मुख्‍य नेशनल न्‍यूज- मुस्लिम महिलाओं को उम्मीद की बडी किरण

TOP NATIONAL NEWS; 18 APRIL;17

www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKAND) Available in FB
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सेना ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच दिए जाने से इनकार कर दिया है. कुछ दिनों पहले भारत ने राजनयिक पहुंच की मांग जोरदार ढंग से रखी थी. जाधव (46) को कथित जासूसी के मामले में फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने पिछले सप्ताह मौत की सजा सुनाई थी. इसको लेकर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर जाधव की ‘पूर्वनियोजित हत्या’ को अंजाम दिया गया, तो द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जून महीने में कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर बैठक से इतर मुलाकात कर सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है। पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि एससीओ के प्रभावशाली देश पाकिस्तान और भारत के बातचीत की प्रक्रिया में फिर साथ आने पर जोर दे रहे हैं ताकि अगली शिखर बैठक अनुकूल माहौल में हो सके।
खबर में कहा गया है कि दोनों देशों को एससीओ में इस शर्त पर शामिल किया गया है कि वे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के साथ संगठन के हित को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे। अखबार के अनुसार यही एक मुख्य वजह थी कि 2015 के एससीओ शिखर बैठक से इतर मोदी और शरीफ रूस के उफा शहर में मिले थे। अस्ताना में दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह ‘बहुत हद तक संभव’ है।
अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान नहीं चाहता है कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा के मुद्दे की वजह से भारत के साथ संपूर्ण द्विपक्षीय संवाद प्रक्रिया कमजोर हो। एससीओ शिखर बैठक के लिए दोनों नेता अस्ताना में मौजूद होंगे। भारत और पाकिस्तान को एससीओ में औपचारिक रूप से पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। इस समूह में रूस, चीन और मध्य एशियाई देश शामिल हैं।
वही दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन ने सोमवार को कहा कि कैदियों का अदला-बदली संभवत: एक मात्र तरीका है, जिससे कथित जासूस कुलभूषण जाधव का मामला हल किया जा सकता है। नारायणन ने यहां कहा, “मेरे विचार से कैदियों की अदला-बदली ही एकमात्र तरीका है, जिससे हम इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं। लेकिन बाद में उन्होंने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारत ने चेतावनी दी है कि यदि जाधव को फांसी हुई तो इसे ‘सुनियोजित हत्या’ माना जाएगा।
जाधव को जासूसी और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान का कहना है कि जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। भारत का कहना है कि उसे ईरान से अपहरण करके लाया गया। इस मामले को लेकर भारत ने शनिवार को 17 अप्रैल को निर्धारित द्विपक्षीय समुद्री सुरक्षा वार्ता को रद्द कर दिया। द नेवतिया युनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन से इतर नारायणन ने यह बात कही।
वहीं दूसरी ओर भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में भारत ने पाकिस्तान से जो दस्तावेज मांगे थे, वे अभी तक मुहैया नहीं कराए गए हैं और न ही पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब मिला है। राजनयिक चैनल के जरिए भारत ने जाधव के खिलाफ दायर किए गए आरोपपत्र और सैन्य अदालत के फैसले की प्रमाणित प्रतियां मुहैया कराने की मांग की थी। इस बीच, रविवार को भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत के बीच मुलाकात के दौरान जाधव मुद्दे के चलते पैदा हुए पर बातचीत हुई। दोनों ने सीमा पर हालात की समीक्षा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने रविवार को कहा, ‘हमने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से आरोपपत्र की प्रमाणित प्र्रति के साथ-साथ जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के फैसले की प्रति मांगी थी लेकिन पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।’ इस बीच, पाकिस्तान जाधव मामले में तैयार किए गए डोजियर को संयुक्त राष्ट्र के साथ ही इस्लामाबाद स्थित विभिन्न राजनयिक मिशनों को सौंपने की तैयारी में है। पाकिस्तान की इस गतिविधि पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने निगाह लगा रखी है। रक्षा मंत्रालय भी अपनी ओर से एहतियात बरत रहा है। सीमा पर सेना की चौकसी की लगातार समीक्षा की जा रही है। इस बारे में अजित डोभाल और जनरल बिपिन रावत के बीच बातचीत हुई बताई जा रही है।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने संवाददाताओं से कहा, ‘कानून के तहत हम जासूसी में शामिल कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं दे सकते.’ बहरहाल, नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों ने कहा कि राजनयिक पहुंच से इनकार किए जाने को लेकर पाकिस्तान की तरफ से कोई सूचना नहीं दी गई है. पाकिस्तान पिछले एक साल में जाधव तक राजनयिक पहुंच की भारत की मांग को करीब एक दर्जन बार ठुकरा चुका है. मेजर जनरल गफूर ने कहा कि जाधव राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था इसलिए उसे कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा, ‘यह (जाधव को पकड़ना और दंडित करना) सेना का फर्ज था. हमने इस पर समझौता नहीं किया और उसे सजा सुनाई. हम भविष्य में भी इस मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे.’ सेना के प्रवक्ता ने कहा कि जाधव के खिलाफ सुनवाई के लिए सभी कानूनी जरूरतें पूरी की गईं.
