सुब्रमण्यम स्वामी के निशाने पर मोदी के सलाहकार जैसे ही आये- तूफान आ गया.

 सुब्रमण्यम स्वामी के निशाने पर मोदी के आर्थिक सलाहकार जैसे ही आये- तूफान आ गया. Today Top Execlusive Story; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

मोदी सरकार का पहला झटका नोटबंदी का था. नोटबंदी के जलजले के बाद जीएसटी को लागू करने का तूफान आ गया. बीजेपी के बार-बार कहने पर भी नोटबंदी, जीएसटी मास्टरस्ट्रोक नहीं बन सकती. स्वामी के निशाने पर मोदी के आर्थिक सलाहकार जैसे ही आये, हडबडाहट फैल गयी, स्वामी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा है प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन महाभारत के ‘शल्य’ हैं, जिन्होंने 2013 में बिजनेस स्टैंडर्ड के संपादकीय पेज पर लिखा था कि नरेंद्र मोदी औसत दर्जे के हैं और गुजरात का विकास भी फर्जी है. अब बारी-बारी से भाजपा के नेता भी ये बोलने लगे हैं कि नोटबंदी कितना गलत फैसला था. इससे देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ. देश की तरक्की पर नोटबंदी ने कैसे ब्रेक लगाया, ये बात कई जानकार अब खुलकर कह रहे हैं. इस बारे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन कह ही चुके हैं. पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी नोटबंदी को तबाही वाला फैसला बताया है. एक और पूर्व मंत्री अरुण शौरी ने कहा है कि नोटबंदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया.

वही सोशल मीडिया में पूछा जा रहा है- कि आपके विकल्‍प क्‍या हैं? पप्‍पू या केजरी?’ ”पिछले प्रधानमंत्रियों ने कभी लाल किले से झूठ नहीं बोला। ये पीएम हर दूसरे दिन जुमला लेकर आ जाते हैं।

स्वामी ने गुरुवार को ट्वीट करके नरेंद्र मोदी के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम को महाभारत का ‘शल्य’ बताया है. स्वामी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा है प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन महाभारत के ‘शल्य’ हैं, जिन्होंने 2013 में बिजनेस स्टैंडर्ड के संपादकीय पेज पर लिखा था कि नरेंद्र मोदी औसत दर्जे के हैं और गुजरात का विकास भी फर्जी है. इतना ही नहीं, स्वामी ने ट्वीट में यह कटाक्ष भी किया है कि क्या कैबिनेट ने सुब्रह्मण्यन के कार्यकाल के विस्तार को मंजूरी दे दी है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने आलोचकों से कहा कि वे नकारात्मकता न फैलाएं और साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का वादा किया। 

जीएसटी को लेकर देशभर में बिगडे माहौल को देखकर अमित शाह अचानक ही केरल की जनयात्रा छोड़कर दिल्ली आ गए पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया और छोटे कारोबारियों को राहत देने का फैसला लिया; जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 75 लाख रुपए है, उन्हें हर महीने रिटर्न नहीं भरना होगा. सालाना 1.5 करोड़ रुपए टर्नओवर वाले कारोबारियों को तीन महीने में सिर्फ एकबार रिटर्न भरना होगा.
अमित शाह, अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी की दिल्ली में बैठक खत्म हो रही है. अमित शाह केरल की जनयात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली आ गए हैं. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया और आरबीआई के द्वारा बताए गए अनिश्चित भविष्य की बातों पर चर्चा की. खबरों के मुताबिक, शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हो सकती है. इसमें सरकार छोटे कारोबारियों को राहत देने का फैसला कर सकती है.

माना जा रहा है कि छोटे कारोबारियों को सरकार हर महीने जीएसटी रिटर्न भरने से छूट दे सकती है. जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 75 लाख रुपए है, उन्हें हर महीने रिटर्न नहीं भरना होगा. सालाना 1.5 करोड़ रुपए टर्नओवर वाले कारोबारियों को तीन महीने में सिर्फ एकबार रिटर्न भरना होगा.
इससे पहले बुधवार को विज्ञान भवन में नरेंद्र मोदी आईसीएसआई के गोल्डन जुबली के मौके पर बोल रहे थे. प्रधानमंत्री ने अपने आलोचकों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘कुछ लोग शल्य की भूमिका निभा रहे हैं. उनका काम हमें हतोत्साहित करना है.’ अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने इशारा किया था कि वे जीएसटी में कुछ बदलाव कर सकते हैं.
अमित शाह अचानक ही केरल की जनयात्रा छोड़कर दिल्ली आ गए. इससे यह कयास लगाए गए हैं कि इस बैठक में बेहद अहम मुद्दों पर चर्चाएं की गईं.
कमजोर अर्थव्यवस्था की वजह से नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली को लगातार आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. एक दिन पहले ही पार्टी के दिग्गज नेता अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने भी अर्थव्यवस्था की कमजोरी के लिए पीएम और फाइनेंस मिनिस्टर की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया था.
अपने आलोचकों को जवाब देते हुए मोदी ने उन्हें बुधवार को ‘शल्य’ बताया था. बुधवार को नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कई लोग ‘शल्य’ की भूमिका में हैं. जो सरकार को हतोत्साहित करने का प्रयास करते हैं. लेकिन अब सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके इसमें एक दिलचस्प मोड़ ला दिया है.

स्वामी ने गुरुवार को ट्वीट करके नरेंद्र मोदी के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम को महाभारत का ‘शल्य’ बताया है. स्वामी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा है प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन महाभारत के ‘शल्य’ हैं, जिन्होंने 2013 में बिजनेस स्टैंडर्ड के संपादकीय पेज पर लिखा था कि नरेंद्र मोदी औसत दर्जे के हैं और गुजरात का विकास भी फर्जी है. इतना ही नहीं, स्वामी ने ट्वीट में यह कटाक्ष भी किया है कि क्या कैबिनेट ने सुब्रह्मण्यन के कार्यकाल के विस्तार को मंजूरी दे दी है.

