यूपी में 60 हज़ार करोड़ का निवेश पूरा- UK? कर्जे से चल रही है सरकार

HIGH LIGHT # सुब्रमण्यम स्वामी ने मशहूर पत्रकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए #मशहूर पत्रकार विनीत नारायण और उनकी संस्था द ब्रज फाउंडेशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए #बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आठ पन्नों की चिट्ठी लिखकर #  कंगना रनौत ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया# #बीजेपी को उसके चुनावी वायदों को लेकर आडे़ हाथ लिया  #सेना के लोगों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी है या नहीं? #बिजनेस में बेहतर 5 राज्यों में यूपी –  योगी आदित्‍यनाथ  #यूपी में एक साल में ही 60 हज़ार करोड़ का निवेश पूरा#  उत्‍तराखण्‍ड में डबल इन्जन पटरी पर खडा, कर्जे से चल रही है उत्‍तराखण्‍ड सरकार : Link; https://himalayauk.org/trivendra-govt-loan-6660-cr/  #

#मोदी  का लाहौर में उतज कर शरीफ के घर जाना,  सेना को पसंद नहीं आया था

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आठ पन्नों की चिट्ठी लिखकर मशहूर पत्रकार विनीत नारायण और उनकी संस्था द ब्रज फाउंडेशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. स्वामी ने विनीत नारायण के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग भी है. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर बताया, ”21वीं सदी के नटवर लाल विनीत नारायण के खिलाफ आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को मेरी आठ पन्नों की चिट्ठी मिली.

इस कुटिल व्यक्ति ने विशेषकर वृंदावन क्षेत्र में कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बड़ी संख्या में संपत्तियों को लूटा. यह चार लोगों के गैंग की लीग में शामिल है.” स्वामी ने आरोप लगाया है कि विनीत नारायण ने ब्रज क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने का ठेका लिया ॊलेकिन सहयोगी कंपनी से झगड़ा होने का बाद उन्होंने इस काम को पूरा नहीं किया. इसके लिए उन्हें 57.65 लाख रुपये भी दिए गए. इसके साथ ही स्वामी ने विनीत नारायण पर समाज सेवा के नाम पर पैसा ऐंठने का आरोप भी लगाया है. इतना ही योगी अदित्यनाथ को लिखी चिट्ठी में स्वामी ने बताया है कि विनीत नारायण और उनकी संस्था ने ब्रज क्षेत्र में अवैध कब्जा कर वहां रहने वाले दलितों को धमकाया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी. उनके लिए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किए और महिलाओं के साथ मारपीट की गई. स्वामी ने विनीत नारायण पर अवैध बालू उत्खनन का आरोप भी लगाया है.

इस कुटिल व्यक्ति ने विशेषकर वृंदावन क्षेत्र में कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बड़ी संख्या में संपत्तियों को लूटा. यह चार लोगों के गैंग की लीग में शामिल है.” स्वामी ने आरोप लगाया है कि विनीत नारायण ने ब्रज क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने का ठेका लिया ॊलेकिन सहयोगी कंपनी से झगड़ा होने का बाद उन्होंने इस काम को पूरा नहीं किया. इसके लिए उन्हें 57.65 लाख रुपये भी दिए गए. इसके साथ ही स्वामी ने विनीत नारायण पर समाज सेवा के नाम पर पैसा ऐंठने का आरोप भी लगाया है. इतना ही योगी अदित्यनाथ को लिखी चिट्ठी में स्वामी ने बताया है कि विनीत नारायण और उनकी संस्था ने ब्रज क्षेत्र में अवैध कब्जा कर वहां रहने वाले दलितों को धमकाया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी. उनके लिए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किए और महिलाओं के साथ मारपीट की गई. स्वामी ने विनीत नारायण पर अवैध बालू उत्खनन का आरोप भी लगाया है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री को लिखी अपनी चिट्ठी में बताया, ”साल 2008 मायावती सरकार में विनीत नारायण और उनकी संस्था द ब्रज फाउंडेशन को मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण से ब्रज क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने का ठेका मिला. इसके लिए द ब्रज फाउंडेशन ने आईएलएंडएफएस नाम की कंपनी के साथ करार किया. इन्हें प्राधिकरण की ओर से 17.50 लाख रुपये दिए गए. डीपीआर बनाने के लिए इन्हें दो करोड़ रुपये दिए जाने थे लेकिन खराब काम की वजह स इन्हें सिर्फ 10.15 लाख रुपये दिए गए. कुल मिलाकर मास्टर प्लान बनाने के लिए इ्न्हें 57.65 लाख रुपये का भुगतान किया गया. द ब्रज फाउंडेशन और आईएलएंडएफएस ने प्राधिकरण को उम्मीद जताई थी कि अपने स्तर पर पैसे की व्यवस्था कर काम पूरा कर देंगे. इसके बाद द ब्रज फाउंडेशन और आईएलएंडएफएस में झगड़ा हो गया और इन्होंने 57.65 लाख रुपये बनाने के बाद भी अपने वादे के मुताबिक काम नहीं किया.”