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कोलकाता: ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने नारद स्टिंग मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है, जिसमें वे कथित तौर पर कैमरे पर बड़ी रकम लेते हुए कैद हुए थे. एनडीटीवी इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता है. यह वीडियो पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने से ठीक पहले पिछले साल 14 मार्च को एक वेब पोर्टल नारदन्यूज.कॉम द्वारा जारी किया गया था. हालांकि ‘नारद स्टिंग’ नाम से चर्चित इस प्रकरण का चुनावों में तृणमूल के भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ा और ममता बनर्जी लगातार दूसरी बार सत्ता में बिना किसी परेशानी के वापस आ गईं.

ममता बनर्जी ने इस मामले में सीबीआई द्वारा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर सोमवार को कहा, तो क्या हुआ, अगर एफआईआर दर्ज की गई है? एफआईआर का यह मतलब नहीं है कि कोई दोषी हो गया. यह एक राजनीतिक खेल है, हमें इसे उसी तरह लड़ेंगे. इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि वह नोटबंदी समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई पहलों का लगातार विरोध करती रही हैं, इसलिए केंद्र सरकार उनकी पार्टी को सताने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है.

सीबीआई द्वारा सोमवार को दर्ज एफआईआर में तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान लोकसभा सांसदों, मौजूदा और पूर्व मंत्रियों समेत 12 वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की मांग को ठुकराते हुए साफ कर दिया कि सीबीआई जांच पर रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का वक्त 72 घंटे से बढ़ाकर एक महीने कर दिया था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 72 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे.
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चाहे पांडवों की एकता हो, कृष्णर का ज्ञान या युद्ध, ‘महाभारत’ हमेशा से ही सबसे चर्चित महाकाव्योंक रहा है. चाहे सीरियल हो या फिल्में, महाभारत को कई रूप में हमने देखा है, लेकिन यूएई का एक व्यानपारी इसके एक ऐसे भव्‍य रूप को सामने लाने की तैयारी कर हा है जिसे आज से पहले कभी नहीं देखा गया. न्यूवज एजेसी भाषा के अनुसार यूएई में रहने वाले एक भारतीय व्यापारी भारत की सबसे बड़ी मोशन पिक्चर ‘द महाभारत’ निर्माण करने वाले हैं. इस फिल्म में 1,000 करोड़ रूपये का निवेश किया जा रहा है. यह फिल्म. कई विदेशी भाषाओं के साथ ही भारत की प्रमुख 6 भाषाओं में रिलीज की जाएगी.

इस फिल्म का निर्देशन जाने माने एडमैन और विज्ञापन फिल्म निर्माता वी ए श्रीकुमार मेनन कर रहे हैं. फिल्म का निर्माण दो हिस्से में किया जाएगा और इसकी शूटिंग सितंबर 2018 में शुरू हो जाएगी और 2020 की शुरूआत में इसका प्रदर्शन होगा. फिल्म का दूसरा हिस्सा पहला हिस्सा प्रदर्शित होने के 90 दिन बाद जारी किया जाएगा.

