चीनी मिल नादेही के प्रधान प्रबन्धक के भ्रष्टाचार की गाथा

जसपुर नादेही चीनी मिल क्षेत्र के सैकडो किसानो ने हिमालयायूके न्यूज पोर्टल को भेजे गये ज्ञापन में दि किसान सहकारी चीनी मिल नादेही में भ्रष्ट कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक श्री आर०के० सेठ के भ्रष्टाचार का कच्चा चिटठा भेजा है।चीनी मिल नादेही के कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक का तत्काल स्थानांतरण न हुआ तो चीनी मिल बर्बाद हो जायेगी।
ज्ञापन में क्षेत्र के सैकडो किसानो के हस्ताक्षर है।

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किसानो का कहना है कि चीनी मिल लगातार घाटे में जा रही हक्, जबकि निकटवर्ती २ प्राइवेट चीनी मिल लाभ में जा रही है। वही इस मिल द्वारा किसानो का भुगतान भी नही किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में गन्ना किसान नादेही चीनी मिल को गन्ना देने से कर सकता है इंकार।

कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक श्री सेठ सन २००५ में डिप्टी अभियन्ता थे, उस समय एक असली गन्ना पेराई रोलर दिनंक ०३-०३-२००५ में जिसका निकासी गेट पास सं० ६३२३०, चालान संख्या २०० के -२२ डाया, ८३० एवं लेन्थ १५२५ , जिसकी कीमत उस समय लगभग १० लाख थी। स्क्रैन में निकाल कर बेच दिया गया। उस समय रोलर काण्ड मे फंसने के कारण इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था तथा प्राइवेट चीनी मिल बहेडी, जनपद बरेली में ये गोपनीय रूप से प्राइवेट नौकरी करने लगे। शुगर मिल तत्कालीन सचिव श्री विनोद शर्मा एवं नोडल अधिकारी श्री ए०के० भटटाचार्य से सांठगांठ कर इन्होंने फिर से चीनी मिल में प्रवेश किया। इनके मिलो में सेवा की कार्यकाल की जांच की जांच।

१- कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक श्री आरके सेठ ने अपने छोटे भाई श्री पंकज सेठ को रूद्रपुर में फौजी मटकोटा में श्री अन्नापूर्णा पैकेजिंग हाउस आफ क्वालिटी प्रिंटिंग एण्ड पैकिंग के नाम से आटेमैटिक प्लांट लगवाने के लिए बाहर से प्रिन्टिंग की मशीने गोदाम में ट्रको से उतरवा कर रखवाने के लिए चीनी मिल की गाडी नं० यूके ०६ जी २३२२ में चीनी मिल के आठ कर्मचारियों को दिनांक ७-७-२०१७, ०८-०७-२०१७ व ०१-०८-२०१७ को लगातार भेजा गया। गाडी व कर्मचारियों का खर्चा लगभग ५० से ६० हजार रूपये का इनके निजी कार्य हेतु चीनी मिल को वहन करना पडा जिसकी जांच अति आवश्यक है।
२- क्षेत्रीय किसानो ने कहा है कि कार्यवाहक प्रबन्धक श्रीसेठ ने वर्ष २०१५-१६ में चीनी मिल के पैसे से चीनी मिल के कार्य हेतु एक कार यूके १८ सी ९९९० खरीदी, वह गाडी इनकी पत्नी व इनके लडके के निजी प्रयोग में बनारस, कानपुर, पानीपत और दिल्ली आदि स्थानो पर जाती रही है। यह गाडी अब तक लगभग ७८ हजार किलोमीटर चल चुकी है। इस गाडी की लॉगबुक की जांच किये जाना आवश्यक है।
३- किसानो का कहना है कि वर्ष २०१५-१६ में कार्यवाहक प्रबन्धक द्वारा चीनी भण्डारण के लिए ११ हजार खाली बोरे खरीदे गये जो कि उस समय मुख्य रसायदविद श्री हंसपाल द्वारा बोरे रिजेक्ट कर दिये गये थे लेकिन प्रबन्धक द्वारा उसी बोरो पर ओवरराइटिंग कर बोरे आपूर्तिकर्ता फर्म से सांठगाठ कर ११ लाख रूपये का भुगतान बोरे आपूर्ति फर्म को कर दिया गया जिसमें श्री सेठ ने भारी मात्रा में कमीशन खाया।
४- चीनी मिल में कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक द्वारा आउट सोर्सिग पर कर्मचारियों को रखने पर अधिक जोर दिया जाता है। इन्हने वर्ष २०१५-१६ व २०१६-१७ में फैडरेशन की स्वीकृति से अधिक कर्मचारी रखे है। इसी प्रकार वर्ष २०१५-१६ में कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक द्वारा चीनी मिल में बिना टेण्डर किये अपने चहेते ठेकेदार को सिक्योरिटी गार्ड का ठेका दिया गया तथा सुरक्षा गार्ड भी पैटर्न से अधिक रखे गये, क्योंकि आउट सोर्सिग कर्मचारी व ठेके द्वारा रखे गये सिक्योरिटी गार्ड को रखने से कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक को अच्छा कमीशन मिलता है। जबकि सीजनल कर्मचारी आफ सीजन में घर पर बैठे ५५ प्रतिशत वेतन प्राप्त करते है जो कि मिल के कार्यो का अच्छा अनुभव रखते है, जांच योग्य विषय है।
५- किसानो का कहना है कि चीनी मिल परिसर में मछली पालन के दो तालाबो को कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक द्वारा अपने मनमाने रूप से चलाया जा रहा है जिससे चीनी मिल परिसर के सभी टयूब बैलो द्वारा दोनो तालाबो मे ढाई वर्षो से लगातार जल भराव कर रहे हैं, जिसका सम्पूर्ण व्यय चीनी मिल को वहन करना पडता है। दोनो तालाबो की मछलियां अब तक १० से १५ लाख की बिक चुकी है, जबकि फैक्ट्री के आंकडो में तालाबो की आमदनी शून्य दिखाई जा रही है। परिसर के टयूबवैलो द्वारा तालाब में जल भराव हेतु चलने पर बिजली का सम्पूर्ण व्यय चीनी मिल को वहन करना पडता है, गंभीर विषय है, जांच आवश्यक है।
६- वर्ष २०१५-१६ व २०१६’-१७ में कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक द्वारा चीनी मिल के ड्राइवर हाउस में मजदूरो का ठेका श्री रियासत अली को दिया गया। मजदूरो का ठेका होने के बाद भी आउट सोर्सिग से तीनो शिफ्टो मे मजदूर दर्शाये गये। आउट सोर्सिग का फर्जी बिल बनाकर मिल को कुल मिलाकर लगभग एक करोड रूपये का चूना लगाया गया जो जांच का विषय है।
७- कार्यवाहक प्रधान प्रबन्धक श्री सेठ सन २००५ में डिप्टी अभियन्ता थे, उस समय एक असली गन्ना पेराई रोलर दिनंक ०३-०३-२००५ में जिसका निकासी गेट पास सं० ६३२३०, चालान संख्या २०० के -२२ डाया, ८३० एवं लेन्थ १५२५ , जिसकी कीमत उस समय लगभग १० लाख थी। स्क्रैन में निकाल कर बेच दिया गया। उस समय रोलर काण्ड मे फंसने के कारण इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था तथा प्राइवेट चीनी मिल बहेडी, जनपद बरेली मंड ये गोपनीय रूप से प्राइवेट नौकरी करने लगे। शुगर मिल तत्कालीन सचिव श्री विनोद शर्मा एवं नोडल अधिकारी श्री ए०के० भटटाचार्य से सांठगांठ कर इन्होंने फिर से चीनी मिल में प्रवेश किया। इनके मिलो में सेवा की कार्यकाल की जांच की जांच।
इस रोलर प्रकरण की फाइल मुख्यालय चीनी विपणन कार्यालय देहरादून में रिकार्ड हेतु अवलोकित की जा सकती है। इस प्रकरण में देहरादून के दो अधिकारी, तत्कालीन शुगर सचिव श्री विनोद शर्मा एवं नोडल अधिकारी श्री एके भटटाचार्य पूर्ण रूप से सम्मिलित रहे। इस बिन्दु की जांच करवायी जाये।
८- चीनी मिल में उत्पादन के समय चीनी मिल की सफाई मिल में एक बार अधिक से अधिक दो बार कराई जाती है। नादेही चीनी मिल सीजन में अधिक से अधिक ४ माह तक चलती है। वर्ष २०१६-१७ के सीजन में चीनी मिल की सफाई आठ से १० बजार कराई गयी, जिससे चीनी मिल को कई लाख रूपये की आर्थिक क्षति कराई गई। जांच की जानी चाहिए।
९- चीनी मिल में पर्चेज विभाग की देखरेख में जो भी सामान बाहर से आता है उसमें भारी कमीशनखोरी होती है। जिसकी जांच कब होगी।
१०- चीनी मिल के गेट पर चीनी की निकासी हेतु केवल गेटपास दिया जाता है जबकि गेट पास के चीनी की निकासी इनवाइस देना अति आवश्यक होता है ताकि सुरक्षा गार्ड को पता चल सके कि ट्रक में कितनी चीनी चीनी लोड है, इसमें भारी धांधली होती है।
इसी प्रार शीरा संचय स्टील टैको में वास्तविक रजिस्टर से अधिक मात्रा में फिनिकल स्टाक अधिक होता है। इसकी जांच आबकारी विभाग से न कराकर अन्य विभाग से होनी चाहिए। शीरा तीन चार वर्षो से एक ही दाम पर बिक रहा है जबकि मार्केट में ३०० से ४०० रूपये प्रति कुण्टल अधिक है। क्योकि शीरा व्यापारी फैडरेशन के अधिकारियों से साठगांठ कर बिक्री टेण्डर को एक ही दाम पर रोके हुए है, जो जांच का विषय है।
११- चीनी मल के लेखा अधिकारी श्री खेम सिंह जो कि मिल के १६ लाख रूपये के वेतन घोटाले में बुरी तरह लिप्त है, जो एक माह से जेल में रह कर माननीय उच्चतम न्यायालय से जमानत पर छूटे है, जिनका मूल पद पर्ची वितरक -पीडी- है, श्री आरके सेठ ने इन्हें लेखाधिकारी बना दिया है इनकी योग्यता भी मात्र बीए है, श्री आरके सेठ अपने फर्जी बाउचरो पर श्री खेम सिंह लेखाधिकारी के हस्ताक्षर कराकर गोलमाल कर रहे है।
इसी प्रकार चीनी गोदामो म चीनी चोरी घटना में भूप सिंह लिपिक पकडा गय था। तत्कालीन जीएम ने उस पर भारी जुर्माना लगाकर मिल की चीनी की वसूली की थी। परन्तु वर्तमान जीएम ने उस दोषी लिपिक को फिर से चीनी भण्डारण व शीरे पर तैनात कर दिया गया। सोचनीय विषय है कि कानूनी रूप से दोषियो को प्रधान प्रबन्धक द्वारा तैनात कर दिया गया।

सोचनीय विषय- क्‍या भाजपा सरकार गंभीर भ्रष्‍टाचार पर रोक लगाने में सक्षम होगी या ……………….

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