क्या अजीत पवार का पूरा खेल ख़राब हो गया है? शाम होते-होते अधिकांश विधायक कैसे वापस लौटे

HIGH LIGH# Himalayauk Bureau# क्या अजीत पवार का एनसीपी तोड़ने का पूरा खेल ख़राब हो गया है? # पवार ने जब बयान दिया कि  उन्हें विद्रोहियों को हराना आता है, तो इस बयान का असर ही कह सकते हैं कि शाम होते-होते अधिकांश विधायक वापस लौट आये  # विधायक धनंजय मुंडे के वापस पार्टी की बैठक में लौटने से यह बात अब चर्चा में?   एनसीपी के विधायक दल की बैठक में  धनंजय मुंडे, माणिक राव कोकाटे, दिलीप बनकर, सुनील भुसारा, नरहरी झिरवल, राजेंद्र शिंगडे, सुनील टिंगरे, सुनील सेलके वापस आ गए # शरद पवार के कुछ क़रीबी लोगों ने अजीत पवार को समझाने की कोशिश थी कि वह बीजेपी का साथ छोड़ दें और सरकार से इस्तीफा दे दें। इन लोगों में दिलीप वलसे पाटिल, सुनील तटकरे, हसन मुशरिफ शामिल थे।  # मुंडे के माध्यम से ही यह पूरा ‘खेल’ बीजेपी के नेताओं और अजीत पवार ने रचा था#  सुबह जब यह ख़बर चली कि अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है तो पूरा महाराष्ट्र ही नहीं देश भी सन्न रह गया था #ख़बर चली कि अजीत पवार के साथ 22 विधायक गए हैं लेकिन बाद में यह संख्या 11 रह गयी और उसमें से 8 विधायक शाम तक वापस एनसीपी में आ गए# शनिवार सुबह यह ख़बर आते ही कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी है, महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में हंगामा मच गया। 

एनसीपी के अजीत पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने के बाद भाजपा ने उन्हें एक ही रात में अपने गंगाजल से उन्हें शुद्ध कर दिया. लोकतंत्र को किस दिशा में ले जा रहे हैं. समय आने पर देशवासी इसका जवाब देंगे

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा, संयोग से माननीय CJI भी महाराष्ट्र के हैं महाराष्ट्र के Advocate General रहे हैं, क्या उनके रहते हुए यदि उनके समक्ष सप्रीम कोर्ट में यह संविधान उल्लंघन का प्रकरण आता है तो क्या वे अपना संविधान की शपथ का धर्म निभाएँगे? मुझे विश्वास है वे निभाएँगे।

एंटी डिफेक्शन लॉ जिससे शरद पवार ‘बाग़ी विधायकों’ को डराया  

अजीत पवार ने सुबह 8 बजे शपथ ले ली हो लेकिन शरद पवार को इसकी सूचना सुबह साढ़े 6 बजे मिल गयी थी। पवार को एक विधायक का फोन आया था कि अजीत पवार ने उन्हें राजभवन में बुलाया है। पवार ने स्वयं इस बात का खुलासा किया था। सुबह हुई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में शरद पवार ने मीडिया के समक्ष 4 विधायकों को पेश भी किया था और उनका बयान भी दिलाया था। सभी विधायक एक जैसी ही बात कह रहे हैं कि उन्हें रात बारह बजे एक होटल में बुलाया गया था और सभी को यह बताया गया कि सुबह राजभवन में शपथ लेने आना है। चार विधायक वापस सुबह ही शरद पवार के पास चले आये। बात में पवार ने जब बयान दिया कि अनुशासन भंग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी और कहा कि उन्हें विद्रोहियों को हराना आता है, तो इस बयान का असर ही कह सकते हैं कि शाम होते-होते अधिकांश विधायक वापस लौट आये।

 महाराष्ट्र में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अजीत पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है। मुंबई में पार्टी विधायकों की बैठक में जयंत पाटिल को विधायक दल का नया नेता चुना गया है। अजीत पवार ने शनिवार सुबह ही महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, बैठक में 50 विधायक मौजूद रहे और सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा जाएगा। 

पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी कहा था कि हमने अपने सभी विधायकों के हस्ताक्षर लिए थे और इसी का दुरुपयोग शपथ लेने के लिए किया गया है। नवाब मलिक ने कहा था कि यह सरकार धोखे से बनाई गई है और यह विधानसभा के फ़्लोर पर हार जाएगी। मलिक ने दावा किया था कि पार्टी के सारे विधायक एनसीपी के साथ हैं।  

महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी के अजीत पवार गुट की साझा सरकार बनाने को चुनौती देते हुए शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। शिवसेना ने याचिका में राज्यपाल पर निशाना साधा है और उनकी भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।   

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी नाटक में अब राजनीतिक दलों ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करने का काम शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही कांग्रेस और शिवसेना ने अपने विधायकों को ख़रीद-फरोख़्त से बचाने के लिए होटलों में शिफ़्ट कर दिया था। अब वही काम फिर से शुरू हो गया है। शनिवार को तेजी से बदले राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर शिफ़्ट किया है तो एनसीपी से बग़ावत कर बीजेपी को समर्थन देने वाले कुछ विधायकों को विमान से दिल्ली लाया गया है।    