फिल्म बना रहे धारावाहिक व्यापारी और अरबपति बी आर शेट्टी के स्वामित्व वाली एक कंपनी ने एक विज्ञप्ति में बताया है, ‘यह फिल्म मुख्य रूप से अंग्रेजी, हिन्दी, मलायालम, कन्नड़, तमिल और तेलगु एवं प्रमुख विदेशी भाषाओं में बनायी जाएगी.’ निर्माताओं की कोशिश रहेगी की इस फिल्मह को दुनिया के सभी महाद्वीपों तक पहुंचाया जाए. इस फिल्म में अकादमी पुरस्कार विजेताओं सहित विश्व सिनेमा की कुछ महान हस्तियां भी शामिल होंगी. फिल्म में भारतीय सिनेमा के साथ साथ हॉलीवुड के कुछ बड़े सितारे भी नजर आएंगे.
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सूरत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 घंटे के अंदर गुजरात और पड़ोस के केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली में कुल मिलाकर चार बड़ी सभाएं की हैं. पहली नजर में ये लग सकता है कि मोदी महज कुछ सरकारी योजनाओं को लांच करने या फिर कुछ बड़ी इमारतों के उदघाटन या फिर लोकार्पण के लिए आए थे और इसलिए उन्होंने ये सभी सभाएं की लेकिन मामला इतना आसान नहीं है.
मोदी ने चौबीस घंटे के अंदर कई बड़े राजनीतिक समीकरणों को साधा. ये तमाम राजनीतिक समीकरण 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर हैं. इन समीकरणों को साधने की शुरुआत सूरत एयरपोर्ट पर कल शाम मोदी के कदम रखते ही हो गई थी. सूरत एयरपोर्ट से सर्किट हाउस के करीब ग्यारह किलोमीटर लंबे मार्ग पर मोदी जब रोड शो की शक्ल में लोगों के सामने आए, तो मोदी की निगाह सूरत के लोगों से अपने रिश्ते को प्रगाढ़ करने की थी. रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए रोड शो असरदार जरिया है, इसका मोदी को भली-भांति अंदाजा है. पिछले कई वर्षों में इसे सफलतापूर्वक वो साध भी चुके हैं.
सूरत में कल शाम के रोड शो के दौरान पीएम मोदी लाखों लोगों से रूबरू हुए. इस दौरान उनकी सरकार की योजनाओं का प्रचार भी होता रहा और मोदी लोगों की नब्ज भी मापते रहे. सूरत शहर के लोगों के चेहरों के भाव से मोदी को भली-भांति इस बात का अंदाजा लग गया था कि अब भी यहां के लोग उसी शिद्दत के साथ उनके पीछे खड़े हैं, जैसा पिछले चुनावों में रहा है.
जहां तक पिछले चुनावों की बात है, 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ तौर पर बताते हैं कि सूरत और यहां के लोगों ने मोदी का किस कदर साथ दिया. उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और 2012 विधानसभा चुनावों की सफलता उन्हें प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर आगे ले जा सकती थी, इसका अंदाजा न सिर्फ उन्हें और उनक समर्थकों को था, बल्कि सियासी विरोधियों को भी था. ऐसे में 2012 के विधानसभा चुनावों में मोदी को जो बड़ी कामयाबी मिली, उसमें सूरत और यहां के लोगों का बड़ा हाथ रहा.

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तीन तलाक के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो रुख अपनाया है उसने मुस्लिम महिलाओं को उम्मीद की बडी किरण दिखाई है. तीन तलाक रहेगा या जाएगा, ये तो सुप्रीम कोर्ट में तय होगा लेकिन तीन तलाक पर बहस के बीच समान नागरिक संहिता यानी एक देश एक कानून की बहस भी तेज हो गई है. 2014 में संसद में समान नागरिक संहिता के लिए बिल पेश करने वाले योगी आदित्यनाथ ने आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के हवाले से फिर समान नागरिक संहिता की चर्चा तेज की है.