स्वामी ने चिट्ठी में आरोप लगाया कि विनीत नारायण द ब्रज फाउंडेशन के नाम पर ‘धाम सेवा’ की बात करते हैं और इसके लिए उद्योगपतियों से पैसा भी लाते हैं. इस पैसे में से कुछ का ही इस्तेमाल होता है बाकी पैसा ये हजम कर जाते हैं. असल में ‘धाम सेवा’ में नहीं ‘दाम सेवा’ कर रहे हैं.

स्वामी ने चिट्ठी में आरोप लगाया कि साल 2009 में विनीत नारायण ने कुंडों के जीर्णोद्धार के नाम पर उगाही की योजना बनाई. इसके लिए कोशिश की सरकार उनकी संस्था को जलाशयों और कुंडों के जीर्णोंद्धार का काम सौंप दे. लेकिन इस कोशिश वे असफल रहे. इसके बाद विनीत नारायण ने पिछले दरबाजे से नियमों के खिलाफ जाकर प्रधानों से एमओयू करते कुंडों का जीर्णोद्धार किया. जबकि नियम कहता है कि बिना डीएम या एडीएम की इजाजत के ग्राम समाज की किसी संपत्ति का जीर्णोद्धार ब्रज फाउंडेशन नहीं कर सकता था.

चिट्ठी में स्वामी ने उन जलाशयों और कुंडों का भी जिक्र जिनके जीर्णोद्धार का काम विनीत नारायण के द ब्रज फाउंडेशन ने किया. स्वामी ने ये भी आरोप लगाया कि इस काम के लिए विनीत नारायण ने निजी स्रोतों के जरिए धन उगाही की और सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया. स्वामी का कहना है कि जीर्णोद्धार के नाम पर विनीत नारायण ने तमाम गरीब किसानों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया. यह किसान अब यहां वहां की ठोकरें खा रहे हैं. सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि गलत तरीके से विनीत नारायण की संस्था केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ह्रदय योजना में मथुरा में सिटी एंकर बन गई है. आरोप है कि यह योजना मथुरा में अब दम तोड़ चुकी है और अभी तक इसमें सिर्फ 29 प्रतिशत काम ही हुआ है. स्वामीने हैरानी जताते हुए लिखा कि मथुरा में ह्रदय योजना ठप्प करने के बावजूद विनीत नारायण पर ना तो केंद्र सराकर ने कोई कार्रवाई की और ना ही राज्य सरकार ने.

######### अभिनेत्री कंगना रनौत भाजपा उम्‍मीदवार होगी? 
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया है. इस बायन में कंगना पीएम मोदी से लेकर 2019 में होने वाले लोक सभा चुनावों के बारे में बात कर रही हैं. उनके इस बयान को सुनने के बाद साफ है कि वो मोदी और उनकी सरकार की सपोर्टर है. कंगना ने पीएम मोदी और सरकार के बारे में बात करते हुए कहा है, “पांच साल बहुत कम है किसी भी देश को खड्डे से निकालने के लिए. आप जानते हैं कि देश खड्डे में है, हमें इसे बाहर निकालने की जरुरत है. इसके लिए पांच साल काफी नहीं हैं.”

बड़ा सवाल से उठ रहा है कि क्या कंगना 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी या बीजेपी का प्रचार-प्रसार करने के लिए कैंपेन में हिस्सा लेंगी बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया है. इस बायन में कंगना पीएम मोदी से लेकर 2019 में होने वाले लोक सभा चुनावों के बारे में बात कर रही हैं उन्होंने पीएम मोदी के बारे में भी अपनी राय सभी के साथ साझा की है.

