चुनाव के अहम मुददे उत्‍तराखण्‍ड कांग्रेस सरकार पर भारी

ओपिनियन पोल#भाजपा की उत्तराखंड में बनेगी सरकार #बीजेपी को 35-43 सीटें #कांग्रेस को 22-30 सीटें #गढ़वाल में बीजेपी, #कुमाऊं में कांग्रेस तो मैदान में बीजेपी आगे #उत्‍तराखण्‍ड कांग्रेस की होली न बिगाड दे चुनावी नतीजे #अकाली-भाजपा पंजाब की सत्ता से बेदखल होगी #सत्याग्रह सत्य के लिए होता है; हरीश्‍ा रावत से सतो ने कहा-# लोक को लुभाने के लिए घोषणाओं और योजनाओं के तमाम दांव क्‍या विफल साबित हुए #सरकारी खजाना तो केवल नाम का ही रह गया  # हिमालयायूके न्यूज पोर्टल – (www.himalayauk.org) Top Ranking in Google
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#मुख्यमंत्री हरीश रावत अब कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में आ गए# इस बार बेरोजगारी, विकास, महंगाई चुनाव के सबसे अहम मुद्दे हैं, चुनावी सर्वे बता रहे हैंं कि चुनाव के अहम मुददे कांग्रेस सरकार पर भारी पड रहे हैं और गढ़वाल में बीजेपी, कुमाऊं में कांग्रेस तो मैदान में बीजेपी आगे है। बीजेपी उत्तराखंड में भी फिर से सत्ता में वापसी के सपने देख रही है । पिछले साल सत्ताधारी कांग्रेस तोड़कर उसने राज्य की सत्ता कब्जाने की कोशिश की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया तभी से मोदी और शाह की जोड़ी उत्तराखंड में किसी भी तरह से सत्ता तक पहुंचने की जुगत में लगी है।
ओपिनियन पोल भी आने शुरू हो गए। चुनाव से पहले एबीपी न्यूज लोकनीति और सीएसडीएस ने उत्तराखंड पर सर्वे किया और चुनाव से पहले एक नतीजा सामने आया। इस सर्वे के मुताबिक इस राज्य में बीजेपी आगे दिखाई दे रही है। पहाड़ों पर कमल का फूल खिलता दिखाई दे रहा है। बीजेपी को 70 सीटों में से 35-43 सीटें मिल सकती हैं तो कांग्रेस को 22-30 सीटें मिलने के आसार हैं। बीजेपी को 40 फीसद लोगों का समर्थन और कांग्रेस को 30 फीसद लोगों के वोट मिल सकते हैं।
चुनाव आयोग ने 4 जनवरी को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। आर्दश आचार लगते ही सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ये एक तरह से सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है। इस बीच विभिन्न चुनावी सर्वे भी सामने आ रहे हैं।
वही इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस-माई इंडिया की ओर से किए ताजा ओपिनियन पोल की मानें तो पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन के हाथ से सत्ता फिसलती नजर आ रही है। ये ओपिनियन पोल सर्वे 12 दिसंबर से 20 दिसंबर के बीच किया गया है।
ओपिनियन पोल के अनुसार पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन सत्ता से बेदखल हो रहा है। सर्वे में कांग्रेस सत्ता में वापसी करती दिख रही है। सर्वे के मुताबिक कुल 117 सीटों में कांग्रेस को 56 से 62 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है, वहीं पहली बार पंजाब विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक रही आम आदमी पार्टी 36 से 41 सीटें जीत सकती हैं जबकि सर्वे में सत्ताधारी (अकाली-बीजेपी गठबंधन) को 18-22 सीटों पर सिमटने का अनुमान है। अन्य में खाते में 1 से 4 सीटें जा सकती हैं।
भाजपा की उत्तराखंड में बनेगी सरकार
ओपिनियन पोल में उत्तराखंड से बीजेपी सत्ता में आएगी। सर्वे के मुताबिक कुल 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 41-46 सीटों पर जीत मिल सकती है जबकि कांग्रेस 18-23 पर सिमट सकती है, वहीं अन्य के खाते में 2-6 सीटें जा सकती हैं। उत्तराखंड में अभी चुनाव होने पर बीजेपी को 45 फीसदी वोट मिलने के अनुमान हैं जबकि कांग्रेस के खाते में 33 फीसदी वोट जाने की संभावना है, वहीं 22 फीसदी वोट अन्य को जाता दिख रहा है।
बीजेपी को पूर्ण बहुमत, सपा-बसपा को भारी नुकसान
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे और एक्सिस के सर्वे में बीजेपी बहुमत की ओर बढ़ रही है। सर्वे में बीजेपी को 206 से 2016 सीटें मिलने का अनुमान है। पारिवारिक घमासान के बाद भी सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर है। वहीं बसपा इस बार तीसरे नंबर पर नजर आ रही है। बात करें कांग्रेस की तो इस सर्वे में भी उसकी हालात खस्ता है।
बीजेपी पूर्ण बहुमत की आेर
इस सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 206 से 216 सीटें हासिल हो सकती है जबकि सपा के खाते में 92 से 97 सीटें जा सकती हैं। सर्वे के मुताबिक, बसपा को 79 से 85 सीटें मिलने की संभावना है। जबकि प्रदेश में सपा के साथ गठबंधन की राह देख रही कांग्रेस काे प्रचार-प्रसार का काेई खास लाभ नहीं दिखाई दे रहा है। निर्दलीय और अन्य को 07 से 11 सीटें मिलने की संभावना है। बता दें कि 403 विधानसभा सीटाें पर हाे रहे मतदान के लिए किसी भी पार्टी काे बहुमत के लिए 202 सीटें चाहिए।
किसे कितने प्रतिशत वोट?
बीजेपी 33 प्रतिशत वोटों के साथ पहले नंबर पर है जबकि 26 फीसदी के साथ सपा दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभर रही है। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी 22 फीसदी वोटों के साथ तीसरे पायदान पर पहुंच गई है। उसके हाथ से सत्ता जाती हुई दिख रही है। कांग्रेस को उसके किसान यात्रा और रोड़ शो का विशेष लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। उसे 06 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ रहा है। जबकि अन्य के खाते में 10 प्रतिशत वोट जाता दिख रहा है।

