने के लिए इन्हें शिक्षा और रोजगार में उचित स्थान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब तक रोजगार में हिंदी सहित भारतीय भाषाओं को समुचित स्थान नहीं मिलेगा भारतीय भाषा प्रेमी भी न चाहते हुए अपने बच्चों के भविष्य के लिए उन्हें अंग्रेजी माध्यम में भेजने को विवश हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़े इंजीनियर तथा ‘महामना फाउंडेशन’ के अध्यक्ष श्री दिनेश गुप्ता ने अपने वक्तव्य में डॉ. गुप्ता की बात की पुष्टि करते हुए टाटा इंजीनियरिंग के प्रतिष्ठित सेवा की उस शर्त की बात बताई जिसमें यह शर्त थी कि आवेदक को तथा उसके अभिभावकों का कॉन्वेंट में पढ़ा होना आवश्यक है। इसके कारण वे उसमें नहीं जा सके । उन्होंने कहा कि इसी समस्या के चलते हिंदी से प्रेम होने के बावजूद उन्हें अपने बच्चे को कॉन्वेंट में पढ़ाना पड़ा। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए पश्चिम रेलवे की वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी श्रीमती रोशनी खूब चंदानी का कहना था कि पिछले कुछ समय में देश में जिस तरह अंग्रेजी का प्रयोग व प्रभाव बढ़ा है उसके चलते उनकी बेटी जो हिंदी में बहुत अच्छे अंक ले कर आई थी, आज हिंदी में स्वयं को सहज नहीं पाती।

सोमैया कॉलेज, मुंबई के उप प्राचार्य डॉ. सतीश पांडेय ने कहां की हिंदी प्रेमियों को अपनी भाषा के उत्थान के लिए त्याग भी करने की भी आवश्यकता है। प्रतिकूल परिस्थतियों में हिंदी प्रेमियों को संघर्ष के साथ-साथ आवश्यकतानुसार अपने हितों को तिलांजलि भी देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति से कटने के भय के चलते विदेशों में प्रवासी भारतीय व भारतवंशी अपनी भाषा से जुड़ते हैं लेकिन भारत में रह रहे लोगों को अभी ऐसा संकट प्रतीत नहीं हो रहा इसलिए अपनी भाषा के लिए वैसा प्रेम नहीं उमड़ता।

सिनेस्तान स्टोरीटेलर्स प्रतियोगिता में हिंदी पटकथा को रोमन लिपि में लिखने की अनिवार्यता पर टिप्पणी करते हुए फिल्म प्रभाग के पूर्व अधिकारी श्री राजेंद्र सिंह रावत ने हिंदी के प्रसार में हिंदी सिनेमा के योगदान की प्रशंसा करते हुए इस प्रवृत्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उ्होंने कहा जिस रोमन लिपि में आता-बताता ( AATA – BATATA) आटा – बटाटा हो जाए ऐसी लिपि में भारतीय भाषाओं को लिखना – समझना असंभव है। यदि देवनागरी लिपि को और उनकी लिपियों पर पढ़ने वाली चोट इन भाषाओं पर चोट होगी।

फिल्म फ्रीलांस जर्नलिस्ट कंबाइन के अध्यक्ष श्री प्रदीप गुप्ता जो काफी समय से मार्केटिंग से जुड़े हैं उन्होंने कहा, ‘कि हिंदी की ऐसी स्थिति के लिए हिंदी कार्य से जुड़े लोग भी कम जिम्मेवार नहीं हैं। हालत यह है कि हिंदी अखबार पढ़ कर यह समझ नहीं आता कि वे हिंदी का अखबार पढ़ रहे हैं या अंग्रेजी का, ऐसी हालत किसने बनाई है? अन्होंने कहा कि पहले हम हिंदी की पत्र-पत्रिकाएँ घर में मंगवाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा । हिंदीवालों द्वारा किताबें न खरीदने के चलते मुझे अपनी किताब अँग्रेजीमें लिखनी पड़ी और फिर हिंदी में अनुवाद करवाया। ‘

विद्यालय की पूर्व प्राचार्या तथा साहित्यकारा श्रीमती शील निगम ने विभिन्न देशों में हिंदी के प्रसार तथा वहाँ की हिंदी की साहित्यिक व भाषा संबंधी गतिविधियों की जानकारी दी। कानपुर से पधारे श्रीहरि वाणी ने कहा कि हिंदी भाषियों को चाहिए कि वे हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को साथ लेकर आगे बढ़ें। मुंबई रेल विकास निगम के तेलुगु भाषी उप मुख्य परिचालन प्रबंधक श्री शरद मिश्र ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद उन्हें व्यावसायिक आवश्यकताओं के चलते किस प्रकार हिंदी को अपनाना पड़ा और आज वे अच्छे से हिंदी में न केवल बोल सकते हैं बल्कि हिंदी में काम करते हैं। संगोष्ठी में पधारे कानपुर से प्रकाशित पत्रिका के संपादक श्रीहरि वाणी ने कहा कि हिंदी भाषियों को चाहिए कि वे हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को साथ लेकर आगे बढ़ें। संगोष्ठी में नासिक से पधारे भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी श्री राहुल खटे ने भाषा प्रौद्योगिकी से जुड़े बिंदुओं की जानकारी दी।

संगोष्ठी में विशेष उपस्थितों में मॉरीशस श्रीमती धुरंधर, मुंबई रेल विकास निगम की वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी श्री रामचंद्रन, इंडियन ऐक्सप्रेस की पूर्व संवाददाता सुश्री कल्पना वर्मा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के राजभाषा अधिकारी, ‘अर्जुन प्रताप’ साप्ताहिक के संपादक श्री अर्जुन गुप्ता, इन्दौर से हिंदी प्रेमी मोहिनी नावसकर तथा बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंधक राजभाषा श्री अमर साव थे। संगोष्ठी के आयोजन में मुंबई रेल विकास निगम के हिंदी कार्य प्रभारी श्री अनुपम शर्मा की प्रमुख भूमिका थी। मुंबई रेल विकास निगम की वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी श्रीमती स्मृति जैकब ने मुख्य अतिथि श्री रामदेव धुरंधर, अतिथि विशेष, वक्ताओं तथा सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया।

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