सरकार और RBI में तनातनी के बीच & TOP National NEWS 30 oct. 18

सरकार और RBI में तनातनी के बीच
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) और केंद्र की मोदी सरकार(Modi Govt) के बीच भी तनातनी की खबरें आने लगीं हैं. ऐसी खबरें डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (Dr Viral Acharya) के उस बयान के बाद आ रहीं हैं, जिसमें उन्होंने देश के इस केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर आवाज बुलंद की थी. इस बीच आरबीआई कर्मचारियों के संगठन ने डिप्टी गवर्नर का समर्थन किया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के बयान के बाद टकराव सार्वजनिक होने से केंद्र सरकार परेशान और नाराज है. केंद्र को आशंका है कि इस वाकये से इनवेस्टर्स की नजर में देश की छवि खराब हो सकती है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) और केंद्र की मोदी सरकार(Modi Govt) के बीच भी तनातनी की खबरों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में रिजर्व बैंक की जमकर आलोचना की है. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जब 2008 से 2014 के बीच बैंक मनमाने ढंग से क़र्ज़ दे रहे थे तो रिज़र्व बैंक इसकी अनदेखी करता रहा. इसके ठीक पहले आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने शुक्रवार को एक भाषण में कहा था कि सरकार अगर आरबीआई की स्वायत्तता में दखल देती है तो ये ख़ासा नुक़सानदेह हो सकता है. इस तनाव के बीच मंगलवार को अरुण जेटली और आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल का आज सामना भी होगा. वित्त मंत्री अरुण जटेली वित्तीय स्थाईत्व और विकास परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे जिसमें उर्जित पटेल को भी हिस्सा लेना है. यह बैठक आरबीआई के डिप्टी गवनर्नर विरल आचार्य के उस बयान के बाद आ रही हैं जिसमें उन्होंने देश के इस केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर आवाज बुलंद की थी. इस बीच आरबीआई कर्मचारियों के संगठन ने डिप्टी गवर्नर का समर्थन किया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के बयान के बाद टकराव सार्वजनिक होने से केंद्र सरकार परेशान और नाराज है. केंद्र को आशंका है कि इस वाकये से इनवेस्टर्स की नजर में देश की छवि खराब हो सकती है.

