साजिश के तहत ONGC को खत्म ;कांग्रेस & Top News 16 oct. 18

HIGH LIGHT NATIONAL NEWS 16 OCT. 18; : साजिश के तहत ONGC को खत्म ;कांग्रेस 

#सबरीमाला मंदिर-तनाव जोरों पर #NGT ने लगाया 50 करोड़ का जुर्माना #कांग्रेस के दो विधायको ने अमित शाह से मुलाकात की तभी यह माना जाने लगा था कि बीजेपी ने दो कांग्रेस विधायक तोड लिये- #एक महिला मत्रकार ने यूपीए सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए अपनी कहानी बयां की है. #क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां मंगलवार को कांग्रेस में शामिल #रेंद्र मोदी सरकार को हठधर्मी और अहंकारी कहा। #एमजे अकबर मंगलवार को भी निशाने पर रहे- अकबर को जाना होगा; बडा सवाल # भारतीय महिला प्रेस कोर’ ने कहा;सरकार इस गंभीर मुद्दे को लेकर उदासीन # प्रशांत किशोर को मिली JDU में नंबर 2 की कुर्सी, बनाए गए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष #Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org #####

नई दिल्ली: कांग्रेस ने ओएनजीसी (ONGC)  को लेकर मंगलवार को मोदी सरकार पर हमला किया है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि साजिश के तहत ओएनजीसी को खत्म किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि 4 सितम्बर 2018 को ओएनजीसी (ONGC) कर्मचारी संगठन ने प्रधानमंत्री को खत लिखा था कि पिछले 52 महीने में ओएनजीसी के साथ जो व्यवहार किया गया, उस वजह से मुनाफे वाली कम्पनी को वेतन देने के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि 4 सितम्बर 2018 को ओएनजीसी (ONGC) कर्मचारी संगठन ने प्रधानमंत्री को खत लिखा था कि पिछले 52 महीने में ओएनजीसी के साथ जो व्यवहार किया गया, उस वजह से मुनाफे वाली कम्पनी को वेतन देने के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ रहा है. साल 2005 में नरेंद्र मोदी ने एक सनसनीखेज एलान किया था कि KG बेसिन में GPCL ने 20 ट्रिलियन क्यूबिक फ़ीट गैस की खोज की है. तब उसकी अनुमानित कीमत 2 लाख 20 हजार करोड़ बताई गई थी. कहा गया 2007 तक गैस का उत्पादन होने लगेगा. GPCL ने 2005 से 2015 तक 19 हजार 700 करोड़ रुपया गैस खोजने पर खर्च किया, लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया. KG बेसिन के गैस फील्ड 8 हजार करोड़ में ONGC को बेची गई . साल 2005 में नरेंद्र मोदी ने एक सनसनीखेज एलान किया था कि KG बेसिन में GPCL ने 20 ट्रिलियन क्यूबिक फ़ीट गैस की खोज की है. तब उसकी अनुमानित कीमत 2 लाख 20 हजार करोड़ बताई गई थी. कहा गया 2007 तक गैस का उत्पादन होने लगेगा. GPCL ने 2005 से 2015 तक 19 हजार 700 करोड़ रुपया गैस खोजने पर खर्च किया, लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया. KG बेसिन के गैस फील्ड 8 हजार करोड़ में ONGC को बेची गई .

ओएनजीसी  (ONGC)  पर 2017 में 53 हजार 619 करोड़ का घाटा था, जो बढ़ कर 1 लाख 11 हजार 533 करोड़ हो गया, जहां मुनाफा हो सकता था उसमें निजी कंपनियों को शामिल कर लिया गया. मनीष तिवारी ने कहा कि इस सरकार में पहले एचएएल (HAL) को खत्म करने की कोशिश की गई. उसी तरह ओएनजीसी (ONGC)  को खत्म किया जा रहा, इसके पीछे एक सुनियोजित साजिश है.

