राष्ट्रीय खिलाड़ी को लड़की पैदा होने पर तलाक

राष्ट्रीय खिलाड़ी शुमायला को उसके शौहर ने लड़की पैदा होने पर तलाक दे दिया #शाहजहांपुर की निवासी इस 22 साल की लड़की के मोबाइल में संदेश आया, जिसमें लिखा था- ‘तलाक, तलाक, तलाक.’: www.himalayauk.org (Web & Print Media) 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तीन तलाक मुद्दे पर अहम फैसला लेते हुए इससे पीड़ित महिलाओं को सरकारी मदद देने का ऐलान किया है. इसके अलावा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार के रुख तय करने के लिए भी मुस्लिम महिलाओं से मशविरा जारी है, जिसके दो हफ्ते में मसौदा तैयार हो जाएगा.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान ने कहा है कि मुसलमान, इस्लाम, तलाक पर जो भाषाएं बोली जा रही हैं. इससे घृणा के अलावा कुछ और हासिल नहीं होगा
आफरीन को हमेशा से सोशल मीडिया बहुत पसंद था. शाहजहांपुर की निवासी इस 22 साल की लड़की के लिए यह एक तरह से राहत का जरिया था…अपने चार साल के तनावपूर्ण शादीशुदा जीवन में बिखर चुकी जिंदगी से मुंह छिपाने का एक तरीका. अचानक ही एक पोस्ट ने उसे हिलाकर रख दिया. यह पोस्ट उसके पति की ओर से था, जिसने लिखा- ‘तलाक, तलाक, तलाक’. आफरीन के लिए जहां इन तीन शब्दों को बार-बार पढ़कर भी अपनी बिखर चुकी दुनिया की हकीकत पर यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था, वहीं उसकी तीन साल की बच्ची बिस्तर पर बिखरे अपने खिलौनों से खेलने में मशगूल थी.
यह घटना आफरीन की मुश्किलों की एक शुरूआत भर थी. एक ही दिन बाद, उसके मोबाइल में संदेश आया, जिसमें लिखा था- ‘तलाक, तलाक, तलाक.’ उसके पति ने अपना इरादा स्पष्ट तौर पर बता दिया था. दहेज की मांगों को लेकर लगातार प्रताड़ना झेलती आ रही आफरीन को अब लात मारकर निकाला जा रहा था.
आफरीन के पति ने शादी को खत्म करने के लिए जो रास्ता अपनाया है, उसने आफरीन की आत्मा को तोड़कर रख दिया है. तीन तलाक की प्रथा से जुड़े विवाद के मूल में यही तरीका है. यह मुद्दा पिछले साल फरवरी में उस समय सामने आया, जब तीन तलाक की एक पीड़िता शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा पर रोक लगाने का अनुरोध किया. निकाह हलाला के तहत यदि तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पहले पति के पास लौटना चाहती है, तो उसे दोबारा शादी करनी होती है, उसे मुकम्मल करना होता है और फिर इसे तोड़कर पहले पति के पास जाना होता है.
प्रदेश की महिला विकास एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को यूपी सरकार मदद देगी. इसके लिए रानी लक्ष्मी बाई कोष से भी इन महिलाओं को मदद दी जाएगी. यही नहीं सभी धर्मों की महिलाओं की मदद के लिए रानी लक्ष्मीबाई कोष खोला जाएगा. इसके अलावा तीन तलाक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी भी यूपी सरकार कर रही है. इसके लिए प्रदेश की सभी महिला मंत्रियों के साथ तमाम सामाजिक संगठनों और मुस्लिम महिलाओं के साथ बैठक जारी है. दो हफ्ते में इसको लेकर एक रिपोर्ट तैयार हो जाएगी, जिसके बाद यूपी सरकार अपना फैसला लेगी.