सरकार और आरबीआई को लेकर आ रही इस तरह की खबरों के बीच वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा कि अच्छा होगा कि दोनों पक्षों को बंद कमरों में मतभेद सुलझाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मामला बहुत ही गंभीर है और अच्छा होगा कि आरबीआई और सरकार एक दूसरे को लेक्चर देकर बात न करें, हमारे पास पहले से ही दो लोग हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दफ्तर (पीएमओ) में तैनात एक अफसर ने पूरे घटनाक्रम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया. कहा कि इस तरह से मामला सार्वजनिक नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार काफी परेशान है.हालांकि, सरकार को आरबीआई से तो ऐसी उम्मीद नहीं थी. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य अफसर ने कहा कि सरकार आरबीआई की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की की सम्मान करती है, मगर उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से भी वाकिफ होना चाहिए. बता दें कि शुक्रवार को अपने एक ‘विस्फोटक बयान’ में डिप्टी गवर्नर आचार्य ने आरबीआई की स्वायतत्ता को कमजोर करने की सरकारी कोशिशों पर सवाल उठाए थे. कहा कि इससे बाजार और देश के आर्थिक हालात पर विपरीत असर पड़ सकता है. उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. आरबीआई में नंबर दो माने जाने वाले आचार्य ने यह बयान मुंबई में शीर्ष उद्योगपतियों के इवेंट में दिया और कहा कि उन्हें गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit Patel) ने इस बात को उठाने के लिए सुझाव दिया था. उधर सोमवार को ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन ने कहा-देश के केंद्रीय बैंक को कमजोर करने की कोशिशों का विरोध किया जाएगा.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी आरबीआई और सरकार के बीच विवाद की खबरों पर बयान दिया है. उन्होंने सोमवार को कहा कि यह देखना सुखद है कि आखिरकार आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit Patel) केंद्रीय बैंक को पीएम नरेंद्र मोदी से ‘बचा रहे हैं.’उन्होंने कहा कि देश भाजपा-आरएसएस को संस्थाओं पर कब्जा नहीं करने देगा.पटेल और ‘टीम मोदी’ के बीच टकराव की खबरों के बाद गांधी ने कहा कि गवर्नर के आरबीआई के बचाव में आने में कोई विशेष देरी नहीं हुई है.गांधी ने ट्वीट किया, “यह अच्छा है कि आखिरकार पटेल आरबीआई को ‘मिस्टर 56′ से बचा रहे हैं। कभी नहीं से विलंब बेहतर। भारत भाजपा/आरएसएस को हमारी संस्थाओं पर कब्जा नहीं करने देगा.
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि बैंकिंग धोखाधड़ी से जुड़े बहुचर्चित मामलों की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय को समन्वित कार्रवाई के लिए सौंपी गई थी. राजन ने संसद की एक समिति को लिखे पत्र में यह बात कही है. आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को भेजे पत्र में राजन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ियों का आकार बढ़ रहा है. हालांकि, यह कुल गैर निष्पादित आस्तयों (एनपीए) की तुलना में अभी काफी छोटा है.
रघुराम राजन ने कहा, ‘जब मैं गवर्नर था तो रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी निगरानी प्रकोष्ठ बनाया था, जिससे धोखाधड़ी के मामलों की जांच एजेंसियों को रिपोर्ट करने के कार्य में समन्वय किया जा सके. मैंने पीएमओ को बहुचर्चित मामलों की सूची सौंपी थी. मैंने कहा था कि समन्वित कार्रवाई से हम कम से कम एक या दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. मुझे नहीं पता कि इस मामले में क्या प्रगति हुई. इस मामले को हमें तत्परता के साथ सुलझाना चाहिए.’ बता दें कि राजन सितंबर, 2016 तक तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे थे. अभी वह शिकॉगो बूथ स्कूल आफ बिजनेस में पढ़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रणाली अकेले किसी एक बड़े धोखाधड़ी मामले को अंजाम तक पहुंचाने में प्रभावी नहीं है. उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी सामान्य गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से भिन्न होती है. उन्होंने कहा, ‘जांच एजेंसियां इस बात के लिए बैंकों को दोष देती हैं कि वे धोखाधड़ी होने के काफी समय बाद उसे धोखाधड़ी का दर्जा देते हैं. वहीं बैंकर्स इस मामले में धीमी रफ्तार से इसलिए चलते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि एक बार वे किसी लेनदेन को धोखाधड़ी करार देते हैं तो धोखेबाजों को पकड़ने की दिशा में कोई खास प्रगति हो न हो, उन्हें जांच एजेंसियां परेशान करेंगी.’ राजन का यह बयान नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी द्वारा जाली गारंटी पत्रों के जरिये पंजाब नेशनल बैंक को करीब 14,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आने के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाता है. पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई शाखा ने धोखाधड़ी के तरीके से नीरव मोदी समूह की कंपनियों को मार्च, 2011 से गारंटी पत्र या एलओयू जारी किए थे. नीरव मोदी और उससे जुड़े समूह तथा संबंधियों को कुल 1,213 एलओयू जारी किए गए थे वहीं मेहुल चोकसी तथा उसके संबंधियों और गीतांजलि समूह को 377 एलओयू जारी किए गए थे. यह पूछे जाने पर कि क्या नियामक इस बारे में बेहतर कर सकता था, राजन ने कहा कि स्वआकलन करना काफी मुश्किल है लेकिन रिजर्व बैंक को बैंकों के रिण कारोबार में उछाल के शुरुआती चरण में इस बारे में रिणों की गुणवत्ता के बोर में संभवत: और अधिक सवाल उठाने चाहिए थे. पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई शाखा ने धोखाधड़ी के तरीके से नीरव मोदी समूह की कंपनियों को मार्च, 2011 से गारंटी पत्र या एलओयू जारी किए थे. नीरव मोदी और उससे जुड़े समूह तथा संबंधियों को कुल 1,213 एलओयू जारी किए गए थे वहीं मेहुल चोकसी तथा उसके संबंधियों और गीतांजलि समूह को 377 एलओयू जारी किए गए थे. यह पूछे जाने पर कि क्या नियामक इस बारे में बेहतर कर सकता था, राजन ने कहा कि स्वआकलन करना काफी मुश्किल है लेकिन रिजर्व बैंक को बैंकों के रिण कारोबार में उछाल के शुरुआती चरण में इस बारे में रिणों की गुणवत्ता के बोर में संभवत: और अधिक सवाल उठाने चाहिए थे.
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छत्तीसगढ़ में मंगलवार को नक्सलियों ने दो हमले किए। एक हमले में 2 जवान शहीद हो गए और दूरदर्शन का एक कैमरामैन मारा गया। इस हमले से लोग अपने आप को संभालते उससे पहले ही नक्सलियों ने दूसरा हमला कर दिया। हमला नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ और झारखंड बार्डर के करीब किया है। अंबिकापुर के दबाग में नक्सलियों ने लैंडमाइन की सहायता से हमले को अंजाम दिया है। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई है। एक आम नागरिक घायल हुए हैं। सड़क बनाने की कवायद को रोकने के लिए नक्सलियों ने यह हमला किया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 से पहले बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों में नक्सलियों ने जमकर तांडव मचाया। इन हमलों के बाद कुछ चौंका देने वाली बातें सामने आई हैं।

