अपयश के भागी बने मुख्‍यमंत्री त्रिवेन्‍द्र- देशभर के मीडिया में गूंजी आवाज

अपयश के भागी बने त्रिवेंद्र सिंह रावत – नवरत्‍न हुए असफल  कुशल प्रबन्‍धन की कमी झलकी, मुख्‍यमंत्री बनने के बाद श्री त्रिवेन्‍द्र सिंह रावत ने बहुत सोच समझ कर अपने सलाहकारो की नियुक्‍ति की परन्‍तु आज उनका प्रबन्‍धन लगातार असफल होता दिख रहा है: टीचर को हिरासत में ले लो और संस्‍पेंड कर दो- खबर जबर्दस्‍त वायरल – देश भर में गुूंज रही है उनकी 

यह आवाज; हिरासत में ले लो- संस्‍पेंड कर दूंगा-  

 सत्ता का नशा राजनेताओं पर किस कदर हावी  abpnews लोकप्रिय टीवी चैनल ए0बी0पी0 न्‍यूज – की खबर-

:आज तक टीवी चैनल की खबर  # सीएम ने भरे दरबार में दिया सस्पेंड करने का आदेश

ND टीवी चैनल की खबर  – 

“Arrest Her”, Uttarakhand Chief Minister Snaps After Row With Teacher

नवभारतटाइम्स.कॉम  तबादला ना होने से नाराज शिक्षिका ने जनता दरबार में सीएम को कहे अपशब्द, हंगामे के बीच सस्पेंड

28 JUNE 2018 को हिमालयायूके द्वारा- सोशल मीडिया में वायरल खबरें- 

abpnews  Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat orders arrest suspension of school Women principa 

देहरादून: सत्ता का नशा राजनेताओं पर किस कदर हावी हो जाता है इसका एक और उदाहरण देखने को मिला है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जनता दरबार में पहुंची एक विधवा टीचर जब अपनी समस्या सीएम को बताई तो वह भड़क उठे और सीधा निलंबन (सस्पेंड) का आदेश सुना दिया. रावत को महिला टीचर की शब्दों से आपत्ति थी.

मुख्यमंत्री के व्यवहार पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और महिला टीचर का निलंबन वापस लेने की मांग की. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ”हमारा सिस्टम असंवेदनशील हो चुका है. एक विधवा महिला का ट्रांसफर दूर-दराज के इलाके में किया जा रहा है और उसकी कोई सुनने वाला नहीं है. मैं सीएम से कहूंगा की वह पुलिस को आदेश दें की महिला को रिलीज किया जाए और निलंबन वापस लिया जाए.”
महिला ने याद दिलाई ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा

अपनी शिकायत में महिला मुख्यमंत्री से ट्रांसफर नहीं किये जाने की अपील करते हुए कहती हैं, ”मैं 25 साल से काम कर रही हूं. मेरे पति की मौत हो गई है. मेरे बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है. मैं अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ सकती हूं. मैं नौकरी भी नहीं छोड़ सकती हूं. आपको मेरे साथ न्याय करना पड़ेगा.”