उन्होंने इस संबंध में मांग करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय की देखरेख में विशेषज्ञों की कमिटी बननी चाहिए जो पिछले 52 हफ्ते में हुए घटनाक्रम की जांच करे. साथ ही उन्होंने कहा कि ओएनजीसी (ONGC)  को हो रहे नुकसान के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

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मशहूर तबला वादक लच्छू जी महाराज 

बनारस घराने के मशहूर तबला वादक लच्छू जी महाराज (Lachhu Maharaj) के जन्मदिन पर गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाया है. लच्छू महाराज का आज 74वां जन्मदिन है. गूगल के डूडल (Google Doodle) में आप लच्छू महाराज को देख सकते हैं. लच्छू जी महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 में बनारस में हुआ था. उनका पूरा नाम लक्ष्मी नारायण सिंह था. लच्छू जी महाराज (Lachhu Maharaj) ने बेहद कम उम्र में ही तबला (Tabla) और बांसुरी बजाना शुरू कर दिया था. आज लच्छू महाराज को पूरी दुनिया महान तबला वादक के रूप में जानती है. उनकी कला के लिए उन्हें पद्मश्री के लिए नामित किया गया था. लेकिन उन्होंने ये सम्मान नहीं स्वीकार किया था. उन्होंने कहा था कि दर्शकों के प्यार से बढ़कर उनके लिए और कुछ भी नहीं है. आज लच्छू जी महाराज की जयंती (Lachhu Maharaj Birth Anniversary) के मौके पर  उनके जीवन से जुड़ी  खास बातें

इमरजेंसी के दौरान महाराज ने जेल के अंदर विरोध के लिए तबला बजाया था और पद्मश्री सहित कई अवॉर्ड्स को लेने से मना कर दिया था.  तबला वादक के रूप में फेमस होने की वजह से उनका नाम लच्छू महाराज पड़ा. वो पूर्वी राग के अलावा 4 तबला घरानों की तबला शैली में भी निपुण थे. देश ही नहीं दुनिया के कई बड़े मंच पर उन्होंने तबला वादन से लोगों का दिल जीता. लच्छू महाराज ने कभी किसी की फरमाइश पर तबला नहीं बजाया. वो अपने मन से तबला वादन करते थे. पंडित लच्छू महाराज का सहयोग भारतीय सिनेमा में भी रहा है. उन्होंने कई प्रसिद्ध फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी भी की है. ‘महल (1949)’, ‘मुगल-ए-आजम (1960)’, ‘छोटी छोटी बातें (1965)’ और ‘पाकीजा (1972)’ जैसी फिल्मों में वह जुड़े.

लच्छू महाराज (Lachhu Maharaj) का जन्म 16 अक्टूबर 1944 में बनारस में हुआ था. उनका पूरा नाम लक्ष्मी नारायण सिंह था. लच्छू जी महाराज बनारस घराने में जन्मे थे, उनके पिता का नाम वासुदेव महाराज था. लच्छू जी महाराज कुल 12 भाई-बहन थे. लच्छू की बहन एक्टर निर्मला ऐक्टर गोविंदा की मां हैं.   Lachhu Maharaj ने अपनी कला से देश में ही नहीं विदेश में भी नाम कमाया. लच्छू महाराज बेहतरीन तबला वादन के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. लच्छू जी महाराज ने कई बॉलिवुड फिल्मों में काम किया था. लच्छू जी महाराज ने फ्रेंच महिला टीना से शादी की थी. लच्छू जी महाराज और टीना की एक बेटी है, जिसका नाम नारायणी है.  लच्छू जी महाराज को पद्मश्री के लिए नामिक किया गया था. उन्होंने ये सम्मान लेने से इंकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि कलाकार को अवॉर्ड की जरूरत नहीं होती. लच्छू जी महाराज के लिए दर्शकों के प्यार से ज्यादा कुछ भी नहीं था. लच्छू जी महाराज का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ था. 72 साल की उम्र में 27 जुलाई 2016 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी. उनका अंतिम संस्कार बनारस के मनिकर्णिका घाट पर हुआ था.

