राजनीति के कुंभ लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल & Top National News

HIGH LIGHT; मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार थम गया – कांटे की चुनावी टक्कर # लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की कमान बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को दी जानी चाहिए #आम आदमी पार्टी के 6 साल: #दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की सरकार पर पूरा विश्वास # जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि वो राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी. # राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी. महबूबा मुफ्ती #बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा और उनकी इवेंट कंपनी पर धोखाधड़ी और धमकी का आरोप #मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की ‘भयावह तस्वीरें’ आज भी भारत के दिलोदिमाग में ताजा 

# अक्षरधाम मंदिर पर हमले के मुख्य आरोपी  16 साल बाद  गिरफ्तार# केजरीवाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि अगर वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए # पंजाब के मुख्यमंत्री ने शिलान्यास के मौके पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख को चेतावनी दी #HIMALAYAUK# #

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की ‘भयावह तस्वीरें’ आज भी भारत के दिलोदिमाग में ताजा हैं और हम पर पीड़ितों को न्याय दिलाने की ‘नैतिक जिम्मेदारी’ है।

यहां आयोजित ‘संविधान दिवस समारोह’ में कोविंद ने मुंबई की इस घटना जैसे आतंकी हमलों से उत्पन्न चुनौतियों के बारे में अन्य गणमान्य लोगों की चिंताओं को साझा किया।

कोविंद ने कहा कि मैं आज के दिन मुंबई में हुए आतंकी हमले का जिक्र करना चाहता हूं, ठीक दस साल बाद। वे भयावह तस्वीरें अब भी भारत के दिलोदिमाग में ताजा हैं। राष्ट्र और समाज के तौर पर, हम पर नैतिक जिम्मेदारी है कि हम पीड़ित लोगों और उनके परिवारों को न्याय दिलाएं।

संविधान दिवस 26 नवम्बर को मनाया जाता है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को मंजूर किया था और वह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। कोविंद ने संसदीय कामकाज में बार-बार पड़ने वाले व्यवधान और अदालतों में मामलों की सुनवाई बार-बार स्थगित होने को लेकर चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में ‘न्याय’ का उद्देश्य सिर्फ स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव और वयस्क मताधिकार का सार्वभौम इस्तेमाल करना ही नहीं है, बल्कि यह चुनाव प्रचार खर्च में पारदर्शिता रखने और बेहतर करने की भी मांग करता है तथा सरकार यह करने की कोशिश कर रही है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमारा संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज है। इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है।

सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के प्रमुख विकास सिंह ने मुंबई में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया। इस हमले में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी।

विधि मंत्री ने कहा कि आतंकवादी और कुछ अन्य लोग आतंकवादियों के मानवाधिकारों की बातें करते हैं लेकिन इस तरह के हमलों के शिकार लोगों के मानवाधिकारों का क्या होगा।

उन्होंने कहा कि हमें समझना चाहिए कि आतंकवादी बहुत घातक हथियारों से लैस हैं। वे मानवाधिकार और निष्पक्ष सुनवाई की भी मांग करते हैं जो हमें देना चाहिए लेकिन अर्थहीन हमलों के पीड़ितों के मानवाधिकारों का क्या होगा, दोनों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, हमें इस पर चर्चा और बहस करनी चाहिए।

प्रसाद ने कहा कि आतंकवादी मानवाधिकार मांगते हैं क्योंकि हमारा संविधान इन्हें देता है लेकिन आतंकी हमलों के शिकार लोगों के मानवाधिकारों का क्या होगा? इस बारे में हमें चर्चा और बहस करनी चाहिए।

न्यायमूर्ति लोकूर ने कहा कि देश ने 26 नवंबर 2008 को आतंकवादियों द्वारा पेश बड़ी चुनौती का सामना किया था ‘जब देश की वित्तीय राजधानी में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे आतंकी हमले के शिकार हुए और इसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हुई।

उन्होंने कहा कि आज भी, कुछ ताकतों द्वारा इस तरह की चुनौतियां पेश की जा रही हैं और हमें एकजुट होकर उनका सामना सतर्कता से करना चाहिए। हमारे संविधान की अखंडता हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय होनी चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि मिलकर हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

एससीबीए प्रमुख विकास सिंह ने कहा कि आतंकवादियों को पछाड़ने के लिए हमें एक कानून की जरूरत है। कानून के द्वारा, मीडिया को आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ताओं और संगठन के नामों को प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के हमले का मुख्य उद्देश्य लोकप्रियता हासिल करना होता है।

कोविंद ने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों का बंटवारा किया है। इन तीनों को संविधान को कायम रखने की जिम्मेदारियां दी हैं ताकि वे इसकी (संविधान की) आशाओं एवं उम्मीदों को साकार कर सकें।