फेसबुक से
दिनेश जुयाल की वाल से

आज की रात शायद नींद नहीं आएगी। आज अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री के जिस रूप के दर्शन हुए उसने अन्दर तक हिला कर रख दिया। जो कुछ मैं सोशल मीडिया पर मौजूद तस्वीरों , वीडियो और टीवी न्यूज में देख पाया हूं उसके आधार पर मेरा सवाल है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील क्षेत्र का मुखिया इस तरह हृदयहीन कैसे हो सकता है? वो भी एक ऐसी महिला के साथ जो पेशे से शिक्षिका है? उनके पति की मौत हो चुकी है। क्या ये वही त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं जिन्हें मैं जानता रहा हूं ? संघ में संस्कारित। 
२५ साल से दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में तैनात एक शिक्षिका उनके जनता दरबार में विनयपुर्वक निवेदन कर रही है कि उनके पति की मौत हो चुकी है दो बच्चों को अनाथों की तरह देहरादून में छोड़कर वह दुर्गम क्षेत्र में नहीं रह सकती। उनका तबादला कर दिया जाय। मुख्यमंत्री पूछते है कि नौकरी करते समय क्या लिख कर दिया था। जवाब है कि यह तो नहीं कि जीवनभर वनवास भोगूं। फिर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का जिक्र करती है । इतने में रावत आपा खोने लगते हैं । अनुशासन में रहने की बात करते है फिर सस्पेंड करने की धमकी देते हैं अगले ही पल महिला तैस में आती है और कहती है सस्पेंड क्या करोगे में खुद ही घर बैठी हूं। रावत सस्पेंड करने का मौखिक आदेश देते हैं फिर कहते हैं ले जाओ इसे हिरासत में ले लो। पुलिस उसे ले जाने लगी तो उसका गुस्सा शराब माफिया पर भी फूट पड़ता है जिसकी वजह से उसके पति की मौत हुई। गुस्से में कह देती है चोर उचक्के कहीं के। फिर उसे खींचा जाता है तो चिल्लाती है। एक वीडियो में आवाज आ रही है कि बाल पकड़ो इसके। मुख्यमंत्री के मंच से दिए गए आदेश का पालन हो रहा है। वाह त्रिवेंद्र भाई, क्या यही न्याय है, इसीलिए जनता दरबार लगते हैं, ऐसे ही फरियाद सुनी जाती है?  उस महिला की पीड़ा नहीं देखनी आपको तो अनुशासन देखना है। आपके हमारे कॉमन मित्रों के कमेंट्स श्री चेतन गुरुंग और मनोज इस्टवाल जी की पोस्ट पर पढ़े। मैं उन मित्रों को भी धिक्कार भेज रहा हूं जिन्हें इस पूरी घटना में शिक्षिका की अनुशासन हीनता ही दिख रही है। जिन हालात में ये महिला जी रही है क्या उसकी पीड़ा इस तरह गुस्से के साथ बाहर आना स्वाभाविक नहीं। त्रिवेंद्र जी वाकई आज ये सिर शर्म से झुका है और दिल में बहुत दर्द है। आपने तो दुर्गम पहाड़ को जिया है तो क्या मुखिया बनकर ऐसा ही बनना पड़ता है? क्या उस महिला को समझाने का कोई और तरीका नहीं था एक मुख्यमंत्री के पास। जरा ये भी पता करिए की देहरादून में सुगम का सुख भोगने वाले कौन हैं? कोई आपके करीबी भी तो नहीं। आपके करीबी नेताओं अफसरों की सुहागिन सर्व सुविधासंपन्न पत्नियां भी होंगी। ये सुगम दुर्गम की क्या पहेली बना दी गई है? Pwd जैसे आपके विभाग में एक अफसर के लिए कीर्तिनगर दुर्गम दूसरे के लिए सुगम कैसे हो जाता है? क्या वाकई इस बहन की पीड़ा आप समझ नहीं पाए? क्या सारे नियम ऐसे निरीह लोगों के लिए ही बने हैं? लोग भूले तो नहीं होंगे कि आपके एक मंत्री के जनता दरबार में कुछ दिन पहले एक व्यक्ति जहर खाकर जान दे चुका है। पहाड़ के ये दीनहीन लोग कमजोर, कामचोर, अनुशासनहीन (आप जो भी इन्हें कहना चाहें) ही सही लेकिन क्या फरियादियों से ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए? ऐसा तो रामराज नहीं सोचा था किसी ने। आप ऐसा करेंगे तो आपके उन अफसरों से क्या उम्मीद करें जिन्हें यहां के और खासकर पहाड़ के लोगों से विशेष किस्म की एलर्जी है।

टीचर की इस दलील पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब नौकरी शुरू की थी तो आपने क्या लिख कर दिया था? जिसपर टीचर कहती हैं कि मैंने यह भी लिखकर नहीं दिया था की मैं बनवास भोगूंगी. आपका ही नारा है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ. ये नहीं की बनवास भेजना है.