1957 में लच्छू महाराज को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मान दिया गया. पद्मश्री अवॉर्ड उन्होंने यह कह कर लेने से मना कर दिया था कि मेरे लिए दर्शकों की तालियां ही सम्मान है. लंबे समय तक बीमार रहने के बाद 27 जुलाई 2016 को वाराणसी में लच्छू महाराज का निधन हो गया. उस वक्त उनकी आयू 72 थी. आखिरी समय में उन्होंने कहा था- ‘कल देखना गुरु, संगीत से एक आदमी नहीं आएगा कि लच्छू मर गया.’ लच्छू महाराज के प्रदर्शन को देखकर महान तबला वादक अहमद जान थिरकवा मंत्रमुग्ध हो गए थे. उन्होंने कहा था- ‘काश लच्छू मेरा बेटा होता.’

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केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा का सबरीमाला मंदिर कल से खुल रहा है. इससे पहले मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाले निलाकल में तनाव जोरों पर है. मंगलवार को भक्तों ने प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं को लेकर मंदिर की तरफ से जाने वाले वाहनो को रोक दिया. सुप्रीम कोर्ट के सभी उम्रवर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने वाले हालिया फैसले के बाद इस मंदिर को पहली बार कल खोला जा रहा है लेकिन आंदोलनकारी महिलाओं को मंदिर में घुसने से रोक रहे रहे हैं. एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, ‘‘प्रतिबंधित 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को निलाकल से आगे नहीं जाने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में पूजा भी नहीं करने दी जाएगी’’

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था कि सबरीमला मंदिर में हर उम्र की महिलाएं जा सकती हैं. इससे पहले मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को एंट्री की इजाजत नहीं थी. साल 1990 में केरल हाईकोर्ट में महिलाओं को एंट्री देने को लेकर एस महेंद्रन ने याचिका दायर की 5 अप्रैल 1991 केरल हाईकोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं की सबरीमाला मंदिर में एंट्री पर रोक की पुष्टि की और इसे बरकरार रखा. 2006 सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने औरतों के मंदिर में बैन को हटाने के लिए याचिका दायर की. ये याचिका इस आधार पर फाइल की गई कि ये नियम भारतीय संविधान की धारा 25 का उल्लंघन करता है जिसके तहत धर्म को मानने और प्रचार करने की आजादी मिलती है. नवंबर 2007: केरल में लेफ्ट सरकार ने महिलाओं की एंट्री पर बैन लगाने के सवाल को समर्थित करने की जनहित याचिका पर एक एफिडेविट फाइल किया. जनवरी 2016: सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बैन की प्रैक्टिस पर सवाल उठाए. 7 नवंबर 2016: लेफ्ट सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वो सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश दिलाने के पक्ष में है. 13 अक्टूबर 2017: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने संबंधी केस को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भेजा गया. 26 जुलाई 2017: पंडालम राज परिवार ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर डाली गई याचिका को चुनौती दी. उन्होंने इसे हिंदू आस्था के खिलाफ बताया. उनकी तरफ से वकील ने कोर्ट में बताया कि मंदिर के देवता भगवान अयप्पा शाश्वत ब्रह्मचारी हैं लिहाजा पीरियड्स के दौर से गुजरी रही महिलाओं को मंदिर के प्रांगण में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए. 28 सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी. महिलाओं को रोकने संबंधी कानून आर्टिकल 25 (क्लॉज 1) और रूल 3 (बी) का उल्लंघन करता है.

बरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद से मंदिर के द्वार कल खुलने जा रहे हैं जिसके विरोध में लोगों ने ‘सामूहिक आत्महत्या’ और अवरोध पैदा करने तक की धमकी दी है. हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गयी बैठक को छोड़कर चले गये. शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे. इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु को देखकर उन्हें लगा कि उनकी आयु मासिर्क धर्म वाली हो सकती है. ‘स्वामीया शरणम् अयप्पा’ के नारों के साथ भगवान अयप्पा भक्तों ने इस आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं की बसें और निजी वाहन रोके और उन्हें यात्रा नहीं करने के लिए मजबूर किया. इन महिलाओं में पत्रकार रितू भी थीं, जिन्होंने दावा किया कि वह अपने कवरेज के काम से मंदिर जा रही हैं और उनका मंदिर में प्रवेश का कोई इरादा नहीं है। उनका ऐसा भी कुछ करने की मंशा नहीं है जिससे अयप्पा भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हों

