बुधवार, 14 फरवरी 2018 को महाशिवरात्रि ;शुभ योग

शिवरात्रि पर बनेंगे ये शुभ योग #पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से पापों से मुक्ति
बुधवार, 14 फरवरी 2018 को महाशिवरात्रि है। इस दिन शिवजी की विशेष पूजा करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। शिवजी की पूजा लिंग रूप में की जाती है। अगर आप घर में शिवलिंग रखना चाहते हैं बहुत छोटा शिवलिंग रखना चाहिए। साथ ही, ध्यान रखें घर में एक ही शिवलिंग रखें। अगर आपके घर में शिवलिंग नहीं है तो इस शिवरात्रि पारद शिवलिंग ले आएंगे तो बहुत शुभ रहेगा। शिवपुराण के अनुसार जिन घरों में पारद शिवलिंग रहता है और नियमित रूप से उसकी पूजा होती है तो घर से गरीबी दूर रहती है।
शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि पर अगर पारद शिवलिंग की स्थापना और पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। इसके पूजन से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और सभी मनोरथों की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के अनुसार-
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।
स श्लोक का अर्थ यह है कि करोड़ों शिवलिंगों की पूजा से जो फल मिलता है, उससे भी करोड़ गुणा ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से पापों से मुक्ति मिलती है।
बुधवार, 14 फरवरी 2018 को महाशिवरात्रि है। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं, कुछ क्षेत्रों में 13 फरवरी ये पर्व मनाया जाएगा। शिवपुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिवलिंग रूप से पहली बार प्रकट हुए थे। इसके अलावा ऐसी भी मान्यताएं हैं कि इस तिथि पर शिवजी का विवाह हुआ था। 

 

इस पर्व को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष चतुर्दशी तिथि 2 दिन यानी 13 फरवरी और 14 फरवरी को पड़ रही है महाशिवरात्रि का व्रत इस साल 13 और 14 फरवरी को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि हिन्दुओं के पवित्र त्योहारों में से एक है जिसमे भगवान शिव की पूजा की जाती है यह हर एक साल फरवरी और मार्च के महीने में मनाई जाती है, हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। जिसे भारत के कई हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। माना जाता है इस दिन भगवान शिव का विवाह माँ पार्वती से हुआ था। परन्तु कुछ कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। महाशिवरात्रि से जुडी एक अन्य किवदंती के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल का सेवन किया था। कारण कोई भी हो इस दिन भगवान शिव की पूजा का बेहद ख़ास महत्व होता है।

वर्ष 2018 में महाशिवरात्रि पूजन का समय 13 फरवरी की आधी रात से प्रारंभ होगा। जिसका समापन अगले दिन यानी 14 फरवरी को किया जाएगा। 14 फरवरी की सुबह महाशिवरात्रि पूजन का सही समय सुबह 07:30 बजे से दोपहर 03:20 तक का है। रात्रि के समय शिव पूजन एक या चार बार किया जाता है। जिसके बाद पूजा समाप्त करके अगली सुबह स्नान के पश्चात् व्रत का पारण किया जाता है।

13 – 14 फरवरी 2018 महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि :-

महाशिवरात्रि व्रत का पूजन भी अन्य व्रत के भांति प्रातःकाल किया जाता है। जिसके लिए सूरज उगने से पूर्व नहा लेना चाहिए। उसके बाद अपने घर के पास मौजूद किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर भांग, धतुरा, बेलपत्र, आख, आदि अर्पित करना चाहिए। माना जाता है अन्य फलों की तुलना में शिव जी को जंगली फल व् पत्तियां अधिक प्रिय है। इसके बाद धुप-दीप जलाकर शिव जी की आरती गानी चाहिए और प्रणाम करना चाहिए।

व्रत रखने वाले व्यक्ति इस दिन कुछ नहीं खाते। वैसे अगर आप चाहे तो फलों के रस या फलों का सेवन कर सकते है। लेकिन भोजन या अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि कुछ भक्त व्रत के दौरान रात्रि पूजन से पूर्व सायंकाल के समय एक बार भोजन कर लेते है। तो इस वर्ष आप भी भोले बाबा का व्रत करके उन्हें प्रसन्न करें और उनसे आशीर्वाद लें।

 

