मेडिकल कॉलेजों ने फीस 5 गुना बढ़ा दी; जनसंघर्ष मोर्चा आन्दोलन करेगा

मेडिकल फीस बढौत्तरी मामले में मुख्यमन्त्री का बयान गैर जिम्मेदाराना ……….जनसंघर्ष मोर्चा

देहरादून 29 मार्च, 2018  –  हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल

उत्तराखंड में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। मेडिकल के आंदोलित छात्रों को प्रदेशभर से समर्थन मिल रहा है। सरकार के फैसले के खिलाफ छात्र संगठनों में में रोष बढ़ता जा रहा है।   उत्तराखंड की सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार दिया. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी आदेश के बाद मनमानी करते हुए फीस करीब पांच गुना बढ़ा दी है.  फीस बढ़ाने में देहरादून के स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी का हिमालयन मेडिकल कॉलेज, SGRR यूनिवर्सिटी का SGRR मेडिकल कॉलेज और सुभारती यूनिवर्सिटी का सुभारती मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. फीस बढ़ाने के बाद पीजी कोर्स जो अभी तक 30 लाख में पूरा हो जाता था, उसकी फीस अब 1 करोड़ रुपए हो गई है. फीस बढ़ाने के अलावा कॉलेजों ने हॉस्टल फीस भी अलग से जोड़ने की तैयारी कर रही है.

जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी००एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मेडिकल पीजी फीस बढौत्तरी मामले में मुख्यमन्त्री के बयान की कडी आलोचना की है, जिसमें मुख्यमन्त्री ने कहा कि ’’बाहरी निवेशक आ रहे हैं तथा ५००-७०० करोड रूपया खर्च कर मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं तो फीस बढाये जाने में इनको खुली छूट देनी चाहिए, यानि इनको लूट का खुला लाईसेंस मिलना चाहिए। मुख्यमन्त्री जैसे पद पर बैठा व्यक्ति इस प्रकार प्रदेश के युवाओं एवं जनता से मह मोड लेगा बहुत ही गैरजिम्मेदाराना कृत्य है। फीस अचानक से पांच गुना बढ़ा दी गई है. भरे गए शपथपत्र के मुताबिक अगर कोई छात्र अपनी सीट छोड़ता है तो उन्हें पूरे कोर्स की फीस चुकानी होगी. छात्रों के पास आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है

 

  प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार दिया. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी आदेश के बाद मनमानी करते हुए फीस करीब पांच गुना बढ़ा दी है. छात्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कई छात्र इसके विरोध में अनशन पर बैठ गए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस भी हमलावर हो गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री, हरीश रावत ने मेडिकल काॅलेजों फीस बढ़ाने की सरकार के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि, जिस प्रकार से फीस बढ़ाने का अधिकार मेडिकल काॅलेजों को दिया गया है। उससे राज्य के मेडिकल छात्र-छात्राओं का मेडिकल काॅलेज में प्रवेश लेना सम्भव नहीं हो पायेगा, क्योंकि उनकी परिवारों की आर्थिक क्षमता इतनी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि, सरकार को यह निर्णय कमेटी बनाकर करना चाहिये था, जिसमें सभी पक्षों की राय से निर्णय लिया जाना उचित रहता। उन्होंने कहा कि, मैंने अपनी सरकार में उपरोक्त के सम्बंध में एक कमेटी बनाई। उन्होंने सरकार से मेडिकल काॅलेजों के फीस बढ़ाने के अधिकार को वापस लेने व मेडिकल छात्र-छात्राओं को तत्काल राहत देने की अपील की है।

  नेगी ने कहा कि बडे दुर्भाग्य की बात है कि इस प्रदेश को एक गैर अनुभवी, गैर जिम्मेदार, झोला छाप (जैसा कि बीजेपी के प्रवक्ता द्वारा कहा गया) मुख्यमन्त्री मिला जिसने अपनी अनुभवहीनता के चलते प्रदेश को अंधेरी खाई में धकेल दिया।
बडे आश्चर्य की बात है कि अगर कॉलेज यानि निवेशक १० से १५ प्रतिशतः फीस बढाते तो एक तर्कसंगत बात थी, लेकिन एकाएक ४ गुना फीस बढाये जाने के पीछे टी०एस०आर० की शह प्रतीत होती है।
नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री को इस प्रकार के बयान देने से पहले युवाओं की पीडा को समझना चाहिए था, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि श्री त्रिवेन्द्र प्रदेश के मुखिया नहीं बल्कि इन निवेशकों के सी०ई०ओ० हैं। जनसंघर्ष मोर्चा मेडिकल पीजी की फीस बढौत्तरी मामले के खिलाफ आन्दोलन करेगा।

प्रदर्शन कर रहे GRR मेडिकल कॉलेज के छात्रों का कहना है कि जिस वक्त कॉलेज में एडमिशन लिया था, उस वक्त सालाना फीस करीब पांच लाख रुपए थी. अब इसे बढ़ाकर 19 लाख रुपए सालाना कर दी गई है. पिछले दो दिनों से छात्र कॉलेज के गेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में उनके अभिभावक भी पहुंच चुके हैं. फीस बढ़ाने को लेकर कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने का अधिकार दिया है. हम अपनी फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं. 

12 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी. उसी बैठक में यह फैसला लिया गया था. इस फैसले को लेकर कैबिनेट बैठक में कहा गया, चूंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज खुद यूनिवर्सिटी हैं, इसलिए MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) और MS(मास्टर इन सर्जरी) की पढ़ाई के लिए फीस निर्धारण का अधिकार देने का फैसला लिया गया. 16 मार्च को एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी ने कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दे दी. मंजूरी मिलने के बाद MD और MS कोर्स की फीस करीब तीन गुना बढ़ाकर 24-30 लाख रुपए कर दी गई. पहले इस कोर्स के लिए फीस 8-10 लाख रुपए थी.

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