देवी दुर्गा का आगमन पालकी पर; 21 सितंबर नवरात्रि पर्व की शुरुआत

देवी दुर्गा का आगमन पालकी पर # देवी दुर्गा का प्रस्थान चरणायुध पर #  Special Article; 

  • मंदिर में दीया जलाने के बाद हर रोज सुबह और शाम नियमित रूप से दुर्गा चालीसा पढ़े।
  • देवी को घर का बना भोग ही चढ़ाएं, अगर ऐसा न हो पाएं तो आप ताजा दूध और फल भी चढ़ा सकते हैं। कन्याओं को उपहार दें, 10 साल से कम उम्र की लड़कियों को देवी का रूप माना जाता है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ; 9 लाख गुना मिलेगा फल,9 अक्षर का मंत्र बोले,9 दिन महासंयोग,9 दिन की नवरात्रि; हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की विशेष प्रस्‍तुति-  गुरुवार से गुरुवार नवरात्रि का महासंयोग। पालकी में बैठकर आयेगी माँ जगदम्बा, सुख समृद्धिदायक होगे 9 दिन के नवरात्र,मिलेगा 9 लाख गुना फल; अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से 21 सितम्बर 2017 गुरुवार को शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा, इस बार नवरात्रि 9 दिन की है ; नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए. इस दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है.नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए. अगर आप नवरात्रि में कलश स्थापना कर रहे हैं, माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं. खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं. नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए. व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है !
Report by; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Daily Newspper)  CS JOSHI EDITOR
21 सितंबर से इस बार नवरात्रि पर्व की शुरुआत होने जा रही है। शुभ मुहूर्त 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का है। नवरात्रि में एक और शुभ संयोग बन रहा है। कोई भी दो तिथि किसी एक दिन नहीं पड़ेगी यानि कि इस बार का नवरात्रि का पर्व पूरे नौ दिनों तक चलेगा और दसवें दिन विजयदशमी मनाई जाएगी। आश्विन माह में पड़ने वाले इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस बार नवरात्रि का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि के दौरान माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है इसके बाद लगातार नौ दिनों तक माता की भक्ति में पूजा और उपवास आदि किया जाता है और अष्टमी और नवमी में कन्या पूजा की जाती है। साल में दो बार नवरात्रि आता है एक चैत्र मास में दूसरा सितंबर-अक्टूबर में शारदीय नवरात्रि। इस बार 21 सितंबर से शुरू होने जा रहे शारदीय नवरात्रि हस्त नक्षत्र में शुरू होंगे जो काफी अच्छा माना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवरात्रि का हस्त नक्षत्र में प्रारम्भ होने से घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस मुहूर्त में घट स्थापना से मां की विशेष कृपा मिलती है और परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी।
नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गाका मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। नौ देवियाँ है :- शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है। ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी। चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली। कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है। स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता। कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि। कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली। महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां। सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
वैसे तो एक साल में कुल मिलाकर चार नवरात्रि आते है जो चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीनें में पड़ता है। 21 सितंबर से सुबह मां के शैलपुत्री के रूप का पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है साथ ही कलश में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है जो कि काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा कलश में मौली बांध कर उसमें अक्षत का डालकर जल से उसको भर देते हैं।

शारदीय नवरात्रि दिनांक 21 सितंबर 2017से आरम्भ होने वाला है। नवरात्रि में दुर्गा माता की नौ दिनों में 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। माता की नौ स्वरूप है — क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। प्राचीन मान्यता के अनुसार नवरात्रि में 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना करने से जीवन में ऋद्धि-सिद्धि ,सुख- शांति, मान-सम्मान, यश और समृद्धि की प्राप्ति शीघ्र ही होती है। माता दुर्गा हिन्दू धर्म में आद्यशक्ति के रूप में सुप्रतिष्ठित है तथा माता शीघ्र फल प्रदान करनेवाली देवी के रूप में लोक में प्रसिद्ध है। देवीभागवत पुराण के अनुसार आश्विन मास में माता की पूजा-अर्चना वा नवरात्र व्रत करने से मनुष्य पर देवी दुर्गा की कृपा सम्पूर्ण वर्ष बनी रहती है और मनुष्य का कल्याण होता है। अष्टमी” के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है तथा उस दिन उपवास व्रत के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विधान है। कन्या पूजन नवमी के दिन भी किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति नौ दिनों तक पूजा करने में समर्थ नहीं है और वह माता के नौ दिनों के व्रत का फल लेना चाहता है तो उसे प्रथम नवरात्र तथा अष्टमी का व्रत करना चाहिए माता उसे मनोवांछित फल प्रदान करती है।
प्रथम नवरात्रि (प्रतिपदा), शैलपुत्री स्वरूप की पूजा – 21 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार,
दूसरा नवरात्रि, चन्द्र दर्शन, देवी ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा – 22 सितंबर 2017, शुक्रवार
तृतीय नवरात्रि, सिन्दूर चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा – 23 सितंबर 2017, शनिवार
चतुर्थ नवरात्रि, कुष्मांडा स्वरूप की पूजा – 24 सितंबर 2017, रविवार
पंचमी नवरात्रि, स्कंदमाता की पूजा, वरद विनायका चौथ – 25 सितंबर 2017, सोमवार
षष्ठी नवरात्रि, कात्यायनी स्वरूप की पूजा – 26 सितंबर 2017, मंगलवार
सप्तमी नवरात्रि, कालरात्रि स्वरूप की पूजा – 27 सितंबर 2017, बुधवार
अष्टमी नवरात्रि, महागौरी स्वरूप की पूजा – 28 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार
नवमी नवरात्रि, सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा – 29 सितंबर 2017, शुक्रवार
दशमी तिथि, दशहरा 30 सितंबर 2017, शनिवार

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