आम चुनावों की गड़गड़ाहट के बीच

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज पार्टी महाधिवेशन को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जाति, धर्म के नाम पर देश में नफरत, गुस्सा फैलाया जा रहा है. देश को बांटा जा रहा है, देश हर धर्म, जाति का है, कांग्रेस हर एक को साथ रखने का काम करेगी. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में देशभर से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, ”देश को सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही रास्ता दिखा सकती है. कांग्रेस पार्टी प्यार और भाईचारे का प्रयोग करती है जबकि विपक्ष क्रोध का इस्तेमाल करती है. कांग्रेस पार्टी देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए काम करेगी.”

राहुल गांधी ने कांग्रेस महाअधिवेशन में उद्घाटन भाषण के दौरान कहा कि आज देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है, देश को बांटा जा रहा है. हिंदुस्तान के एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़वाया जा रहा है. हमारा काम जोड़ने का है. कांग्रेस का निशान ही देश को जोड़ कर रख सकता है.

राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की सियासी प्राथमिकताओं की बानगी देती पांच पुस्तिकाओं का भी आवरण किया. इसमें अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, किसानों के मुद्दे और एनडीए सरकार के राज में हुए घोटाले और युवाओं, महिलाओं, दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाया गया है.
देश के सियासी मैदान में बढ़ती आम चुनावों की गड़गड़ाहट के बीच कमज़ोरी से जूझती भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी यानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नए तेवर में ताल ठोंकने की तैयारी कर रही है. राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रहे पार्टी के पहले महाधिवेशन में इसकी बानगी नज़र आई. अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी का पार्टी की कमान संभालने के बाद हो रहे पहले महाधिवेशन में पार्टी के नए तेवर और नए कलेवर का नमूना भी दिखाई दिया. राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हो रहे इस पहले अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी की ज़मीन पर बिछाए गद्दों और मसनद वाली पारम्परिक बैठक व्यवस्था नदारद नज़र आई. इसके विपरीत सभा मंच पर केवल एक पोडियम लगाया गया. जबकि नेताओं के बैठने की व्यवस्था मंच से नीचे कुर्सियों पर की गई.

 
योगी आदित्यनाथ निश्चित तौर पर चिंता में हैं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निश्चित तौर पर चिंता में हैं क्योंकि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. उनके सामने अब कैराना और 2019 की चुनौती है. अब देखना ये होगा कि योगी इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं.
यूपी उपचुनाव में हुई हार की समीक्षा के लिए बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया है. बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की योगी से मुलाकात इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि पार्टी को इस हार के लिए एक तर्कपूर्ण जवाब तैयार करना पड़ेगा जो वो अपने वोटर्स को दे सके.
योगी ने इससे पहले एक कार्यक्रम में कहा था,”गोरखपुर की हार अप्रत्याशित थी. मैं गोरखपुर से 5 बार सांसद रह चुका हूं, मैं सबको वहां कहता था की चुनाव चुनाव होता है किसी को हल्के में मत लो, चुनाव हो या परीक्षा अति आत्मविश्वास में नहीं रहना चाहिए और दोनों सीटों पर यही हुआ.”
उपचुनाव के नतीजों के बाद गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला का तबादला कर दिया गया है. विजयेंद्र पांडयान उनकी जगह नए डीएम बनाए गए हैं. दो दिन के मंथन के बाद योगी ने शुक्रवार की आधी रात 37 आईएएस अफसरों के तबादले का फैसला लिया. इनमें गोरखपुर सहित 16 जिलों के डीएम और वाराणसी सहित चार मंडलों के आयुक्त बदले गए हैं. मुख्यमंत्री ने गोरखपुर, महराजगंज, बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, बलिया, हाथरस, सोनभद्र, चंदौली, अमरोहा, हापुड़, बलरामपुर, भदोही, चित्रकूट, आजमगढ़, अलीगढ़ के मौजूदा डीएम को हटाकर नए अफसरों को तैनाती दी है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आज दिल्ली में अमित शाह के साथ मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस मुलाकात में उपचुनावों के परिणामों पर चर्चा होगी. योगी ने हार के बाद अपने कई कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं. अमित शाह के साथ मुलाकात में योगी इस समीक्षा से निकली जानकारियों को भी साझा करेंगे.
गोरखपुर और फूलपुर की सीटों पर हार बीजेपी के लिए इसलिए ख़तरे की घंटी है क्योंकि हर बीतते दिन के साथ 2019 के आम चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं. ऐसे में 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सीएम और डिप्टी सीएम की सीटों को ऐसी पार्टियों के हाथ हार जाना जिन्हें मोदी की नेतृत्व वाले हर चुनाव में मुंह की खाने पड़ी है, इसी नेतृत्व पर सवाल खड़े करना वाला है.
 