उन्होंने कहा कि संविधान का संरक्षण करना और उसे मजबूत करना भारत के लोगों की साझेदारी के साथ इन तीनों संस्थाओं का साझा कर्तव्य है। राष्ट्रपति ने संसद की कार्यवाही में बार-बार पड़ने वाले व्यवधान को लेकर नाराजगी जताई।

उन्होंने अदालतों में मामलों की सुनवाई बार-बार स्थगित होने के चलते वादियों को होने वाली परेशानी को लेकर भी चिंता जताई। हालांकि न्यायपालिका इसका सर्वश्रेष्ठ हल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान को अंगीकार करना भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक मील का पत्थर है।

उन्होंने कहा कि संविधान में शायद सबसे ज्यादा गतिशील शब्द ‘न्याय’ है। कोविंद ने कहा कि संविधान स्वतंत्र भारत का आधुनिक ग्रंथ है। संविधान नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं नागरिक भी संविधान का पालन कर उसे मजबूत बनाते हैं।

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पंजाब के मुख्यमंत्री ने शिलान्यास के मौके पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख को चेतावनी दी

बटाला (पंजाब).  पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर के शिलान्यास के मौके पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख को चेतावनी दी। अमरिंदर ने पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को पंजाब में आतंक फैलाने और सीमा पर जवानों की हत्याओं का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा- हमारे पास बहुत बड़ी सेना है और हम तैयार हैं। अमरिंदर से पहले वेंकैया नायडू ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया। 

सवाल किया- क्या आर्मी ने जवानों की हत्या सिखाई?

अमरिंदर ने कहा- मैं पाकिस्तान के सेना प्रमुख से एक बात कहना चाहता हूं। मैं भी आर्मी में रहा हूं और सर्विस के लिहाज से जनरल बाजवा मुझसे बहुत जूनियर हैं। क्या आर्मी ने आपको हमारी सीमा पर जवानों की हत्या करना सिखाया है? आप स्नाइपरों के जरिए उनकी हत्या कर रहे हैं। क्या आपको कभी ये बताया गया है कि आपने पठानकोट और दीनानगर में लोगों की हत्या की। निरंकारी भवन में हुए हमले का जिक्र करते हुए पंजाब के सीएम ने कहा- जब लोगों पर बम फेंका गया, तब वे प्रार्थना कर रहे थे। क्या आपकी सेना ने यही सिखाया था? ये कायराना है।

नायडू ने कहा- सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं

नायडू ने भाषण की शुरुआत पंजाबी में की। उन्होंने कहा- गुरु नानक देवजी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हमारी संस्कृति में कहते हैं कि पूरी दुनिया एक परिवार है। हमारी परंपरा कभी आक्रमण की नहीं रही है। सीमा पार से हमेशा ऐसी हरकतें होती रहती हैं। हम सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं। हम किसी भी सूरत पर आतंकवाद को नहीं पनपने देंगे। हम दोनों देशों को मिलकर एक इतिहास रचना है, जिससे आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखें।

इंटरनेशनल बाॅर्डर तक बनाया जाएगा कॉरिडोर

कैबिनेट ने करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण का फैसला किया था। यह कॉरिडोर गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक स्थान से इंटरनेशनल बॉर्डर तक बनाया जाएगा। भारत में इस कॉरिडोर का करीब 2 किलोमीटर का हिस्सा होगा, जबकि पाकिस्तान में कॉरिडोर का 3 किमी का हिस्सा होगा। इसके निर्माण में करीब 16 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। करीब चार महीने में इस कॉरिडोर का निर्माण पूरा किए जाने का लक्ष्य तय किया गया है।

गुरुनानक देवजी ने करतारपुर साहब में 18 साल बिताए थे

गुरुनानक देवजी ने करतारपुर साहब में अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। यह भारत की सीमा से कुछ किलोमीटर अंदर पाकिस्तान की सीमा पर है। इस कॉरिडोर के बन जाने से लाखों सिख तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थान पर जाने में मदद मिलेगी। फिलहाल, अभी यहां पर भारत की सीमा पर खड़े होकर दूरबीन की मदद से गुरुद्वारा के दर्शन की सुविधा है।

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मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले सोमवार शाम पांच बजे थम गया. राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर 28 नवम्बर को मतदान होना है. मतों की गिनती 11 दिसंबर को की जाएगी.

इंदौर: मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये प्रचार के अंतिम समय में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिये पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर में रोड शो किया. उन्होंने राज्य में लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती से जूझ रही अपनी पार्टी के लिये मतदाताओं से समर्थन मांगा.

मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर के संकेतों के बीच भाजपा और कांग्रेस अब एक दूसरे के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इलाकों में मात देने के लिए किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।  सभी प्रमुख पारंपरिक सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रचार के लिए घर-घर जा रहे है। इन नेताओं में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे अनुभवी नेता और शिवराज सिंह चौहान तथा कैलाश विजयवर्गीय जैसे भाजपा के दिग्गज शामिल हैं।

शाह यहां चिकमंगलूर चौराहे से रथ की शक्ल वाले बीजेपी के विशेष वाहन पर सवार हुए. यह काफिला जुलूस के रूप में खातीपुरा, राजबाड़ा और सर्राफा बाजार समेत अलग-अलग वाणिज्यिक इलाकों से गुजरते हुए सीतलामाता कपड़ा बाजार में खत्म हुआ. ये इलाके शहर के दो विधानसभा क्षेत्रों-क्रमांक तीन और क्रमांक-चार का हिस्सा हैं. करीब दो घंटे चले रोड शो के दौरान बीजेपी अध्यक्ष ने हाथ हिलाकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया.
बीजेपी के स्थानीय उम्मीदवारों के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह भी शाह के करीब तीन किलोमीटर लम्बे रोड शो में शामिल हुए. शाह ने प्रदेश में बीजेपी के चुनावी “महा जनसम्पर्क अभियान” की शुरुआत भी इंदौर से ही छह अक्टूबर को थी.
इंदौर सत्तारूढ़ बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. इसकी शहरी सीमा में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं. वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पांचों सीटें जीती थीं.
बहरहाल, सत्ताविरोधी लहर को लेकर कांग्रेस के आरोपों के बीच शहर में बदले सियासी समीकरणों के कारण इस बार कांटे की चुनावी टक्कर है. इसके मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी को अपना गढ़ बचाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगाते देखा गया है.

कई नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने आम मतदाताओं को बताया कि दिग्गज नेता भी अपनी तथाकथित ‘सुरक्षित सीटों’ पर अभूतपूर्व चुनाव प्रचार में शामिल हैं और वे प्रतिद्वंद्वियों के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में एक व्यापक राजनीतिक लड़ाई देखने को मिल रही है। 15 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर के बाद भाजपा के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं है और सत्ता में वापसी करने के लिए कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति है।

गुना-शिवपुरी सीट से कांग्रेस सांसद सिंधिया ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम विधानसभा सीटें सुनिश्चित करने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र और इसके आसपास 40 से अधिक रैलियां की।

कांग्रेस नेता के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि हमें इस संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटों में से कम से कम छह सीटें जीतने की उम्मीद हैं। इस चुनाव को सिंधिया के व्यक्तिगत चुनाव अभियान के रूप में लिया जा रहा है।

47 वर्षीय सिंधिया ने शिवपुरी में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए एक रोड शो भी किया। शिवपुरी को उनकी रिश्तेदार और राज्य में भाजपा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का गढ़ माना जाता है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में उनके पुत्र जयवर्धन सिंह कांग्रेसी उम्मीदवार है और भाजपा ने भूपेन्द्र सिंह रघुवंशी को चुनाव मैदान में उतारा है।

निकटवर्ती चाचौड़ा सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को खड़ा किया है जबकि भाजपा ने मौजूदा विधायक ममता मीणा को टिकट दिया है।

अपने परंपरागत गढ़ में भाजपा द्वारा सेंध लगाने के प्रयास की बात स्वीकार करते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा कि वे (भाजपा) कई वर्षों से प्रयास कर रहे है लेकिन कांग्रेस इन क्षेत्रों में बहुत अच्छा संगठन है।

इंदौर में भाजपा ने उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश को एक सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि यह क्षेत्र विजयवर्गीय का एक मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन कांग्रेस ने अश्विन जोशी को टिकट देकर इस गढ़ में चुनौती दी है।

जोशी ने 2003 में उस समय जीत दर्ज की थी जब अधिकतम सीटें भाजपा को मिली थी। राज्य सचिवालय में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए हर सीट मायने रखती है।

यह चुनावी लड़ाई उन परंपरागत गढ़ों तक पहुंच गई है जिस पर एक दूसरे के खिलाफ जीत दर्ज करने से न केवल बढ़त बनेगी बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मनोबल भी बढ़ेगा। राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 28 नवंबर 2018 को होगा।

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लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की कमान बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को दी जानी चाहिए.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की कमान बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को दी जानी चाहिए. वह अगले आम चुनावों के मद्देनजर बहुजन समाज के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
लखनऊ: भीम आर्मी ने सोमवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की कमान बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को दी जानी चाहिए. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की कमान बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को दी जानी चाहिए. वह अगले आम चुनावों के मद्देनजर बहुजन समाज के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