कंगना का मतलब साफ है कि मोदी सरकार को 2019 में एक बार फिर से मौका मिलना चाहिए. अभिनेत्री यहीं नहीं रुकीं उन्होंने पीएम मोदी के बारे में भी अपनी राय सभी के साथ साझा की है. पीएम के बारे में बात करते हुए कंगना ने कहा है, “वो सबसे ज्यादा योग्य व्याक्ति हैं. ऐसा नही है कि वो अपने मम्मी-पापा की वजह से इस मुकाम पर पहुंचे हैं. वो बहुत ही संघर्ष कर के यहां तक आए हैं. लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हमने उन्हें चुना है. वो इसलिए इसके सबसे ज्यादा योग्य है. वो न सिर्फ योग्य है बल्कि कठिन परिश्रम से खुद को साबित भी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के तौर पर उनके भरोसे को लेकर कोई डाउट नहीं किया जा सकता.”
ऐसे में कंगना के इस रवैये से बड़ा सवाल से उठ रहा है कि क्या कंगना 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी या बीजेपी का प्रचार-प्रसार करने के लिए कैंपेन में हिस्सा लेंगी. हालांकि इस बारे में कंगना ने कोई बात नहीं की है. आपको बता दें कि कंगना आने वाली फिल्म ‘चलो जीते हैं’ की स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल हुई थीं. इसी दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने पीएम मोदी और उनकी सरकार को लेकर अपनी सोच सभी के सामने रखी है.
खैर ये पहली बार नहीं है जब कंगना पीएम मोदी कोहै. इससे पहले भी वो उनके प्रति अपना समर्थन जाहिर कर चुकी हैं. फिल्मों की बात करें तो कंगना इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म ‘मणिकर्णिका’ और ‘मेंटल है क्या’ में बिजी हैं. ‘मणिकर्णिका’ में कंगना पहली बार रानी लक्ष्मीबाई का किरदार परदे पर उकेरती दिखाई देंगी. वहीं ‘मेंटल है क्या’ में उनका किरदार जरा हटके होगा. इस फिल्म में उनके साथ अभिनेता राजकुमार राव लीड रोल में नजर आने वाले हैं.

##बीजेपी को उसके चुनावी वायदों को लेकर आडे़ हाथ लिया

लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास किए जाने के कुछ ही घंटे पहले सपा ने रविवार को 40 सेकंड की वीडियो क्लिप जारी की. इसमें बीजेपी को उसके चुनावी वायदों को लेकर आडे़ हाथ लिया गया है. सपा ने ट्विटर के जरिये बीजेपी पर निशाना साधा. 

बीजेपी को उसके चुनावी वायदों को लेकर आडे़ हाथ लिया गया है. सपा ने ट्विटर के जरिये बीजेपी पर निशाना साधा. बीजेपी के 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र के दस बिन्दुओं की याद सपा ने दिलाई है और पार्श्व में ‘तुम्हारा इंतजार है’ गीत बज रहा है. किसानों की आर्थिक मदद से लेकर पुलिस व्यवस्था में सुधार, एंबुलेंस सेवा, पुलिस सहायता, हर हाथ को काम, मुफ्त लैपटाप और इंटरनेट जैसे वायदों को इसमें गिनाया गया है.

बीजेपी के 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र के दस बिन्दुओं की याद सपा ने दिलाई है और पार्श्व में ‘तुम्हारा इंतजार है’ गीत बज रहा है. किसानों की आर्थिक मदद से लेकर पुलिस व्यवस्था में सुधार, एंबुलेंस सेवा, पुलिस सहायता, हर हाथ को काम, मुफ्त लैपटाप और इंटरनेट जैसे वायदों को इसमें गिनाया गया है. मोदी की आज की उत्तर प्रदेश यात्रा इस महीने राज्य की उनकी छठी यात्रा है और लखनऊ की दूसरी यात्रा है. प्रधानमंत्री की उत्तर प्रदेश यात्राओं पर टिप्पणी करते हुए सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि यह केवल शुरुआत है. जैसे-जैसे चुनाव करीब आएगा, मोदी को यहां रोजाना आना होगा. सपा विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि प्रदेश में योगी सरकार और केन्द्र में मोदी सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दुष्प्रचार में संलग्न हो गये हैं.