सबरीमला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मासिक पूजा के लिए मंदिर जब कल शाम खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी.’’ टेलीविजन चैनलों की फुटेज में देखा गया कि काले कपड़े पहने कुछ युवतियों और कुछ कॉलेज विद्यार्थियों को एक बस से उतरने के लिए कहा जा रहा है.
इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी.’’

सबरीमला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मासिक पूजा के लिए मंदिर जब कल शाम खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी.’’ टेलीविजन चैनलों की फुटेज में देखा गया कि काले कपड़े पहने कुछ युवतियों और कुछ कॉलेज विद्यार्थियों को एक बस से उतरने के लिए कहा जा रहा है.
इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी.’’   सबरीमला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मासिक पूजा के लिए मंदिर जब कल शाम खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी.’’ टेलीविजन चैनलों की फुटेज में देखा गया कि काले कपड़े पहने कुछ युवतियों और कुछ कॉलेज विद्यार्थियों को एक बस से उतरने के लिए कहा जा रहा है.
इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी.’’
केरल के सबरीमाला मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है. साथ ही, सबरीमाला की यात्रा से पहले 41 दिन तक कठोर व्रत का नियम है. मासिक धर्म के चलते युवा महिलाएं लगातार 41 दिन का व्रत नहीं कर सकती हैं. इसलिए, 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में आने की इजाज़त नहीं थी. पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला पर स्थित ये मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बेहद पवित्र माना जाता है और देशभर से लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. दूसरे हिंदूं मंदिरों की तरह सबरीमाला मंदिर सालभर नहीं केवल मलयालम कैलेंडर के मुताबिक हर महीने के पांचवे दिन खुलता है. मंदिर को मलयालम थुलाम महीने में पांच दिन की मासिक पूजा के बाद 22 अक्टूबर को बंद कर दिया गया था.
भगवान अयप्पा विष्णुजी और शंकर भगवान के पुत्र माने जाते हैं और इन्हें हरिहरन भी कहा जाता है. हरिहरन से तात्पर्य में हरि अर्थात विष्णु जी और हरन अर्थात शिवजी हैं. हरि और हरन के पुत्र यानी हरिहरन के रूप में भी भगवान मोहिनीरूप में जब विष्णु जी प्रकट हुए उसके बाद भगवान अयप्पा का जन्म हुआ. हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक
अयप्पा के माता पिता अर्थात शिव और मोहिनी ने इनके गले में सोने की घंटी बांधकर इन्हें पंपा नदी के किनारे रख दिया था. इसके बाद पंडालम के राजा राजशेखर ने बेटे की तरह इनका लालन पालन किया और जब पुत्र ने सबरी की पहाड़ियों में जाने की इच्छा प्रकट की तो वहां इनके लिए मंदिर का निर्माण करा दिया. दक्षिण में इनके मंदिर की बहुत मान्यता है और वहां देशभर से श्रद्धालु वहां पहुंचते हैं.
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कांग्रेस के दो विधायको ने अमित शाह से मुलाकात की तभी यह माना जाने लगा था कि बीजेपी ने दो कांग्रेस विधायक तोड लिये-
गोवा कांग्रेस के दो विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते ने अमित शाह से मुलाकात की. इसके बाद ये साफ हो गया कि गोवा में कांग्रेस में टूटन तय है.
गोवा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. उसके दो विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. मनोहर पर्रिकर के बीमार होने के बाद कांग्रेस लगातार सरकार बनाने का दावा कर रही थी. सुबह करीब 11 बजे के आसपास गोवा कांग्रेस के दो विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते ने अमित शाह से मुलाकात की. इसके बाद ये साफ हो गया कि गोवा में कांग्रेस में टूटन तय है. आखिरकार सुभाष शिरोडकर ने बीजेपी में शामिल होने का एलान कर दिया.
बीजेपी में शामिल कांग्रेस विधायक सुभाष शिरोडकर ने कहा, पहली बार कांग्रेस छोडी है, बार-बार पार्टी नही बदलता. खदान, विकास जैसे मुद्दे अहम हैं और बीजेपी ये सब ठीक कर सकती है. बीजेपी के मुख्यमंत्री रहे लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराने वाले दयानंद सोपते भी बीजेपी में शामिल हो गए. उनका कहना है कि राजनीति की शुरुआत बीजेपी से की थी अब घर वापसी हुई है.