इस सवाल पर कि वह मायावती को कमान सौंपने की बात कर रहे हैं जबकि बसपा प्रमुख उन्हें बीजेपी का एजेंट बताती हैं, चंद्रशेखर ने कहा कि बसपा हमारा घर है और घर में कुछ गलतफहमियां तो होती रहती हैं.
चंद्रशेखर ने कहा की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को सपा और बसपा ने मिलकर लड़ा और वहां बीजेपी को शिकस्त दी. उनकी कोशिश होगी कि इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल तथा कुछ अन्य पार्टियां भी शामिल हों. अगर ऐसा नहीं होता है तो वह बहुजन मूवमेंट की तरफदारी करेंगे. उन्होंने कहा कि भीम आर्मी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी और और आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पराजय सुनिश्चित करने के लिए पूरा दम लगाएगी.
अयोध्या से लौट कर आए चंद्रशेखर ने वहां जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी की अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा और शिवसेना के कार्यक्रम के कारण लोग डरे हुए हैं. उन्होंने अयोध्या के जिला प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना की अयोध्या में अचानक बढ़ी गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर भीम आर्मी प्रमुख ने कहा कि सब हथकंडा है.
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#दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की सरकार पर पूरा विश्वास
आम आदमी पार्टी के 6 साल: भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से जन्मी राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) अब छह साल की हो गई है. वैकल्पिक राजनीति करने आई यह पार्टी दरअसल अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी लहर की पैदावार है, लेकिन वक़्त का सितम देखिए, ये पार्टी सियासत की जमीन पर दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करती गई, लेकिन जिस कोख से पैदा हुई, उससे अब बिल्कुट बिछड़ चुकी है. अन्ना हजारे तो पार्टी के बनने के साथ ही इससे दूर हो गए, लेकिन पार्टी की स्थापना के वक़्त जो बड़े नाम साथ थे, रफ्ता-रफ्ता एक-एक करके किनारे किए और पार्टी अंदर और बाहर एक ही चेहरे की धूरी बनकर रह गई.
आज पार्टी का छठा स्थापना दिवस मनाया गया. पार्टी के डीडीयू मार्ग स्थित मुख्यालय में समारोह का आयोजन किया गया. इसमें पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कई नोताओं की मौजूदगी रही. लेकिन जैसे आज की तस्वीर का मिलान 2012 की पुरानी तस्वीर से करने की कोशिश की गई तो तस्वीर बिल्कुल बदली-बदली सी नजर आई. पार्टी के सर्वेसर्वा केजरीवाल अब दिल्ली के सीएम बन चुके हैं. पार्टी के दिल्ली में 67 विधायक हैं. पंजाब में दूसरी बड़ी पार्टी बन चुकी है. संसद के दोनों सदनों में उनके सदस्य हैं.

अतीत में जन लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना के नेतृत्व में चले आंदोलन की तस्वीरें एलबम में खंगालें. कभी जंतर मंतर तो कभी रामलीला मैदान में जनता का हुजूम हाजिर रहता था. अपना हर काम छोड़ समर्थन में खड़े रहते थे. तभी तो दिल्ली में आंदोलनकारियों का जन सैलाब दिखा था. हर कोई दिल्ली से हुंकार भर रहा था कि देश में लोकपाल बिल आना चाहिए. इसी आंदोलन के दौरान केंद्र में सत्तासीन पार्टी द्वारा मिल रहीं चुनौतियों को लेकर केजरीवाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर 24 नवंबर 2012 को जंतर मंतर पर राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की थी और 26 नवंबर 2012 को राजनीतिक पार्टी बनाई थी.