समान नागरिक संहिता यानी एक देश एक कानून का जिक्र आते ही ऐसी तस्वीर बनने लगती है जैसे देश में किसी एक धर्म का कानून लागू करने की बात हो रही हो या देश पर हिंदुत्व का ठप्पा लगने वाला हो. चूंकि बीजेपी समान नागरिक संहिता की बात उठाती रही है इसलिए ये ठप्पा और गहराने लगता है.
मुस्लिम समाज समान नागरिक संहिता के नाम से बिदकने लगता है क्योंकि समान नागरिक संहिता चार शादियां करने की आजादी, तीन तलाक देने की छूट की आजादी पर चोट कर सकती है. समान नागरिक संहिता के जिस बहस को योगी आदित्यनाथ ने गर्म किया है उसका संदर्भ भी तीन तलाक का जहर पी रही मुस्लिम महिलाओं को बचाना है.
लखनऊ में आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी गई किताब के विमोचन के मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक को लेकर बयान दिया. तीन तलाक के मुद्दे पर बात करते हुए योगी ने द्रौपदी के चीरहरण का जिक्र किया और पूछा कि देश में इस समस्या पर लोग खामोश क्यों हैं ?
सवालिया अंदाज में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘कुछ लोगों के मुंह बंद क्यों हैं?’ सीएम योगी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का भी जिक्र करते हुए कहा कि एक देश है तो कानून एक क्यों न हो ? शादी-ब्याह के कानून अलग-अलग क्यों हो ? साथ ही कहा कि ‘तीन तलाक पर जो मौन है जो अपराधियों की तरह हैं.’
यूपी में विकास की गाड़ी सरपट भगाने में जुटे योगी वो मुद्दे नहीं भूले जिसने उनको यहां तक पहुंचाया है. 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद गोरखपुर के बीजेपी सांसद के तौर पर भी योगी आदित्यनाथ ने जुलाई में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था. आज सीएम बनने के बाद फिर उन्होंने ये सवाल पूछा है कि तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं का चीरहरण रोकने के लिए समान नागरिक संहिता क्यों नहीं?
समान नागरिक संहिता बीजेपी के उन मुद्दों से है जो बीजेपी की पहचान रही है. राम मंदिर, जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता बीजेपी के संघर्ष के दिनों के मुद्दे हैं लेकिन बीजेपी जैसे जैसे सत्ता की बढ़ती गई, इन मुद्दों को पीछे छोडती गई. चुनाव की हर किताब में इस पर एक पैरा लिखा जाता रहा लेकिन मौका मिलने पर मुद्दे ठंडे बस्ते में डाल दिए गए.
2014 के जिस चुनाव में मोदी को पीएम प्रोजेक्ट किया गया था उसका घोषणापत्र डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बनाया था. भारत के संविधान की धारा 44 में समान नागरिक संहिता राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के रुप में दर्ज की गई है. बीजेपी का मानना है कि जब तक भारत में समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता है तब तक लैंगिक समानता कायम नहीं हो सकती है. समान नागरिक संहिता सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती है. बीजेपी सर्वश्रेष्ठ परम्पराओं से प्रेरित समान नागरिक संहिता बनाने को कटिबद्ध है. जिसमें उन परम्पराओं को आधुनिक समय की जरूरतों के मुताबिक ढाला जाए.
मोदी तीन तलाक के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा मोदी की पीड़ा बन गई है. मोदी इस पीड़ा के समाधान की ठान चुके हैं लेकिन किसी धर्म के साथ टकराव या धर्म में संघर्ष की कीमत पर नहीं.
विधि आयोग से मांगी है राय
पहली बार सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से राय मांगी है. पिछले साल 7 अक्टूबर को मोदी सरकार के कहने पर ही विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता को लेकर 16 सवालों का कवेचरनायर बनाकर जनता से रायशुमारी शुरू की थी.
समान नागरिक संहिता होनी चाहिए? क्या एक से अधिक पत्नी या पति की परंपरा को प्रतिबंधित करना चाहिए? क्या तीन तलाक को समाप्त करना चाहिए? या संशोधनों के साथ बनाए रखना चाहिए?