इन विधायकों के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होंते ही विधानसभा का गणित भी बदल गया. दोनों के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद बहुमत का आंकड़ा 21 से गिरकर 20 हो गया है. गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. और बीजेपी ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा फोरवॉर्ड पार्टी के तीन-तीन विधायको सहित तीन निर्दलीय विधायको और एक एनसीपी के विधायक के समर्थन से सरकार बनाई थी.
कांग्रेस को 17 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी को 13 सीटें मिली थी. बाद में विश्वजीत राणे ने कांग्रेस के विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था. अब वही विश्वजीत राणे, कांग्रेस के किले में सेंध लगाने वाले मुख्य सूत्रधार बन गए हैं. आज भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को विश्वजीत राणे ही तोड़ कर लाये हैं.
सूत्रों के मुताबिक गोवा कांग्रेस के कुछ और विधायक भी बीजेपी के संपर्क में हैं. अगर कांग्रेस में और टूट हुई तो बीजेपी सरकार के ऊपर से दूसरे सहयोगी दलों का दवाब कम हो जाएगा. वही कांग्रेस का सबसे बड़ी पार्टी का दावा भी कमजोर हो जाएगा. इन कांग्रेस विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से दोनों दलों की विधानसभा में विधायक संख्या 14-14 यानी बराबर जो गई है. कांग्रेस इस टूट को सत्ता का भयंकर दुरुपयोग बता रही है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, सत्ता का दरुपयोग हो रहा है. आतंक और भय का माहौल बनाया जा रहा है. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी पार्टियों को तोड़ा जा रहा है. फिलहाल पांच राज्यो में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका है और अभी कुछ और विधायक कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इसका असर विधानसभा चुनावों के प्रचार पर भी दिखाई दे सकता है.
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एक महिला मत्रकार ने यूपीए सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए अपनी कहानी बयां की है.
अब तक सिनेमा और मीडिया इंडस्ट्री तक सीमित रहने वाले #MeToo अभियान ने राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. कांग्रेस पार्टी ने अभी मंगलवार को ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटाया ही था कि एक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पर यौन शोषण के आरोप का मामला सामने आया है. एक महिला मत्रकार ने यूपीए सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए अपनी कहानी बयां की है.
सोनल केलॉग नाक की महिला पत्रकार ने यूपीए-I की सरकार के दौरान मंत्री रहे इस नेता का नाम लिए बिना बताया है कि महिला पत्रकारों को किस तरह के हालातों से गुजरना पड़ता है जब वो बाहर रिपोर्टिंग के लिए जाती हैं. अहमदाबाद की रहने वाली केलॉग को गुजरात में अंग्रेजी अखबार द एशियन एज बंद होने के बाद साल 2006 में दिल्ली आना पड़ा. जहां उन्हें एक केंद्रीय मंत्री को कवर करने की जिम्मदारी सौंपी गई जो मीडिया पसंदीदा चेहरा थे और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए इंगलैंड जाने से पहले दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़े थे.
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘डेली ओ’ के लिए लिखते हुए केलॉग ने बताया कि मंत्री हमेशा उन्हें चूमकर अभिवादन किया करते थे, जिसे लेकर केलॉग का सोचना था कि हो सकता है ये दिल्ली की संस्कृति हो. गुजरात से आने वाली केलॉग बताती हैं कि वहां के नेता किसी महिला पत्रकार का अभिवादन गले लगाकर और चूम कर नहीं करते थे. लेकिन वे (मंत्री) चेहरा पकड़कर चूमने की कोशिश करते थे. केलॉग बताती है कि उनके साथ मंत्री के व्यवहार में बस यही गलत नहीं था. साल 2014 में जब उनके सरकारी बंगले पर मिलीं और उनसे बात कर रहीं थी, तभी उन्होंने वॉशरूम जाते समय अपने हाथ बढ़ाए और छाती दबाई.

