टिहरी झील महोत्सव के पीछे का भयावह सच

टिहरी झील और टिहरी जिले में विकास का बंद पडा अध्याय : Execlusive Report by हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल

टिहरी झील में उत्तराखण्डं सरकार की कैबिनेट बैठक चार करोड़ की लागत से बनीं फ्लोटिंग मरीना में आयोजित हुई। बैठक के लिए मरीना बोट में खास तैयारियां की गयी थी। उस समय टिहरी के 17 गांवो के 415 परिवार उनसे रहम की भीख मांग रहे थे-टिहरी झील महोत्सव के पीछे का भयावह सच – A Top Report: by www.himalayauk.org 

उत्तराखंड में टिहरी झील महोत्सव अौर टिहरी झील में में कैबिनेट बैठक आयोजन से एक ओर जहां गदगद होते हुए बैठक को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बताया जा रहा था  उस समय  टिहरी झील में आयोजन के पीछे का सच बडा भयावह था जिसे कोई सामने आने नही देना चाहताा था । क्‍या था वो सच- 

टिहरी बांध से उत्तराखंड की सरकार को 12 प्रतिशत की रॉयल्टी की धनराशि प्राप्त होती है#  काश-  इस धनराशि का 50 प्रतिशत अंश टिहरी के विकास पर खर्च किया जाता # पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है।

पर्यटन मंत्री जी कहते है कि हमने बाहर से ब्‍लागर बुलाये है, परन्‍तु पर्यटन मंत्री जी को बालगंगा और भिलंगना के क्षेत्र में भी सरकार को पर्यटन गतिविधि बढ़ानेे की ओर योजना बनाने का ध्‍यान नही रहा। भूल गये कि 
विस्थापन न होने से टिहरी बांध प्रभावितों में भारी रोष व्याप्त है। टिहरी बांध के कारण 17 गांवों के 415 परिवार खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं। भू-धंसाव और पानी की समस्या से ग्रामीण परेशान हैं। टिहरी बांध प्रभावित उठड़, पयालगांव, नौताड़, नंदगांव, रौलाकोट, गडोली, भटकण्डा, चोपड़ा, पिपोलाखाल आदि के ग्रामीण  कलक्ट्रेट में धरना दे रहे हैं ।  नारेबाजी करते हुए जल्द विस्थापन की मांग कर रहे हैं ।   

सोहन सिंह राणा बताते हैं  कि वर्ष 2010 में टिहरी बांध झील का जलस्तर आरएल 830 मीटर से अधिक बढ़ने पर झील से लगे क्षेत्र में भू-धंसाव की समस्या उत्पन्न हुई थी। तब सरकार ने समस्या को देखते हुए विशेषज्ञ समिति से भिलंगना व भागीरथी घाटी के 45 गांवों का निरीक्षण कराया। जिसके बाद भिलंगना घाटी में 9 और भागीरथी घाटी में 8 गांव समेत कुल 17 गांवों के विस्थापन की संस्तुति विशेषज्ञ समिति द्वारा की गयी। लेकिन आज तक भी प्रभावित परिवारों का विस्थापन नहीं ही हो पाया है। उन्होंने डीएम व पुनर्वास निदेशक को ज्ञापन प्रेषित कर प्रभावित 415 परिवारों का विस्थापन करने, आंदोलनकारी ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, विस्थापन प्रक्रिया को प्रारंभक करने की मांग की। लेकिन कुछ नही हो पाया- टिहरी बांध प्रभावित और विस्थापितों की समस्याये आज भी जस की तस है। टिहरी की ज्वलंत समस्याओं का आज तक निराकरण नही हो पाया,

टिहरी बांध प्रभावित 17 गांव के 415 परिवारों और पुरानी टिहरी विस्थापितों की समस्याओं के निस्तारण के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया। बांध प्रभावितों का विस्थापन, हनुमंत रावत कमेटी की सिफारिशों पर नई टिहरी में निशुल्क पानी, बिजली उपलब्ध कराने सहित जनहित के 15 कार्य पूरे करने की ओर कोई ध्‍यान ही नहीं गया;

वही दूसरी ओर टिहरी जनपद में भयावह समस्‍याये हैं, जिसकी ओर कभी ध्‍यान नही दिया गया। टिहरी झील और जिले में विकास का अध्याय आज तक शुरू ही नही हो पाया, टिहरी जनपद पर विस्‍तार से एक रिपोर्ट

HIGH LIGHT
#ग्रामीण अपनी आवाज उठाकर हक मांगते है तो तुरंत मुकदमे दर्ज #बूंद बूंद पानी के लिए तरसते टिहरी जनपद वासी
#  टिहरी बांध से प्रभावित ग्राम उप्पू तल्ला, नंदगांव, उठड़, पिपोला, भटकंडा, मदननेगी व रैका के गांवों का पुनर्वास आज तक नही हो पाया#  जिन परिवारों की परिसंपत्तियों का भुगतान आज तक नही हो पाया#टिहरी बांध से उत्तराखंड की सरकार को 12 प्रतिशत की रॉयल्टी की धनराशि प्राप्त होती है#  इस धनराशि का 50 प्रतिशत अंश टिहरी के विकास पर खर्च किया जाता# 