छत्तीसगढ़ पुलिस को सर्च ऑपरेशन में कई पर्चे मिले है, उन पर सरकार और राजनीतिक दलों को धमकियां लिखी हुई मिली है। इन पर्चों पर भाकपा (माओवादी) दरभंगा डिवीजन कमिटी के हवाले से लिखा हैं कि ‘गांव पर पुलिस हमले, जनता पर मुठभेड़ और महिलाओं पर अत्याचार बंद करो।’
छत्तीसगढ़ में हुए इन नक्सली हमलों में दूरदर्शन के एक फोटो जर्नलिस्ट की भी मौत हो गई थी लेकिन अब हमले वाली जगह पर कुछ पेड़ों पर कुछ पर्चे चिपके हुए मिले है।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में मंगलवार को नक्सलियों ने पुलिस दल पर हमला किया जिसमें दो जवान शहीद हो गए तथा एक मीडियाकर्मी की मौत हो गई। घटना में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को यहां बताया कि दंतेवाड़ा जिले के अंतर्गत अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने पुलिस दल पर हमला कर दिया।

इस हमले में छत्तीसगढ़ पुलिस का एक उपनिरीक्षक रूद्र प्रताप सिंह और एक सहायक आरक्षक मंगलु शहीद हो गए तथा दिल्ली दूरदर्शन के कैमरामैन अच्युतानंद साहू की मृत्य हो गई। वहीं दो पुलिसकर्मी आरक्षक विष्णु नेताम और सहायक आरक्षक राकेश कौशल घायल हो गए। दूरदर्शन के दो अन्य मीडियाकर्मी सुरक्षित हैं।
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को अरनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत नीलावाया गांव के लिए पुलिस दल मोटरसाइकिल से रवाना हुआ था। वहीं दूरदर्शन का एक दल भी क्षेत्र में चुनाव संबंधी कवरेज के लिए गया था। जब पुलिस दल गांव के करीब था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी।
इस घटना में दो पुलिसकर्मी और कैमरामैन की मृत्यु हो गई। वहीं दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने बताया कि नक्सलियों की गोलीबारी के बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई की तब कुछ देर बाद नक्सली वहां से फरार हो गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए तथा समेली स्थित सुरक्षा बल के शिविर से अतिरिक्त पुलिस दल रवाना किया गया है। क्षेत्र में सीआरपीएफ, डीआरजी और एसटीएफ के दलों ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
अधिकारियों ने बताया कि घायल जवानों और शवों को घटनास्थल से बाहर निकाला गया है। घायलों को दंतेवाड़ा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के आवापल्ली में नक्सलियों ने इस महीने की 27 तारीख को बुलेट प्रूफ बंकर को बारूदी सुरंग से उड़ा दिया था।
इस घटना में सीआरपीएफ के 168वीं बटालियन के चार जवान शहीद हो गए थे। वहीं 28 तारीख को नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले के पालनार गांव में जिला पंचायत के सदस्य तथा भाजपा नेता नंदलाल मुड़यामी को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में दो चरणों में मतदान होना है। राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिले और राजनांदगांव जिले के 18 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा।
वहीं 72 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को की जाएगी। राज्य में विधासभा चुनाव को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस दल को क्षेत्र में तैनात किया गया है।
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महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए विस्फोट के मामले में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 2 नवंबर तय की है। इस मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए।
मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाकों के मामले में सात आरोपियों पर आतंकवाद की साजिश रचने हत्या और अन्य संबंधित अपराधों के लिए आरोप तय किये गए है। इन सभी आरोपियों पर एपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।
मालेगांव बम ब्लास्ट में आरोपी कर्नल पुरोहित ने पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नल पुरोहित की उनके खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दियाथा
2008 में मालेगांव में हुए बम धमाकों के मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सात आरोपियों को अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों पर मंगलवार को आरोप तय किए गए हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में अपने चुनावी दौरे के दूसरे दिन राफेल डील को भ्रष्टाचार का खुला मामला बताया। उन्होंने कहा कि अगर मामले की जांच होती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेल जाएंगे।

