बारिश उत्तराखंड पर कहर बन कर टूटी

LATA UTTRKASHI HIGHWAYUTTRAKHAD; अतिरिक्त सचिव, सी रविशंकर ने पीटीआई भाषा को बताया कि ‘बड़े इलाके पर बादल फटने के बाद पहाड़ों से टनों मलबा नीचे आ कर गिरा और यह पता लगाना मुश्किल है कि लापता लोग कहां फंसे हैं।’ बारिश उत्तराखंड पर कहर बन कर टूटी और पिथौरागढ़ और चमोली जिलों में बादल फटने की श्रृंखला में कई घर चपेट में आ गए जिसमें 12 लोग मारे गए और 17 अन्य मलबे में फंस गए। फंसे लोगों के बचने की उम्मीद कम है। (www.himalayauk.org) Newsportal

बृहस्पतिवार की अर्द्धरात्रि और शुक्रवार सुबह आसमानी आफत ने दर्जनों लोगों और उनके घरों को जमींदोज कर डाला। लोगों के नाते, रिश्तेदार आपदा की भेंट चढ़ गए। यह लोग कई दशकों से आपदा की मार झेल रहे हैं। प्रकृति ने एक दिन पहले खतरे का अहसास करा दिया था। रामगंगा और गोरी नदी उफान पर थी, पेड़, बोल्डर, मलबा अपने साथ बहाकर चल रही थी, लेकिन नदियों के खतरे के निशान से ऊपर बहने को गंभीरता से नहीं लिया गया। कोई अलर्ट तक जारी नहीं किया गया।
कुमाऊं में अभी सिर्फ दो दिनों से तेज बरसात शुरू हुई है और नतीजे भयावह हैं। नैनीताल हो या अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ या चंपावत सबमें कुल मिलाकर शनिवार को 26 सड़कें पहाड़यिों से भारी मात्रा में मलबा-बोल्डर आने से बंद हो गई हैं। हालांकि लोनिवि अधिकारियों का दावा है कि इनमें से कुछ सड़कें वह शनिवार देर शाम तक यातायात के लिए खोल देंगे। लेकिन, लगातार हो रही बारिश के कारण ऐसा कर पाना मुश्किल लग रहा है।
वर्ष 2013 का जलप्रलय कोई भूला नहीं है। उस बार भी आपदा की आहट का संकेत हमारी नदियों ने दिया था। नामिक से निकलने वाली रामगंगा उस साल जून के पहले सप्ताह में पेड़, बोल्डरों को अपने साथ बहाकर ला रही थी। हजारों मरी मछलियां नदी तट पर बिखरी थी। कुछ दिन बाद 16, 17 जून 2013 के जलप्रलय का मंजर सबने देखा।

यही संकेत इस बार भी प्रकृति ने दे दिया था। रामगंगा कई दिनों से उफान पर थी। मिलम से निकलने वाली गोरी नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था। नदी तट की जमीन पानी से पट गई। 30 जून को गोरी नदी की विकरालता को देख किसी अनहोनी की आशंका पैदा हो गई थी। यह आशंका एक जून को बस्तड़ी, नाचनी के नौलड़ा समेत तमाम स्थानों में दिखी, लेकिन अफसोस आपदा प्रबंधन विभाग ने न तो नदियों का संकेत समझा, न ही लोगों को इसके खतरे से अवगत करा पाया।

वास्तविक ड्रिल में कहीं नहीं टिकता तंत्र
बरसात का सीजन आने से पहले इस जिले में भारी रकम खर्च कर भूकंप, आपदा का मॉकड्रिल करने का रिवाज सा बना लिया गया है, लेकिन बात जब वास्तविक ड्रिल की आती है तो ये तंत्र बेहद बेबस और लाचार नजर आता है। बस्तड़ी के मामले में भी यही हुआ। सड़क, संचार व्यवस्था पुख्ता होती तो कई की जिंदगी बच सकती थी। बस्तड़ी हादसे के प्रत्यक्षदर्शी कृष्णानंद भट्ट बताते हैं कि गांव का होनहार युवा रवींद्र भट्ट (38) मलबे में दबा था। गांव के लोगों ने उसे निकाला, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। क्योंकि समय पर मदद नहीं मिली। शुक्रवार सुबह 6.30 बजे हादसा हुआ। 9.30 बजे सबसे पहले सेना पहुंची। बस्तड़ी गांव में अपने मित्र के यहां आए नारायणनगर निवासी अर्जुन कन्याल ने सरकारी तंत्र की लापरवाही पर सवाल खड़े करते हुए बताया कि जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी का मोबाइल फोन घटना के दिन सुबह 8 बजे तक स्विच आफ था। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी और जिला प्रशासन दोपहर 3 बजे बाद गांव में पहुंचा। वही डीएम पिथौरागढ डीएम सविन बंसल कहते है कि जिले में आपदा प्रबंधन टीम मुस्तैद है।

