त्रिदेव परीक्षा के बाद हिमालय में श्रीहरि विष्णु की प्रतिष्ठा स्थापित हुई

कुपित महर्षि भृगु ने भगवान शंकर को तमोगुणी घोषित करते हुए लिंग (शिश्न स्वरूप) में पूजित होने का शाप दिया

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