राहुल गांधी ने कहा, ‘मोदी जी को भ्रष्ट सिर्फ कहा नहीं जा रहा है, बल्कि वह वाकई भ्रष्ट हैं। इस पर कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘राफेल केस एक खुला मामला है। जिस दिन से जांच शुरू हो जाएगा, पीएम मोदी को जेल कब भेजा जाएगा, सिर्फ इसी पर सवाल होगा और कुछ नहीं।’ उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि राफेल मामले में जांच फ्रांस में शुरू होने जा रही है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए हर प्रकिया और कानून का हनन किया है। उन्होंने आगे यह भी कहा, ‘यहां कई और ऐसे मामले हैं और वह राफेल से भी बड़े हैं।’

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेटे का नाम पनामा पेपर मामले में लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चौतरफा घिर गए हैं। कन्फ्यूजन में पनामा घोटाले में सीएम के बेटे का नाम लेने पर राहुल ने गलती तो जरूर मानी लेकिन तबतक देर हो चुकी थी। शिवराज के बेटे कार्तिकेय ने मंगलवार को राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करा दिया है। लेकिन अब राहुल अपनी बात से पलट गये। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि भाजपा शासित राज्यों में कथित तौर पर इतने घोटाले हुए हैं कि वह इस सिलसिले में चकरा गये थे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य के मालवा-निमाड़ अंचल के दौरे में कल सोमवार को एक चुनावी रैली में कहा था, मामाजी (शिवराज का लोकप्रिय उपनाम) के जो बेटे हैं, उनका नाम पनामा के पेपरों में निकलता है। इन दस्तावेजों में पाकिस्तान के (पूर्व) प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम भी सामने आया था। इस पर पाकिस्तान जैसे देश में शरीफ को जेल में डाल दिया गया था। मगर यहां मुख्यमंत्री के बेटे पर पनामा पेपर मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती। राहुल ने इंदौर में चुनिंदा संपादकों और पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मंगलवार को कहा, मैं आसन्न विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिये मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जा रहा हूं। इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा का इतना भ्रष्टाचार और इतने घोटाले हैं कि कल मैं चकरा गया। पनामा पेपर लीक मामले में शिवराज (परिवार) की कोई भूमिका नहीं है।

बहरहाल, कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) और ई-टेंडरिंग के कुख्यात घोटालों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की भूमिका है। राहुल के संबंधित बयान के बाद शिवराज ने कल देर रात ट्वीट कर कहा था, पिछले कई वर्षों से कांग्रेस मेरे और मेरे परिवार के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रही है। हम सबका सम्मान करते हुए मर्यादा रखते हैं। लेकिन आज राहुल गांधी ने यह कहकर सारी हदें पार कर दीं कि मेरे बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम पनामा पेपर्स में आया है।

मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में इस आशय की बात भी कही थी कि उनके बेटे पर झूठा आरोप लगाने के लिये राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया जायेगा। इस मामले में कार्तिकेय ने भी ट्विटर पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कल देर रात अपने ट्वीट में कहा था, आज राहुल गांधी जी ने पनामा पेपर्स में मेरा नाम संलिप्त होने का झूठा बयान दिया है। मैं व्यथित हूँ कि बचपने की आड़ में सार्वजनिक मंच से मेरी व मेरे परिवार की प्रतिष्ठा खंडित की गयी है। यदि 48 घंटे में उन्होंने (राहुल) माफी नहीं मांगी, तो मैं उन पर कठोरतम कानूनी कार्यवाही के लिए बाध्य हो जाऊँगा

सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर बढ़ रही कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी एक के बाद एक मंदिरों में जाकर पूजा पाठ कर रहे हैं. इस चुनावी माहौल में बीजेपी फिर उनके हिंदू होने पर ही सवाल खड़े कर रही है लेकिन इंदौर में राहुल गांधी ने मंदिरों में पूजापाठ और हिंदुत्व दोनों बड़े मुद्दों पर बीजेपी को दो टूक जवाब दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के उस बड़े हमले पर पलटवार किया है जिसमें राहुल के मंदिर जाने पर सवाल पूछे जा रहे हैं. राहुल गांधी ने बीजेपी से ही सीधा सवाल किया है कि क्या मंदिर बीजेपी-आरएसएस की प्रॉपर्टी है? राहुल गांधी ने ये भी कहा कि मंदिर के कहने पर मैंने धोती पहनी थी तो मेरा कपड़ा फैंसी ड्रेस कैसे हो गया? राहुल गांधी ने मंदिर-मंदिर जाने और हिंदू होने, ना होने पर जवाब देते हुए कहा कि मैं हिंदूवादी नहीं, राष्ट्रवादी नेता हूं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मैं सभी समाज के लोगों का नेता हूं.
एक दिन पहले ही उज्जैन में महाकाल के दर पर पहुंचकर राहुल ने पूजा अर्चना की थी लेकिन राहुल की इस तस्वीर के सामने आने के बाद बीजेपी ने राहुल से उनके गोत्र को लेकर सवाल पूछा था. अब राहुल ने खुद को हिंदूवादी की जगह राष्ट्रवादी बताकर बड़ा बयान दिया है.
हालांकि राहुल के इस बड़े बयान के बाद बीजेपी ने फिर राहुल गांधी पर चुटकी ली है. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि राहुल गांधी कन्फ्यूज्ड हैं और इस बार भी कांग्रेस चुनाव हारेगी.
गुजरात चुनाव के दौरान भी राहुल के मंदिरों में पूजा पाठ को बीजेपी ने चुनावी स्टंट बताया था. तब कांग्रेस ने राहुल के जनेऊधारी होने और शिवभक्त होने का दावा किया था. एक बार फिर चुनावी मौसम में जनेऊ और फैंन्सी रेशमी धोती चर्चा में है लेकिन इसका जनता पर कितना असर होगा और वोटिंग के समय ये मुद्दा कितना अहम रहेगा इस सवाल का जवाब भविष्य की गर्त में है.
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नई दिल्ली: सीबीआई के अंदर चल रही कलह अब किसी से छुपी नहीं है. आए दिन कोई-न-कोई ऐसी खबर सामने आती है जिससे साफ पता चलता कि ये कलह कितनी ज्यादा बढ़ चुकी है. अब ये कलह सिर्फ सीबीआई के दो बड़े अधिकारियों के बीच ही नहीं, बल्कि पूरी जांच एजेंसी के अंदर नजर आ रही है. आज एक बार फिर ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए देवेंद्र कुमार और मनोज प्रसाद को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान देवेंद्र कुमार के वकील ने जांच एजेंसी सीबीआई की जांच के ऊपर ही सवाल उठाते हुए कहा कि जांच एजेंसी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रही है. इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि जब सीबीआई ने देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया था तो उनके पास से सिर्फ एक मोबाइल फ़ोन की बरामदगी दिखाई थी, लेकिन बाद में कोर्ट में बताया गया कि देवेंद्र कुमार के पास से 8 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं. सवाल ये है कि जब गिरफ्तारी के वक्त एक मोबाइल फोन था तो बाकी के 7 मोबाइल फोन कहां से आ गए?
बचाव पक्ष की तरफ से उठाए गए इस दलील पर जब कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई के जांच अधिकारी से जवाब मांगा तो अधिकारी ने कहा, ”हां, कुल मिलाकर 8 मोबाइल फोन जब्त करने की बात सामने आई है लेकिन गिरफ्तारी के बाद सिर्फ एक को दिखाया गया. इस बारे में मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं क्योंकि ये जानकारी मुझे पुरानी टीम की तरफ से दी गई है जो अब इस मामले की जांच नहीं कर रही.” ये दिखाता है कि सीबीआई अपनी पुरानी जांच टीम की जांच को भी पूरी तरह से अपनाने में झिझक रही है.
जब देवेंद्र कुमार की जमानत याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगी तो सीबीआई के अंदर चल रही इस कलह का फायदा देवेंद्र कुमार को भी मिल सकता है. क्योंकि अगर सीबीआई देवेंद्र कुमार की ज़मानत का पुरजोर तरीके से विरोध नहीं कर पाई तो फिर अदालत तथ्यों को देखते हुए देवेंद्र कुमार को ज़मानत भी दे सकती है.
आज हुई सुनवाई के बाद अदालत ने देवेंद्र कुमार और मनोज कुमार दोनों को हिरासत में भेज दिया है. देवेंद्र की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी, वहीं मनोज की जमानत याचिका पर 2 नवंबर को अदालत सुनवाई करेगी.