मुस्लिमों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हजार साल पुराने पर्सनल लॉ को पत्थर की लकीर माने बैठा है. तीन तलाक को खत्म करना उसे मंजूर नहीं. पर्सनल लॉ में सरकार या कोर्ट की दखलअंदाजी गवारा नहीं लेकिन देश का मूड और मुस्लिम समाज का मूड बदल रहा है. तीन तलाक के खिलाफ गुस्से ने मुस्लिम समाज में ही समान नागरिक संहिता के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया है.
समान नागरिक संहिता पर सरकार कैसे बढ़ेगी, इसकी कोई स्पष्ट तस्वीर दिख नहीं रही है लेकिन तीन तलाक पर सरकार फ्रंट फुट पर है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार तीन तलाक खत्म करने की मांग कर चुकी है. 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होनी है जो मुस्लिम महिलाओं के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकती है.
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सोनी इंडिया ने बजट को ध्यान में रखकर ‘एक्स्ट्रा बास’ सीरीज के तीन नए हेडफोन्स लॉन्च किए हैं. जो म्यूजिक का बेहतरीन एक्सपीरियंस देता है. सोनी के इन स्पैलप्रुफ इन इयर स्पोर्ट्स हेडफोन्स के तीन मॉडल हैं- वायरलेस MDR-XB950B1, वायर्ड MDR-XB550AP और DR-XB510AS.
इन हेडफोन्स की कीमत 12,990, 3,290 और 2,790 रुपये हैं. ये सभी सोनी सेंर्ट्स और खास इलेक्ट्रॉनिक स्टोर पर 20 अप्रैल से बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे.
कंपनी ने बताया, “एमडीआर-एक्सबी950बी1 एक प्रीमियम वायरलेस हेडफोन जो खासतौर से ईडीएम म्यूजिक पसंद करने वालों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. यह ब्लूटूथ ऑडियो स्ट्रीमिंग सपोर्टिव है. जिसका बास रेसपॉन्स बढ़ाया गया है.”
यह हेडफोन नीयर फील्ड टेक्नॉलजी (एनएफसी) से लैस है और यह एपीटी एक्स और एएसी कोडेक्स सपोर्टिव है.
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दिल्ली में एमसीडी चुनाव के बीच अचानक ‘राशन कार्ड का जिन्न’ सामने आ गया है. दिल्ली की राजनीति में राशन कार्ड बनाने वाले नेता के नाम से चर्चित केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं.
इस बार संदीप की चर्चा की वजह आम आदमी पार्टी नहीं बल्कि बीजेपी बनी है. संदीप कुमार इस बार आम आदमी पार्टी के लिए नहीं बल्कि बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. संदीप कुमार दिल्ली के नरेला इलाके में बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. संदीप कुमार के बीजेपी के लिए वोट मांगने वाली तस्वीर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन गया.
पिछली साल सामने आया था सेक्स स्कैंडल
संदीप कुमार का सेक्स स्कैंडल पिछले साल सामने आया था. आपके चैनल एबीपी न्यूज़ ने सबसे पहले खबर से आपको रूबरू करवाया था. सेक्स सीडी सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी के साजिश के आरोप लगाते हुए संदीप कुमार करा बचाव करते भी नजर आए थे.
आसुतोष ने ब्लॉग लिख पूछा ता- क्या गलत किया?
पिछले साल 2 सितंबर को आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने संदीप कुमार का न सिर्फ बचाव किया था बल्कि एक बेवसाइट पर यहां तक लिखा था कि संदीप ने ऐसा क्या गलत किया जिसके लिए उन्हें पार्टी से निकाला गया. संदीप लड़की की मर्जी से एक बंद कमरे में सबकुछ कर रहे थे और उसमें कुछ गलत नहीं है.
सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी के समर्थक संदीप कुमार के सहारे बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं. आप समर्थक सुधांशु पांडेय ने ट्वीट किया राष्ट्रवादी राशन कार्ड बनावाने के लिए बीजेपी के नजदीकी ऑफिस में संपर्क करें.
