खनन विभाग में ऑन लाइन ई निविदा – माफिया से मिलकर बड़ा खेल

उत्तराखंड में खनन विभाग में ऑन लाइन ई निविदा का प्रयोग – खनन पट्टों की नीलामी के लिए जारी की गई ई-टेंडरिंग में हुए घालमेल #विभाग के कुछ अधिकारियों ने खनन माफिया से मिलकर बड़ा खेल किया है# विभाग ने 99 खनन पट्टों की नीलामी के लिये ई-निविदा आमंत्रित की, तो उसमें व्यक्ति की समिति के साथ में कम्पनी या फर्म शब्द भी जोड़ दिया। जिसका लाभ उठाते हुए बाहरी जिलों की कम्पनियों व फर्म ने भी इन पट्टों के लिए टेंडर डाल दिये। 

वही दूसरी ओर उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार की एक साल की उपलब्धियों में खनन विभाग को टॉप पर शुमार किया जा रहा है. प्रदेश में आबकारी विभाग के बाद खनन विभाग राजस्व प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत है. बताया गया है कि इस साल खनन विभाग में ऑन लाइन ई निविदा का सफल प्रयोग किया और खनन क्षेत्रों की ई नीलामी से विभाग को करीब सात गुना अधिक राजस्व भी प्राप्त हुआ. खनन विभाग में ई निविदा के सफल प्रयोग के बाद अब आबकारी विभाग में इसे दोहराने की तैयारी चल रही है. 40 में से 34 खनन पट्टों के ई-टेंडर निरस्त होने के बाद अब सिर्फ शेष रहे 6 खनन पट्टों की टेक्निकल बिड ही खोली जायेंगी। उसके बाद इन 6 पट्टों की ई-नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
जबकि चर्चा यह रही कि सरकार ने पांच जनपदों के 99 पट्टों की ई-नीलामी के लिये निविदा आमंत्रित की लेकिन इनमें से अधिकांश के लिये न्यूनतम तीन निविदायें भी नहीं आयीं। खनन पट्टों की ई-नीलामी करने की सरकार की मंशा को झटका लगा है।
उत्तराखण्ड में खनन कारोबार से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है। लेकिन पारदर्शिता की कमी व माफिया के हस्तक्षेप से यह कारोबार अवैध तरीके से होने लगा है, जिससे सरकार को उतना राजस्व नहीं मिल पाता कि जितना मिलना चाहिये। खनन के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिये त्रिवेन्द्र सरकार ने अक्टूबर में उप खनिज परिहार संशोधन नियमावली पर अपनी मुहर लगाई थी।
उत्तराखण्ड में उपखनिज परिहार संशोधन नियमावली लागू होने के बाद खनन पट्टों का आवंटन पहली बार ई-नीलामी के जरिये किया जा रहा है। संशोधित नियमावली में प्रावधान रखा गया कि प्रदेश में सरकारी, अर्धसरकारी के साथ ही निजी पट्टों को ई-नीलामी के जरिये आवंटित किया जाएगा। हाल ही में सरकार ने पांच जिलों के 99 पट्टों की ई-नीलामी के लिए निविदायें आमंत्रित की थीं।
लेकिन इनमें से सिर्फ 40 पट्टों के लिए ही न्यूनतम (तीन-तीन) निविदायें विभाग को मिलीं। लिहाजा विभाग इन 40 पट्टों की निविदायें खोलने की तैयारी कर रहा था और शेष 59 पट्टों के लिए नये सिरे से निविदायें आमंत्रित की जानी थीं। इसी बीच विभाग को शिकायत मिली कि जिन 40 खनन पट्टों की निविदायें स्वीकार हुई हैं। उनमें विभाग के कुछ अधिकारियों ने खनन माफिया से मिलकर बड़ा खेल किया है।
नियमावली के तहत खनन की नीलामी दो चरणों में होनी है। पहले खनन के छोटे लॉट बनाए जाएंगे। इसके बाद यह आकलन किया जाएगा कि इनमें कितना खनिज मौजूद हैं।
इसके बाद निश्चित खनिज का मानक बनाकर यह देखा जाएगा कि कौन यहां से कौन कितना खनन कर सकता है।आवेदक की ओर से बताए गए सबसे अधिक खनिज को बेस प्राइज माना जाएगा। इसके बाद सबसे अधिक खनिज बताने वाले पांच आवेदकों को लेकर ऑनलाइन टेंडरिंग की जाएगी।नियमावली में की गई व्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति अधिकतम 400 हेक्टेयर अथवा पांच पट्टों पर ही खनन कर सकेगा।

