उत्तराखंड में ब‌रसात का कहर-गंगोत्री धाम में गोमुख विलुप्‍त-

CM Photo 04 dt. 15 August, 2016गंगोत्री धाम में एक बडा अपशकुन; उत्‍तराखण्‍ड के पहाड की नदियां कहर बरपा रही हैं, और बडा कहर बरपाने को तैयार है- पिंडर, मंदाकिनी, भागीरथी, अलकनंदा तथा गंगा नदी खतरे के निशान के नजदीक बह रही हैं और किसी भी समय इसे पार सकती है – उत्‍तराखण्‍ड के गंगोत्री धाम में एक बडा अपशकुन हुआ है- गोमुख विलुप्‍त हो गया-  उत्तरकाशी में गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख का मुख बह गया ; तीर्थयात्रा के मार्गो पर भी यातायात ठप हो गया है.  प्रदेश की कम से कम 135 सड़कें क्षतिग्रस्त – हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल प्रस्‍तुति-

उत्तराखंड में ब‌रसात का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। भारी बारिश से पिथौरागढ जनपद केे rain-washed-away-mouth--gomukhजौलजीबी-मुनस्‍यारी मार्ग घिंघरानी के बाद बंद हो गया है, गंगोत्री में भी भारी बारिश से मार्ग अवरूद्व हुए है, गंगोत्री धाम में अब गोमुख के दर्शन नहीं हो पाएंगे। तेज बारिश में गोमुख के आकार का बर्फ का जमाव बह गया है। गोमुख की बड़ी धार्मिक मान्यता है। चारधाम आने वाले श्रद्धालु गोमुख के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं। वर्ष 2013 की आपदा के दौरान गोमुख में दरारें आ गई थीं। इसके बाद जलवायु परिवर्तन का गोमुख पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इस बारिश में बर्फ की बनी यह आकृति बह गई। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में हो रही तेज बारिश के कारण उत्तरकाशी में गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख का मुख बह गया है। आपदा के दौरान इसमें दरारें आ गई थीं, बाद में बर्फ टूटती गई और इस बारिश में यह बह गया है। ग्लेशियर के मुख्य भाग के सिरे पर गोमुख के आकार का बर्फ का यह जमाव 16-17 जुलाई की बारिश में बहा है। ग्लेशियर का यह सिरा ही गंगा का उद्गम स्थल माना जाता है। चारधाम आने वाले तीर्थयात्री इसके दर्शन RUDRA PRAYAG ROADके लिए यहां आते हैं। www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal

वही दूसरी ओर- राज्य के कुमाऊं मंडल में पूर्णागिरि मार्ग में पर किरोड़ा नाला अचानक ऊफान पर आ गया, जिससे यात्री फंस गए। नैनीताल रोड सड़क धंसने के बाद उसी के पास मलबा आ गया। जिससे कई किमी. लंबा जाम लग गया, जिसमें हजारों वाहन फंस गए। देहरादून जिले के कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर मलबा आ गया है। नोली में अवरूद्व हुए कर्णप्रयाग-गवालदम मोटर मार्ग
उत्तराखंड के बाकी जिलों में बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के कारण प्रदेश की कम से कम 135 सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसके कारण इनपर यातायात ठप हो चुका है. अधिकारियों ने सोमवार को यह nanital-highway-blocked_ 3जानकारी दी.
एक अधिकारी ने कहा कि चारधाम यात्रा-यमुनोत्री, गंगोत्री बद्रीनाथ और केदारनाथ- के लिए सालाना तीर्थयात्रा के मार्गो पर भी यातायात ठप हो गया है. पहाड़ी राज्य के अधिकांश जिले प्रभावित हैं.
उत्तराखंड में बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के कारण प्रदेश की कम से कम 135 सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसके कारण इनपर यातायात ठप हो चुका है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
एक अधिकारी ने कहा कि चारधाम यात्रा-यमुनोत्री, गंगोत्री बद्रीनाथ और केदारनाथ- के लिए सालाना तीर्थयात्रा के मार्गो पर भी यातायात ठप हो गया है. पहाड़ी राज्य के अधिकांश जिले प्रभावित हैं.
क्षतिग्रस्त होने वाली लिंक सड़कों में उत्तरकाशी (34), टेहरी (23), पौड़ी (21), देहरादून (17), चमोली (15), बागेशर (8), चंपावत व अल्मोड़ा में छह-छह और हरिद्वार में चार तथा नैनीताल की एक सड़क क्षतिग्रस्त हुई हैं.
अधिकारियों ने कहा कि पिंडर, मंदाकिनी, भागीरथी, अलकनंदा तथा गंगा नदी खतरे के निशान के नजदीक बह रही हैं और किसी भी समय इसे पार सकती है. इसके मद्देनजर, निचले इलाके में रहने वाले लोगों और नदी किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है.
क्षेत्रीय मौसम निदेश्क विक्रम सिंह ने कहा कि इस सप्ताह बारिश लगातार होती रहेगी और मंगलवार व बुधवार को राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होगी.
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रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राजमार्ग रागहीरों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. हल्की सी बारिश में मार्ग जहां जगह-जगह स्लाइड आने से बंद हो रहा है वहीं बरसात के चलते पूस्ते टूट रहे हैं और मार्ग जानलेवा बना हुआ है.
राजमार्ग मुख्य रुप से सिरोबगड, बांसवाडा सेमी भैसारी, सेरसी, फाटा व मुण्डकटिया में बंद हो रहा है. कल देर रात से मार्ग बांसवाडा में बंद रहा जो आज दोपहर में खुल पाया. बारिश ने जहां प्रशासन के इंतेजामों की पोल खोल कर रख दी है वहीं राजमार्ग महकमें की लचर कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया है.
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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामदत्त जोशी सरकार से अब तक मिले प्रशस्ति पत्र तथा शॉल 15 अगस्त को लौटाएंगे। वे गांव में एक सड़क नहीं बनने से खफा हैं। उन्होंने कहा कि वे अब तक सरकार की तरफ मिले सभी सम्मान तहसीलदार को सौंपेंगे। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा लेसानी गांव के निवासी राम दत्त जोशी ने कहा कि सभी सरकारों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की उपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि 22 अक्तूबर 2013 को तत्कालीन सीएम ने बनलेख से लेसानी गांव तक दो किमी सड़क बनाने की घोषणा की। 2015 में शासन ने स्वतंत्रता सेनानियों के गांव को मुख्य सड़क मार्ग से लिंक करने के आदेश निर्गत किए। उनके गांव का भी शासनादेश जारी किया गया, लेकिन अभी तक सड़क नहीं बन सकी है।