#टिहरी झील महोत्सव के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर ही है#लेकिन झील से प्रभावित 17 ग्राम पंचायतों में निवासरत 415 परिवारों का पुनर्वास करने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव बना हुआ है#
#टिहरी बांध की विशालकाय झील से देश के विभिन्न क्षेत्र में पानी व बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वहीं टिहरी के लोगों को पानी व बिजली के संकट से जूझना पड़ रहा है# 
# पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है।
# टिहरी झील के कारण इन गांवों में मकानों में दरारें पड़ी हैं और भूस्खलन हो रहा है। इससे ग्रामीण खतरे में जी रहे हैं#415 परिवारों के विस्थापन के लिए सरकार ने कई बार घोषणा कर दी लेकिन अभी तक विस्थापन नहीं हो पाया है#सात सालों से ग्रामीणों विस्थापन की मांग कर रहे हैं# वर्ष 2016 में विस्थापन के लिए जमीन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया लेकिन पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही के कारण अभी तक केंद्र सरकार की आपत्तियों का निराकरण नहीं किया गया है।

भारत के सबसे ऊंचे बांध की झील में साहस और रोमांच का मजा के लिए उत्तराखंड में टिहरी झील महोत्सव शुरू है। टिहरी झील साहसिक महोत्सव 2018 का शुभारंभ हो गया है। उत्तराखंड समेत 14 राज्यों की आकर्षक झांकियों और नृत्य के साथ रंगारंग शुभारम्भ किया गया। टिहरी महोत्सव के प्रचार में जोर-शोर से जुटी सरकार इस काम में ब्लॉगर्स की मदद भी लेने जा रही है। टिहरी महोत्सव के सिलसिले में चुनिंदा ब्लॉगर्स को सरकार ने आमंत्रित किया है। जो टिहरी महोत्सव तथा टिहरी के प्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल और धार्मिक स्थलों के बारे में ब्लॉग लिखेगे। टिहरी झील महोत्सव के दौरान वाटर स्पोर्ट्स के अंतर्गत बोटिंग, जेट स्कीईंग, वाटर स्कीईंग, सर्फिंग, कैनोईंग, रिवर राफ्टिंग, जबकि ऐरो स्पोर्ट्स में पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून तथा पैराजंपिंग आदि गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। पहली बार ये इंतजाम किया जा रहा है कि टिहरी महोत्सव के लिए जुटने वाले पर्यटक झील क्षेत्र में ही रुक पाएं। कम से कम 500 लोगों के रहने की व्यवस्था बनाई जा रही है। टैंट कालोनी बसाने का सरकार की योजना है। 25 से 27 मई तक चलने वाले महोत्सव से इस बार पर्यटन को बढ़ावा देने का पूरा प्रयास होगा। इट एंड साउंड शो, वाटर स्क्रीन पर लेजर शो आदि का भी आयोजन किया जा रहा है। देश के सबसे ऊंचे बांध टिहरी की झील में साहस और रोमांच का उत्सव शुरू हो गया है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय और विधायक धन सिंह नेगी ने टिहरी झील साहसिक महोत्सव 2018 का शुभारंभ किया। कल्चरल परेड में विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने लोकनृत्य प्रस्तुत कर भारत की समृद्ध संस्कृति की झलक पेश की। टिहरी महोत्सव के सरकार की ओर से बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार किया गया है।
दुनिया के सबसे बड़े बांधों में शामिल टिहरी डैम की 42 वर्ग किमी में फैली विशालकाय टिहरी झील पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को संजोये हुए हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने यहां पर्यटन विकास के लिए करोड़ों रुपये अवस्थापना विकास पर खर्च भी किए हैं। झील में बार्ज बोट, फ्लोटिंग मरीना, इको हट्स से लेकर झील किनारे आलीशान होटल भी बनकर तैयार है। लेकिन पर्यटकों के अभाव में], व्‍यापक प्रचार प्रसार के अभाव में पर्यटन गतिविधियां ठप होने से सभी संसाधन बेकार पड़े हुए हैं।
देश और दुनिया के लिए टिहरी झील पूरी तरह से तैयार है। 25 मई से 27 मई तक तक साहसिक खेल महोत्सव के जरिये अब टिहरी झील की खूबसूरती और साहसिक खेलों का आनंद लिया जा सकेगा। इस आयोजन में योग, गंगा आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, ग्रामीण फैशन शो, एयरो स्पो‌र्ट्स, वाटर स्पो‌र्ट्स और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। वहीं देश और दुनिया के पर्यटकों के रुकने के लिए झील किनारे टैंट कॉलानी भी बनाई गई है। वही यात्रा सीजन शुरू होने के साथ ही टिहरी बांध की झील में भी अब पर्यटक पहुंचने शुरू हो गए हैं। यात्रा के अलावा पर्यटक झील में पहुंचकर बो¨टग का लुत्फ उठा रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से यहां पर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही हैं।
वर्ष 2005 में टिहरी बांध में झील बननी शुरू हुई थी। 42 वर्ग किमी लंबी इस झील को देखने के लिए समय-समय पर पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन गर्मियों में जिले के पर्यटक स्थलों तक पहुंचने वाले पर्यटक टिहरी बांध में बो¨टग का लुत्फ भी उठाते हैं। यहीं नहीं चारधाम जाने वाले यात्री भी यात्रा भी यहां पहुंचते हैं। झील के आसपास कई जगहों पर झील को निहारने के लिए व्यू प्वाइंट भी बनाए गए हैं। यहां से पर्यटक आराम से टिहरी झील का नजारा देख सकते हैं। झील में जहां पर्यटक बो¨टग करते हैं, वहीं फ्लो¨टग मरीना का भी आनंद ले सकते हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों से यहां पर पर्यटक पहुंच रहे हैं। साहसिक प्रतियोगिता भी आयोजित होती है टिहरी विधायक धन ¨सह नेगी ने कहा कि टिहरी झील महोत्सव में योग और ध्यान शिविर से शुरुआत की जाएगी। इसके बाद वाटर और एयरो स्पो‌र्ट्स आयोजित किए जाएंगे। स्थानीय स्तर पर मास्टर शेफ प्रतियोगिता, गढ़वाली फैशन शो, रॉक बैंक प्रतियोगिता, गंगा आरती, लेजर शो, बॉलीवुड नाइट का आयोजन किया जाएगा। टिहरी झील किनारे पर्यटक और स्थानीय लोगों के रात्रि विश्राम के लिए कैंट साइट बनाई गई हैं। यहां पर रात कैंप में रुकने के लिए पूरी तरह व्यवस्था की गई है। यहां पर खाने और ठहरने के अलग-अलग पैकेज निर्धारित किए गए हैं।