इसी जवाब पर सीएम भड़क उठे और कहा कि अध्यापिका हो, नौकरी करती हो. ठीक से बोलो. जरा सभ्यता सीखो यार. महिला बोलती रही जिसपर गुस्साए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी सस्पेंड कर दूंगा आपको. अभी सस्पेंड हो जाएगी. जिसपर महिला ने कहा कि आप क्या सस्पेंड करेंगे मैं खुद घर बैठी हूं.

मुख्यमंत्री को गुस्सा देख तुरंत वहां तैनात सुरक्षाकर्मी पहुंचे और महिला को हिरासत में ले लिया. महिला कार्रवाई न करने की अपील करती रही लेकिन उनकी एक न सुनी गई. आग-बबुला मुख्यमंत्री ने सुरक्षाकर्मियों को सख्त लहजे में कहा कि महिला को यहां से ले जाओ बाहर. इसे कस्टडी में लो. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. जिसपर महिला टीचर ने कहा कि चोर उचक्के कहीं के.

आज तक टीवी चैनल की खबर 

उत्तराखंड के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरबार में एक महिला न्याय पाने के लिए फरियाद लेकर आई थी, लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उसे सस्पेंड होकर जाना पड़ा. इस घटना के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार सुर्खियों में बना हुआ है. वैसे भी उत्तराखंड सरकार का जनता दरबार हमेशा से ही विवादों में रहा है.

जनता दरबार में ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे के जहर खाने के बाद से कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे ये चर्चाओं में बना रहता है. इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार एक फरियादी महिला को लेकर सुर्खियों में है.

महिला शिक्षिका उत्तरा पंत 20 वर्षों से उत्तरकाशी के एक प्राइमरी स्कूल में तैनात है और लंबे समय से अपने ट्रांसफर करने की मांग कर रही है. लेकिन अब तक उनका ट्रांसफर नहीं हुआ, जिससे खफा महिला शिक्षिका ने अपना सारा गुस्सा सीएम रावत और जनता दरबार में मौजूद अधिकारियों पर निकाल दिया. पुलिस-प्रशासन कुछ समझ पाता इससे पहले महिला ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को खूब खरी-खोटी सुना दी. महिला के अचानक शोर मचाने से जनता दरबार में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. फरियादी शिक्षिका का कहना था कि वो विधवा है और उसके बच्चे देहरादून में रहते हैं. पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है. इस पर सीएम रावत ने महिला शिक्षिका से शांत होने को कहा. उन्होंने कहा कि शांत हो जाओ, वरना तुम्हारी नौकरी चली जाएगी. हालांकि महिला का गुस्सा सांतवें असमां पर था. इसके बाद जब शिक्षिका शांत नहीं हुई, तो महिला पुलिस कर्मियों ने काबू पाने की कोशिश की और उसे खींचते हुए जनता दरबार से बाहर ले गईं. बाहर जाते-जाते भी महिला ने सीएम रावत से अभद्रता करते हुए उन्हें चोर तक कह दिया. महिला ने कहा कि सीएम रावत नेता हैं, कोई भगवान नहीं और प्रदेशवासियों को लूटकर खा रहे हैं. ये चोर मुख्यमंत्री हैं.  

सीएम ने भरे दरबार में दिया सस्पेंड करने का आदेश

जब फरियादी शिक्षिका द्वारा सीएम रावत के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया गया, तो वो भड़क गए और अपने पद की गरिमा के विपरीत महिला को भरे दरबार में सस्पेंड करने के आदेश दे दिए. उन्होंने महिला शिक्षिका को हिरासत में लेने का भी आदेश दिया. इसके बाद महिला को सुरक्षाकर्मी पकड़कर बाहर ले गए. वहीं, इस घटना के बाद शिक्षिका उत्तरा पंत को शिक्षा सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए. इस दौरान सीएम रावत के जनता दरबार में करीब 150 से ज्यादा लोग मौजूद थे.