##सेना के लोगों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी है या नहीं?  

नई दिल्ली: शोपियां में हुई फायरिंग में सैन्य अफसर मेजर आदित्य पर दर्ज एफआईआर के खिलाफ दायर ले. जनरल कर्मवीर सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ कुछ सवालों के जवाब तलाशेगी मसलन, क्या कर्मवीर सिंह की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं? और क्या सेना के लोगों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी है या नहीं? दरअसल, पिछली सुनवाई में कर्मवीर सिंह की याचिका का जम्मू-कश्मीर सरकार ने विरोध किया था.जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा था कि सेना के जवानों पर एफआईआर करने पर कानूनी रोक नहीं है और कर्मवीर सिंह की याचिका सुनने योग्य ही नहीं है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने किया था कि कोर्ट अब तय करेगा कि क्या याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं? और क्या सेना के लोगों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की मंज़ूरी ज़रूरी है या नहीं?

. कोर्ट ने कहा था कि मेजर आदित्य एक आर्मी अफसर हैं और उनके साथ साधारण अपराधियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता.जम्मू-कश्मीर ने कहा था कि क्या मेयर आदित्य कानून से ऊपर हैं या फिर उन्हें किसी को मारने का लाइसेंस हैं?  सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को आदित्य के खिलाफ कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी.कोर्ट ने आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा था. आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की है, साथ ही मामले में पर्याप्त मुआवजा राशि भी मांगी है ताकि भविष्य में अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे किसी भी सैन्य अफसर को इस तरह से प्रताड़ित करने की कोई हिम्मत न जुटा सके. याचिका में उन लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की अपील की गई है जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त होकर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचा रहे थे.

इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि शोपियां फायरिंग में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें अभी किसी को नामजद नहीं किया गया है और मेजर आदित्य का नाम आरोपियों के कॉलम में शामिल नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि मेजर आदित्य एक आर्मी अफसर हैं और उनके साथ साधारण अपराधियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता.जम्मू-कश्मीर ने कहा था कि क्या मेयर आदित्य कानून से ऊपर हैं या फिर उन्हें किसी को मारने का लाइसेंस हैं?  सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को आदित्य के खिलाफ कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी.कोर्ट ने आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा था. आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की है, साथ ही मामले में पर्याप्त मुआवजा राशि भी मांगी है ताकि भविष्य में अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे किसी भी सैन्य अफसर को इस तरह से प्रताड़ित करने की कोई हिम्मत न जुटा सके. याचिका में उन लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की अपील की गई है जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त होकर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचा रहे थे.  मेयर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि 10 गढ़वाल राइफल्स में तैनात उनके बेटे मेजर आदित्य कुमार का नाम गलत और मनमाने ढंग से एफआइआर में दर्ज किया गया है. यह घटना अफस्पा के तहत आने वाले इलाके में हुई थी. आतंकी गतिविधियों मेंलिप्त एक हिंसक भीड़ ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया था. इसलिए वह अपनी सेना की ड्यूटी का निर्वाह कर रहे थे. यह हिंसक भीड़ बेवजह पत्थर मार-मारकर सेना के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर रही थी. याचिका में यह भी कहा है कि बेटे का मकसद सैन्य अफसरों की रक्षा करना, संपत्ति की रक्षा करना था. साथ ही वह आग लगाने की कोशिश कर रही हिंसक और बर्बर भीड़ को खदेड़ना चाहते थे. बेकाबू भीड़ से पहले वहां से हटने की अपील की गई. फिर उनसे सेना केकार्य में बाधा नहीं डालने और सरकारी संपत्ति को नष्ट नही करने की भी अपील की गई.लेकिन जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तब भीड़ को वहां से हट जाने की चेतावनी दी गई.इसके बावजूद बर्बरता की हदें पार करती हुई भीड़ जब सेना के जूनियर अफसर को अपने कब्जे में लेकर घसीटने लगी और उसे मार-मार कर उसकी हत्या करने को आमादा हो गई तब हिंसक भीड़ को खदेड़ने के लिए चेतावनी स्वरूप कुछगोलियां दागी गईं.   याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पास और कोई विकल्प नहीं बचा था ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपने बेटे के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका करने के लिए विविश हैं. वह अपने बेटे और खुद के लिए भी अनुच्छेद 14 और 21 के तहत भीअपीलकर रहे हैं.याचिकाकर्ता ने सैनिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी अपील की है. साथ ही मामले में पर्याप्त मुआवजा राशि भी मांगी है ताकि भविष्य में अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे किसी भी सैन्य अफसर को इस तरह से प्रताड़ित करने की कोई हिम्मत नजुटा सके. याचिका में उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील की गई है जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त होकर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचा रहे थे.  27 जनवरी 2018 को तीन क्विक रिएक्शन टीमों समेत सेना की बीस गाड़ियों का काफिला शोपियां में बालापुरा से घनपुरा की ओर जा रहा था, तभी चार गाड़ियां काफिले से कुछ अलग हो गई. तभी कट्टरपंथियों की भीड़ ने उग्र होकर पत्थरबाजी शुरू कर दी.शुरू में सेना का एक जेसीओ सर पर पत्थरलगने से घायल होकर गिर गया. इसके बाद सेना के जवानों ने पत्थरबाजों को चेतावनी दी. बार-बार चेतावनी के बावजूद भीड़ पर कोई फर्क़ नहीं पड़ा.इसके बाद सेना नेहवाई फायरिंग करके आगाह किया.बाद में सेना ने आत्मरक्षा में गोली चलाई. फायरिंग के दौरान दो लोगों की मौत हो गई.इसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सईद ने मामले की जांच के आदेश दिए थे और राज्य की पुलिस ने सेना के अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी. जिसके बाद सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के मेजर कुमार के खिलाफ रणबीर पीनल कोड के तहत हत्या की धारा (302) और हत्या के प्रयास (307) का मामला दर्ज किया गया था.

################# ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में बेहतर 5 राज्यों में यूपी – 

रविवार को मोदी ने यूपी में 60 हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाली परियोजनाओं के शिलान्‍यास

लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में 60 हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाली परियोजनाओं के शिलान्‍यास रविवार को किया. लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में हो रहे इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद हैं. यूपी के राज्‍यपाल रामनाईक, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, दिनेश शर्मा, मंत्री सतीश महाना, सुरेश राणा भी कार्यक्रम में उपस्थित हैं. इस दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि ‘हमारे एक साल में यूपी में 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया’.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 हजार करोड़ रुपये के निवेश की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास करने पहुंच गए हैं। इस दौरान देश के कई नामी-गिरामी उद्योगपति भी कार्यक्रम में मौजूद हैं। आयोजन की तैयारियों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकमुश्त 60,228 करोड़ की निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।   गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शनिवार को भी लखनऊ आए थे और यहां उन्होंने 3,897 करोड़ रुपये की 99 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया था।  

कारोबारियों के साथ खड़े होने पर पीएम मोदी ने कहा कि अगर नीयत साफ हो तो किसी के साथ भी खड़े होने से दाग नहीं लगते हैं. जो गलत करेगा तो उसे देश छोड़कर भागना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारी बारिश से कई राज्‍यों में परेशानी हो रही हैं. इस पर सरकार की नजर है. पूंजी निवेश में काफी रुकावटें आती हैं. यूपी में 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस उपलब्धि को कम करके ना आंकिए.

उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में सरकार ने बेहतर काम किया. पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था कि यूपी में लोग निवेश को चुनौती मानते थे. आज यही अवसर के रूप में उभर रहा है. सिर्फ गाजियाबाद और नोएडा के विकास से ही यूपी को विकास नहीं होगा. यूपी की जनता को वचन दिया था कि आपके प्‍यार को ब्‍याज समेत लौटाउंगा. आज यह परियोजनाएं उन्‍हीं का नतीजा हैं. इससे हर किसी को लाभ होगा.

कार्यक्रम में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि पीएम की प्रेरणा और मार्गदर्शन में हमने अपनी पहली इन्वेस्टर्स मीट की थी. 5 महीने में हम 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव को जमीन पर उतारने जा रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि बसपा के 5 साल में 57 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ था. सपा के 5 साल में 50 हजार करोड़ का निवेश हुआ. हमारे एक साल में ही 60 हज़ार करोड़ का निवेश पूरा हो रहा है. बहुत जल्द 50 हजार करोड़ की और परियोजनाएं जमीन पर उतरेंगी.

