राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से दखल देने का आग्रह

www.himalayauk.org (Newsportal) Bureau Mob. 9412932030

बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही जुबानी जंग अब और तेज हो गई है।  महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही सियासी जोर-आजमाइश में हर पल नये समीकरण बनते दिख रहे हैं। बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर सहमति न बनते देख सवाल यह खड़ा हो गया है कि आख़िर सरकार कौन बनायेगा। लेकिन अब एक नयी तसवीर महाराष्ट्र की राजनीति में सामने आ रही है। अंग्रेजी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ (टीओआई) के मुताबिक़, एनसीपी के एक नेता ने नाम न जाहिर न करके की शर्त पर कहा है कि एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार बनाने की इच्छुक है और कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दे सकती है। इसमें शर्त यह रखी गई है कि विधानसभा स्पीकर शिवसेना का होगा। टीओआई के मुताबिक़, एनसीपी नेता ने कहा कि यह इस पर निर्भर करेगा कि शिवसेना बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ती है या नहीं।

शिवसेना ने BJP के वैचारिक संरक्षक माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गुहार लगाई है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के करीबी माने जाने वाले शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने खत लिखकर RSS के सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत से दखल देने का आग्रह किया है, और आरोप लगाया है कि BJP ‘गठबंधन धर्म’ का पालन नहीं कर रही है.

एनसीपी नेता ने टीओआई से कहा, ‘हमने बीजेपी-शिवसेना के बीच 1995 वाला फ़ॉर्मूला आगे रखा है। तब मुख्यमंत्री पद शिवसेना के पास था जबकि उप मुख्यमंत्री का पद बीजेपी के पास था। हमने कहा है कि इस बार शिवसेना का कोई नेता मुख्यमंत्री हो सकता है और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी एनसीपी के पास रहेगी।’ 

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लेख लिखकर बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस को निशाना बनाया तो अब बीजेपी ने अब ‘तरुण भारत’ नामक समाचार पत्र में संपादकीय के माध्यम से शिवसेना और संजय राउत को निशाना बनाया है। ‘तरुण भारत’ में छपे संपादकीय में संजय राउत की तुलना विक्रम-बेताल की कहानियों के किरदार बेताल से की गयी है तथा उन्हें विदूषक बताया गया है। 

बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 105 सीटें मिली हैं और वह सबसे बड़ा दल है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्य में सरकार का गठन जल्द ही होगा लेकिन सरकार बनाने की समय सीमा 8 नवंबर तक है और अब तक बीजेपी बहुमत के लिये ज़रूरी 145 विधायकों के आंकड़े से बहुत दूर है। फडणवीस ने सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात की थी और माना जा रहा है कि सरकार के गठन को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत ज़रूर हुई होगी। 

शिवसेना को विधानसभा चुनाव में 56 सीटें मिली हैं और कांग्रेस के 44, एनसीपी के 54 और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन के भरोसे ही राउत ने 170 विधायकों के समर्थन की बात कही होगी। संजय राउत यह भी कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा। ऐसे में यह माना जा सकता है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी मिलकर सरकार बना सकते हैं और कांग्रेस इसे बाहर से समर्थन दे सकती है। 

सोमवार को जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात हुई थी तभी यह चर्चा थी कि सरकार गठन को लेकर कांग्रेस-एनसीपी, शिवसेना का साथ ले सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस-एनसीपी के पास इतनी सीटें नहीं हैं कि वे राज्य में सरकार बना सकें। पवार ने मुलाक़ात के बाद कहा था कि उन्हें सरकार गठन को लेकर उद्धव ठाकरे की ओर से कोई संदेश नहीं मिला है लेकिन वह नहीं कह सकते कि भविष्य में क्या होगा। हालांकि पवार कह चुके हैं एनसीपी को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। 

 पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष से इस बारे में विचार करने के लिए कहा है कि क्या शिवसेना के साथ बनने वाली सरकार को कांग्रेस समर्थन देगी। इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी कहा था कि अगर शिवसेना की ओर से सरकार गठन को लेकर कोई प्रस्ताव आता है तो उसे आलाकमान को भेजा जायेगा। महाराष्ट्र के नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान तक यह संदेश भी पहुंचाया है कि कांग्रेस को बीजेपी को राज्य की सत्ता में आने से रोकने के लिए क़दम उठाने चाहिये। पिछले हफ़्ते ही महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोरात, पूर्व अध्यक्ष मानिक राव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्रियों पृथ्वीराज चव्हाण और अशोक चव्हाण ने सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की थी।

जब पवार से पत्रकारों ने पूछा कि क्या वह महाराष्ट्र के सीएम के रूप में वापस आ सकते हैं तो पवार ने इसका जवाब नहीं में दिया। पवार ने कहा था कि शिवसेना-बीजेपी के पास पर्याप्त सीटें हैं और उन्हें सरकार बनानी चाहिये। एनसीपी प्रमुख ने कहा था कि शिवसेना में उद्धव ठाकरे या अन्य किसी नेता ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी का समर्थन नहीं माँगा है। पवार ने कहा था कि हम देख रहे हैं कि वे क्या कर रहे हैं।हालांकि टीओआई के मुताबिक़, एनसीपी के एक अन्य नेता ने कहा है कि पहले भी कई मौक़ों पर शिवसेना ने बीजेपी के ख़िलाफ़ पहले कड़ा रुख दिखाया लेकिन बाद में उसने सरेंडर कर दिया। एनसीपी नेता ने कहा कि पुराने अनुभव को देखते हुए शिवसेना की विश्वसनीयता पर संदेह होता है। देखना होगा कि क्या महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना मिलकर सरकार बनाते हैं और क्या कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से समर्थन देने के लिये राजी होती है क्योंकि ऐसी भी ख़बरें हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी शिवसेना को समर्थन नहीं देना चाहतीं।

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