अरुण शौरी ने मीडिया से कहा कि नोटबंदी, काले धन को सफेद करने की सबसे बड़ी योजना थी. शौरी ने पूछा कि नोटबंदी के समर्थन में सरकार ने जितने तर्क दिए, उनमें से आज कौन सी बात सही होती दिख रही है? काला धन आया? नहीं. सारा पैसा सफेद हो गया. आतंकवाद रुका? नहीं. आतंकी हमले लगातार हो रहे हैं. शौरी ने कहा कि अब तो उनके पास देने के लिए तर्क भी नहीं बचे हैं.
कुछ महीने पहले तक लोग ये कहने में हिचक रहे थे कि नोटबंदी एक तुगलकी फैसला था. इसकी बड़ी वजह थी लोगों में मोदी के प्रति अंधा भरोसा. बहुत से लोग ऐसे हैं जो ये मानने को तैयार ही नहीं कि मोदी कुछ गलत कर सकते हैं. नोटबंदी के समर्थकों को ये समझा पाना मुश्किल था कि ये हाराकिरी थी. ये न तो आम लोगों के लिए अच्छा फैसला था और न ही देश की अर्थव्यवस्था के लिए. सब को यही लगता था कि मोदी जिसे छू देते हैं, वो सोना हो जाता है. नोटबंदी की वजह से लोग बहुत परेशान हुए, फिर भी वो मोदी के समर्थक बने रहे. उन्हें यकीन था कि मोदी ने नोटबंदी का फैसला लिया है, तो ये जरूर फायदेमंद साबित होगा.
तमाम आकड़ों और रिजर्व बैंक की रिपोर्ट बताती है कि अर्थव्यवस्था और रोजगार की हालत बहुत बुरी है. और ये हाल तब है जब कच्चे तेल के दाम बहुत गिर गए हैं. दुनिया मंदी के दौर से बाहर आ रही है. लेकिन सरकार ने तो कच्चे तेल के दाम गिरने का फायदा भी जनता को नहीं दिया. अब आंकड़ों की मदद से मोदी के विरोधी जोर-शोर से ये बात कह रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. नोटबंदी एक निहायत बेवकूफाना फैसला था, जिसका देश को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. अब जैसे-जैसे बेरोजगारी बढ़ रही है, कारोबार धीमा हो रहा, उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं, वैसे-वैसे सरकार के विरोधियों के सुरों को साथ मिल रहा है.
अरुण शौरी कहते हैं कि बीजेपी के पास विरोध का सामना करने की बाकायदा एक तय प्रक्रिया है. पार्टी हमेशा ही ठोस तर्क और आंकड़ों से बचती है. वो विरोधियों की काबिलियत और उनकी नीयत पर सवाल उठाने लगती है. उन्हें विश्वासघाती बताने लगती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने आलोचकों से कहा कि वे नकारात्मकता न फैलाएं और साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का वादा किया। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (4 अक्‍टूबर) को पहली बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने आलोचकों से कहा कि वे नकारात्मकता न फैलाएं और साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का वादा किया। इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेकेट्ररीज के स्वर्ण जयंती समारोह में मोदी ने कहा, “पिछले तीन सालों में 7.5 प्रतिशत विकास दर के बाद गिरावट आई है। मैं इससे इंकार नहीं कर रहा। सरकार अर्थव्यवस्था की समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। हम निर्णय लेने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा, “हमने कई सारे कदम उठाए हैं। वित्तीय स्थिरता बनाए रखी जाएगी। हम निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।”

भाजपा सांसद परेश रावल ने नरेंद्र मोदी के इसी बयान को कोट करते हुए कहा है कि ‘नरेंद्र मोदी पर विश्‍वास रखिए। या तो वह रास्‍ता ढूंढ लेंगे या बना लेंगे।” हालांकि लोगों को ‘विश्‍वास बनाए रखने’ की बात समझ में नहीं आई। एक यूजर ने पूछा, ‘अगर तीन साल बाद भी वे (मोदी) रास्‍ता ही खोज रहे हैं तो हमें उनपर विश्‍वास नहीं करना चाहिए।’ चिरदीप तोमर ने पूछा, ‘क्‍या आपको पहले की सरकारों के बारे में ऐसा ही महसूस हुआ? आपके विकल्‍प क्‍या हैं? पप्‍पू या केजरी?’ एक अन्‍य यूजर ने कहा, ”पिछले प्रधानमंत्रियों ने कभी लाल किले से झूठ नहीं बोला। ये पीएम हर दूसरे दिन जुमला लेकर आ जाते हैं। झूठे प्रधानमंत्री से कोई भी ईमानदार राजनेता अच्‍छा है।”

मोदी ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और विपक्षी दलों ने आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी को लेकर तीखा हमला बोला है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था की सेहत को लेकर बहस शुरू हो गई है। उन्होंने आलोचकों की तुलना महाभारत के शल्य से की, जो कर्ण का सारथी था। वह हमेशा राजा को हतोत्साहित करता रहता था। मोदी ने कहा कि ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है।

मोदी ने कहा कि उनकी “सरकार संवेदनशील है और कड़ी आलोचना का भी स्वागत करती है और हम उन सभी को विनम्रता और गंभीरता से लेते हैं।” मोदी ने कहा, “मैं सभी को, अपने आलोचकों को भी, आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम ऐसा नहीं मानते कि सबकुछ गलत है। लेकिन नकारात्मकता फैलाने से बचना चाहिए।”

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