यूपी में सत्ता का दरवाजा भाजपा के लिए नही खुल रहा-

UP LEADERSयूपी में सत्ता का दरवाजा भाजपा के लिए नही खुल रहा- माया या सपा की ही सरकार बननी है- अखिलेश यादव और मायावती में लोकप्रियता को लेकर कड़ी टक्कर है. सर्वे

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु नतीजे आ सकते हैं। एबीपी न्‍यूज चैनल की ओर से कराए गए ओपिनियन पोल में सामने आया है कि यूपी में समाजवादी पार्टी, भाजपा और बसपा में कड़ा मुकाबला है। इस सर्वे के अनुसार कांग्रेस राज्‍य में अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन की ओर जा सकती है। यह सर्वे लोकनीति-सीएसडीएस ने किया है। सर्वे के अनुसार मुस्लिम मत सपा तो दलित मायावती के साथ हैं। अपर कास्‍ट भाजपा का दामन थाम सकता है। वहीं मुख्‍यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव और मायावती लोगों की पहली पसंद हैं। दोनों को 24-24 प्रतिशत लोग पसंद करते है।
यूपी में जहां सपा, बसपा और कांग्रेस के सीएम पद के चेहरे सामने हैं तो वहीं बीजेपी ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है. बीजेपी अभी पीएम मोदी पर ही भरोसा जता रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत हैं. 52 फीसदी लोगों ने अच्छे दिन लाने में मोदी को फेल बताया जबकि 32 फीसदी लोगों ने कहा कि मोदी पास हुए हैं. हमने ये सवाल यूपी के दलित वोटरों से भी पूछा. 55 फीसदी दलितों ने अच्छे दिन के लिए मोदी को फेल बताया जबकि 23 फीसदी दलितों ने मोदी को पास कहा है
उत्तर प्रदेश में 21-22 फीसदी दलित वोटर हैं ओबीसी के बाद सबसे बड़ी संख्या. हर पार्टी की नजर दलित वोट पर है ऐसे में अच्छे दिन के एजेंडे पर दलित वोटरों का ये जवाब बीजेपी के लिए चिंता पैदा कर सकता है.
कांग्रेस ने शीला दीक्षित को चुनाव मैदान में उतारा है. पीके पूरा जोर लगा रहे हैं .कहा जा रहा है कि सौ ब्रहामणों को टिकट देने की तैयारी है लेकिन सर्वें में उसके खाते में 5 फीसद अगड़ी जाति के वोट जाते दिख रहे हैं. यहां तक कि सिर्फ 8 फीसद मुस्लिम ही उस पर भरोसा कर रहे हैं. यही हाल अजित सिंह का है. उनके हिस्से में दो फीसद वोट ही आ रहा है. लेकिन वोटों की अंधी दौड़ में उनके दो प्रतिशत वोट महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. बहुत संभव है कि बीजेपी उनके साथ हाथ मिलाने को तत्पर हो जाए. सर्वें में सबसे दिलचस्प बात दिखाई दी कि 29 फीसद शहरी जनता की पहली पसंद बीएसपी है. बीजेपी 28 फीसद के साथ दूसरे नंबर पर है. इसी तरह गांवों में 32 फीसद लोग सपा को पसंद कर रहे हैं. यहां बीजेपी 27 फीसद के साथ दूसरे नंबर पर है. यानि भले ही बीजेपी पहले नंबर पर न हो लेकिन दोनों जगह उसे पसंद किया जा रहा है. यह बात बीजेपी को कुछ राहत दे सकती है.
एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति, सीएसडीएस की तरफ से किए गये सर्वे में समाजवादी पार्टी की साइकिल तीस फीसद वोट के साथ सबसे आगे बताई जा रही है. उसके बाद दूसरे नंबर पर 27 फीसद वोटों के साथ बीजेपी है और तीसरे नंबर पर हाथी धकेल दिया गया है 26 फीसद वोटों के साथ. कांग्रेस ने तीन में है और न तेरह में. उसके खाते में महज पांच फीसद वोट जाता दिख रहा है. बीजेपी 27 फीसद वोट के साथ मुलायम को टक्कर दे रही है और मायावती को तीसरे नंबर पर धकेल रही है. उसके लिए खुशी की बात है कि 55 फीसद उंची जाति का वोट उसे मिल रहा है साथ ही गैर यादव ओबीसी में भी सेंध लगाने में कामयाब हो रही है. 38 फीसद गैर यादव वोट के साथ. लेकिन बीजेपी जानती है इतने भर से काम चलने वाला नहीं है. उसकी चिंता की वजह पिछले लोकसभा चुनावों में मिले 42 फीसद वोटों का घटकर 27 पर आ जाना है.