उन्होंने कहा, ”हमारा काम जोड़ने का है। यह हाथ का निशान (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) ही देश को जोड़ सकता है। देश को आगे ले जा सकता है। कांग्रेस के इस निशान की शक्ति आप पार्टी प्रतिनिधियों के भीतर है। हम सबको, देश की जनता को मिलकर देश को जोड़ने का काम करना होगा।”
राहुल ने अपने करीब चार मिनट के भाषण में उन सभी मुद्दों को छुआ जिसके बहाने कांग्रेस मोदी सरकार पर सवाल उठा रही है। राहुल गांधी ने कहा, ”युवा जब मोदीजी की ओर देखता है तो उन्हें रास्ता नहीं दिखता। उन्हें यह बात समझ नहीं आती कि उन्हें रोजगार कहां से मिलेगा? किसानों को सही दाम कब मिलेगा? तो देश एक प्रकार से थका हुआ है। रास्ता ढूंढ रहा है।” उन्होंने कहा, ‘मैं दिल से कहता हूं कि कांग्रेस पार्टी ही देश को रास्ता दिखा सकती है।’
राहुल के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है. वरिष्ठ नेता शहनवाज हुसैन ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस देश को बांटने का काम करती है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश बदल रहा है. सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ फॉर्मूले पर का कर रही है.
युवा टीम और पुराने दिग्गज नेताओं में सामंजस्य बैठाने पर जोर देते हुए राहुल ने कहा कि महाधिवेशन भविष्य की बात करता है। बदलाव की बात करता है। लेकिन हमारी परंपरा रही है कि बदलाव किया जाता है किंतु बीते समय को भूला नहीं जाता। युवाओं की बात होती है। यदि युवा कांग्रेस को आगे ले जायेंगे तो जो हमारे अनुभवी नेता है, उनके बिना हमारी कांग्रेस पार्टी आगे नहीं जा सकती।
अधिवेशन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता ए के एंटनी, पी चिदंबरम, जनार्दन द्विवेदी और पार्टी के प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष, जिला-ब्लाक स्तर के प्रतिनिधि समेत 12 हजार से अधिक कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं. कांग्रेस महाधिवेशन दो दिनों तक चलेगा.
महाधिवेशन के सभागार में अगर किसी एक नेता की तस्वीर को जगह थी तो वो केवल राहुल गांधी की थी. ज़ाहिर तौर पर कांग्रेस पार्टी के शीर्षस्थ नेतृत्व की कोशिश राहुल गांधी को नए कमांडर के तौर पर स्थापित और प्रचारित करने की है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कह चुकी है कि अब उनके भी बॉस राहुल गांधी ही हैं. इतना ही नहीं विपक्षी दलों के नेताओं को 13 मार्च को दिए रात्रि भोज में सोनिया गांधी ने राहुल को चुनावी गठबंधनों के लिए भी चेहरे के तौर पर पेश करने की कोशिश की.
युवा नेतृत्व की अगुवाई में हो रहे पार्टी अधिवेशन में कांग्रेस ने खासी कोशिश युवाओं को जोड़ने का भी की है. युवाओं के मुद्दों, शिक्षा- रोज़गार के विषय पर सरकार को घेरने के लिए बाकायदा एक प्रस्ताव की शक्ल दी गई. पार्टी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने बीते 4 साल में 160786.85 करोड़ रुपए एजुकेशन सेस से जमा किए मगर हर साल 4.7 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हुए जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 5 लाख पद खाली हैं.
इतना ही नहीं विश्वविद्यालय अनुदान परिषद के बजट में 6.7 करोड़ रुपये की कमी और उच्च शिक्षा संस्थानों में 43 फीसद खाली पड़े पदों का मुद्दा भी उठाया. प्रस्ताव में पार्टी ने आईटी क्षेत्र में 56000 नौकरियों पर चली कैंची और कैंपस हायरिंग में 50-70 प्रतिशत की गिरावट को भी उभारा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार व घोटाले के तीखे आरोपों को भी राजनीतिक प्रस्ताव की शक्ल दी. पीएनबी घोटाले से लेकर राफेल लड़ाकू विमान सौदे और गुजरात में जीएसपीसी से लेकर बिहार में सृजन मामले में गड़बड़ियों को उभारा.
इसके अलावा चुनाव की ओर बढ़ रहे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे सूबों में व्यापम और पीडीएस घोटालों के साथ बीजेपी की शिवराज सिंह और रमन सिंह सरकारों को कठघरे में खड़ा किया. पार्टी ने अर्थव्यवस्था की सेहत और मोदी सरकार की मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी परियोजनाओं और पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों को लेकर भी तीखा हमला बोला.

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