स्तब्ध केलॉग ने मंत्री से कहा कि उन्हें न छुएं. इस पर मंत्री ने बड़ी बेपरवाही से पूछा-क्यों? केलॉग का कहना है कि इस घटना के बाद वो उनसे नहीं मिलीं. इस तरह के बर्ताव को लेकर उनके अनुभव को लेकर उन्होंने मंत्री के बारे सार्वजनिक तौर पर नहीं बोला. हालांकि #MeToo अभियान ने जब सोशल मीडिया को अपने चपेट में ले लिया तब वो दोबारा सोचने पर मजबूर हुईं और अपनी चुप्पी तोड़ी.
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केजरीवाल सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना
दिल्ली में प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने पर NGT ने केजरीवाल सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आवासीय इलाकों में स्थित स्टील पिकलिंग यूनिट्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के मामले में दिल्ली सरकार को दंडित किया है.

एनजीटी का कहना है कि दिल्ली में स्टील पिकलिंग का काम कर रही इंडस्ट्री के चलते वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण काफ़ी बढ़ा है. लेकिन दिल्ली की करीब 62 बड़ी यूनिट्स पर लगाम लगाने में डीपीसीसी नाक़ाम रही है. एनजीटी ने कहा कि हमारे बार-बार दिए गए आदेशों का पालन अब तक नहीं किया गया है. डीपीसीसी ने अब तक हलफनामा तक नहीं दिया कि क्यों इन यूनिट्स के लिए बिजली और पानी के कनेक्शन दिए गए हैं.

कोर्ट ने नाराज होते हुए कहा कि क्या डीपीसीसी के चेयरमैन को इस बात के लिए हम गिरफ्तार करने के आदेश दे दे? सुनवाई के दौरान कोर्ट इतना खफा था कि उसने पूछा कि आप ख़ुद ही बताइए कि आपकी इस लापरवाही भरे रवैया के लिए आप पर 500 करोड़ का जुर्माना लगाएं या 100 करोड़ का. हालांकि आदेश लिखते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ का जुर्माना लगा दिया. दरअसल स्टेनलेस स्टील को पॉलिश करने के दौरान वायु प्रदूषण तो होता ही है लेकिन स्टील को पॉलिश करने से पहले उसे एसिड से साफ किया जाता है. फिर पानी का इस्तेमाल किया जाता है. उसी एसिड के पानी को यूहीं नाली में बहा दिया जाता है. इन यूनिट्स को चलाने के लिए बिजली और पानी के कनेक्शन लगाने की इजाजत डीपीसीसी ने कैसे दे दी जबकि यह पूरी तरह से गैरकानूनी है. यहां तक कि डीपीसीसी के पास इन यूनिट्स को एनओसी देने का कोई अधिकार ही नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक-एक अधिकारी के खिलाफ हम मुकदमा चलाएंगे जिसने इस केस में हमारे आदेशों का पालन नहीं किया. एनजीटी ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने इन यूनिट्स को बंद करने के आदेश नहीं दिए थे तो क्या डीपीसीसी को भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना चाहिए था. डीपीसीसी के एडिशनल सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा आपने अपने कर्तव्य का पालन क्यों नहीं किया. डीपीसीसी ने इन यूनिट से निकलने वाले प्रदूषित पानी को सीधे यमुना में बाढ़ आने की इजाजत कैसे दे दी.
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क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। मुंबई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संजय निरुपम की मौजूदगी में हसीन जहां कांग्रेस पार्टी में शामिल हुईं हैं। हसीन जहां हाल ही में अपने क्रिकेटर पति मोहम्मद शमी से विवादों के चलते सुर्खियों में रहीं थीं। सू्त्रों से मिली जानकारी के मुताबिक क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में भी प्रचार करेंगी।
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मोदी सरकार को हठधर्मी और अहंकारी कहा 
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने सोमवार को ‘मी टू’ अभियान के तहत 14 महिलाओं से दुर्व्यवहार व यौन शोषण के आरोपों में फंसे केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर पर कार्रवाई न करने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को हठधर्मी और अहंकारी कहा।

