जनता के हितों से ज्यादा शराब को बचाने की प्राथमिकता

#राष्ट्रीय राजमार्गो को डिस्ट्रिक रोड में बदलने का दुष्चक्र #पहाड़ में शराब एक साजिश   #गांधी और गोलवलकर के चेलों को शराब चाहियेः पुष्पेश त्रिपाठी  ; www.himalayauk.org (Newsportal) 
उत्तराखंड क्रान्ति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि पहाड़ में शराब एक साजिश है जिसे बहुत सुनियोजित तरीके से स्थापित किया जा रहा है ताकि लोगों के दिमाग कुंद किये जायें और पहाड़ को मनमाने ढ़ग से लूट का उपनिवेश बनाया जा सके। इस पूरे कुचक्र में व्यवस्था सफल रही है और शराब के माध्यम से राजनीतिक दलों ने सत्ता में पहुंचने का रास्ता तैयार कर दिया है। यही वजह है कि भाजपा जो भारी बहुमत से सत्ता में आई है उसके लिये जनता के हितों से ज्यादा शराब को बचाने की प्राथमिकता हो गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा शराब तंत्र से इतनी डरी हुई है कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट तक चली गई। इतना ही नहीं कोई यह सोच भी कैसे सकता है कि जनता के सवालों को हल करने के नाम पर कोई पार्टी इतना नीचे गिर सकती है कि शराब जैसी जनविरोधी वस्तु को बचाने के लिये वह राष्ट्रीय राजमार्गो को डिस्ट्रिक रोड में बदलने का दुष्चक्र कर दे। इससे साफ हो जाता है कि भाजपा बहुत सुनियोजित तरीके से शराब को पहाड़ में स्थापित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्रीय राजमार्ग अभी तक हैं वह कम से कम सुविधा की दृष्टि से अच्छे बन रहे थे उन्हें भाजपा ने बख्श देना था। अगर भाजपा को शराब से इतना ही प्रेम है तो उनके लिये सही रास्ता यह था कि वह अपने धार्मिक एजेंड के अनुरूप शराब को ‘गंगाजल’ घोषित कर देती। वैसे ही जैसे वह दूसरी पार्टियों आये भ्रष्ट लोगों को भाजपा में शामिल कर उन्हें ईमानदारी का प्रमाण पत्र बांटती रहती है। अब तय हो गया है कि गांधी और गोलवलकर के चेलों को शराब चाहिये।
श्री त्रिपाठी ने भाजपा-कांग्रेस दोनों को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि इन दोनों पार्टियों ने पहाड़ में राजनीतिक रास्ते से शराब परोसी है। इतिहास गवाह है कि जिस साजिशन अंग्रेज यहां शराब लाये इन पार्टियों ने आजादी के बाद लगातार इसे आगे बढ़ाया। बीच में जब कभी यहां शराबबंदी की बात हुई भी या लागू भी हुई तो इन्होंने नीतियां बदलकर इसे फिर से लागू कराने में सफलता प्राप्त की। जब अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1977 में तीन पर्वतीय जिलों सहित पांच जिलों में शराबबंदी लागू हुई थी तो इन्हीं लोगों ने उसे खुलवाने के लिये तिकडमें की। अस्सी के दशक में पहाड़ में शराब माफिया को पनपाने का जो काम कांग्रेस ने किया उसे भाजपा अब आगे बढ़ा रही है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि राजनीतिक दलों का शराब के प्रति कितना अनुराग है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछली सरकार के मुखिया हरीश रावत ने अस्सी के दशक में सुरा के सबसे बड़े व्यवसायी के नाम पर कुमाऊं विश्वविद्यालय अल्मोड़ा परिसर के होटल मैनेजमेंट संस्थान कर दिया। यह न केवल पहाड़ की अस्मिता के साथ खिलवाड़ था, बल्कि सुनियोजित तरीके से अपसंस्कृति को आगे बढ़ाने का कुकृत्य भी था।
श्री त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि भाजपा जिस प्रचंड बहुमत से जीती है उसमें खनन और शराब माफिया का बहुत बड़ा योगदान है। राज्य में जब भी आबकारी नीति बनाकर उसे माफियामुक्त करने की बात आती है भाजपा उनके पक्ष में खड़ी हो जाती है। उनका तर्क होता है कि राज्य में राजस्व का यही सबसे बड़ा साधन है। भाजपा-कांग्रेस के पास सोचने-समझने वालों की भारी कमी रही है। वे हमेशा पहाड़ को कैसे नोंचा-खरोंचा जाये इसी उधेड़बुन में लगे रहते हैं। यही वजह है कि उन्हें स्थानीय धरोहरों से राजस्व प्राप्ति करने की नीति बनाना समझ में नहीं आता। वे हमेशा ऐसी नीतियों के समर्थक हैं जिससे पूंजीपतियों का भला हो। पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के चुनाव में शराब परोसने के लिये जिस तरह के नारे लोगों ने दिये वे इनकी करतूतों को खोलने के लिये काफी है। उन्होंने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि भाजपा-कांग्रेस में बहुत सारे जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जो खुले रूप से शराब कारोबारियों को संरक्षण देते रहे हैं। अब चूंकि उत्तराखंड में ‘कांग्रेसयुक्त भाजपा’ का शासन है इसलिये यह पहचान पाना भी मुश्किल है कि कल तक जिन लोगों के शराब को संरक्षण देते के कसीदे हम अखबारों में पढ़ रहे थे वे कब भाजपा का चोला पहल कर शुद्ध हो गये पता ही नहीं चला। शराब को संरक्षण देने की भाजपा की ‘संघी’ सरकार की पोल खुल गई है। राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र बांटने वाले लोग कहां खड़े हैं। यह सबने देख लिया है।

पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि भाजपा न केवल शराब को सुनियोजित तरीके से लाना चाहती है, बल्कि वह खनन माफिया को भी खुला संरक्षण देती रही है। कांग्रेस तो पहले से ही इनकी समर्थक रही है। श्री त्रिपाठी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि यह कैसी देशभक्तों की सरकार है जो हाईकोर्ट के दो निर्णयों शराब और खनन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाती है। जबकि होना यह चाहिये था कि इस सरकार को हाईकोर्ट के फैसले को नजीर मानते हुये गलत कामों के खिलाफ जनता के बीच जनविश्वास पैदा करना चाहिये था। उल्टा यह जनपक्षीय ओदशों को अपने कानूविदों के माध्यम से गलत दिशा में ले जा रही है। खनन पर भी अब रोक हटाने के आदेश से राज्य के लोगों के सामने भाजपा ने ‘दो इंजन वाली सरकार की जगह’ ‘दो इंजन का माफिया’ खड़ा कर दिया है। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का बयान चैंकाने वाला था जिसमें उन्होंने नदियों में खनन नहीं चुगान करने की बात कही थी। और अपनी बाते के समर्थन मे तर्क दिया था कि चुगान पर्यावरणीय दृष्टि से जरूरी है। इस बहाने वे खनन को प्रमोट कर रहे थे। अगर ऐसा नहीं होता तो उन्हें यह तो पता ही होगा कि नदियों में खनन का नहीं चुगान का ही पट्टा दिया जाता है। यह अलग बात है कि इस चुगान की आड़ पर माफिया पूरी नदियों को खोद डालते हैं। भाजपा ऐसे जुमले गढ़ने में माहिर रही है। उसने नया जुमला गढ़ दिया चुगान होना चाहिये। इसी चुगान को खनन के बदलने वाले गोला और अन्य नदियों के माफिया भाजपा-कांग्रेस की नेताओं की नई पोंध पैदा करती है। जब भी गोला में चुगान (खनन) कापट्टा खुलता है, हल्द्वानी की सड़कें भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को धन्यवाद देने वाले होर्डिंग से पट जाती हैं। हमने देखा कि बाद में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं के परिजनों की शादी तक में खाने-पीने और होटलों में रहने तक का इंतजाम ये चुगान (खनन) व्यापारी करते रहे हैं।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि जनता के सामने अब कोई विकल्प नहीं बचा है। भाजपा ने जिस तरह से मोदी लगहर में पहाड़ के लोगों को चुनाव में सब्जबाग दिखाये हैं वे टूट गये हैं। अब यह बात साफ हो गई है कि ‘कांग्रेस सहित भाजपा’ के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि पिछले चुनाव से भाजपा ने जनता की एक दुविधा को दूर कर दिया कि लड़ाई भाजपा के खिलाफ लड़नी है या कांग्रेस के खिलाफ। अब तय हो गया है कि ये दोनों साथ पहाड़ को लूटने की साजिश रच रहे हैं। पिछले चुनाव में जिन 13 लोगों को भाजपा महाभ्रष्ट बता रही थी अब वे उनकी ‘राष्ट्रभक्त’ पार्टी में हैं। उन्होंने जनता का आह्वाहन किया कि लंबी और बदलाव की लड़ाई को बढ़ाने के लिये सब एकजुट हों।

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