टिहरी झील और टिहरी जिले में विकास का बंद पडा अध्याय

 

टिहरी में कैबिनेट होने तथा महोत्सतव होने से टिहरी की जनता को उम्मीद थी कि टिहरी को भी कुछ विशेष सौगात दी जाएगी, लेकिन राज्य सरकार ने टिहरीवासियों को निराश ही किया है। कैबिनेट सिर्फ मौजमस्ती पर सिमट कर रह गई। कांग्रेस प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपनी एक साल की नाकामी को छिपाने के लिए टिहरी झील में कैबिनेट का नाटक किया है। नंदगांव, पिपोला, भटकंडा, रौलाकोट, गडोली आदि गांव के ग्रामीण वर्ष 2010 से विस्थापन की मांग कर रहे हैं। टिहरी झील के कारण उनके गांवों में मकानों में दरारे पड़ गई हैं और जमीन धंस रही है परन्‍तु सुनने वाला कोई नही।

पुनर्वास की मांग को लेकर टिहरी बांध प्रभावित नंदगांव, भटकंडा, पिपोला खास, रौलाकोट, गढोली रैका और चोपड़ा गांव के लोगों ने टिहरी झील महोत्सव में जमकर हंगामा काटा। कोटी कालोनी पंडाल के अंदर घुसकर बांध प्रभावितों ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। महोत्सव आयोजन के नाम पर सरकार पर प्रभावितों के जख्मों पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया। इस दौरान एसडीएम और पुलिस कर्मियों की आंदोलनकारियों से तीखी झड़पें हुईं। आंदोलनकारियों ने प्रशासन के अधिकारियों को जमकर खरी खोटी भी सुनाई।

आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति के बैनर तले बांध प्रभावित उक्त गांवों के लोग पुनर्वास करने की मांग को लेकर 23 मई से पुनर्वास निदेशालय में धरने पर बैठे हुए हैं। शुक्रवार को आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा के नेतृत्व में कोटी कालोनी स्थित टिहरी झील महोत्सव के पंडाल में जा घुसे। कुछ देर तक वे पंडाल के अंदर मुख्यमंत्री के इंतजार में शांत होकर बैठे रहे। जब मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे तो अपराह्न 2.30 बजे बांध प्रभावितों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। एसडीएम ने समिति के अध्यक्ष का हाथ पकड़ा तो महिलाओं ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच जमकर झड़पें हुईं। बाद में पुलिस की मदद से प्रशासन ने सभी आंदोलनकारियों को पंडाल से बहार कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि टिहरी झील महोत्सव के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर ही है, लेकिन झील से प्रभावित 17 ग्राम पंचायतों में निवासरत 415 परिवारों का पुनर्वास करने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव बना हुआ है। कहा कि पुनर्वास न होने तक आंदोलन चलता रहेगा। प्रदर्शन करने वालों में ग्राम प्रधान प्रदीप भट्ट, दलवी देवी, धनपाल बिष्ट, जगदंबा सेमवाल, नीलम रावत, रेखा देवी, रुकमणि देवी, लक्ष्मी देवी, सुनीता, बसंता देवी, कांता देवी, उम्मेद सिंह, राम सिंह व विजयराम भट्ट आदि शामिल रहे।