त्रिवेन्द्र सरकार ने वर्ष २०१७-१८ में ६६६० करोड का ऋण लिया है तथा इस वित्तीय वर्श २०१८-१९ में माह अप्रैल, मई, जून व जुलाई महीनों में २४०० करोड का फिर बाजारू कर्ज लिया है, यानि इन १६ महीनों में सरकार ९०६० करोड का ऋण ले चुकी है। प्रदेष की माली हालत को देखते हुए आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि उक्त लिए गए कर्ज से कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं, बल्कि सिर्फ कर्मचारियों की तनख्वाह, विधायकों के वेतन भत्ते, विधायक निधि, कर्ज का ब्याज इत्यादि की ही पूर्ति हो रही है। LINK; Attach;  https://himalayauk.org/trivendra-govt-loan-6660-cr/

सीएम योगी ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में बेहतर 5 राज्यों में यूपी है. इस साल के अंत में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का हम शुभारंभ करने जा रहे हैं. कोई भी कंपनी प्रदेश से बाहर जाने को नहीं बल्कि विस्तार को तैयार हैं. मार्च 2017 से पहले कंपनियां प्रदेश के बाहर जाने को तत्पर थीं पर अब ऐसा नहीं हैं. जनवरी 2019 में प्रयागराज कुम्भ में मैं आप सबको आमंत्रित करता हूं. ये परियोजनाएं फरवरी 2018 में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट में आए 4 लाख 68 हजार करोड़ के निवेश का हिस्सा हैं. इस कार्यक्रम में करीब 75 बड़े उद्योगपति भी हिस्‍सा लेंगे. प्रधानमंत्री के साथ ही राज्‍यसभा सांसद डाक्‍टर सुभाष चंद्रा, अदानी ग्रुप के गौतम अदानी, बिड़ला ग्रुप के कुमार मंगलम बिड़ला समेत 6 बड़े उद्योगपति भी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. फरवरी में हुए यूपी इन्वेस्टर्स समिट में भी प्रधानमंत्री ने शिरकत की थी और यूपी में डिफेंस कॉरीडोर की स्‍थापना का एलान किया था. 60 हजार करोड़ रुपये की इन अहम परियोजनाओं मे रिलायंस जियो इन्फोकॉम की ओर से 10 हजार करोड़, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का 10 हजार करोड़, टेग्ना के 5 हजार करोड़, बीएसएनएल के 5 हजार करोड़, पेटीएम के 3500 करोड़, एस्सेल ग्रुप के 3000 करोड़, अदानी ग्रुप के 2600 करोड़ और टाटा ग्रुप के 2300 करोड़ रुपए के बड़े निवेश प्रोजेक्ट शामिल हैं. ये 81 निवेश प्रोजेक्ट प्रदेश के 21 जिलों में स्थापित होंगे.

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#मोदी  का लाहौर में उतज कर शरीफ के घर जाना,  सेना को पसंद नहीं आया था

पाकिस्तान के चुनाव परिणामों से यह साफ हुआ कि मुकाबला इतना कांटे का नहीं था, जितना समझा जा रहा था। साथ ही इमरान खान की कोई आंधी भी नहीं थी। उन्हें नए होने का फायदा मिला, जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिला था। जनता नए को यह सोचकर मौका देती है कि सबको देख लिया, एक बार इन्हें भी देख लेते हैं। ईमानदारी और न्याय की आदर्श कल्पनाओं को लेकर जब कोई सामने आता है तो मन कहता है कि क्या पता इसके पास जादू हो। इमरान की सफलता में जनता की इस भावना के अलावा सेना का समर्थन भी शामिल है।

दिसम्बर, 2015 में नरेन्द्र मोदी अफगानिस्तान की यात्रा से वापस लौटते समय अचानक लाहौर में उतरे,नवाज शरीफ के घर गये, तो यह बात सेना को पसंद नहीं आई। उसके अगले हफ्ते ही पठानकोट पर हमला हो गया। बहुत सी बातें अभी सामने आएंगी। बहरहाल इमरान ने ताज पहन जरूर लिया है, पर इसमें कांटे ही कांटे हैं।