उन्होंेने अकबर द्वारा अपने पर लगे आरोपों को राजनीतिक रंग दिए जाने की निंदा करते हुए कहा, “इस मी टू अभियान में जहां कई महिलाएं आगे आकर अपने साथ हुए शोषण और यौन उत्पीड़न के घटनाक्रमों को हिम्मत के साथ मीडिया के सामने रखा, वहीं बीजेपी एंड कंपनी इस अति असंवेदनशील मुद्दे पर भी खामोश तमाशाई व मूकदर्शक बनी हुई है।”

बसपा की ओर से आईपीएन को भेजे बयान में मायावती ने कहा कि देश में लगभग एक दर्जन कामकाजी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, यौन शोषण व उत्पीड़न के आरोपों से घिरे विदेश राज्यमंत्री अकबर अपना स्वाभाविक बचाव करने के बजाय इसे चुनावी राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी पार्टी निंदा व भर्त्सना करती है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि आरोपों के कठघड़े में खड़े मंत्री से ज्यादा यह घटनाक्रम भाजपा व केंद्र सरकार की महिला सम्मान के प्रति असंवेदनशील व इनके घोर महिला विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को देश व दुनिया के सामने पूरी तरह से बेनकाब करता है।

मायावती ने कहा कि वैसे तो महिलाओं की सुरक्षा, उनके आत्मसम्मान व स्वाभिमान के साथ ही यौन शोषण व उत्पीड़न के मामले गंभीर बुराई के तौर पर समाज में हर जगह मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर चले अभियान ‘मी टू’ से घिरे मोदी के विदेश राज्यमंत्री के संबंध में खुद उनका व उनसे ज्यादा भाजपा व केंद्र सरकार के अड़ियल महिला विरोधी रवैये से पूरा देश स्तब्ध है। अब प्रश्न यह उठने लगने लगा है कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता की हर जगह व मामले में दुहाई देते रहने वाली भाजपा व आरएसएस एंड कंपनी संकीर्ण चुनावी व राजनीतिक स्वार्थ के लिए क्या इसी गलत व सर्वथा अनुचित तरीके से महिलाओं को अपमानित व उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ करती रहेगी?

उन्होंने कहा कि यों तो भाजपा सरकारों में कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा व सम्मान का बहुत बुरा हाल है, लेकिन चुनावी व राजनीतिक स्वार्थ के लिए पीड़ित महिलाओं की आवाज को पूरी तरह से असंवेदनशील होकर एक सिरे से नजरअंदाज कर देना एक ऐसा कृत्य है, जिसे शायद देश में कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। इसका खामियाजा भी भाजपा को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा।