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मुलायम सिंह यादव के बारे में कहा जाता है कि उनका बायां हाथ क्या करेगा, यह उनका दायां हाथ भी नहीं जानता। वह कभी अखिलेश की प्रशंसा करते हैं तो कभी सार्वजनिक मंचों से अखिलेश को नसीहत भी दे देते हैं। इसी तरह कभी शिवपाल पर एकदम चुप हो जाते हैं, कभी कहते हैं समाजवादी पार्टी में सभी लोग एक हैं। राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि मुलायम की वजह से ही अखिलेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शिवपाल अलग पार्टी नहीं बना पाए। यह मुलायम की राजनीति ही रही कि दोनों उन्हें अपना नेता मानते रहे। बता दें कि इस बंगले में शिवपाल से पहले मायावती रहती थीं। माना जा रहा है कि सपा के खिलाफ शिवपाल को मजबूत करने के लिए बीजेपी सरकार ने यह बंगला उन्हें अलॉट किया है। हालांकि इस पर शिवपाल ने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें सरकारी बंगला देकर कोई मेहरबानी नहीं की है। उनके ऊपर खतरा था, एलआईयू की रिपोर्ट थी। वह 5 बार से विधायक हैं, सबसे सीनियर हैं और उन्हें छोटा सा फ्लैट दिया गया था। यही वजह है कि उन्हें बंगला आवंटित किया गया है।
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मंगलवार को अपने भाई शिवपाल की पार्टी ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। कार्यक्रम में शिवपाल और उनके समर्थकों की तरफ से मुलायम सिंह यादव को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की एक सुर में आवाज उठी। लेकिन यहां से अपना भाषण खत्म करने के बाद वह अखिलेश के साथ मीटिंग करने समाजवादी पार्टी के कार्यालय चल गए। अब दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं की निगाहें उन पर लगी हुई हैं कि वो अब क्या बोलते हैं।