पाकिस्तान के धर्म-राज्य की प्रतीक वहां की सेना है, जो जनता को यह बताती है कि हमारी बदौलत आप बचे हैं। सेना ने नवाज शरीफ के खिलाफ माहौल बनाया। यह काम पिछले तीन-चार साल से चल रहा था। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सेना ने खुलकर चुनाव में हिस्सा लिया और नवाज शरीफ का विरोध और इमरान खान का समर्थन किया। वह खुद पार्टी नहीं थी, पर इमरान उसकी पार्टी थे। देश के मीडिया का काफी बड़ा हिस्सा उसके प्रभाव में है। नवाज शरीफ ने देश के सत्ता प्रतिष्ठान से पंगा ले लिया था, जिसमें अब न्यायपालिका भी शामिल है।

सकारात्मक बात यह है कि पहली बार लगातार देश में दस साल से असैनिक सरकार है और लगातार तीसरी बार सरकार चुनकर आई है। हर लोकतंत्र की ताकत उसमें भाग लेने वाली जनता होती है। पाकिस्तानी जनता का फैसला महत्वपूर्ण है। जनता के अनुभव को वक्त ही पुख्ता करेगा और लोकतांत्रिक संस्थाओं को बनाएगा। वहां का कारोबारी समुदाय ताकतवर हुआ तो वह अपने हितों को भी देखेगा, जिसकी वजह से पाकिस्तान भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश करेगा। पर यह भी तय है कि सेना इस लोकतंत्र को निर्देश देती रहेगी। यह दो अलग-अलग किस्म की बातें हैं। इनमें टकराव होगा और संभव है आने वाले दशकों में इस जबरिया नेतृत्व से भी मुक्ति मिले, पर सब कुछ जनता की समझदारी और राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करेगा।

पाकिस्तान चुनाव आयोग ने 25 जुलाई को हुए संसदीय चुनाव के नतीजे जारी कर दिए हैं. इसमें इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन अभी बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर है. वहीं, दूसरे दल चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इमरान खान की पार्टी के खिलाफ उतर आए हैं. फिलहाल कोई भी दल इमरान को समर्थन देता नजर नहीं आ रहा है. अगर इमरान खान को 13 निर्दलीयों का समर्थन मिल भी जाता है, तो भी सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुतम का आंकड़ा पूरा नहीं होता है. इसके अलावा इमरान खान ने कई सीटों पर चुनाव जीता है, लेकिन वो सभी सीटों पर काबिज नहीं रह सकते हैं. उनको एक सीट को छोड़कर बाकी सीटों से इस्तीफा देना होगा. इससे इमरान की पार्टी को मिली सीटों की संख्या और भी कम हो जाएगी. ऐसे में सवाल यह है कि इमरान खान नई सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े को कैसे जुटाएंगे? इसके चलते इमरान खान के शपथ ग्रहण को लेकर अब तक सस्पेंस बरकरार है. हालांकि पीटीआई के प्रवक्ता ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से पहले राष्ट्रपति सत्र को बुला सकते हैं. पीटीआई के नेता नईमुल हक ने यहां तक कहा कि इमरान खान 14 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. 25 जुलाई को हुए मतदान के बाद वोटों की धीमी गिनती और चुनावों में धांधली के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने अंतिम नतीजों का ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग को वोटों की गिनती कराने में दो दिन से ज्यादा का वक्त लगा. पाकिस्तान चुनाव आयोग के मुताबिक संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनावों में पीटीआई ने 116 सीटें जीतकर अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है. देखना होगा कि इमरान खान का नया पाकिस्तान इन चुनौतियों का सामना करने में कितना मददगार होगा। अब तीन बातों पर हमारा ध्यान जाएगा। एक, इमरान किस प्रकार का गवर्नेंस देंगे। दो, आतंकवाद में पाक की क्या भूमिका होगी और तीसरे भारत के साथ रिश्तों की दिशा क्या होगी। कुछ निष्कर्ष इमरान के पहले टीवी प्रसारण से निकाले जा सकते हैं, पर वास्तव में कुछ बातों का इंतजार करना होगा। 