जब सेना, पवार और कांग्रेस सरकार बनाने के अंतिम दौर में थे, तभी बीजेपी और अजित पवार ने राज्यपाल से मिलने का फैसला कर लिया था. कल देर रात देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया. फडणवीस ने अपने पास 173 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया. इसमें बीजेपी के सदस्यों के अलावा एनसीपी के 54 विधायक, 14 निर्दलीय और अन्य विधायकों के समर्थन होने का दावा किया. रात 11:45 बजे के आसपास एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास एनसीपी के 54 विधायकों की हस्ताक्षर सहित सूची लेकर पहुंचे. अजित पवार ने अपना समर्थन देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी को देने का पत्र राज्यपाल को सौंपा. एनसीपी का समर्थन पत्र मिलने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस बात से आश्वस्त हुए की देवेंद्र फडणवीस के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा है. रात 12 बजे ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में लोकतांत्रिक सरकार के गठन का रास्ता साफ करने के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्णय लिया.  केंद्र को राज्य में गठबंधन सरकार बनने के हालात की जानकारी देते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश भेज दी. सुबह 5.45 बजे के आसपास राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन हटाने की जानकारी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को दी गई. सुबह 6:00 बजे के आसपास राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाने का निर्णय लिया. सुबह 6:30 बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित पवार के शपथ ग्रहण कराने का पत्र भेजा गया. इसमें सुबह ही शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का निवेदन भी था.     

  जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर ने शनिवार को भाजपा का उपहास करते हुए कहा कि एनसीपी के अजीत पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने के बाद भाजपा ने उन्हें एक ही रात में अपने गंगाजल से उन्हें शुद्ध कर दिया. मीर ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका की भी आलोचना की और कहा कि भाजपा के शासन में देश ‘संवैधानिक संकट’ का सामना कर रहा है और यह पार्टी सरकार के गठन के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है. शनिवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के समर्थन से सरकार का गठन किया है. भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजीत पवार ने शनिवार की सुबह क्रमश: मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मीर ने यहां विरोध मार्च के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘देश महाराष्ट्र के घटनाक्रम देख रहा है और यह शायद अपनी तरह का पहला नाटक है जो बेकरार भाजपा ने सत्ता हथियाने के लिए किया है. भाजपा कल तक नेता (अजीत पवार) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही थी. भाजपा ने अपने गंगाजल से रात भर में ही उन्हें शुद्ध कर दिया.’ देश में उत्पन्न कथित आर्थिक संकट के खिलाफ कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के हिस्सा के रूप में मीर शहीदी चौक स्थित पार्टी कार्यालय से उपायुक्त कार्यालय तक कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे थे. इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया.

सीएम और डिप्टी सीएम दोनों ने गिल्टी कॉन्शियस होकर शपथ ली

वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को हटाकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को शपथ दिलाये जाने की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ वह छिपकर करने की क्या आवश्यकता थी, इस प्रकार अचानक राष्ट्रपति शासन का हटना और इस प्रकार शपथ दिलाना कौन-सी नैतिकता है? महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक समीकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों अंतरात्मा से दोषी होकर शपथ ली है और वे महाराष्ट्र में सुशासन दे पाएंगे इसमें संदेह है, जिसका नुकसान महाराष्ट्र की जनता को होगा. गहलोत ने ट्वीट पर कहा कि ये लोग देश में लोकतंत्र को किस दिशा में ले जा रहे हैं. समय आने पर देशवासी इसका जवाब देंगे और भाजपा को सबक सिखाएंगे.  उन्होंने कहा, ‘इस माहौल में फडणवीस जी मुख्यमंत्री के रूप में कामयाब हो पाएंगे, यह डाउटफुल है… सीएम और डिप्टी सीएम दोनों ने गिल्टी कॉन्शियस होकर शपथ ली है वे गुड गवर्नेंस दे पाएंगे इसमें संदेह है जिसका नुकसान महाराष्ट्र की जनता को होगा.’   

   एंटी डिफेक्शन लॉ जिससे शरद पवार ‘बाग़ी विधायकों’ को डराया   

पवार ने यह भी कहा कि जितने विधायक बीजेपी के साथ गए हैं उन्हें दल-बदल कानून के बारे में पता नहीं है. पवार के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में सरगर्मी तेज हो गई है और दल-बदल कानून को लेकर चर्चा चल रही है. क्या कहता है दल बदल कानून ;;अनुसूची के दूसरे पैराग्राफ में एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत अयोग्य करार दिए जाने का आधार स्पष्ट किया गया है- यदि कोई विधायक स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता त्याग दे अगर वह पार्टी द्वारा जारी किए गए निर्देश के खिलाफ जाकर वोट करे या फिर वोटिंग से दूर रहे निर्दलीय उम्मीदवार अयोग्य करार दे दिए जाएंगे अगर वह किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाएं एक पार्टी का विलय दूसरी पार्टी में हो सकता है लेकिन इसके लिए कम से कम पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का वोट जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में ‘स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ने’ को भी स्पष्ट किया है. पार्टी के जारी निर्देश के खिलाफ वोटिंग करने या वोटिंग से दूर रहने को लेकर भी कोर्ट ने व्याख्या दी है. ‘रवि नायक बनाम भारत संघ’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि स्वेच्छापूर्वक सदस्यता छोड़ना इस्तीफा नहीं है, बल्कि इसकी व्याख्या कहीं ज्यादा विस्तृत है. कोई सदस्य किसी राजनीतिक पार्टी से स्वेच्छा से अपनी सदस्यता छोड़ सकता है भले ही उसने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा ना दिया हो. एक दूसरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी पार्टी का कोई विधायक अपनी राजनीतिक पार्टी से बाहर किसी और नेता को सरकार बनाने के लिए समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप देता है तो यह मान लिया जाएगा कि उस सदस्य ने पार्टी की अपनी सदस्यता स्वेच्छापूर्वक त्याग दी है.

 महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 का है. विधानसभा चुनाव के नतीजों में  बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं.

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