जिला पंचायत सदस्य विजय कैलाश का कहना है कि क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को लेकर समय-समय पर विभागों को लिखित रूप से अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें क्रमिक अनशन पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनका कहना है कि राइंका भट्टगांव का भवन जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और यह भवन जूनियर स्तर के भवन पर संचालित हो रहा है। यहां जगह की कमी बनी होने से पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। पट्टी आरगढ़ व गोनगढ़ के कई गांवों में अभी तक खेतों की सिंचाई के लिए टैंकों की व्यवस्था नहीं है। लोदस पेयजल योजना निर्माण की ग्रामीण लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं, क्योंकि उक्त गांव में पानी की समस्या बनी है। वहीं भट्टगांव-चौढार मोटर मार्ग की मांग भी पुरानी है।

पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है।

टिहरी बांध की विशालकाय झील से देश के विभिन्न क्षेत्र में पानी व बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वहीं टिहरी के लोगों को पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है। शहर के अंदर लगाए गए हैंडपंपों में से अधिकांश बंद पड़े हैं। पूर्व में जिले में जो पं¨पग योजनाएं स्वीकृत थी। उन पर भी धीमी गति से कार्य चल रहा है। पेयजल समस्या को लेकर जनता प्रदर्शन करती रहती है। पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है। पानी का संकट लगातार बना हुआ है। पेयजल की आपूर्ति नहीं होने के बावजूद भी लोगों को भारी भरकम बिल थमाए जा रहे हैं। वही नरेंद्रनगर में भी : भीषण गर्मी में नरेंद्रनगरवासी पानी के संकट से जूझ रहे है। शहर के लोगों ने जल संस्थान के सहायक अभियंता केसी पैन्यूली से उनके कार्यालय में मुलाकात कर शहर में नियमित जल आपूर्ति की मांग की है। अखिल भारतीय पंचायत विकास संगठन के प्रदेश प्रवक्ता वाचस्पति रयाल के नेतृत्व में शहर का एक प्रतिनिधिमंडल जल संस्थान के सहायक अभियंता केसी पैन्यूली से मिला और पेयजल संकट से अवगत कराया। कुमारखेड़ा निवासी नर पाल ¨सह भंडारी ने शिकायत की कि उनके वार्ड में गत तीन दिनों से पानी की आपूर्ति बाधित है जिस कारण वहां लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है,
नई टिहरी में पिछले तीन दिन से पानी का संकट बना हुआ है। शहर में पानी की नियमित आपूर्ति न होने से लोग परेशान हैं। पानी के लिए लोगों को हैंडपंप या फिर दूर जल स्त्रोतों पर जाना पड़ रहा है। टिहरी शहर में पिछले तीन दिनों से लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। नई टिहरी में केवल सुबह केवल एक बार ही पानी की आपूर्ति होती है, लेकिन पिछले तीन दिन से वह भी सुचारू नहीं हो पा रही है। बाजार के कई जगहों पर तो पानी की आपूर्ति ठप है जिस कारण लोग परेशान हैं। पानी की सुचारू आपूर्ति न होने से ढाईजर हैंडपंप व इसके समीप जल स्त्रोत, छमुंड हैंडपंप पर सुबह-सायं पानी भरने के लिए भीड़ लगी रहती है। शहर के कई जगहों पर पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है जिस कारण शहरवासियों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि शहर में दिनभर में एक समय में पानी की आपूर्ति होती है वह भी कुछ दिनों से सुचारू नहीं हो पा रही है। शहर के नजदीक जल स्त्रोत भी नहीं है इसके लिए लोगों को काफी दूर जाना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से शहरवासी पानी के लिए परेशान हैं।

अनुसूचित जाति के परिवारों की समस्याओं को कोई सुनने को तैयार नही
श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित ग्राम सभा मंगसू, गुगली व थलीसैंड के अनुसूचित जाति के परिवारों की समस्याओं के निराकरण को लेकर कलक्ट्रेट में क्रमिक अनशन जारी रहा। ग्रामीणों ने समस्या का निस्तारण नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित ग्रामीण मांग को लेकर धरने पर बैठे है। समस्या का निस्तारण नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया था जो जारी रहा। परियोजना के चलते प्रभावित समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन उनकी एक भी समस्या का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है। प्रभावितों का कहना है कि कंपनी में सभी विस्थापितों व प्रभावित परिवारों को रोजगार दिया जाना चाहिए था। कहा कि अधिकांश लोग बेरोजगार घूम रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रभावितों के खेतों में बजरी व कंकरीट पड़ी होने से खेतों की उपजाऊ क्षमता कम हो गई है। धरना देने वालों में हर्षलाल मुयाल, मुन्ना लाल, कमलेश शाह, चंपा देवी, मंजू देवी, सावित्री देवी, सुशीला देवी, रीना देवी आदि शामिल थे।

