UK; भ्रष्‍टाचार दबाने पर समाचार पत्र ने कठघरे में खडा किया भाजपा सरकार को

मीडिया मैनेजमेन्‍ट फेल #भाजपा सरकार को भ्रष्‍टाचार दबाने पर कठघरे में खडा किया दैनिक समाचार पत्र ने #उत्‍तराखण्‍ड -भाजपा सरकार का मीडिया मैनेजमेन्‍ट फेल #घोटाले की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही #270 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि मुआवजा घोटाले पर पर्दा # उत्‍तराखण्‍ड भाजपा सरकार की सांख पर गहरा असर

ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच चौड़ीकरण के मामले में भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल होता नहीं दिख रहा है। इस मामले में कुमाऊं कमिश्नर की जांच में उजागर हुआ 300 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजा घोटाले पर पर्दा पड़ने लगा है। सीबीआई जांच के इंतजार में घोटाले के अभिलेख कुमाऊं कमिश्नर के आदेश पर कोषागार के डबल लॉक में बंद है। चर्चा है कि सियासी दबाव में घोटाले की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। वहीं डीएम को स्थानीय स्तर पर दोषियों पर कार्रवाई के लिए डबल लॉक से फाइलें बाहर आने का इंतजार है।

एनएच-74, एनएच-125 के भूमि मुआवजा घोटाले में कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने अपनी जांच में छह पीसीएस अधिकारियों को दोषी माना था और उनके खिलाफ कार्रवाई को शासन को लिखा था और वर्तमान में छह पीसीएस अधिकारी निलंबित भी चल रहे हैं, लेकिन इसमें कई और लिप्त राजपत्रित अधिकारी और पटवारियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
भाजपा सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी, लेकिन कहा जा रहा है कि सियासी दबाव में इस महाघोटाले की सीबीआई जांच नहीं हो रही है। इसमें खास बात यह है कि डीएम ने भी अपने स्तर की जांच में जिले के तीन नायब तहसीलदारों को भी दोषी पाया गया था, जिनके निलंबन के लिए डीएम ने शासन को पत्रावली भेजी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि वह पूरी पत्रावली ही दबा दी गई है।

उधर इस बारे में डीएम डॉ. नीरज खैरवाल का कहना है कि स्थानीय स्तर पर जांच के लिए तभी संभव होगा जब फाइलें कोषागार के डबल लॉक से बाहर आएंगी। फाइलों का गहन अध्ययन करने बाद ही दोषी के खिलाफ जिला प्रशासन स्तर पर कार्रवाई की जा सकेगी।

एक पीसीएस अफसर पर मेहरबानी
एनएच-74 के भूमि मुआवजा घोटालें में जिले के एक पीसीएस अफसर की भूमिका सबसे ज्यादा अहम रही है, लेकिन तत्कालीन सरकार में भी सत्ता तक उक्त पीसीएस अधिकारी की पकड़ काफी मजबूत रही और वर्तमान में भी वह सत्ता के गलियारों में अपनी हनक बनाए हुए हैं। इसीलिए कुमाऊं कमिश्नर की अनुपूरक रिपोर्ट में भी उक्त पीसीएस अधिकारी के निलंबन के लिए शासन को भेजा गया, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। उक्त पीसीएस अधिकारी पर गदरपुर, बाजपुर क्षेत्र में भारी हेरफेर का मामला प्रकाश में आया था।

यहां हो रही लीपापोती
1. एनएच-74 और एनएच 125 के भूमि मुआवजा घोटाले में ऊधमसिंह नगर जिले के करीब 24 राजपत्रित अधिकारियों के निलंबन की कवायद तो हुई, लेकिन दबा दी गई।
2. सितारगंज क्षेत्र में पटवारियों की कृषि रिपोर्ट पर भी दिया गया अकृषि का मुआवजा। इसमें विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय से कई ऐसी फाइलों पर सीधे मुआवजा दिया गया, जिन पर पटवारियों की रिपोर्ट भी नही लगी है।
3. कॉमर्शियल और आवासीय भवन के मुआवजे में भी करोड़ों के खेल में कई लोग सफेदपोश की आड़ ले रहे हैं, यह भी मामला दब गया।
4. एनएच-74 के मुआवजा घोटाले का मामला वर्ष 2015-16 में ही पकड़ में आ गया था, इसे भी पूरी तरह से दबाने के प्रयास किए गए।

ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच चौड़ीकरण के मामले में कुमाऊं कमिश्नर की जांच में उजागर हुआ 270 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि मुआवजा घोटाले पर पर्दा पड़ने लगा है। घोटाले के अभिलेख जहां कुमाऊं कमिश्नर के आदेश पर कोषागार के डबल लॉक में बंद है तो अब यह जांच भी धीरे-धीरे दबने लगी है। सत्ता के सियासी पैतरों में इसे पूरी तरह से ठिकाने लगाने की योजना अब स्पष्ट रूप से सामने आने लगी है। वहीं डीएम को स्थानीय स्तर पर दोषियों पर कार्रवाई के लिए डबल लॉक से फाइलें बाहर आने का इंतजार है।
कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने जिस तेजी के साथ एनएच-74, एनएच-125 के भूमि मुआवजा घोटाले में एकाएक ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए इसमें लिप्त छह पीसीएस अधिकारियों को सीधे तौर पर अपनी जांच में दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई को शासन को लिखा गया था

और वर्तमान में छह पीसीएस अधिकारी निलंबित भी चल रहे हैं, लेकिन इसमें आगे के कई और लिप्त राजपत्रित अधिकारी और पटवारियों की भूमिका का मामला अब भी दबा है। इसमें जांच जब सीधे तौर पर सीबीआई को सौंप दी थी और सीबीआई ने जांच शुरू नहीं की तो अब यह महाघोटाला सत्ता की पैंतरेबाजी में दबने लगा है।

इसमें खास बात यह भी है कि डीएम ने भी अपने स्तर की जांच में जिले के तीन नायब तहसीलदारों को भी दोषी पाया गया था, जिनके निलंबन के लिए डीएम ने शासन को पत्रावली भेजी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि वह पूरी पत्रावली ही दबा दी गई है। उधर इस बारे में डीएम डॉ. नीरज खैरवाल का कहना है कि स्थानीय स्तर पर जांच के लिए तभी संभव होगा जब फाइलें कोषागार के डबल लॉक से बाहर आएंगी। फाइलों का गहन अध्ययन करने बाद ही दोषी के खिलाफ जिला प्रशासन स्तर पर कार्रवाई की जा सकेगी।

रुद्रपुर। एनएच-74 के भूमि मुआवजा घोटालें में जिले के एक पीसीएस अफसर की भूमिका सबसे ज्यादा अहम रही है, लेकिन तत्कालीन सरकार में भी सत्ता तक उक्त पीसीएस अधिकारी की पकड़ काफी मजबूत रही और वर्तमान में भी वह सत्ता के गलियारों में अपनी हनक बनाए हुए हैं। इसीलिए कुमाऊं कमिश्नर की अनुपूरक रिपोर्ट में भी उक्त पीसीएस अधिकारी के निलंबन के लिए शासन को भेजा गया, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। उक्त पीसीएस अधिकारी पर गदरपुर, बाजपुर क्षेत्र में भारी हेरफेर का मामला प्रकाश में आया था।

1. एनएच-74 और एनएच 125 के भूमि मुआवजा घोटाले में ऊधमसिंह नगर जिले के करीब 24 राजपत्रित अधिकारियों के निलंबन की कवायद तो हुई, लेकिन दबा दी गई।
2. सितारगंज क्षेत्र में पटवारियों की कृषि रिपोर्ट पर भी दिया गया अकृषि का मुआवजा। इसमें विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय से कई ऐसी फाइलों पर सीधे मुआवजा दिया गया, जिन पर पटवारियों की रिपोर्ट भी नही लगी है।
3. कॉमर्शियल और आवासीय भवन के मुआवजे में भी करोड़ों के खेल में कई लोग सफेदपोश की आड़ ले रहे हैं, यह भी मामला दब गया। 4. एनएच-74 के मुआवजा घोटाले का मामला वर्ष 2015-16 में ही पकड़ में आ गया था, इसे भी पूरी तरह से दबाने के प्रयास किए गए।

साभार- अमर उजाला

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