इमरान का पहला बयान वैसा ही है, जैसा नए नेता का होता है। वे सादगी और ईमानदारी के जिन आदर्शों की बात कर रहे हैं, उन्हें व्यावहारिक जमीन पर देखना होगा। भारत बेशक इमरान खान से सम्पर्क रखेगा, पर तुरत बड़े परिणामों की उम्मीद नहीं। फिलहाल इमरान को पाकिस्तानी की माली हालत पर ध्यान देना है। इसमें सेना भी उनकी मदद नहीं कर पाएगी। यों भी वहां के संसाधनों का बड़ा हिस्सा सेना खा जाती है। उसे कम करेंगे, तो मारे जाएंगे। देश में अराजकता का बोलबाला है। देखना होगा कि सेना की कठपुतली सरकार इसे कैसे रोकेगी। इमरान को अच्छे परिणाम भी देने हैं और सेना की जी-हुजूरी भी करनी है। सवाल है कि वे अपने कंधे पर कब तक सेना का जुआ ढो पाएंगे।

सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को रास्ते पर लाने की है। विदेशी मुद्रा भंडार का गम्भीर संकट है। जनवरी में पाकिस्तान मुद्रा भंडार 18.9 अरब डॉलर थाए जो मई में 15.9 अरब डॉलर हो गया  और अब 9 अरब डॉलर है। गिरावट जारी है। उसे अपने संकट को टालने के लिए 11 अरब डॉलर की जरूरत है। वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के नाम पर चीन से भारी कर्ज लेता रहा है, इस वजह से भी देनदारी बढ़ी है। मुद्रा-संकट से बचने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की मदद लेनी होगी, जिसे आश्वस्त करने के लिए सीपीईसी की कई परियोजनाओं को रोकना पड़ेगा। अमेरिका की चिरौरी भी करनी होगी। चीन भी उसे संकट से बचाने की स्थति में नहीं है। यों भी चीन किसी की मुफ्त में सहायता नहीं करता।

इमरान ने कहा, हम चाहते हैं कि पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते अच्छे हों। पड़ोसी देशों में उन्होंने पहला नाम चीन का लिया, फिर अफगानिस्तान, ईरान और सउदी अरब का। इसके बाद भारत का। अगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे हों तो यह दोनों के लिए बेहतर होगा। हमारे व्यापारिक संबंध और बेहतर हों, इससे दोनों देशों को फायदा होगा। हम बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगर भारत एक कदम आगे बढ़ाता है तो हम दो कदम आगे बढ़ाएंगे। नया नेता यही कहता है। नवाज शरीफ भी तो यही चाहते थे, पर उन्हें भारत का पिट्ठू किसने सािबत किया।

नवाज शरीफ को भ्रष्ट घोषित करने में न्यायपालिका ने भी सेना का साथ दिया। पनामा लीक के बाद जिस तरह से केस बनाया गया, उससे यह बात साफ हुई। चुनाव के ठीक पहले इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शौकत सिद्दीकी ने रावलपिंडी बार एसोसिएशन की एक सभा में कहा था कि देश की सेना नवाज शरीफ परिवार के खिलाफ फैसले करने के लिए न्यायपालिका पर दबाव डाल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सेना के प्रतिनिधि अदालतों मर्जी की बेंच गठित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।  शरीफ और उनकी पार्टी इस राजनीतिक भंवर से किस तरह बाहर निकलेंगे, यह अलग सवाल है। पर इमरान इस जंजाल में नहीं फंसेंगे, इसकी गारंटी नहीं। सन 2013 के चुनाव में जीत के पहले नवाज शरीफ ने घोषणा की थी कि हम भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिश करंगे। उन्हें समझ में आ गया था कि भारत विरोधी भावनाओं का मुंह मोड़े बगैर सेना का वर्चस्व तोड़ा नहीं जा सकता। सेना को रिश्ते सामान्य करने की कोशिशें पसंद नहीं आईं। दिसम्बर, 2015 में नरेन्द्र मोदी अफगानिस्तान की यात्रा से वापस लौटते समय अचानक लाहौर में उतरे, तो यह बात सेना को पसंद नहीं आई। उसके अगले हफ्ते ही पठानकोट पर हमला हो गया। बहुत सी बातें अभी सामने आएंगी। बहरहाल इमरान ने ताज पहन जरूर लिया है, पर इसमें कांटे ही कांटे हैं।

प्रस्‍तुति-  हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

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CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR

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