शिकायत थी कि नियमावली के विरुद्ध जिले के बाहर की कम्पनियों अथवा फर्म ने भी ई-टेंडरिंग में निविदायें डाली हैं, जो नियम के खिलाफ है। जांच करने पर पाया गया कि 40 में से 34 निविदाओं में नियमावली का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद शासन ने इन 34 निविदाओं को निरस्त कर दिया। खनन विभाग के निदेशक विनय शंकर पाण्डेय ने 34 खनन पट्टों के ई.टेंडर निरस्त किये जाने की पुष्टि की है।

प्रदेश में उपखनिज बालू, बजरी, बोल्डर, सोप स्टोन, मैगनेसाईट, लाइम स्टोन, स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, प्लवराईजर प्लांट, उपखनिज भंडारण के 1,217 पटटे, लाइसेंस आवंटित हैं. इसके बावजूद बीते सालों में अवैध खनन, रवन्ने की ठोस प्रक्रिया न होने के चलते अपेक्षित राजस्व हासिल नहीं किया जा सका, लेकिन इस वर्ष खनन विभाग ने मार्च मध्य तक ही राजस्व प्राप्ति के पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं.

साल 2016-17 में खनन विभाग ने कुल 325 करोड़ का राजस्व हासिल किया था. जबकि इस वर्ष 15 मार्च तक खनन विभाग 383 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त कर चुका है. पिछले साल के कुल राजस्व लक्ष्य से 58 करोड़ रुपये अधिक है.

खनन विभाग के निदेश विनय शंकर पांडेय ने बताया कि इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि राज्य में उपलब्ध खनन क्षेत्रों के आवंटन के लिए पहली बार ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया की शुरूआत करना रही. ई-टेंडरिंग के बाद इन खनन क्षेत्रों की ऑनलाइन नीलामी की गई. जो बेहद सफल रही. आगामी वित्त वर्ष में इससे शानदार परिणा देखने को मिलेंगे. उन्होंने बताया कि खनन विभाग में ई-नीलामी की प्रक्रिया अभी जारी है. हरिद्वार और नैनीताल जिलों के सात खनन पट्टों की ई-नीलामी हो चुकी है. इन पट्टों का आधार मूल्य 12 करोड़ 72 लाख रुपये था, लेकिन ऑनलाइन नीलामी में ये पट्टे करीब सात गुना अधिक 82 करोड़ 15 लाख रुपये में छूटे. अभी करीब सौ खनन पट्टों की नीलामी होनी बाकि है.

बहरहाल, 31 मार्च को खनन विभाग जब इस वित्तीय वर्ष में प्राप्त राजस्व का आंकलन कर रहा होगा, तो प्राप्त आंकड़ा पिछले 17 सालों में खनन से मिलने वाले सर्वाधिक राजस्व को दर्शा रहा होगा. ये खनन विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि तो होगी ही और खनन में इस पारदर्शी व्यव्स्था का सरकार भी श्रेय जरूर लेगी.
उप खनिज परिहार संशोधन नियमावली में प्रावधान है कि 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के खनन पट्टों की ई-निविदा में सम्बंधित जिले का व्यक्ति या उसकी समिति, जो कि को-ऑपरेटिव सोसायटी के तहत पंजीकृत हो, ही निविदा डाल सकेंगे। लेकिन जब विभाग ने 99 खनन पट्टों की नीलामी के लिये ई-निविदा आमंत्रित की, तो उसमें व्यक्ति की समिति के साथ में कम्पनी या फर्म शब्द भी जोड़ दिया। जिसका लाभ उठाते हुए बाहरी जिलों की कम्पनियों व फर्म ने भी इन पट्टों के लिए टेंडर डाल दिये।
विनय शंकर पाण्डेय (निदेशक खनन विभाग)का कहना है कि नई प्रक्रिया को धरातल पर उतारने में थोड़ा समय लगता है। ई-टेंडरिंग में कई बार ऐसा हो जाता है कि किसी काम के लिये न्यूनतम निविदा भी न मिले।

 

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