शरद_पूर्णिमा; समुद्र भी कम्‍पायमान तथा राशियो पर असर

HIGH LIGHT; बुधवार, 24 अक्टूबर 2018 को शरद पूर्णिमा  # चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर मंगल की राशि मेष में आ जाएगा #  हर्षण नाम के शुभ योग #  शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के बीज मंत्र ॐ सों सोमाय नमः का जप करना चाहिए और दूध से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना चाहिए # शरद पूर्णिमा पुण्य प्राप्ति का महान अवसर प्रदत्त करती है #ऋषियों-मुनियों ने भी इसका महत्व माना हैं। शरद पूर्णिमा 2018 में  शुभ फल देने वाली साबित होगी। चन्द्रमा की अमृत वर्षा के कारण 4 राशियों पर भी अलग-अलग प्रभाव पड़ने वाले है #चार राशियों के लिए अति उत्‍तम –‘  Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org

जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं,सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है # आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं #शरद_पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में #चंद्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है #पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है 

इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है #गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था # यूं तो हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व उन सभी से कहीं अधिक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है #वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है #शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे #जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो उनकी क्वालिटी में बढ़ोतरी हो जाती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन में कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे बुरा समय और पैसों की कमी दूर हो सकती है…शरद पूर्णिमा की रात में महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और महालक्ष्मी के मंत्र का जप करना चाहिए। कमल के गट्टे की माला से जप करना चाहिए। मंत्र- “ ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:”।

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते है। वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही सबसे महत्वपूर्ण दिन है पूर्णिमा। चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है। पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है।

 

पूर्णिमा को शंख में केसर मिला दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इससे भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक को मालामाल कर देती हैं। पूर्णिमा को पीपल के पेड़ के पास पंचमुखी दीपक लगाएं और मां लक्ष्मी से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।

कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं। जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है।

ऐसे व्यक्‍तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है। पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है। इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।

इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी।  अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना । 

 चार राशियों के लिए अति उत्‍तम –‘

कर्क राशि पुस्तैनी धन या संपत्ति प्राप्त हो सकता है। आपके बचपन का दोस्त मिल सकता है। नये अवसर मिलेंगे इस मौके पर बार बार सोचें नहीं, फायदा उठाएं। रामांटिक मोर्चे पर प्यार का सकारात्मक संकेत आपका दिन खुशनुमा कर सकता है।

तुला राशि  जो लोग तरक्की के लिए आस लगाएं हुए हैं, उनकी मुराद पूरी होने की संभावना है। शरद पूर्णिमा के चांद के बढ़ने के साथ रोमांटिक मोर्चे पर आपकी पहल से बात बनने की संभावना है। जीवन को सुख की ओर आज का दिन आपको लेकर जाएगा। आपकी राशि में सर्वसिद्धि योग बनने की सम्भावना है।

वृश्चिक राशि  घर के सभी सदस्यों के सम्मिलित प्रयास से किसी बडी समस्या का सामाधान करने में मदद मिलेगी। पैसे कमाने का कोई बडा ज़रिया मिल सकता है। जिससे आर्थिक सेहत सुधर जाएगी। आप अपनी बुरी आदतों को छोङकर स्वास्थ के प्रति सजग बन सकते हैं। शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा के साथ आपकी ख्याति भी बढ़ती जाएगी।

कुंभ राशि शैक्षणिक मोर्चे पर की गई नई पहल आपके लक्ष्य को आसान बना सकती है। परिवार का साथ और समर्थन आपके लिए उत्साह का बहुत बडा कारण हो सकता है। एक छोटी-सी छुट्टी पर जाने की योजना विफल हो सकती है। आज आप अपने प्यार के साथ बाहर समय गुजारने की योजना बना सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी आज का दिन अच्छा है।

चंद्र  दोष दूर करने के राशि अनुसार ये हैं शरद पूर्णिमा के उपाय

  1. मेष : शहद से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं।
  2. वृष : भगवान शिव का इत्र और गंगाजल से जलाभिषेक करें।
  3. मिथुन : श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। कुशोदक से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
  4. कर्क : इस राशि का स्वामी ही चंद्रमा है। चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें।
  5. सिंह : श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें। शहद और गंगा जल शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  6. कन्या : श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। दही और गंगा जल भगवान शिव को अर्पित करें।
  7. तुला : ठाकुर श्री विष्णु जी को तुलसी का पत्ता अर्पित करें। श्री सूक्त का पाठ करें।
  8. वृश्चिक : मोती की माला धारण करें। भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक कराएं।
  9. धनु : श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
  10. मकर : चांदी का चंद्रमा शिवलिंग पर अर्पित करें। सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।
  11. कुंभ : चंद्रमा के बीज मंत्र के साथ साथ शनि के मंत्र का भी जप करें।
  12. मीन : फलों के रस से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।

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