टिहरी जिले में जंगलों की आग थमने को नहीं है। जौनपुर, भिलंगना और थौलधार ब्लॉक के जंगलों में लगी आग विकराल होती जा रही है। भिलंगना के नैलचामी, मुयालगांव, द्वारी, मंज्याड़ी, चामी और जौनपुर के धनोल्टी, कंचनपुर, भवान के जंगलों में बृहस्पतिवार रात से आग भड़की हुई है। धनोल्टी रेंज के जंगल में आग बुझाने के प्रयास में वन दरोगा किशन सिंह के बाल झुलस गए। इधर, साड़ो और कंडी के जंगलों में शुक्रवार सुबह से आग धधकी हुई है। यहां इस फायर सीजन में दूसरी बार आग लगी है। रेंज अधिकारी आशीष डिमरी का कहना है कि जंगलों में लगी आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है।
नई टिहरी जिले में कई स्थान वनों की आग की चपेट में हैं। कुछ स्थानों पर तो पांच दिन से आग भड़की है। आग के कारण तापमान बढ़ने के साथ ही आसपास धुंध छाई हुई है। जिला मुख्यालय के समीप बुडोगी के जंगल में आग लग गई। विकास खंड भिलंगना के जंगलों में पिछले एक सप्ताह से भीषण आग लगी हुई है। लेकिन वन महकमा इस पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहा है। विभाग इस मात्र बर्न कंट्रोल कर अपने कार्यो की इतिश्री कर रहा है। आग के कारण पूरे इलाके मे धुआं फैल गया है। विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। ब्लॉक भिलंगना मे वन रेंज, जखन्याली, ढाबसौड़ द्वारी, मुयालगांव, बनचुरी, सेमलथ, तोणखंड, सौड भिलंग, फलेंडा, घनसाली,, पौखाल, सहित बाल गंगा रेंज के जंगल पिछले एक सप्ताह से भीषण आग की चपेट में है। आग के कारण जहां-जहां वन संपदा जल कर नष्ट हो रही है। वही पेयजल स्त्रोतों पर भी इस का बुरा असर देखने को मिल रहा है। वनों की आग से पेयजल स्त्रोत पर भी पानी की कमी होने लगी है। आग के कारण पूरे क्षेत्र में वातावरण पूरी तरह से दूषित हो गया है। सबसे अधिक अस्थमा के रोगियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

प्रदेश, जिले, देश और दुनियां से कटे हुए ग्रामीण
नई टिहरी के ग्राम पंचायत मेड, मरवाड़ी, ¨पसवाड़, गेंवली में कनेक्टविटी की समस्या होने के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार लोगों के कहीं भी संपर्क नहीं हो पाते हैं। सिगनल के लिए ग्रामीणों को गांव से काफी दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सोनिका व दूरसंचार विभाग के महाप्रबंधक को ज्ञापन भेजकर इन गांवों के आसपास टावर लगाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना उक्त गांव सीमांत गांव है इन ग्राम पंचायतों की आबादी दस हजार से ऊपर है। वर्तमान समय में यहां ग्रामीणों को सिगनल न होने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बात करने के लिए ग्रामीणों को काफी दूर जाना पड़ता है। निवाल गांव में जो टावर लगाया भी गया है वह भी एक महीने से ठप पड़ हुआ है। यहां पर भी संचार सेवा बाधित हो रखी है। जिससे मोबाइल पर बात करने के लिए ग्रामीणों को करीब पांच किमी दूरी बूढ़ाकेदार आना पड़ता है। कनेक्टविटी न होने से मोबाइल का फायदा ग्रामीणों का नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने गांवों के आस-पास टावर लगाए जाने की मांग की है ताकि लोगों को सुविधा मिल सके। ग्रामीणों ने शीघ्र मोबाइल टावर नहीं लगने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। ज्ञापन देने वालों में प्रधान सता देवी, मालचंद ¨सह राणा, राजपाल पंवार, महावीर प्रसाद पैन्यूली, सुरेंद्र पंवार आदि शामिल थे।
नई टिहरी के जाखणीधार के चाह गांव में खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाेचार का मामला ग्रामीणो ने सामने रखा। ग्रामीणों ने बताया कि घनसाली गोदाम से किस तरह राशन का पचास किलो का बैग गांव आते-आते 45 किलो का हो जाता है। जाखणीधार ब्लॉक के चाह गांव में बहुउद्देश्यीय शिविर में ग्रामीण मोहन ¨सह व विनोद बिष्ट ने बताया कि 15 किलोमीटर दूर घनसाली गोदाम से उनके गांव में राशन सप्लाई होता है। पचास किलो के बैग में ग्रामीणों को मात्र 45 किलो राशन ही मिलता है। पांच किलो राशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ग्रामीणों को पूरा राशन नहीं मिल पा रहा है।