मुलायम सिंह से शिवपाल ने कहा आपको इस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना। हम आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव करते हैं। इस प्रस्ताव का शिवपाल की पार्टी के लोगों ने एक सुर में समर्थन किया। शिवपाल ने कहा, ‘जहां समाजवादी लोग हैं वहीं नेता जी हैं। इस पर मुलायम ने राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए । इसके बाद शिवपाल ने 5 दिन में राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने की बात कही। शिवपाल के घर पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने बोलना शुरू किया तो वो सपा की तारीफ करने लगे। ऐसे में कार्यकर्ताओं की आवाज आई कि यह समाजवादी पार्टी नहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। इस पर मुलायम सिंह बोले, ‘अच्छा, अब समाजवादी पार्टी का दूसरा नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी हो गया है। बता दें कि मुलायम का शिवपाल के घर पहुंचना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए झटका माना जा रहा।

मुलायम के द्वारा शिवपाल के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को अपना आशीर्वाद देना और पार्टी को मजबूत करने की बात कह कर एक बार फिर सपा के लोगों को बेचैन कर। लेकिन इसके बाद अखिलेश के साथ चल रही मीटिंग से सपा कार्यकर्ताओं ने रात की सांस ली। शिवपाल पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है। नेता जी का आशीर्वाद उनके साथ है और आगे भी रहेगा। मंगलवार को शिवपाल के बंगले पर पहुंचे मुलायम ने कई ऐसी बातें कहीं जिनसे अखिलेश की टेंशन बढ़ सकती है।
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25 साल पहले कांग्रेस सरकार अयोध्या मसले पर अध्यादेश लाई थी

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिये कानून बनाने संबंधी अपने अभियान के तहत विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से मिलेगा. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि नवंबर महीने में परिषद देश के सभी क्षेत्रों के सांसदों से भेंट करेगी और उनसे कहेगी कि उनके मतदाता अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं, ऐसे में वे कानून बनाने में सहयोग करें.
यह पूछे जाने पर कि क्या वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी से भी मिलेंगे? विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा, ‘‘ हम उनसे आग्रह करेंगे और वे समय देते हैं तब उनसे मुलाकात करेंगे. हम सभी सांसदों से मिलेंगे.’’ उन्होंने जोर दिया कि देश का जनमानस राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है, ऐसे में चाहे कांग्रेस हो, तृणमूल कांग्रेस हो या कोई अन्य दल हो उनके लिये इसका विरोध करना कठिन होगा.
विहिप के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि परिषद का सभी दलों के सांसदों से मिलने का कार्यक्रम है, चाहे वे किसी भी दल के हों. उन्होंने बताया कि संसदीय क्षेत्र में सभाओं का आयोजन किया जायेगा और एक शिष्टमंडल उस क्षेत्र के सांसद से मिलेगा जिसमें विहिप, संत समाज एवं स्थानीय लोग शामिल होंगे.

25 साल पहले कांग्रेस सरकार अयोध्या मसले पर अध्यादेश लाई थी जिसे अयोध्या अधिनियम के नाम से जाना गया. तब भाजपा ने इसका विरोध किया था. विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में बीजेपी के समर्थन से चल रहे राम मंदिर आंदोलन के परिणामस्वरूप 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई. इसके एक साल बाद जनवरी 1993 में यह अध्यादेश लाया गया. तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 7 जनवरी 1993 को इसे मंजूरी दी थी. इसके तहत विवादित परिसर की कुछ जमीन का सरकार की तरफ से अधिग्रहण किया जाना था. राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने इस बिल को मंजूरी के लिए लोकसभा में रखा. पास होने के बाद इसे अयोध्या अधिनियम के नाम से जाना गया.  बिल पेश करते समय तत्कालीन गृहमंत्री चव्हाण ने कहा था, “देश के लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की भावना को बनाए रखना जरूरी है.” ठीक यही तर्क बीजेपी और आरएसएस के नेता भी दे रहे हैं. अयोध्या अधिनियम विवादित ढांचे और इसके पास की जमीन को अधिग्रहित करने के लिए लाया गया था. नरसिम्हा राव सरकार ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि के साथ इसके चारों तरफ 60.70 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी. इसे लेकर कांग्रेस सरकार की योजना अयोध्या में एक राम मंदिर, एक मस्जिद, लाइब्रेरी, म्यूजियम और अन्य सुविधाओं के निर्माण की थी. हालांकि अयोध्या अधिनियम से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ नहीं हो पाया. बीजेपी ने नरसिम्हा राव सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया था. बीजेपी के तत्कालीन उपाध्यक्ष एसएस भंडारी ने इस कानून को पक्षपातपूर्ण, तुच्छ और प्रतिकूल बताते हुए खारिज कर दिया था. बीजेपी के साथ मुस्लिम संगठनों ने भी इस कानून का विरोध किया था.

