रिलायंस ने कांग्रेस पर 5सौ करोड का मानहानि का मुकदमा किया

देश की बड़ी कंपनियों में शुमार अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस समूह ने कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ 5,000 करोड रुपये का मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है। मानहानि का ये मुकदमा 30 नंवबर को भारत सरकार के राफेल डील और रिलायंस कम्यूनिकेशन को लेकर दिये गये बयान के खिलाफ दर्ज कराया गया है। इससे पहले रिलायंस के एक प्रवक्ता ने कहा था कि, ‘अभिषेक सिंघवी ने समूह के खिलाफ झूठा, अपमानजनक और निंदनीय बयान दिया है। हम इस तरह के झूठे और अपमानजनक बयान को लेकर सिंघवी के खिलाफ 5,000 करोड रुपये का मुकदमा दर्ज करेंगे।’  इससे पहले राहुल गांधी ने भी राफेल डील को लेकर पीएम मोदी पर हमला किया था और कहा था कि पीएम अपने उद्योगपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए इस डील पर जोर दे रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा था कि 8.7 बिलियन डॉलर के इस डील में पीएम का खुद का हित है। राहुल गांधी ने रिलायंस-डसॉल्ट के इस बीच में पीएम पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।

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कांग्रेस प्रवक्ताओं ने इस डील को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि एयरक्राफ्ट्स की डील की कीमत में तेज इजाफा हुआ है। कांग्रेस के मुताबिक यूपीए के राज में एक एयरक्राफ्ट को 526 करोड़ रुपये में खरीदने के बात चल रही थी, लेकिन एनडीए सरकार में यह कीमत बढ़कर 1,570 करोड़ रुपये हो गई। इस पर सरकारी सूत्रों ने कहा कि हम सभी एयरक्राफ्ट्स को उड़ने की स्थिति में ही खरीदने वाले हैं।
भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमान की डील पक्की हो गई है। दिल्ली में भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्रियों ने डील पर दस्तखत किए। अब भारत को 66 महीने बाद 36 राफेल विमान मिल जाएंगे। फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां-यीव्स ली द्रियान इसी समझौते के लिए विशेष रूप शुक्रवार को दिल्ली आए। विमान बनाने वाली कंपनी देसॉल्ट के सीईओ एरिक त्रेपियर भी ली द्रियान के प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं।

यह सौदा राफेल लड़ाकू विमानों का सबसे बड़ा सौदा है। इससे पहले मिस्र और कतर ने पिछले साल 24-24 विमानों का ऑर्डर दिया था। भारत ने 126 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए चार साल पहले विशेष बातचीत शुरू की थी, लेकिन विमानों की लागत को लेकर जटिल बातचीत के बीच विमानों की संख्या कम हो गई। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस लड़ाकू विमान की खरीद पर यूपीए सरकार के काल की कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत आफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और ऑफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे। राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 36 महीने में शुरू हो जाएगी और यह डील किए जाने की तारीख से 66 महीने में पूरी हो जाएगी। पिछले 20 वर्षों में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा है। इसमें अत्याधुनिक मिसाइल लगे हुए हैं जिससे भारतीय वायु सेना को मजबूती मिलेगी।

 

कांग्रेस ने इस मामले में केन्द्र सरकार से सफाई मांगी है। राहुल गांधी ने पूछा कि आखिर भारत के अबतक के सबसे बड़े डिफेंस डील को कैबिनेट, सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी और फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की बिना मंजूरी के कैसे इजाजत दे दी गई। कांग्रेस के इन आरोपों को रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने सिरे से खारिज किया है। रिलायंस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि, ‘रिलायंस एरोस्ट्रक्चर लिमिटेड और डसॉल्ट एविएशन के बीच हुआ ज्वाइ वेंचर दो निजी कंपनियों के बीच का एक द्विपक्षीय समझौता है, इसमें डसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस एरोस्ट्रक्चर लिमिटेड को अपना ज्वाइंट वेंचर साझीदार चुना है, इसमें भारत की सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।

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