मायावती ने कहा कि फिल्म जगत, खेल जगत, अखबारों की दुनिया व अन्यत्र सभी जगहों पर ऐसे यौन उत्पीड़न व शोषण के लगने वाले आरोपों के संबंध में कार्रवाइयों के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं और इसकी निंदा व विरोध किया जा रहा है। ऐसे में भाजपा और केंद्र सरकार का अपने मंत्री के खिलाफ कोई भी कार्रवाई न करना हठधर्मी सरकार के अहंकारी होने का भी जीता-जागता प्रमाण है।
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एमजे अकबर मंगलवार को भी निशाने पर रहे.
नई दिल्ली: यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर मंगलवार को भी निशाने पर रहे. अकबर पर दो और महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. करीब 16 महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद भी राज्य विदेश मंत्री ने मंगलवार को अन्य मंत्रियों की तरह अपना कामकाज जारी रखा. पत्रकार तुषिता पटेल ने आरोप लगाया कि 1990 की शुरुआत में कुछ काम के बहाने अकबर ने उन्हें कमरे में बुलाया और जब दरवाजा खोला तो उन्हें केवल अंदरूनी वस्त्र पहने थे. जब वह (तुषिता) 22 वर्ष की थीं और ‘द टेलीग्राफ’ में बतौर प्रशिक्षु काम कर रहीं थीं. तुषिता ने अकबर पर उनके साथ दो बार बदसलूकी करने का आरोप लगाया है. दूसरी घटना तब हुई, जब वह हैदराबाद में ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ में काम करती थीं.
तुसीना पटेल ने 1993 की एक और घटना लिखी है जो उनके साथ हैदराबाद में घटी है. उन्होंने लिखा कि काम के बहाने अकबर ने उन्हें ज़ोर से डांटा और अचानक उठ कर उसे दबोच लिया और चूम लिया. अब सवाल यह है कि क्या तुसीना पटेल चुनाव लड़ना चाहती हैं? अकबर ने अपने जवाब में कहा है कि चुनाव के पहले ये सब राजनीतिक एजेंडे के तहत हो रहा है. ‘द क्विंट’ के लिए लिखने वाली उद्यमी स्वाती गौतम ने आरोप लगाया है कि जब वह छात्रा थीं तब कोलकाता में अकबर से उनके (अकबर के) कमरे में मिले थे और उन्होंने केवल बाथरोब पहन रखा था. वह अकबर को सेंट जेवियर्स कॉलेज के एक सामरोह के लिए आमंत्रित (बतौर अतिथि वक्ता) करने गईं थीं.
भारतीय महिला प्रेस कोर’ ने भी आज केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि राज्य विदेश मंत्री के खिलाफ आरोपों की लंबी सूची होने के बावजूद भी सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई जांच शुरू नहीं की है. बयान में अकबर का नाम लिए बिना कहा गया, ‘‘हमारा मानना है कि मंत्री के अपने पद पर बने रहने से गलत संदेश बाहर जाएगा कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को लेकर उदासीन है.

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प्रशांत किशोर  को जदयू  के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. प्रशांत किशोर ने पिछले महीने ही जदयू की सदस्यता ग्रहण की थी. जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का कभी पद नहीं रहा लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने किशोर से इस पद और उनके काम के बारे में पहले चर्चा कर ली थी, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है.

केसी त्यागी ने कहा कि प्रशांत अब पार्टी में पद मिलने के बाद नई ज़िम्मेदारी निभाएंगे. दूसरी तरफ, कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेता मायूस हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर कोई कुछ बोल नहीं रहा है.

इसके पीछे वजह यह है कि नीतीश ने पार्टी के अधिकांश नेताओं से पहले ही कई दौर में प्रशांत किशोर की जिम्मेदारियों को लेकर चर्चा की थी.  लेकिन जानकार मानते हैं कि प्रशांत के लिए पद पाना जितना आसान था अब अपने आप को साबित करना उससे कहीं ज्यादा कठिन. उनकी सबसे बड़ी परीक्षा अगले लोकसभा चुनाव में होगी. जहां न केवल भाजपा के साथ सामंजस्य बैठाना चुनौती होगी. बल्कि नीतीश को उम्मीद होगी कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत मिले और ‘स्ट्राइक रेट’ सुधरे. दूसरी तरफ, प्रशांत किशोर को भी इस बात का अंदाजा है कि अगर परिणाम बीस से उन्नीस हुए तो ठीकरा उनके सर फोड़ा जाएगा. वहीं, अब नीतीश कुमार की कोशिश होगी कि भले ही पार्टी के कुछ नेताओं में उनके इस निर्णय को लेकर थोड़ा नाराज़गी हो लेकिन पार्टी को और मज़बूत व आक्रामक बनाना प्राथमिकता होगी.

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