उन्होंने कहा कि उनके गांव में सीसी मार्ग तथा पानी की व्यवस्था तक नहीं है। खंड विकास अधिकारी ने इस पर जांच की और मनरेगा के तहत कार्य योजना रखने के नर्दिेश दिए। उन्होंने कहा कि अब वे निराश तथा हताश महसूस कर रहे हैं। यदि 15 अगस्त तक सड़क का नर्मिाण कार्य प्रगति पर नहीं आया तो वे शासन से प्रदत्त सभी सम्मान पत्र वापस करेंगे। जिसकी पूरी जम्मिेदारी प्रशासन की होगी।

बागेश्वर के जौलकांडे गांव में गुरुवार को लकड़ी, पत्थर और मिट्टी से बने पांच मकान बारिश की भेंट चढ़ गए हैं। सभी परिवार बेघर हो गए हैं। मकान गिरने की सूचना के बावजूद भी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है। अलबत्ता किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। दूसरी ओर बुधवार रात बारिश से पिथौरागढ़ में पिथौरागढ़-टनकपुर नेशनल हाईवे पांच घंटे बंद रहा। गरुड़-बागेश्वर एनएच मोटर मार्ग भी सुबह आधे घंटे के लिए बंद रहा।

जौलकांडे के ग्राम प्रधान ने हिन्दुस्तान को बताया कि अत्यधिक बारिश के चलते गांव के हरीश राम, दानुली देवी, गोविंद राम तथा चंदन राम का मकान ध्वस्त हो गए हैं। सभी गरीब परिवार हैं और उनके पास दो वक्त की रोटी भी नहीं बची है। पीड़ितों ने गांव के अन्य लोगों के यहां शरण ली है। उधर, चामी गांव में जीवन राम का मकान भी ध्वस्त हो गया है।
बागेश्वर जिले की 11 सड़कें बंद हो गईं। कपकोट-बागेश्वर मोटर मार्ग कभड़भ्योल के समीप आवागमन के लिए खुल गया है। कपकोट-बागेश्वर मोटर मार्ग में पहाड़ गिरने से वह गत दिवस अवरुद्ध हो गया था। लोनिवि ने चार जेसीबी मशीनों के जरिए सड़क को आवागमन के लिए खोल दिया है, लेकिन पहाड़ से अभी भी पत्थर तथा मिट्टी गिर रही है। इससे दुर्घटना का भय बना हुआ है।
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पहाड़ो की रानी का स्वास्थ्य इन दिनों बेहद खराब चल रहा है.सरकार के उदासीन रवैये के चलते शहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण पिछले पांच सालों से अधर में लटका है जिसके चलते शहर की स्वास्थ्य सेवा पर बुरा असर पड़ रहा है.
मसूरी का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन को 2011 मे तोड़ दिया गया था.नए स्वास्थय केन्द्र का निर्माण उस वक्त 3 करोड़ 49 लाख में होना था.साथ ही भवन को 2013 में बनकर तैयार करना था.लेकिन आज तक भवन का पुरा निर्माण नही हो पाया.अब भवन की निर्माण लागत बढ़कर 5 करोड़ 90 लाख हो गई .लेकिन आज तक शासन स्तर से बजट जारी नहीं हो पाया है. सरकार की लापरवाही के कारण मसूरी का सीएचसी चिकित्सकों के आवास में संचालित हो रहा है जिससे चिकित्सक के पास आवास की समस्या और बढ गई है.सीएचसी प्रभारी डां0 विनोद नौटियाल का कहना है कि अस्पताल भवन निर्माण का मामला शासन स्तर पर लंबित है.
मसूरी में किसी बिमार को अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करने की जरुरत पड़ जाए तो मरीज को भर्ती करने के लिए कोई स्थान उपलब्ध नही है.शहर का सैंट मैरी अस्पताल मात्र रेफर सेंटर बन गया है.जिससे शहर की स्वास्थ्य सेवा खुद ही बीमार हो गई है.

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