शिक्षिका और सीएम दोनों पर सवाल

महिला शिक्षिका उत्तरा पंत 20 वर्षों से उत्तरकाशी के प्राइमरी स्कूल में तैनात हैं और लंबे समय से अपने ट्रांसफर की मांग कर रही हैं. हालांकि अब तक उनका ट्रांसफर नहीं हुआ है, जिससे गुस्साई महिला ने अपना सारा गुस्सा सीएम और जनता दरबार में मौजूद अधिकारियों पर निकाल दिया. इस घटना के बाद शिक्षिका उत्तरा पंत को शिक्षा सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए. निश्चित ही महिला शिक्षिका का व्यवहार उचित नहीं था, मगर प्रदेश के मुखिया को भी शांतचित रहते हुए अपने व्यवहार और क्रोध पर काबू रखने की जरूरत थी, क्योंकि शिक्षक ही हैं, जो हमको और आपको एक सही और सम्मानित मुकाम तक पहुंचाने की राह को आसान करते हैं. ऐसे में जरूरत थी, तो सिर्फ इस बात की कि आखिर ऐसी कौन सी वजह थी कि महिला 20 वर्षों से एक ही जगह पर तैनात थी. पूरी तरह समझने के बाद ही कोई फैसला लेने की जरूरत थी. सीएम रावत को ऐसे आपा न खोकर उस सिस्टम को सुधारने की भी जरूरत थी कि एक महिला शिक्षिका को भरे जनता दरबार में हंगामा करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

ND टीवी चैनल की खबर  –  A 57-year-old teacher in Uttarakhand, who went to Chief Minister Trivendra Rawat requesting a transfer, ended up in jail after a loud exchange that has been caught on camera and shared online. The chief minister is seen losing his temper and saying: “Suspend her immediately. Arrest her.”

Mr Rawat, she says, dismissed her request.

The teacher started arguing and demanding to know why. The chief minister snapped and shouted, “Suspend karo ise abhi (suspend her immediately). Take her into police custody.”
In the video clip the teacher is seen screaming at the chief minister and throwing abuses as she is led out of the meeting.

“I lost my husband in 2015 and my children stay here (Dehradun). I can’t leave my children here. I spoke to the Chief Minister but he did nothing. I asked him the reason. He suddenly raised his hand and said you are a teacher, behave yourself,” Ms Bahuguna said today, weeping.

COMMENT

Former Chief Minister Harish Rawat hit out at Mr Rawat and accused him of insensitivity. “Our system has become so insensitive that a widowed teacher remained posted in a remote area for 25 years and no one listened to her? I advise the Chief Minister to revoke her suspension,” said the Congress leader.

तबादला ना होने से नाराज शिक्षिका ने जनता दरबार में सीएम को कहे अपशब्द, हंगामे के बीच सस्पेंड

देहरादून
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास पर लगे जनता दरबार के बीच एक शिक्षिका ने जमकर हंगामा किया। इस जनता दरबार में खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावतलोगों की समस्या सुनने के लिए मौजूद थे। इसी बीच उत्तरकाशी जिले की एक शिक्षिका ने अपने तबादले की मांग को लेकर यहां हंगामा करना शुरू कर दिया।  बताया जा रहा है कि हंगामा करने वाली शिक्षिका का नाम ऊर्जा बहुगुणा है और वह गुरुवार को सीएम आवास पर अपने तबादले की मांग लेकर पहुंची थी। इसी बीच जब शिक्षिका की मांग का समाधान ना हुआ तो उन्होंने जनता दरबार के बीच ही सीएम को अपशब्द कहना शुरू कर दिया। शिक्षिका के द्वारा हंगामा करने के कारण काफी देर तक सीएम आवास पर अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही। सीएम ने दिए निलंबित करने के आदेश
हंगामे के दौरान शिक्षिका ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को जनता दरबार में मौजूद लोगों और मीडिया के सामने अपशब्द भी कहे। इस बीच सीएम ने शिक्षिका को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर वह हंगामा करना बंद नहीं करती हैं तो उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा। लेकिन सीएम की इस चेतावनी का भी शिक्षिका पर कोई असर नहीं हुआ और वह लगातार हंगामा करती रहीं। इसके बाद गुस्से में सीएम ने पहले अधिकारियों को शिक्षिका को निलंबित करने का आदेश दिया और इसके बाद पुलिस अधिकारियों को शिक्षिका को हिरासत में लेने के निर्देश भी दिए।

 

 

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