जब पार्टी बनी तो कुछ चेहरे की याद आपको जरूर आती होगी. योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, प्रोफेसर अजीत झा, प्रोफेसर आनंद कुमार, इलियास आजमी, शाजिया इल्मी, अशोक अग्रवाल, मयंक गांधी… अब ये चेहरे इस पार्टी के अतीत का हिस्सा बने चुके हैं. पार्टी ने पहली बार दिसंबर 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा. झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी. आप ने उक्त चुनाव में 28 सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई. केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मनीश सिसोदिया, गोपाल राय, प्रशांत भूषण, संजय सिंह, कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव समेत कई बड़े नेताओं पर दिल्ली की जनता ने विश्वास दिखाया. जिस लोकपाल की मांग की उपज रही पार्टी ने 49 दिनों के बाद ही विधानसभा में उसे पेश किया, लेकिन समर्थन नहीं मिला. इसके बाद केजरीवाल ने त्यागपत्र दे दिया और सरकार गिर गई. इसके बाद फरवरी 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की झाड़ू ऐसी चली कि पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया. एक बार फिर लगा कि दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की सरकार पर पूरा विश्वास दिखाया.
6 साल की पार्टी का रिपोर्ट कार्ड
6 साल की मुद्दत में ये पार्टी करीब साढ़े तीन साल सत्ता में रही. ऐसे में इस पार्टी की सरकार की उपलब्धियां देखनी या खामियां ढूंढनी हो तो पैमाना भी साढ़े तीन ही होना चाहिए. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अच्छे काम किए हैं. सरकारी स्कूल के रखरखाव में सुधार हो या बस पास को ऑनलाइन करना, ऐसे कई कदम सरकार उठाए जो काबिले तारीफ रहे.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई अच्छे काम सरकार ने किए. मोहल्ला क्लीनिक की शुरूआत हुई उससे कई गरीब लोगों को उपचार में राहत मिली. वहीं बिजली के दाम आधे करने के अपने वायदे को भी सरकार ने पूरा किया. पार्टी लगातार अपने काम को लेकर चर्चा में रही साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ अनबन को लेकर काम प्रभावित होने के आरोप भी पार्टी पर लगाते रहे.
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार जहां एक ओर अपने काम को लेकर चर्चा में रही तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी के आंतरिक कलह की वजह से किरकिरी भी हुई. जैसे-जैसे वक्त बीतता गया पार्टी में भीतरी कलह बाहर आने लगी. आज हाल यह है कि 2012 में जब पार्टी शुरू हुई तब जो लोग पार्टी का हिस्सा थे वह अब पार्टी से बाहर हैं या बाहर कर दिए गए हैं.
प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव जो केजरीवाल सरकार के सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में रहे और पार्टी के संस्थापक सदस्य भी थे. दोनों ने केजरीवाल और पार्टी से अनबन के बाद पार्टी से बाहर कर दिए गए. इन दोनों के अलावा शाजिया इल्मी ने भी पार्टी छोड़ दिया. उन्होंने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ा था.
वहीं प्रोफेसर आनंद कुमार आम आदमी पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍य थे. 2014 के लोकसभा चुनावों में इन्होंने उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के मनोज तिवारी से हार गए. 2015 में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के साथ प्रो. आनंद कुमार को भी आप ने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
वहीं पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा भी बागी हो गए, और अब वह लगातार पार्टी पर हमलावर हैं और केजरीवाल पर कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. वहीं पार्टी के स्टार प्रचारक कुमार विश्वास भी पार्टी से खफा हैं. इन दिनों अलग-अलग मंचों से वह कई बार केजरीवाल पर हमला बोल चुके हैं. राज्यसभा ना भेजे जाने पर उन्होंने खुलकर अपना विरोध जताया था. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें राजस्थान प्रभारी के पद से भी हटा दिया था. हालांकि वो अभी भी पार्टी में हैं. वहीं आशिष खेतान, आशुतोष भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं.
पिछले 6 साल में पार्टी अपने कामों की वजह से कम और आतंरिक कलह की वजह से ज्यादा चर्चा में रही है. पार्टी के कई सदस्यों ने अरविंद केजरीवाल पर अपने फैसले थोपने का आरोप लगाया है. अांतरिक कलह के वाबजूद भी आप सरकार ने दिल्ली के बाहर पंजाब में शानदार प्रदर्शन करते हुए विपक्ष में है.
दिल्ली की जनता 6 साल बाद भी आम आदमी पार्टी पर कितना विश्वास करती है यह तो अगला विधानसभा चुनाव ही बताएगा लेकिन 6 साल में पार्टी ने काम कई अच्छे किए लेकिन वैकल्पिक राजनीति का दावा करने वाली पार्टी अपने दल के भीतर में आतंरिक लोकतंत्र नहीं ला सकी.

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केजरीवाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि अगर वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि अगर वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। केजरीवाल ने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने दिल्ली सचिवालय के अंदर उन पर मिर्च पाउडर फेंका था।

दिल्ली विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा 20 नवंबर के हमले के लिए जिम्मेदार है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में उनकी सरकार द्वारा किये गये ‘‘अच्छे काम’’ से वह ‘‘परेशान’’ है। केजरीवाल ने सदन में कहा, ‘‘अगर नरेंद्र मोदी दिल्ली के मुख्यमंत्री को सुरक्षा नहीं दे सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ विधानसभा की बैठक आप प्रमुख पर हमले और मतदाता सूची से नाम कथित रूप से हटाए जाने के मुद्दों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई।

कार्यालय के बाहर हुई इस घटना के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री के फोन कॉल का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने दावा किया ‘‘मैंने कहा कि या तो आपका कोई महत्व नहीं है या आपकी मिलीभगत है।’’ निर्वाचित सरकार के प्रति दिल्ली पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने के एक सरकारी प्रस्ताव पर केजरीवाल ने कहा कि 95 फीसदी पुलिसकर्मी अच्छे हैं लेकिन ‘‘भाजपा द्वारा उनसे गलत काम कराए जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर दिल्ली पुलिस दिल्ली की निर्वाचित सरकार के अधीन आ जाती है तो यह जनता की भलाई के लिए काम करना शुरू कर देगी।’’ मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के विधायकों को सरकार की मुआवजा योजना से दिल्ली पुलिस को बाहर रखने की मांग वाले उनके प्रस्ताव को वापस लेने की सलाह दी।