संदीप कुमार ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर संदीप का कहना है कि हमारे दोस्त जहां-जहां से लड़ेंगे चाहे बीएसपी से लड़ें, चाहे बीजेपी से लड़ें या कांग्रेस सबसे पहले परिवार और दोस्त हैं. यहां खत्री साहब हमारे मित्र हैं. हम इनके लिए हर घर में जाएंगे प्रचार करेंगे.
कांग्रस भी विरोध में, मनोज तिवारी ने दी सफाई
विरोधी पार्टी के नेता संदीप के सहारे बीजेपी को घेर रहे हैं. बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में संदीप के प्रचार को कांग्रेस बीजेपी का दोहरा चरित्र बता रही है. वहीं दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और एमसीडी चुनाव में बीजेपी के कर्तादर्ता मनोज तिवारी ने इस सफाई दी है. मनोज तिवारी ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए साजिश हो रही है. ये भी ऐसी ही कोई साजिश है.
क्या है राशन कार्ड का मामला?
जिस महिला के साथ संदीप कुमार की सीडी सामने आई थी उस महिला ने पुलिस को बताया था कि संदीप कुमार ने राशन कार्ड बनाने के बहाने उसका यौन शोषण किया.
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उपद्रवी यात्रियों से निबटने के लिए एय़र इंडिया प्रबंधन ने कड़े कदम उठाने का प्रस्ताव किया है. प्रस्ताव में उड़ान में देरी करने वाले यात्रियों से वित्तीय नुकसान वसूलने का भी प्रावधान किया गया है.
प्रस्ताव के तहत
• उपद्रवी यात्रियों की वजह से उड़ान में एक घंटे की देरी पर 5 लाख रुपये, दो घंटे तक की देरी पर 10 लाख और दो घंटे से ज्यादा की देरी पर 15 लाख रुपये वसूला जाएगा.
• हालांकि उपद्रवी यात्रियों से वसूली जाने वाली ये रकम सांकेतिक है. जुर्माने की अंतिम रकम क्या होगी, इसका फैसला कंपनी के व्यावसायिक निदेशक करेंगे.
• ऐसी किसी भी घटना की पूरी रिपोर्ट तुरंत ही व्यावसायिक निदेशक को भेजनी होगी.
• जब भी ऐसी कोई घटना होगी उसकी जानकारी सबसे पहले एय़रपोर्ट मैनेजर/स्टेशन मैनेजर/क्षेत्रीय निदेशक/व्यावसायिक निदेशक/ और अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के कार्यालय को देनी होगी.
• कंपनी का कोई भी कर्मचारी मीडिया से सीधे बातचीत नही करेगा.
• भारतीय दंड विधान यानी आईपीसी की संबंधित धारा के तहत एफआईआर या पुलिस के पास शिकायत दर्ज करानी होगी.
• उपद्रवी यात्रियो से निबटने के लिए कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाएगा.
एय़र इंडिया अधिकारियों के मुताबिक, अब इस प्रस्ताव पर कानूनी सलाह ली जा रही है. ये जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या इसे लागू किया जा सकता है और लागू करने में क्या-कया दिक्कत आ सकती है. एय़र इंडिया ने बीते कुछ समय की घटनाओं के मद्देनजर ही ये प्रस्ताव तैयार किया है. कंपनी का कहना है कि ऐसी घटनाओं से जहां कर्मचारियों के मनोबल पर असर पड़ता है, वहीं कंपनी को निगेटिव पब्लिसिटी झेलनी पड़ती है.
इसी महीने की 7 तारीख को तृणमूल सांसद डोला सेन पर आरोप लगा कि अपने साथ व्हीलचेयर यात्री होने के बावजूद वो आपातकालीन दरवाजे के साथ की सीट छोड़ने की तैयार नहीं हुई. जबकि नियम कहता है कि आपातकालीन दरवाजे से लगी सीट पर चलने फिरने में लाचार या बच्चों को नहीं बिठाया जा सकता है. सांसद और एयरलाइन अधिकारियों के बीच विवाद के चलने दिल्ली से कोलकाता जाने वाली उड़ान के प्रस्थान में 39 मिनट की देरी हुई.