यूपी के अमरोहा जिले में राष्ट्रीय खिलाड़ी शुमायला को उसके शौहर ने लड़की पैदा होने पर तलाक दे दिया. शुमायला न्याय पाने के लिए अधिकारियों से लेकर सीएम योगी तक गुहार लगा रही हैं.शुमायला की शादी 2014 में लखनऊ के रहने वाले फारुक अली आजम अब्बासी से हुई थी. शुमायला अमरोहा जिले के सदर कोतवाली इलाके के मोहल्ला पिरजदा की रहने वाली है.वह जिले से लेकर नेशनल स्तर पर अपना कई खेलों में दम दिखा चुकी हैं. ये नेटबाल में 7 बार नेशनल और 4 आल इंडिया प्रतियोगिता खेल चुकी है.वहीं पीड़िता का कसूर मात्र इतना है कि उन्होंने बेटी को जन्म दिया.
अपना दर्द बयां करते हुए पीड़िता ने आरोप लगाया कि पति ने अपने परिजनों के साथ मिलकर उसका शारीरिक व मानसिक शोषण किया. वहीं बेटी पैदा होने से ससुराल के लोग तो ताने दे ही रहे, साथ जिसने कभी हमेशा साथ रहने की कसम खाई थी, आज वो भी खिलाफ खड़ा हो गया.
शुमायला की शादी 9 फरवरी 2014 को लखनऊ की तहसील गोसाईगंज कस्बे में हुई थी.शुमायला ने बताया कि 15 मई 2015 को मुरादाबाद अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया तो पति फारुख अली लड़की होने से बहुत नाराज हुआ.
पीड़‍िता को उसके पति ने 8 फरवरी 2016 को फोन पर तलाक दे दिया तब से वह अपने पिता के घर में ही रह रही है. जब इसकी श‍िकायत पुलिस से की तो वहां उसे कोई इंसाफ नहीं मिला. अब शुमायला को उम्मीद है कि सीएम योगी आदित्यनाथ उसकी मदद जरुर करेंगे.
##उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से तीन तलाक के चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं. अलीगढ़ जनपद में एक गर्भवती महिला को उसके शौहर ने बीच सड़क पर तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया. जानकारी मिली है कि पीड़ित महिला फातिमा का मायका बिहार के भागलपुर जिले में है. उसका निकाह अलीगढ़ के क्वार्सी इलाके में रहने वाले यामीन के साथ एक साल पहले हुआ था. कुछ दिनों से यामीन पत्नी फातिमा को प्रताड़ित कर रहा था. प्रताड़ना की सारी हदें तब पार हो गई, जब यासीन ने फातिमा को बीच सड़क पर तीन तलाक कहकर छोड़ दिया.
श भर की हजारों मुस्लिम महिलाओं ने तब से दबाव समूह बना लिए हैं और इस प्रथा को खत्म करने की मांग लेकर हस्ताक्षर अभियानों का नेतृत्व कर चुकी हैं. शायरा के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही याचिकाओं के साथ जोड़ दिया, जिनपर 11 मई को सु नवाई होगी. केंद्र पहले ही तीन तलाक के खिलाफ अपना रूख स्पष्ट कर चुका है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड का दावा है कि शरीयत तीन तलाक की प्रथा को वैध बताती है. इसके तहत एक मुस्लिम पति अपनी पत्नी को महज तीन बार ‘तलाक’ शब्द बोलकर तलाक दे सकता है.
तलाक दो तरीकों से हो सकता है. ‘तलाक-उल-सुन्नत’ के तहत ‘इद्दत’ नामक तीन माह की अवधि होती है. यह अवधि तलाक कहे जाने और कानूनी अलगाव के बीच की अवधि है. ‘तलाक-ए-बिदात’ एक पुरूष को एक ही बार में ऐसा कर देने की अनुमति देता है.
साल 1985 में, सुप्रीम कोर्ट ने बानो के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसने तलाक देने वाले अपने पति से गुजारे-भत्ते की मांग की थी. लेकिन रूढ़िवादी मुस्लिम समूहों की नाराजगी के बाद तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने एक अधिनियम के जरिए आदेश को कमजोर कर दिया.
मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) कानून, 1986 ने महिलाओं को तलाक के बाद सिर्फ इद्दत :लगभग तीन माह: की अवधि में गुजारा भत्ता पाने का अधिकार दिया है. इसके बाद उसके रिश्तेदारों या वक्फ बोर्ड को उसकी देखभाल करनी होती है.

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