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि वो राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी.
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी. गौर करने लायक बात ये है कि राज्य में उसी दिन यानी 21 नवंबर को पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था लेकिन राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. अब राज्य में मई 2019 के पहले ही विधानसभा चुनाव होंगे. कहा जा था रहा था कि इस फैसले के खिलाफ राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती कोर्ट जा सकती हैं लेकिन आज इसको लेकर किए गए उनके एक ट्वीट से ये संभावना खत्म होती दिख रही है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब इसको लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि वो राज्यपाल के आदेश के खिलाफ अदालत का रुख नहीं करेंगी. महबूबा मुफ्ती ने आज ट्वीट में लिखा कि मेरे शुभचिंतकों ने सलाह दी है कि राज्यपाल के विधानसभा भंग करने के फैसले के खिलाफ मुझे अदालत जाना चाहिए. पीडीपी, एनसी और कांग्रेस साथ मिलकर इसलिए आए थे जिससे राज्य की भलाई हो सके. मेरा मानना है कि हमें लोगों की अदालत में जाना चाहिए जो किसी भी अन्य फोरम से बड़ी और ऊंची है.
इस ट्वीट से ऐसा लगता है कि महबूबा मुफ्ती राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने कोर्ट में नहीं जाएंगी और अब जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव ही राज्य में नई सरकार की तस्वीर साफ करेंगे.
दरअसल पीडीपी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने वाली कांग्रेस ने कहा था कि महबूबा मुफ्ती को राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर से सांसद रहे सैफुद्दीन सोज ने कहा, ‘पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को इस मामले को लेकर कोर्ट जाना चाहिए. राज्यपाल ने केंद्र सरकार के इशारे पर अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से विधानसभा भंग की है. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन मिलने के बाद ही पत्र लिखा था और राज्यपाल को सरकार बनाने का एक मौका देना चाहिए था.’
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में कहा था कि जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था.
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बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा और उनकी इवेंट कंपनी पर धोखाधड़ी और धमकी का आरोप
एसएसपी को दी गयी शिकायत में इवेंट ऑर्गेनाइजर प्रमोद शर्मा ने आरोप लगाया है कि आयोजन के दिन सोनाक्षी के मैनेजर ने दो बार फ्लाइट की टिकट बदलवाई और कार्यक्रम शुरू होने से महज कुछ घंटे पहले कार्यक्रम में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक व्यक्ति ने बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा और उनकी इवेंट कंपनी पर धोखाधड़ी और धमकी का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है. पीड़ित ने एसएसपी मुरादाबाद को एक शिकायत की ही जिसमें पैसा लेने के बाद कार्यक्रम में न आने और फिर पैसा मांगने पर धमकी की बात कही गयी है. एसएसपी ने सीओ कटघर को जांच कर कार्यवाही के लिए निर्देश दिए हैं.

मुरादाबाद के कटघर थाना इलाके के शिवपुरी मोहल्ले के रहने वाले प्रमोद शर्मा एक इवेंट ऑर्गेनाइजर हैं. प्रमोद शर्मा के मुताबिक उनके द्वारा दिल्ली के श्री फोर्ट ऑडिटोरियम में 30 सितम्बर को इंडिया फैशन ब्यूटी अवार्ड का इंवेंट करवाया जाना था. जिसके लिए उन्होंने टैलेंट फ़्यूलन कंपनी के जरिये बॉलीवुड स्टार सोनाक्षी सिन्हा को इनवाइट किया था. सोनाक्षी सिन्हा द्वारा कार्यक्रम में आने की सहमति देने के बाद एक करार भी हुआ था. प्रमोद शर्मा के मुताबिक इवेंट में हिस्सा लेने के बदले उनके द्वारा सोनाक्षी सिन्हा के एकाउंट में करार के मुताबिक पैसे भेजे गए साथ सोनाक्षी के लिए फ्लाइट की टिकट और दिल्ली में रुकने के लिए फाइव स्टार होटल में कमरे बुक कराए गए थे.

एसएसपी को दी गयी शिकायत में प्रमोद शर्मा ने आरोप लगाया है कि आयोजन के दिन सोनाक्षी के मैनेजर ने दो बार फ्लाइट की टिकट बदलवाई और कार्यक्रम शुरू होने से महज कुछ घंटे पहले कार्यक्रम में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. प्रमोद शर्मा के मुताबिक सोनाक्षी के न आने से इंतजार कर रही भीड़ ने उन पर हमला कर दिया और आयोजन के लिए रखी गयी ट्रॉफियां छीन लीं.
सोनाक्षी के न आने के चलते कार्यक्रम रद्द करना और लाखों का खर्चा उनको अपनी जेब से भरना पड़ा. पुलिस को दी गयी शिकायत में प्रमोद शर्मा ने सोनाक्षी सिन्हा, टैलेंट फ़्यूलन पर सैंतीस लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है.
प्रमोद शर्मा के मुताबिक पैसे वापस मांगने पर उनको धमकाया जा रहा है और दिल्ली से मुंबई के कई चक्कर लगाने के बाद भी उनको पैसे वापस नहीं दिए गए. एसएसपी को दिए गए शिकायती पत्र में प्रमोद शर्मा ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं एसएसपी जे रविन्द्र गौड़ ने बताया कि प्रमोद शर्मा की शिकायत पर उनके द्वारा सीओ कटघर को मामले की जांच सौंपी गई है. एसएसपी के मुताबिक शिकायती पत्र पर पहले दूसरे पक्ष से भी बातचीत की जाएगी और दोनों के बीच हुए करार को जांच में शामिल किया जाएगा. पुलिस के मुताबिक आयोजन दिल्ली में होना था लिहाजा मामले की जांच किए बिना कुछ भी कहना संभव नहीं है.
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राजनीति के सबसे बड़े कुंभ लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल

प्रयागराज 6 वर्षों के अंतराल के बाद महाकुंभ के लिए तैयार हो रहा है. इससे पहले अयोध्या से लेकर काशी तक धार्मिक गतिविधियां चरम पर हैं. फरवरी में महाकुंभ का समापन होने के साथ ही देश में राजनीति के सबसे बड़े कुंभ लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज उठेगा. आगामी चुनावों के कुछ अहम मुद्दों की रूपरेखा इन धर्म संसदों में परखी जा रही है. यहां बात बनी तो आगामी चुनावों के कुछ अहम एजेंडे इन धर्मसंसदों में तय कर दिए जाएंगे.

इस क्रम में काशी में रविवार को परम धर्म संसद की शुरुआत हुई. इस धर्म संसद में राम मंदिर की गूंज उठी. धर्माधीश ज्योतिष एवं शारदा द्वारिका पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने धर्म संसद की शुरुआत करते हुए कहा, “हम ये चाहते हैं कि आराध्य राम का मंदिर सबके साथ मिलकर बनाया जाए. हम किसी के साथ राग द्वेष से नहीं बल्कि श्रद्धा के द्वारा मंदिर बनाना चाहते हैं.”

इस धर्म सभा से इतर नजदीक ही अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने भी एक धर्म संसद का आयोजन रविवार को किया. इस आयोजन से पहले वीएचपी ने दावा किया था कि धर्म सभा में लाखों की संख्या में लोग शामिल होंगे और यह सभा राम मंदिर के निर्माण में निर्णायक नतीजे लेकर आएगी. हालांकि ये दावे जमीनी हकीकत पर खरे उतरते नहीं दिख रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वीएचपी का लाखों का दावा महज हजारों में सिमटता दिख रहा है.

काशी में बैठे शंकराचार्य ने अयोध्या की धर्म सभा पर निशाना साधते हुए कहा, “अयोध्या की धर्मसभा राजनीतिक है. ये स्मारक बनाना चाहते हैं और हम उपासना गृह. हम मुस्लिम विरोध के आधार पर नहीं खड़े हुए हैं. अयोध्या में धर्म सभा करने वाले राजनीतिक लोग हैं. कोई भी राजनीतिक पार्टी मंदिर बनाने की हैसियत में तब आएगी जब सत्तारूढ़ हो जाएगी लेकिन उसे ये शपथ लेनी पड़ेगी की हम धर्म निरपेक्ष रहेंगे. ऐसे में सत्ता में बैठे लोग मंदिर-मस्जिद बना ही नहीं सकते. हम लोगों ने कोर्ट में यह बात सिद्ध कर रखी है कि यह राम जन्मभूमि है. मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी अटका है. एक दिन मिल बैठकर विचार कर लें तो मंदिर बन जाएगा.”

गौरतलब है कि अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद ने धर्म सभा आयोजित करते हुए केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार से अपील की है कि सरकार अयोध्या में जल्द से जल्द मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए अध्यादेश लेकर आए. वहीं इसी धर्म सभा में शरीक हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर जल्द मंदिर का निर्माण नहीं किया गया तो बीजेपी सत्ता से बाहर हो जाएगी.

काशी में आयोजित धर्म संसद के लिए देशभर से सनातन धर्म को जीने व समस्याओं का अनुभव करने वाले 543 प्रतिनिधि बनाए गए हैं. इस संसद में इनके अलावा सनातन धर्म के 281 संतों, नेताओं और विद्वानों और अनेक धार्मिक संस्थाओं के 184 प्रतिनिधियों ने शिरकत की है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण इस धर्म संसद का अहम एजेंडा है. संसद के पहले दिन और दूसरे दिन राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने पर अहम चर्चा की गई.

रविवार को ही अयोध्या और काशी में धर्म संसद और धर्म सभा से सवाल खड़ा हो रहा है. आखिर क्यों काशी में आयोजित एक विस्तृत धर्म संसद के साथ-साथ वीएचपी की धर्म सभा का अयोध्या में आयोजन किया गया? जब दोनों में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा अहम है तो क्या दोनों सम्मेलनों का राम मंदिर निर्माण का रास्ता अलग-अलग है? इन सवालों का जवाब साफ नहीं होने पर गंभीर सवाल यह खड़ा होता है कि क्या अयोध्या की धर्म सभा इसलिए आयोजित की गई जिससे काशी की धर्म संसद को विफल किया जा सके.