ये घटना ठीक उसी दिन घटी जब शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड पर 15 दिन तक चली उड़ान को लेकर पाबंदी हटायी गयी. गायकवाड़ ने 23 मार्च को पुणे से दिल्ली की उड़ान से उतरने से इनकार कर दिया था. आरोप है कि उन्होंने एय़रलाइन के कर्मचारी के साथ हाथापाई भी की. इसकी वजह से दिल्ली से गोवा जाने वाली उड़ान में देरी हुई. एक और घटना वाईएसआरसी सांससद मिथुन रेड्डी से जुड़ा है. उनपर आरोप है कि नवम्बर 2015 में जब देरी से आने पर उन्हें विमान में सवार होने से मान कर दिया तो उन्होंने अधिकारियों के साथ मारपीट की और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.
ऐसे ही वीआईपी और साधारण यात्रियों से निबटने के लिए सरकार भी भी नो फ्लाई लिस्ट बनाने की तैयारी में है. लिस्ट बन जाने के बाद उपद्रवी यात्रियों के लिए उड़ान भरने पर रोक लगा दी जाएगी.
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बॉलीवुड गायक सोनू निगम ने सुबह-सुबह अज़ान से नींद टूटने की शिकायत क्यास की, बवाल मच गया। मेनस्ट्री म मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर सोनू निगम सुर्खियों में आ गए। अधिकतर लोग बिना ये जाने कि आखिर सोनू ने असल में क्या कहा है, उनकी खिंचाई कर रहे हैं। कुछ ने तो सोनू को ‘बेवकूफ’ और ‘इस्लारमोफोबिया से ग्रस्तम’ तक बता दिया। सोनू ने जो ट्वीट्स किए, उन्हेंि अगर ध्याफन से देखें तो पता चलता है कि उन्हों ने सिर्फ मस्जिदों में लाउडस्पी्कर पर नाराजगी नहीं जताई है, बल्कि मंदिरों और गुरुद्वारे में भी उनके प्रयोग को गलत कहा है। सोनू ने साफगोई से पहले ट्वीट में कहा, ”ईश्वनर सबका भला करे। मैं मुस्लिम नहीं हूं और मुझे सुबह अज़ान के चलते उठना पड़ता है। भारत में यह जबरन धार्मिकता कब खत्मे होगी?” इसके बाद सोनू ने लिखा, ”जब मोहम्मनद ने इस्लामम बनाया तब बिजली नहीं थी। एडिसन के बाद भी मुझे यह शोर क्योंद सुनना पड़ता है?” अगले ट्वीट में सोनू ने मंदिरों और गुरुद्वारों में इलेक्ट्रॉ निक उपकरणों (डेक, स्पी कर इत्यालदि) के जरिए किसी की नींद हराम करने पर आपत्ति जताई। उन्हों ने कहा, ”मैं किसी मंदिर या गुरुद्वारे द्वारा उन लोगों को जगाने के लिए बिजली के उपयोग को जायज नहीं मानता जो धर्म पर नहीं चलते। फिर क्योंा? ईमानदारी? सच्चाीई?” सोनू के मुताबिक लाउडस्पी।कर के जरिए अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन और कुछ नहीं, ‘गुंडागर्दी’ भर है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को तगड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने पुणे स्थित समूह की संपत्ति आम्बी वैली की नीलामी के आदेश दिए हैं। सहारा समूह अपने निवेशकर्ताओं को जमा रकम लौटा पाने में नाकाम रहा, जिसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सहारा समूह के सुब्रत रॉय को इस मामले में 28 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में खुद मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने 21 मार्च को हुई सुनवाई मंक सहारा समूह को आगाह किया था कि अगर वह 17 अप्रैल तक बकाया 5,092.6 करोड़ रुपए नहीं जमा कराता, तो पुणे में उसकी आम्बी् वैली की 39,000 करोड़ रुपए मूल्ये की प्रमुख संपत्ति की नीलामी की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले धन की वसूली के लिए सहारा समूह की इस प्रमुख संपत्ति की कुर्की का आदेश दिया था।