सत्याग्रह सत्य के लिए होता है; हरीश्‍ा रावत से सतो ने कहा-
हरीश रावत अब कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में है वही उन पर चुनावी मुददे भारी पड रहे हैं, मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने उत्तराखंड राज्य के मुखिया हरीश रावत के ईको सेंसटिव जोन के मुद्दे पर असफल और अवैध खनन पर फैले भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह सत्य के लिए होता है। उन्होंने फिलहाल कोई सत्य कार्य नहीं किया है। उन्होंने सिर्फ प्रदेश की जनता से झूठ बोलकर धन कमाने का कार्य किया है। इसलिए उनका सत्याग्रह दिखावा मात्र है। मातृसदन इनके आंदोलन की कड़ी आलोचना करती है।

लोक को लुभाने के लिए घोषणाओं और योजनाओं के तमाम दांव क्‍या विफल साबित हुए #
वही समाचार पत्रों की रिपोटो के अनुसार गैर विकास मदों में बढ़ते खर्च ने उत्‍तराखण्‍ड राज्य को ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि हर शहर-मुहल्ले, गांव-तोक तक बिजली और पानी की सुचारु आपूर्ति, संपर्क मार्ग, अच्छी सड़कें, संसाधनों से सरसब्ज स्कूल-कॉलेज और आत्मनिर्भर इलाके राज्य गठन के 16 साल बाद भी सिर्फ गुलाबी नारों तक सिमटे न रह जाएं। इन्हें हकीकत तक पहुंचाने के विकास मद में जितने धन की दरकार है, वह चुनावबाजों की चिंता के केंद्र में है, मौजूदा हालत में तो नजर नहीं आ रहा है। चुनाव में जिस लोक को लुभाने के लिए घोषणाओं और योजनाओं के तमाम दांव आजमाए जा रहे हैं, माली हालत की हकीकत उसे मेल नहीं खा रही है। गैर विकास मदों में लगातार बढ़ते खर्च से सरकारी खजाना तो केवल नाम का ही रह गया है, लेकिन सत्तासीन लोग आमदनी की चादर से बाहर पांव पसारने से बाज नहीं आ रहे हैं।
नतीजा ये है कि कुल बजट का जब 17 फीसद भी विकास कार्यों के लिए बच नहीं पा रहा है। वेतन और पेंशन का खर्च और ज्यादा बढ़ने से तो हालत और बुरे होने जा रही है। प्रदेश में बनने जा रही अगली सरकार को भी सबसे पहले विकास कार्यों के लिए धन जुटाने की चुनौती से जूझना होगा। सिर्फ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होते ही प्रदेश में सिर्फ वेतन, भत्तों और पेंशन पर होने वाला खर्च बढ़कर तकरीबन 14 हजार करोड़ तक पहुंच रहा है।
नए वेतन से पहले सिर्फ वेतन मद और भत्तों की मद में सरकार को सालाना 9500 करोड़, पेंशन के रूप में सालाना 2500 करोड़ समेत सिर्फ वेतन-भत्ते और पेंशन पर ही सालाना 12 हजार करोड़ खर्च की नौबत आ रही थी। सातवां वेतनमान लागू होने के बाद यह राशि बढ़कर साढ़े 14 हजार करोड़ पहुंचने जा रही है। वेतन और पेंशन के रूप में बढ़ने वाली 2500 करोड़ से ज्यादा धनराशि से विकास मद के खर्च में ही कटौती की जानी है। वर्तमान में बाजार से लिये जाने वाले कर्ज को चुकता करने में 2500 से 3000 करोड़ खर्च हो रहे हैं। सातवां वेतनमान लागू होने के बाद राज्य पर सालाना ढाई से तीन हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। यानी राज्य को हर महीने वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए 200 से 300 करोड़ अतिरिक्त की दरकार है।
वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए राज्य को पहले ही जब कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है, नई परिस्थितियों में तो कर्ज का बोझ और बढऩा तय है। वर्तमान में ही सूबे पर कर्ज का बोझ 40 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है।
नॉन प्लान और प्लान के बीच फासला तिगुना होने को है। कुल बजट का 83 फीसद गैर विकास मदों पर ही जाया हो रहा है तो महज 17 फीसद बजट से विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य की जन अपेक्षाओं को किसकदर पूरा किया जा सकता है। चालू वित्तीय वर्ष में भी बड़े-छोटे समेत निर्माण कार्यों के लिए कुल 16.03 फीसद बजट की व्यवस्था हो पाई। राज्य के आय के साधनों में इजाफा नहीं हुआ तो आने वाले समय में इतना बजट भी निर्माण कार्यों के लिए उपलब्ध नहीं रह पाएगा। जाहिर है कि राज्य को न चाहते हुए भी मदद के लिए केंद्र के दर पर एड़ियां रगड़ने को मजबूर होना पड़ेगा।
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