महाशिवरात्रि पर कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं और सभी राशियों के खास उपाय…
शिवरात्रि पर बनेंगे ये शुभ योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्च पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस बार शिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र रहेगा, जिसका स्वामी चंद्र है। चंद्रमा मकर राशि में है और ये शनि की राशि है। सूर्य भी शनि की राशि कुंभ में रहेगा। मंगल स्वराशि यानी वृश्चिक राशि में रहेगा। यह योग सभी के लिए अच्छा रहने वाला है। खासतौर पर मकर, कर्क, वालों के लिए भाग्योदय का समय रहेगा। धनु, मिथुन के लिए चिंताएं बढ़ सकती हैं। शेष राशियों के समय सामान्य रहेगा।
मेष-शिवरात्रि को कच्चा दूध एवं दही से शिवलिंग को स्नान कराएं एवं धतूरा अर्पण करें। कर्पूर से आरती करें।
वृषभ-शिवलिंग को ईख के रस से स्नान करवाकर मोगरे का इत्र लगाकर भोग लगाएं और आरती करें।
मिथुन-शिवरात्रि पर शिवलिंग अगर स्फटिक का हो तो श्रेष्ठ रहेगा। लाल गुलाल, कुमकुम, चंदन, इत्र से अभिषेक करें। आंकड़े के फूल अर्पित करें। मीठा भोग अर्पण कर आरती करें।
कर्क-शिवरात्रि पर अष्टगंध चंदन से अभिषेक करें। आटे से बनी रोटी का भोग लगाकर पूजा आरती करें।
सिंह-फलों के रस और शकर की चाशनी से अभिषेक करें। आंकड़े के फूल अर्पण कर मीठा भोग लगाएं।
कन्या-धतूरा, भांग, आंकड़ें के फूल चढ़ाएं, बिल्व पत्रों पर रखकर नैवेद्य अर्पित करें। कर्पूर मिले हुए जल से अभिषेक कराएं।
तुला-फूलों के जल से शिवलिंग को स्नान कराएं। बिल्व, मोगरा, गुलाब, चावल, चंदन चढ़ाएं। आरती करें।
वृश्चिक-शुद्ध जल से स्नान शिवलिंग को कराएं। शहद, घी से स्नान कराने बाद पुन: जल से स्नान कराएं और पूजा कर आरती करें।
धनु-चावल से श्रृंगार करें, सूखे मेवे का भोग लगाएं। बिल्व पत्र, गुलाब आदि से श्रंगार कर पूजन पश्चात आरती करें।
मकर-गेहूं से शिवलिंग को ढंककर विधिवत पूजन करें। इसके बाद उस गेहूं को गरीबों में दान कर दें।
कुंभ-सफेद-काले तिलों को मिलाकर किसी ऐसे शिवलिंग पर चढ़ाएं जो एकांत में हो। जल चढ़ाकर शिवलिंग को दोनों हाथों से रगड़ें और आरती करें।
मीन-रात्रि में पीपल के नीचे बैठकर शिवलिंग का पूजा करें। ऊँ नम: शिवाय का पैंतीस बार उच्चारण कर बिल्व पत्र चढ़ाएं और आरती करें।

वैसे तो वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती है लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे तो इस व्रत को कोई भी रख सकता है  इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है और जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है।

चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018, मंगवलार 22:36 से प्रारंभ होगी जो 15 फरवरी 2018, 00:48 बजे खत्म होगी। महाशिवरात्रि को तंत्र साधना में भी अहम माना गया है। माना जाता है कि इस रात में व‍िध‍िवत साधाना करने से व‍िशेष स‍िद्ध‍ियां प्राप्‍त की जा सकती हैं। बता दें कि यूं तो हर महीने की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली महाशिवरात्रि की प्रधानता मानी गई है। महाश‍िवरात्र‍ि का महत्‍व इस वजह से भी है क‍ि माना जाता है कि इसी द‍िन श‍िव और पार्वती का व‍िवाह हुआ था।  हालांकि मान्‍यता ये भी है कि महाशिवरात्रि पर ही शिवज्योति प्रकट हुई थी। महाशिवरात्रि पर भक्‍त लंबी-लंबी कतारों में लगकर भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस द‍िन श‍िवलिंग पर जल चढ़ाने का भी प्रावधान है।  14 फरवरी को महाशिवरात्रि का पारण होगा। पारण का समय सुबह 07:04 से दोपहर 15:20 तक रहेगा।

कुंवारी लड़क‍ियां भोलेनाथ का पूजन भी करती हैं। लेकिन भगवान श‍िव के श‍िवलिंग रूप की उनको पूजा करने की मनाही है।  आमतौर पर शिवलिंग की पूजा करने के बाद श्रद्धालु इसके आसपास घूमकर परिक्रमा करने को सही मानते हैं, लेकिन अविवाहित स्त्री को इसके चारों ओर घूमने की भी इजाज़त नहीं दी जाती। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं। जब भी भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत खयाल रखा जाता है। केवल मनुष्य ही नहीं, देवता व अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधान रहती हैं।  ऐसा इसलिए कि कहीं देवों के देव महादेव की समाधि भंग न हो जाए। दरअसल जब शिव की समाधि भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं और अपने रौद्र रूप में प्रकट होते हैं जिसे शांत कर सकना किसी असंभव कार्य के समान है। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा गया है। श‍िव पूजन हर मनोकामना को पूरा करने वाला माना गया है। लेकिन कुछ चीजों का प्रयोग श‍िव जी की पूजा में न‍िषेध है। श‍िव की पूजा में कभी भी तुलसी का प्रयोग नहीं होता। वहीं हल्‍दी भी श‍िव पूजा में नहीं रखी जाती है। दरअसल, इसे सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे महादेव की पूजा में स्‍थान नहीं द‍िया गया है। 

वहीं सिंदूर का प्रयोग भी श‍िव पूजा में नहीं होता है। माना जाता है कि श‍िव जी संहारक हैं जबकि सिंदूर सुहागिन महिलाओं का गहना है। लिहाजा इसे श‍िव पूजन से दूर रखा जाता है। 

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