शीर्ष अदालत ने 21 मार्च की सुनवाई में सहारा समूह से दो सप्ताह में उन संपत्तियों की सूची देने को कहा था जिन पर किसी तरह की देनदारी नहीं है और जिन्हें सार्वजनिक नीलामी के लिए रखा जा सकता है तकि निवेशकों को लौटाए जाने वाले मूल धन के शेष 14,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई जा सके।
निवेशकों से जुटायी गयी मूल राशि 24,000 करोड़ रुपए है जिसे लौटाया जाना है। यह पैसा सेबी-सहारा खाते में जमा कराया जाना है। न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में 600 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था। न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा।

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मुस्लिम ला बोर्ड ही है सभी मुस्लिम समस्याओं की जड़ : डा सुरेन्द्र जैन

नई दिल्ली। अप्रेल 17, 2017. आल इण्डिया मुस्लिम पर्शनल ला बोर्ड की घोषणा में कोई नया पन न होकर, नई बोतल में पुरानी शराब की तरह, केवल पुरानी बातों को ही दोहराया गया है. उसने तीन तलाक को नाजायज ठहराने की बजाए, केवल बे-बजह तलाक लिया जाता है, तो, समाज उसका बहिस्कार करेगा, यह कहा है. वह बे-बजह है कि नहीं, यह तय करने का अधिकार भी फिर उन्हीं मुल्ला-मौलवियों का ही होगा. विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने आज कहा कि मध्य युगीन परम्पराओं में जीने वाले ये वही लोग हैं जो आज भी उस युग की बर्बर परम्पराओं को ही अपना धर्म तथा महिलाओं को भोग की वस्तु समझते हैं। अपनी आधी आवादी को ये सामान्य मानव अधिकार भी देने को तैयार नहीं हैं. तलाक देने का अधिकार महिलाओं को भी उतना ही मिले जितना पुरुषों को है, किन्तु, ये उसके लिए तैयार ही नहीं हैं. ऊपर से, हलाला जैसी बर्बर अमानवीय परम्परा को भी उचित ठहराकर इन लोगों ने महिलाओं के प्रति अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करा दिया है. इसलिए, मुस्लिम महिलाओं को मानवाधिकार दिलाने हेतु अब केंद्र सरकार को ही अपने संकल्प पर द्रण रहते हुए इस बाबत आवश्यक कानून अविलम्ब बनाने चाहिए.
बोर्ड के राम मन्दिर संबंधी बयान पर अपनी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए डा जैन ने कहा कि इस मामले में भी बोर्ड ने अपनी हठ-धर्मिता को ही दोहराया है. वे राम जन्म भूमि के मामले में तो न्यायालय का निर्णय चाहते हैं किन्तु, तीन तलाक में न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं. उनकी इस दोहरी मानसिकता से ही स्पष्ट हो जाता है कि वे न्यायपालिका का कितना सम्मान करते हैं. इसलिए उनके बहकावे में आने की बजाए केंद्र सरकार को आगे बढ़कर तीन तलाक, हलाला व बहु विवाह जैसी बर्बर परम्पराओं को समाप्त करने हेतु अतिशीघ्र कानून लाना चाहिए. मुस्लिम महिलाओं तथा जागृत मुस्लिम समाज की मांग के साथ मानवता का भी यही तकाजा है.
विहिप प्रवक्ता श्री विनोद बंसल द्वारा जारी इस बयान में डा जैन ने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्शनल ला बोर्ड अब दिवालिया हो चुका है, जिसका मुस्लिम समाज में न कोई जनाधार है और न ही यह सम्पूर्ण मुस्लिम समाज की भावनाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है. वल्कि, यह केवल उनमें कट्टरता को बढ़ाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध करना चाहता है. अतः इसकी पूर्ण रूपेण उपेक्षा कर देनी चाहिए. तभी, मुस्लिम समाज से सम्बंधित सभी समस्याओं का समाधान हो पाएगा.
जारी कर्ता:
विनोद बंसल
(राष्ट्रीय प्रवक्ता)
विश्व हिन्दू परिषद

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