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कौन बनेगा करोड़पति के 10वें सीजन का आज आखिरी एपिसोड प्रसारित किया गया. इस एपिसोड में कपिल शर्मा बतौर गेस्ट कंटेस्टेंट पहुंचे. कपिल शर्मा जल्द ही एक बार फिर से सोनी टीवी पर ‘द कपिल शर्मा शो’ लेकर आएंगे.
उन्होंने इस शो में अपने अपकमिंग शो का प्रमोशन किया. कपिल ने कर्मवीर कंटेस्टेंट रवि कालरा के साथ इस खेल को खेला. रवि ने शो पर हैरत में डाल देने वाली ऐसी कहानियां सुनाईं जिसे सुनकर लोगों की आंखें भर आईं.  रवि कालरा एक समाजसेवी हैं जिन्होंने अपना जीवन गरीबों और असहायों की सेवा में समर्पित कर दिया है. एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे रवि ने दिल्ली विश्व विद्यालय से पढ़ाई की. उनके पिता दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर पद से रिटायर हो चुके हैं. रवि उन बुजुर्गों को पनाह देते हैं जिनके बच्चे उन्हें घर से निकाल देते हैं. रवि अब तक 6000 से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. रवि उन बुजुर्गों को पनाह देते हैं जिनके बच्चे उन्हें घर से निकाल देते हैं. रवि अब तक 6000 से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इन बुजुर्गों को रवि अपने गुरुकुल में पनाह देते हैं, जहां खाने-पीने, इलाज और रहने समेत तमाम सुविधाएं मुफ्त में दी जाती हैं. 

रवि ने साल 2008 में The Earth Saviours Foundation Gurukul नामक NGO की स्थापना की थी. इस एनजीओ को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है.  अमिताभ बच्चन होस्टेड इस शो के कुल 10 सीजन प्रसारित किए जा चुके हैं. इस सीजन में सिर्फ एक ही कंटेस्टेंट 1 करोड़ रुपये की धनराशि जीत सका. 

### #### अक्षरधाम मंदिर पर हमले के मुख्य आरोपी  16 साल बाद  गिरफ्तार

गुजरात में 2002 में हुए अक्षरधाम मंदिर पर हमले के मुख्य आरोपी फारूक शेख को अहमदाबाद क्राइम बांच ने अहमदाबाद एयपोर्ट से गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच को 16 साल बाद यह कामयाबी मिली है। वह अब तक दुबई में रह रहा था। आज वह अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए अहमदाबाद एयरपोर्ट आया था। जहां पहले से उसका इंतजार कर रही क्राइम ब्रांच की टीम ने धर दबोचा।
बता दें कि 24 सितंबर 2002 को गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर परिसर में ऑटोमैटिक हथियारों और ग्रेनेड से लैस आतंकियों ने आत्मघआती हमला किया था। इस आतंकी हमले में 32 श्रद्धालु मारे गए थे। इसके साथ ही ती कमांडो कांस्टेबल शहीद हुए थे।
पोटा अदालत ने इस मामले में तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी और एक को आजीवन कारावास दिया गया था। गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साथ ही जांच एजेंसी के द्वारा लापरवाही बरते जाने पर कड़ी फटकार भी लगाई।
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पहली और दूसरी के छात्रों को होमवर्क ना दिया जाए-  नव संसाधन विकास मंत्रालय  

नव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि पहली और दूसरी के छात्रों को होमवर्क ना दिया जाए। उनके बस्ते का वजन भी डेढ़ किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। मंत्रालय ने पहली से दसवीं क्लास तक के बच्चों के बस्तों का वजन भी तय कर दिया है। देशभर के स्कूलों को ये निर्देश जारी किए गए हैं। 

पहली-दूसरी के बच्चों को केवल गणित और भाषाएं पढ़ाई जाएं

मंत्रालय के मुताबिक, विषयों की पढ़ाई और बस्तों के वजन को केंद्र सरकार के निर्देशों के हिसाब से ही नियंत्रित किया जाए। शिक्षण संस्थान पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क नहीं दे सकते।  निर्देशों में कहा गया- पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के लिए भाषा और गणित के अलावा कोई दूसरा विषय तय नहीं किया जाना चाहिए। तीसरी से पांचवीं तक एनसीईआरटी द्वारा तय भाषा, गणित और पर्यावरण विज्ञान के अलावा दूसरे विषय नहीं पढ़ाने चाहिए।  मंत्रालय ने स्कूलों से कहा कि छात्रों को अतिरिक्त किताबें और सामान लाने को नहीं कहा जा सकता। बस्ते का वजन भी तय सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए।  पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के बस्तों का वजन 1.5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। तीसरी से पांचवीं तक बस्तों के वजन की सीमा 2 से 3 किलो तय की गई है।  छठी और सातवीं क्लास तक बस्ते का वजन 4 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। आठवीं और नौवीं तक ये सीमा 4.5 किलो है। 10वीं के छात्रों का बस्ता 5 किलो से ज्यादा भारी नहीं होना चाहिए।

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