चार साल से विद्युतीकरण की मांग
नई टिहरी के दोगी पट्टी के ग्राम पंचायत बडीर के गंगलसी सेरा में पिछले 15 दिन से बिजली आपूर्ति बाधित है। गांव में निवासरत 47 परिवार लालटेन और मोमबत्ती के सहारे रात काटने को मजबूर हैं। बडीर के गंगलसी सेरा में 15 दिन पहले गांव में लाग विद्युत ट्रांसफार्मर खराब हो गया था। तब से गांव में अंधेरा पसरा हुआ है। क्षेत्र पंचायत सदस्य शाखा देवी ने बताया कि ऊर्जा निगम के अधिकारियों को उसी दिन ट्रांसफार्मर खराब होने की जानकारी दे दी गई थी, लेकिन ऊर्जा निगम के अधिकारी ट्रांसफार्मर गांव तक पहुंचाने के लिए मजदूर न मिलने की बात कह रहे हैं। जंगलों में आग लगे होने की वजह से जंगली जानवर रात को गांव के आसपास आ रहे हैं। ऐसे में लोग शाम होते ही घर में दुबकने को मजबूर हैं।
ग्राम तिखोन के प्रधान ने कहा कि भोंगर तोक में विद्युतीकरण की चार साल से मांग की जा रही है। आश्वासन के बावजूद अभी तक कार्य शुरू नहीं हो पाया है। नैनबाग में थत्यूड कैम्टी सड़क का निर्माण शुरू न होने से आठ गांवों के ग्रामीण आक्रोशित हैं।
प्रखंड जौनपुर के अंतर्गत ग्राम पुनेठा, मवाजा, कोल्टी, जिंसी, कफुल्टी, जोहडी, वासी आदि ग्रामीणों ने विगत दो सालों से सड़क का निर्माण शुरू न होने पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि सरकार गांव में सड़क पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन सरकार का एक भी कार्य पूरा नहीं हो रहा है। वहीं थत्यूड कैंप्टी सड़क के बीच का 10 किमी मोटर का शेष भाग अधूरा पड़ा है। जबकि 29 मई 2017 को मुख्यमंत्री की ओर से सड़क का शीघ्र निर्माण शुरू करने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद भी आज तक कार्य शुरू नहीं हुआ। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि यदि 15 दिनों के भीतर थत्यूड़ कैंम्टी सड़क का कार्य शुरू नहीं किया गया,तो वे आंदोलन करेंगे। बैठक में सुमेर ¨सह, भरत ¨सह, खजान ¨सह, महावीर ¨सह, प्रेम ¨सह, जसवीर ¨सह, पूर्ण ¨सह, जगत ¨सह, सूरत ¨सह, सुर्जन ¨सह, सूरत ¨सह भीम ¨सह, मुन्ना ¨सह, आदि उपस्थित रहे।

चंबा-धरासू राष्टीय राजमार्ग से जुड़े ग्रामीणों ने सड़क चौड़ीकरण से हो रहे नुकसान का मुआवजा दिए जाने की मांग की है। किरगणी, रामगढ़, जुगड़गांव, बेरगणी और बौर आदि के ग्रामीणों का कहना है कि सड़क का चौड़ीकरण होने से उनका बहुत नुकसान हो गया है। सड़क का कटान होने से संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त होने के साथ ही पेयजल लाइनें भी टूट गई हैं। इसके अलावा मलबे से सड़क से नीचे की ओर के खेत दब गए हैं। वहीं कई जगहों पर मकान भी खतरे की जद में है। मकानों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार लगाई जानी चाहिए। वहीं नुकसान की भरपाई के लिए ग्रामीणों का मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।
सुमनक्यारी से बणगांव-सुरांसू- खरक होते हुए कांडी गांव के लिए वर्ष 2003-04 में 16 किमी सड़क निर्माण को स्वीकृति मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ। लोनिवि ने वर्ष 2007 तक सुमनक्यारी से सुरांसू तक 10 किमी सड़क काटकर आगे का निर्माण रोक दिया। लोगों का कहना है कि पहले चरण के लिए 12 किमी के लिए टेंडर जारी किए गए थे। ग्रामीणों का कहना है कि जब 12 किमी का बजट स्वीकृत था, तो दो किमी आगे सड़क क्यों नहीं बनाई गई। गांव के सूरत सिंह रावत ने बताया कि डीएम से मिलने पर उन्होंने जल्द सर्वे के निर्देश दिए थे, लेकिन दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