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सर्वे के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में 55 प्रतिशत सवर्ण वोट भाजपा को जा सकते हैं। असपा के साथ 9 तो सपा को 15 फीसदी सवर्ण वोट मिल सकते हैं। कांग्रेस को केवल 5 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना है। गैर यादव ओबीसी वोटों के मामले में भी भाजपा का पलड़ा भारी है। यहां से 38 प्रतिशत लोग भाजपा, 19 प्रतिशत सपा और 23 प्रतिश बसपा के साथ जा सकते हैं। हालांकि मुसलमान सपा के साथ खड़े दिख रहे हैं। 62 फीसदी मुस्लिम वोटर सपा को वोट कर सकते हैं। यहां पर भाजपा काफी पीछे छूट सकती है और उसके पक्ष में केवल चार प्रतिशत मुस्लिम वोट आ सकते हैं। दलितों की बात करें तो वे बसपा का चुनाव कर सकते हैं। दूसरे नंबर पर भाजपा और तीसरे पर बसपा रह सकती है।
सर्वे के अनुसार 420 सदस्‍यीय यूपी विधानसभा में सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। उसे 141 से 151 सीट मिल सकती है। भाजपा को 124 से 134, बसपा को 103 से 113 सीटें मिल सकती है। कांग्रेस केवल 8 से 14 सीट पर सिमट सकती है। क्षेत्रवार सीटें मिलने के सर्वे में भाजपा पूर्वी और पश्चिमी यूपी में आगे रहेगी। वहीं रोहिलखंड में सपा आगे रह सकती है। अवध में सपा और बसपा में कड़ी लड़ाई है। बुंदेलखंड में सभी पार्टियां लड़ाई में हैं।
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की राजनीति गरम है लेकिन सवाल ये है कि यूपी की जनता क्या सोच रही है एबीपी न्यूज के लिए लोकनीति और सीएसडीएस ने सर्वे किया है. इस सर्वे के मुताबिक अखिलेश यादव और मायावती में लोकप्रियता के मामले में कड़ी टक्कर है लेकिन अखिलेश यादव से राज्य की 61 फीसदी जनता संतुष्ट है. हालांकि सर्वे के मुताबिक सीटों में सपा और बीजेपी में कड़ी टक्कर है. बीजेपी की सीटों में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है. इसके बावजूद सपा अभी भी सबसे बड़े दल के रूप में यूपी में आ रही है.
अखिलेश यादव और मायावती में लोकप्रियता को लेकर कड़ी टक्कर है. 24 फीसदी वोटरों की पसंद हैं अखिलेश यादव. बड़ी बात ये है कि बीएसपी प्रमुख मायावती भी अखिलेश को कड़ी टक्कर दे रही हैं. मायावती 24 फीसदी वोटरों की पहली पसंद हैं.
अखिलेश और मायावती यूपी की प्रमुख सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल बीएसपी का चेहरा हैं. जबकि बीजेपी ने अब तक सीएम का नाम तय नहीं किया है. सर्वे में वोटरों को सीएम पद की पसंद के विकल्प नहीं दिए गए थे. लेकिन तीसरे नंबर पर हैं केंद्र सरकार में गृह मंत्री राजनाथ सिंह. सात फीसदी वोटर राजनाथ को सीएम देखना चाहते हैं. चौथे नंबर पर यूपी में बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ हैं. पांच फीसदी लोगों की पंसद हैं योगी आदित्यनाथ और पांचवें नंबर पर हैं मुलायम सिंह यादव. तीन बार राज्य की कमान संभाल चुके मुलायम को चार फीसदी वोटर फिर से सीएम देखना चाहते हैं. छठे नंबर पर वरुण गांधी हैं जुन्हें राज्य के तीन फीसदी वोटर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं.
इसमें सबसे अहम विषय है कि राज्य के लिए में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 61 फीसदी लोग संतुष्ट हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार से 60 फीसदी लोग संतुष्ट हैं.
केंद्र सरकार के लिए नरेंद्र मोदी से 68 फीसदी लोग संतुष्ट हैं जबकि एनडीए सरकार के कामकाज से 63 फीसदी लोग संतुष्ट हैं.
कैसे हुआ सर्वे ?
23 जुलाई से 7 अगस्त के बीच उत्तर प्रदेश की 403 में से 65 विधानसभा सीटों पर सर्वे किया गया. 256 पोलिंग बूथ पर ये सर्वे किया गया जिसमें 4 हजार 452 वोटरों की राय ली गई हर वोटर से आमने – सामने बात की गई..
गैर जाटव दलितों में भी 56 फीसद की पहली पसंद मायावती ही हैं. मायावती के लिए खुशी की बात है कि उनके हाथी को 23 फीसद गैट यादव ओबीसी भी पसंद कर रहा है. यूपी में संघ परिवार अर्से से दलितों के बीच अपना पैठ जमाने का काम करने में लगा था लेकिन सर्वे में उसे गैर जाटव दलितों में से सिर्फ 16 फीसद का ही साथ मिलता दिख रहा है. तो क्या अगर बीजेपी चुनाव हारी तो दयाशंकर के सर पर हार का ठीकरा फूटेगा जिन्होने मायावती के लिए अपमानजनक टिप्पणी कर सारा खेल ही बिगाड़ दिया. बीजेपी को हालांकि अगड़ी जातियों का 55 प्रतिशत वोट मिल रहा है लेकिन यह काफी नहीं है.
मुलायम को यादवों का 68, मुस्लिमों का 62 फीसद वोट मिल रहा है और मायावती को 75 फीसद जाटव वोट दे रहे हैं तो कम से कम 65 से 70 फीसद अगड़ी जातियों को बीजेपी के साथ आना ही पड़ेगा. बीजेपी ने जैसे इस स्थिति को पहले ही भांप लिया था लिहाजा वह अपना दल के साथ साथ राजभरों के दल के साथ हाथ मिला रही है. उसे कांग्रेस के बागी नेताओं को भी अपनाने में परहेज नहीं है. वह जानती है कि एक एक वोट की लड़ाई कहीं जाति तो कहीं जिताउ उम्मीदवार से हाथ मिलाकर जीतने की गुंजायश निकाली जा सकती है.

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