सहारनपुर हिंसा की रिपोर्ट ; भाजपा सांसद की भूमिका पर भी सवाल

सहारनपुर हिंसा पर राज्य सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क दुधली में 20 अप्रैल को अनुमति न मिलने के बाद भी स्थानीय सांसद राघव लखनपाल के नेतृत्व में शोभायात्रा निकालने की जिद की गई।

छह पेजों में भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन की लापरवाही और भीम आर्मी की वजह जातीय हिंसा को बढ़ावा मिला।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सहारनपुर हिंसा की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है। रिपोर्ट में सहारनपुर जातीय हिंसा के लिए भीम आर्मी और भाजपा सांसद राघव लखनपाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। छह पेजों में भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन की लापरवाही और भीम आर्मी की वजह जातीय हिंसा को बढ़ावा मिला। दूसरी तरफ रिपोर्ट में हिंसा के लिए प्रशासन की नाकामी को भी जिम्मेदार माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान सहारनपुर के दोनों बड़े अधिकारियों डीएम और एसएसपी के बीच कोई समन्वय नहीं था। जिसकी वजह से हिंसा को काबू करने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा। न्यूज चैनल आजतक के अनुसार रिपोर्ट में लिखा है कि सहारनपुर हिंसा में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर और बीएसपी के पूर्व विधायक रविंदर ने हिंसा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए हिंसक प्रदर्शन किए।
रिपोर्ट के अनुसार चंद्रशेखर की अगुवाई वाली भीम आर्मी ने राजपूतों और दलितों के बीच जानकर हिंसा को बढ़ावा देने का काम किया। इस दौरान आसपास के इलाकों के कुछ असामाजिक तत्वों ने सहारनपुर घटना से राजनीतिक फायदा उठाने की भी कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार ये हिंसा एक सोची समझी साजिश थी। यहां पहले भी कई राजनीतिक संगठनों हिंसा भड़काने का काम किया है। रिपोर्ट में सहारनपुर की पिछली हिंसाओं का भी हवाला दिया गया और बताया गया कि कैसे और कब-कब यहां हिंसा भड़काने की कोशिश की गई।

 

सहारनपुर हिंसा के पीछे डेढ़ साल से पनप रही राजपूतों और दलितों के बीच बढ़ रही खाई के साथ-साथ मुस्लिम नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट में खुलासा है कि कटुता बढ़ाने की साजिश भीम आर्मी का संस्‍थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण रच रहा था। हिंसा भी उसी के लोगों ने फैलाई। रिश्तों की इस कड़वाहट का लाभ ऐसे मुस्लिम नेताओं ने उठाया जो विधानसभा चुनाव के नतीजों से हताश थे। ये नेता अपना खोया जनसमर्थन हासिल करने के लिए दोनों समुदायों को लड़ाकर दलित समाज को मुसलमानो की ओर मोड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को पिछले दिनों भेजी गई पांच पेज की रिपोर्ट में यूपी सरकार ने भाजपा सांसद राघव लखनपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में दर्ज केस में सांसद लखनपाल का नाम भी है। सहारनपुर हिंसा पर राज्य सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क दुधली में 20 अप्रैल को अनुमति न मिलने के बाद भी स्थानीय सांसद राघव लखनपाल के नेतृत्व में शोभायात्रा निकालने की जिद की गई। प्रशासन ने सांसद को वैकल्पिक मार्ग से शोभा यात्रा निकालने की अनुमति दी लेकिन तय शर्तों के विपरीत यात्रा दूसरे कस्बे में घुस गई। मुसलमानों ने इसका विरोध किया और स्थिति बिगड़ गई। इस बीच, जिला प्रशासन और सांसद सहित शोभायात्रा में शामिल लोगों के बीच तीखा विवाद हुआ। एक दलित कार्यकर्ता अशोक भारती पर सांसद को उकसाने का आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक 13-14 सालों से यह शोभायात्रा निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन प्रशासन इसकी अनुमति नहीं देता। 2003 में बसपा राज में भी इसकी कोशिश की गई थी। इस घटना के बाद सांसद अपने समर्थकों के साथ एसएसपी आवास में घुस गए, जहां भीड़ ने आपत्तिजनक और वैधानिक कार्य किया। इसके बाद, पांच मई को शब्बीरपुर गांव में राजपूत समाज की ओर से महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन किया गया था, जहा डीजे बजाने को लेकर स्‍थानीय ग्राम प्रधान समेत पूरे दलित समाज ने इसका विरोध किया। जिसके बाद हिंसक स्थिति उत्पन्न हो गई और हिंसा में सुमित राणा नाम के व्यक्ति की मौत हो गई।

दूसरी तरफ रिपोर्ट में भाजपा सांसद की भूमिका को खासा आपत्तिजनक माना गया है जिन्हें केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार माना गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि भाजपा सांसद ने बिना अनुमति के शोभायात्रा निकाली बल्कि जानबूझकर इसे अल्पसंख्यक इलाके से निकाला गया। वहीं रिपोर्ट में सहारनपुर जातीय हिंसा के लिए प्रशासन की नाकामी को जिम्मेदार माना है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल 5 पांच अप्रैल को प्रशासन ने महाराणा प्रताप जयंती पर शोभायात्रा की इजाजत देने से पहले ना तो हालात को जायजा लिया और ना ही पुलिस से इसकी ग्राउंड रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में 23 मई हुई बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली का भी जिक्र है। जिसमें कहा गया कि दलित समुदाय के कई नेताओं ने दूसरी जाति की महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें कहीं।

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