ग्रामीण अपनी आवाज उठाकर हक मांगते है तो तुरंत मुकदमे दर्ज
आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन ¨सह राणा के नेतृत्व में पिपोला, रौलाकोट, भटकंडा, चोपड़ा, गडोली आदि गांवों के ग्रामीण डीएम कार्यालय में एक दिन के धरने पर बैठ गए। सोहन ¨सह राणा ने कहा कि टिहरी झील के कारण इन गांवों में मकानों में दरारें पड़ी हैं और भूस्खलन हो रहा है। इससे ग्रामीण खतरे में जी रहे हैं। 415 परिवारों के विस्थापन के लिए सरकार ने कई बार घोषणा कर दी लेकिन अभी तक विस्थापन नहीं हो पाया है। सात सालों से ग्रामीणों विस्थापन की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2016 में विस्थापन के लिए जमीन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया लेकिन पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही के कारण अभी तक केंद्र सरकार की आपत्तियों का निराकरण नहीं किया गया है। राणा ने कहा कि ग्रामीण डीएम से पूछते हैं कि उन्हें विस्थापन के लिए भूमि कब उपलब्ध होगी, प्रशासन ने विस्थापन के लिए अभी तक क्या कार्रवाई की है। ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमे कब वापस होंगे और ग्रामीणों की संपत्तियों का मूल्यांकन कब किया जाएगा। धरना देने वालों में राम ¨सह पंवार, प्रदीप भट्ट, रामप्यारी देवी, सुनीता देवी, सुनीता रावत, साहब ¨सह, सरोजनी देवी, नीलम रावत आदि ग्रामीणा शामिल रहे।

पानी की विकराल समस्‍या
बूंद बूंद पानी के लिए तरसते टिहरी जनपद वासी
टिहरी बांध की झील से देश के कई राज्यों को पानी की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन विस्थापित शहर नई टिहरी में स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। पानी की आपूर्ति विधिवत भी नहीं हो पा रही है। पेयजल के लिए नगर वासियों को हैंडपंप और जलस्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
नई टिहरी शहर में शुद्ध व विधिवत पेयजल आपूर्ति की मांग को लेकर सुमन पार्क से कलक्ट्रेट परिसर तक जलाधिकार बंठा प्रदर्शन रैली निकाली। इस दौरान उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कलक्ट्रेट परिसर में मिट्टी के खाली मटके भी फोड़े।
नई टिहरी वासियों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। शहर में शीघ्र शुद्ध पेयजल आपूर्ति, खराब हैंडपंपों को दुरस्त करने, जीर्ण-शीर्ण पेयजल लाईनों को ठीक करने, पेयजल बिलों को माफ करने, पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों क्षेत्रों में टैकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति करने की ओर कोई ध्‍यान नही है।
घनसाली (टिहरी) में भिलंगना ब्लॉक के घुत्तु में पिछले 15 दिन से पानी का संकट बना हुआ है। लोगों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है, जिससे घुत्तु क्षेत्र के लोगों को भिलंगना नदी से पीने का पानी ढोना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने जल संस्थान पर समस्या पर ध्यान न देने का आरोप लगाया। पेयजल की नियमित आपूर्ति न होने पर खाली बर्तनों के साथ जल संस्थान कार्यालय में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
घुत्तु में 500 परिवार निवासरत हैं। स्थानीय लोगों को पानी देने के लिए वर्षों पूर्व राणीडांग से घुत्तु बाजार तक पेयजल योजना का निर्माण करवाया था, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण 15 दिन पानी की आपूर्ति ठप पड़ी है। पूर्व प्रधान समन सिंह धनाई, व्यापार मंडल अध्यक्ष विजय उनियाल, अब्बल सिंह, सुंदर राणा, श्रीपति जोशी ने बताया कि पानी की आपूर्ति न होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नरेंद्रनगर (टिहरी)। दुआधार और आसपास गांव में पेयजल संकट गहरा गया है। ग्रामीणों ने एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान से मिलकर जल्द आपूर्ति की मांग की है। दुआधार, हिंडोलाखाल और मां कुंजापुरी मंदिर क्षेत्र में पेयजल का संकट गहराने लगा है। दुआधार में तो दो माह से आपूर्ति ठप पड़ी है। कुंजापुरी में भी पानी का संकट बना हुआ है। क्षेत्र में लगे तीन में से दो हैंडपंप खराब पड़े हैं, जबकि एक में दूषित पानी आ रहा है। जनता ने व्यवस्था में सुधार होने तक टैंकरों से जलापूर्ति कराने की मांग की है।
करीब आठ साल पूर्व पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसके बाद सिस्टम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
नबाग में गर्मी शुरू होते ही जल स्त्रोत सूखने से ग्राम मैड मल्ला में पेयजल संकट गहराने लगा है। यहां ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ग्रामीण ढाई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर प्यास बुझाने को विवश हैं। विकासखंड जौनपुर के अंतर्गत दशजुला पट्टी के ग्राम मैड मल्ला गांव में इन दिनों ग्रामवासी पेयजल के संकट से जूझ रहा है। ग्रामीण महिलाएं खेतीबाड़ी का काम निपटाने के बाद करीब ढाई किमी पैदल चलकर दूसरे गांव के प्राकृतिक जल स्त्रोत से पानी लाने को मजबूर हैं, जिससे महिलाओं का अधिकांश समय इसी में व्यतीत हो रहा है। करीब आठ साल पूर्व पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसके बाद सिस्टम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। यहां ग्रामीणों के साथ-साथ मवेशियों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
नरेंद्रनगर में पाथौं-छतेंडी मोटर मार्ग निर्माण के चलते हैं वर्ष 2017 में क्षतिग्रस्त हुई पाथों गांव की पेयजल पाइप लाइन की मरम्मत अब तक न किए जाने से ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट पैदा हो गया है।
ग्राम पाथौं के गांव के राजेंद्र ¨सह पुंडीर व वीरेंद्र ¨सह ने उप जिलाधिकारी को बताया कि वर्ष 2017 में क्षतिग्रस्त पेयजल पाइप लाइन की मरम्मत अब तक नहीं की गई ग्रामीणों ने ही क्षतिग्रस्त पेयजल पाइप लाइन पर पॉलिथीन और प्लास्टिक बांधकर किसी तरह थोड़ा बहुत पानी गांव में पहुंचा रखा था। मगर बगैर मरम्मत के पेयजल पाइप लाइन सूख गई है। क्योंकि खजूरा नामक जल स्त्रोत पर भी पानी की कमी हो गई है। उपजिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद अभी तक समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया है। (