नरसिम्हा राव सरकार ने अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से भी इस मसले पर सलाह मांगी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राय देने से मना कर दिया था. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि क्या राम जन्भूमि बाबरी मस्जिद के विवादित जगह पर कोई हिंदू मंदिर या कोई हिंदू ढांचा था. 5 जजों (जस्टिस एमएन वेंकटचलैया, जेएस वर्मा, जीएन रे, एएम अहमदी और एसपी भरूचा) की खंडपीठ ने इन सवालों पर विचार किया था लेकिन कोई जवाब नहीं दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या एक्ट 1994 की व्याख्या की थी. सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के आधार पर विवादित जगह के जमीन संबंधी मालिकाना हक (टाइटल सूट) से संबधित कानून पर स्टे लगा दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जब तक इसका निपटारा किसी कोर्ट में नहीं हो जाता तब तक इसे लागू नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहित जमीन पर एक राम मंदिर, एक मस्जिद एक लाइब्रेरी और दूसरी सुविधाओं का इंतजाम करने की बात का समर्थन किया था लेकिन यह भी कहा था कि यह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है. इस तरह अयोध्या एक्ट व्यर्थ हो गया.

विहिप ने इसके साथ जोर दिया कि सरकार को सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर या संबंधित भूमि का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. कुमार ने कहा, ‘‘ हमारे समक्ष सोमनाथ मंदिर के निर्माण का उदाहरण है. सोमनाथ मंदिर को मध्यकाल में आक्रमणकारियों ने कई बार तोड़ा था. ऐसे में देश की आजादी के बाद खंडहर पर मंदिर के निर्माण के लिये कानून बनाया गया था. ’’ उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर के निर्माण को प्रायोजित भारत सरकार ने किया था लेकिन पैसा जनता ने जुटाया था. इसके लिये एक ट्रस्ट का गठन किया गया था जिसे निर्माण, रखरखाव आदि का कार्य सौंपा गया था.
आलोक कुमार ने आगे कहा कि सरकार कानून बनाकर संबंधित भूमि का अधिग्रहण भी कर सकती है और इस भूमि को उस समिति को सौंप सकती है जो इस विषय और आंदोलन को आगे बढ़ा रही है और नेतृत्व प्रदान कर रही है. विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि इन दोनों ही स्थितियों में कानून लाने की जरूरत होगी. विहिप का रूख स्पष्ट है कि इस मुद्दे पर अदालत के फैसले की अनंत काल तक प्रतीक्षा नहीं की जा सकती. ऐसे में कानून लाने की जरूरत है.
हीं, वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ यह सब राजनीतिक फायदे के लिये किया जा रहा है । अगर वे कानून बनाना चाहते हैं तो किसने रोका है। क्या वे चार साल से सो रहे थे ? ’’ उन्होंने कहा कि अब अदालत ही तय करेगी कि अयोध्या मामले की सुनवाई कब होगी, यह कोई दूसरा तय नहीं कर सकता है.
वहीं, राम मंदिर के मुद्दे पर अखिल भारतीय संत समिति 3-4 नवंबर को दिल्ली में एक बैठक कर रही है. इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से संत राम मंदिर के मुद्दे पर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे. बहरहाल, मुम्बई के पास ठाणे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक हो रही है.
इस बैठक में प्रतिनिधि सभा की बैठक में बनाई गई योजनाओं की समीक्षा के साथ साथ देश की वर्तमान स्थिति एवं समसामयिक विषयों पर चर्चा होगी.संघ का कहना है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जल्द निर्णय करे और अगर कुछ कठिनाई है तो सरकार कानून बनाकर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.

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