आपदा पिथौरागढ़ में और एनडीआरएफ अल्मोड़ा में
पिथौरागढ़ जिला आपदा की दृष्टि से प्रदेश में अति संवेदनशील स्थानों पर शुमार है। हर साल बरसात की आपदा यहां कई जिंदगियों को लीलती है, लेकिन हमारी सरकार और उसका तंत्र कितने संवेदनशील है, इसका नजारा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की टीम पिथौरागढ़ जिला में रखने के स्थान पर 100 किमी दूर अल्मोड़ा में रखी गई थी। बस्तड़ी के हादसे के बाद टीम अल्मोड़ा से रवाना हुई। शुक्रवार देर शाम एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची। हाल में मुख्यमंत्री की वीडियो कांफ्रेंसिंग में एक आला अधिकारी ने एनडीआरएफ की टीम को अल्मोड़ा के स्थान पर डीडीहाट में रखने की बात उठाई थी, लेकिन इसको हल्के में लिया गया।
नैनीताल जिले में बंद पड़ी सड़कें
सड़क का नाम सड़क खुलने की संभावित तिथि
-रूसी बाइपास 5 जुलाई
-भुजान-बेतालघाट 3 जुलाई
-र्गिजया-रामनगर-बेतालघाट 4 जुलाई
-देवीपुरा-सौड़ 3 जुलाई
-अमेल खोला-कैंची हरतपा 5 जुलाई
-बानना मोटर मार्ग 5 जुलाई
-भोर्सा-पिनरो 6 जुलाई
-बजून-अघोड़ा 5 जुलाई
-हरतपा-हली 5 जुलाई
-छीड़ाखान-अमजड़ 3 जुलाई
-देवली महतौली 3 जुलाई
-बबियाड़-दुधली 3 जुलाई
बागेश्वर में बंद पड़ी हैं ये सड़कें कब तक खुलेंगी
-नामची-चित्ताबगड़- 5 जुलाई
धरमगढ़-बस्ती- 5 जुलाई
-सौंग-खलीधार 10 जुलाई
(कपकोट-सामा समेत दो अन्य सड़कें यातायात के लिए खोल दी गई हैं।)
अल्मोड़ा में बंद पड़ी सड़कें सड़क खुलने की संभावित तिथि
-सोमेश्वर बिन्ता-द्वाराहाट सड़क 7 जुलाई
-सोमेश्वर-कौसानी सड़क खुल गई
-रानीखेत-मोहान सड़क खुल गई
-खैरना-रानीखेत सड़क खुल गई
-अल्मोड़ा-ताकुला सड़क खुल गई
पिथौरागढ़ में मृतकों की संख्या में 12 हो चुकी है। प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए डीडीहाट के लोगों ने ओगला में आपदा के दौरान मारे गए लोगों के शव रखकर प्रदर्शन किया। इधर आपदा मंत्री दिनेश अग्रवाल ने शनिवार को बस्तड़ी पहुंचकर आपदा से हुए नुकसान और राहत कार्यो का जायजा लिया। चम्पावत में चल्थी के पास भारी मलबा आने से टनकपुर-तवाघाट मार्ग 11 घंटे से बंद है।
शुक्रवार रात हुई मूसलाधार बारिश से सोमेश्वर में भी भारी नुकसान हुआ है। ज्योलीकोट-ग्वालदम राष्ट्रीय राजमार्ग कैंची से सुयालबाड़ी में जगह-जगह मलबा आने से बंद है। सोमेश्वर क्षेत्र में 9 पुल बह गए है। रानीखेत-बिंता हाईवे बंद होने के कारण रानीखेत पहुंचने के लिए लोगों को 50 किमी अतिरक्ति सफर करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर नदी किनारे बसे लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी है।

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