टिहरी जनपद में स्‍कूलो की दशा
नई टिहरी: जिले में अभी भी 359 प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों में बिजली की सुविधा नहीं है, जिससे छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां वर्षों से विद्युत संयोजन नहीं लगाए गए हैं, जबकि विद्यालय में पानी, शौचालय, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का होना जरूरी है। इसके बावजूद कई विद्यालय बिजली की राह ताक रहे हैं। बिजली न होने से कई जगह छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा का ज्ञान भी नहीं मिल पा रहा है।
शिक्षा के इस आधुनिक दौर में सरकारी विद्यालय सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। जिले में 1776 प्राथमिक विद्यालय जबकि 350 जूनियर विद्यालय हैं। इनमें से अभी तक 359 जूनियर व प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां बिजली की सुविधा तक नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा सर्वाधिक 77 विद्युत विहीन विद्यालय प्रतापनगर में हैं। विद्यालयों में बिजली की सुविधा न होने के कारण कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार शिक्षा में सुधार की बात तो करती है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है, जबकि विद्यालयों में अनिवार्य बुनियादी सुविधाओं में बिजली का होना भी जरूरी है। बिजली न होने के कारण बरसात के समय में जब कमरों में अंधेरा होता है। ऐसे में पठन-पाठन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं, छात्रों को तकनीकी शिक्षा भी नहीं मिल पाती है। विद्यालय में सुरक्षा के लिहाज से भी बिजली का होना जरूरी है। खासकर दूर के विद्यालयों में यह समस्या बनी हुई है। अब देखना यह है कि इन विद्यालयों में कब तक बिजली पहुंच पाती है।
नई टिहरी जिले में अभी तक 272 प्राथमिक व जूनियर विद्यालय क्षतिग्रस्त की श्रेणी में है। इनमें से कुछ विद्यालय की स्थिति जर्जर है। इनमें सबसे ज्यादा भिलंगना में 47 विद्यालय है। इनमें से ऐसे विद्यालय में भी जो लंबे समय से खस्ताहाल हैं, लेकिन अभी तक इनकी मरम्मत नहीं हो पाई है। यह भवन नौनिकालों के लिए खतरा बने हुए है।
जिले में 1476 प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें से कुद विद्यालय भवनों के मरम्मत व नव निर्माण के लिए धनराशि मिल चुकी है जबकि अभी भी 272 प्राथमिक व जूनियर विद्यालय क्षतिग्रस्त हैं जो मरम्मत की बाट जो रहे हैं। इनमें से भी कुछ की स्थिति काफी खराब है। प्राथमिक विद्यालय चकरेड़ा भी ऐसे ही विद्यालयों में इस विद्यालय भवन की स्थिति जर्जर बनी है। बरसात में छात्र सहमे रहते हैं,लेकिन अभी तक इसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। इस तरह अन्य विद्यालयों की भी स्थिति है। आपदा व अतिवृष्टि के चलते यह भवनों की स्थिति खराब हो रखी है। इन विद्यालयों की मरम्मत क लिए अभी बजट नहीं आया है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों को लेकर ¨चता बनी रहती है। ब्लॉकवार जर्जर विद्यालयों की संख्या
भिलंगना ,47,चंबा, 29,देवप्रयाग,27, जाखणीधार, 34, जौनपुर, 25, कीर्तिनगर, 43, नरेंद्रनगर, 10, प्रतापनगर, 18, थौलधार, 40 ।

उत्‍तराखण्‍ड के एक जनपद- टिहरी गढवाल का रिपोर्ट कार्ड – शीघ्र अन्‍य जनपदो का भी रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित होगा-

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