उत्‍तराखण्‍ड को बजट तो मिला- पर धरातल पर विकास कार्य नही हुएतो

HARISH CBI OFFसरकार ने इस साहसी कदम को उठाने में काफी वक्त ले लिया, वर्ष 2017 जनवरी माह में उत्तराखण्ड में विधानसभा के चुनाव प्रस्‍तावित हैं. राज्य को बजट मिल चुका है लिहाजा विकास कार्यों में तेजी नही आयी तो नुकसान तय है. उत्तराखंड दो दिनों का विधानसभा सत्र और कुल 4 घंटे और 24 मिनट की कार्यवाई और इस कार्यवाई में भी सरकार को जो कुछ करना था किया.सदन में बिना चर्चा के ही विनियोग विधेयक सहित 10 बिल पास कराए गये.बीजेपी के विधायक सदन के बाहर बैठे रहे और सरकार ने महज़ दो घंटे में ही अपना सारा काम निपटा दिया.
विधानसभा सत्र का दूसरा दिन सरकार के लिए पहले दिन से भी ज्यादा आसान हो गया.क्योंकि 11बजे सदन की कार्यवाई शुरु होते ही विपक्ष के विधायक सदन में जाने वाली गैलरी में बाहर ही मौन धरने पर बैठ गए.विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही सदन की कार्यवाई शुरु हो गयी.सदन में विपक्ष के मौजूद ना होने से प्रश्नकाल तो नहीं हुआ लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बसपा सुप्रींमो मायावती पर बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह द्वारा अमर्यादित टिप्पणी पर निंदा प्रस्ताव सदन में रख दिया.
सरकार ने 21जुलाई को सदन में रखे गए विधेयकों को पारित कराना शुरु कर दिया. जिसमें…
हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय विधेयक-2016
रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय विधेयक-2016
उत्तराखंड बेनामी लेनदेन प्रतिषेध विधेयक-2016
उत्तराखंड नगर निगम अधिनियम संशोधन विधेयक
उत्तराखंड मूल्य वर्धित कर द्वितीय संशोधन विधेयक
उत्तराखंड आमोद और पणकर संशोधन विधेयक…और…
पर्वतीय क्षेत्रों के लिए जोत चकबन्दी एवं भूमि व्यवस्था विधेयक शामिल हैं….
सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्यमंत्री इंदिरा हृदयेश ने उत्तराखंड चलचित्र विनियमन संशोधन विधेयक और उत्तराखंड कूड़ा फैंकना एवं थूकना प्रतिषेध विधेयक-2016 को भी सदन पटल पर रखा है जोकि अगले विधानसभा सत्र में पारित कराया जाना है.यानि दो दिनों के सत्र में कुल 10 बिल पास कराए गए और 2 बिल अभी आगे के लिए पेंडिंग रह गए हैं.सदन में सारे विधेयक बिना किसी चर्चा के ही पास हो गये.
मुख्यमंत्री हरीस रावत ने चकबंदी कानून की जरुरत को सदन में जरुर विस्तार से रखा.सदन में विपक्ष की गैरमौजूदगी से सरकार ने अपना काम तो पूरा निपटाया लेकिन वो भी सिर्फ 4घंटे 24 मिनट में. स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने सदन में विपक्ष के रवैये पर कड़ा एतराज जताते हुए दुख प्रकट किया है.

दरअसल, मार्च 18 के बाद राज्य में बड़ा राजनैतिक उलटफेर हुआ है. हरीश रावत को फिर से बहुमत साबित करना पड़ा. लेकिन केंद्र पर बजट न दिए जाने का आरोप लगाने और इंतजार करते करते बीस जुलाई का समय निकल गया. सभी बिंदुओ पर गहन विचार विमर्श के बाद सरकार ने तय किया कि विधानसभा में फिर से बजट लाया जाएगा. हांलाकि सरकार ने इस साहसी कदम को उठाने में काफी वक्त ले लिया. खैर बजट पारित होने के बाद प्रदेश की जनता को यकीन है कि राज्य में विकास के कार्य तेजी के साथ किए जाएंगे. सीएम खुद तो काम करने में विश्वास रखते हैं इसलिए सरकार से जुड़े तमाम लोगों के लिए भी अब शामत ही है कि वे भी अपने कार्य क्षमता में बढ़ोत्तरी करें.  वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड में विधानसभा के चुनाव होने हैं. राज्य को बजट मिल चुका है लिहाजा विकास कार्यों में तेजी भी लाजमी है.
दरअसल, मार्च 18 के बाद राज्य में बड़ा राजनैतिक उलटफेर हुआ है. हरीश रावत को फिर से बहुमत साबित करना पड़ा. लेकिन केंद्र पर बजट न दिए जाने का आरोप लगाने और इंतजार करते करते बीस जुलाई का समय निकल गया. सभी बिंदुओ पर गहन विचार विमर्श के बाद सरकार ने तय किया कि विधानसभा में फिर से बजट लाया जाएगा. हांलाकि सरकार ने इस साहसी कदम को उठाने में काफी वक्त ले लिया. खैर बजट पारित होने के बाद प्रदेश की जनता को यकीन है कि राज्य में विकास के कार्य तेजी के साथ किए जाएंगे.

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