लोगों ने जनता का मूड भांप लिया – भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर से अपनी ही पार्टी पर हमला बोला है। इस बार उन्होंने NDA से घटक दलों द्वारा नाता तोड़ने को लेकर निशाना साधा है। ‘NDTV ऑनलाइन’ पर लिखे लेख में यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘NDA से (घटक दल) क्यों पीछा छुड़ाने लगे हैं? इसकी वजह तलाशने के लिए दूर नहीं जाना होगा। उन लोगों ने जनता का मूड भांप लिया है जो निर्णायक तौर पर भाजपा के खिलाफ हो चुका है। बेहतर साबित होने के बजाय बीजेपी उनके लिए बोझ बन चुकी है। नीतीश कुमार NDA में शामिल होने वालों में सबसे नए हैं, लेकिन उनके उम्मीदवार को जहानाबाद विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में आरजेडी के हाथों करारी शिकस्त मिली है। NDA से पीछा छुड़ाने की प्रक्रिया समय में बदलाव की एक और निशानी है।’

यशवंत सिन्हा ने लिखा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुछ सहयोगी होंगे, लेकिन गठबंधन का स्वरूप और आकार वह नहीं होगा जो अभी है। उनके मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनावों के बाद त्रिपुरा में जीत हासिल करने पर बीजेपी के प्रति धारणा में भी बदलाव आया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बीजेपी के रवैये से NDA के सहयोगी दलों के नाखुश होने की भी बात कही है। उन्होंने लिखा, ‘ऐसा लगता है जैसे भाजपा के व्यवहार से सिर्फ शिवसेना ही नहीं बल्कि अन्य सहयोगी दल भी नाखुश हैं। TDP अपने 16 सांसदों के साथ पहले कैबिनेट से अपने मंत्रियों को हटा लिया था और बाद में NDA से अलग हो गई। इतना ही नहीं TDP ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया है। पंजाब में अकाली दल बार-बार अपनी नाखुशी जाहिर कर रहा है। NDA में शामिल होने वाले जीतन राम मांझी अब यूपीए में शामिल हो चुके हैं। बिहार में ही तीन सांसदों के साथ उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरजेडी के साथ दोस्ताना हो रही है। यहां तक कि रामविलास पासवान भी बीजेपी को उपदेश दे रहे हैं, जिन्हें लालू यादव ने एक बार सबसे बेहतरीन ‘वेदर साइंटिस्ट’ करार दिया था। ओम प्रकाश राजभर ने राज्यसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान न करने की धमकी दी है। कई अन्य दल भी व्याकुल हैं।’

 

‘NDA से (घटक दल) क्यों पीछा छुड़ाने लगे हैं? इसकी वजह तलाशने के लिए दूर नहीं जाना होगा। उनलोगों ने जनता का मूड भांप लिया है जो निर्णायक तौर पर भाजपा के खिलाफ हो चुका है। बेहतर साबित होने के बजाय बीजेपी उनके लिए बोझ बन चुकी है  इसमें कोई संदेह नहीं कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुछ सहयोगी होंगे, लेकिन गठबंधन का स्वरूप और आकार वह नहीं होगा जो अभी है। उनके मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनावों के बाद त्रिपुरा में जीत हासिल करने पर बीजेपी के प्रति धारणा में भी बदलाव आया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बीजेपी के रवैये से NDA के सहयोगी दलों के नाखुश होने की भी बात कही है। उन्होंने लिखा, ‘ऐसा लगता है जैसे भाजपा के व्यवहार से सिर्फ शिवसेना ही नहीं बल्कि अन्य सहयोगी दल भी नाखुश हैं। TDP अपने 16 सांसदों के साथ पहले कैबिनेट से अपने मंत्रियों को हटा लिया था और बाद में NDA से अलग हो गई। इतना ही नहीं TDP ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया है। पंजाब में अकाली दल बार-बार अपनी नाखुशी जाहिर कर रहा है। NDA में शामिल होने वाले जीतन राम मांझी अब यूपीए में शामिल हो चुके हैं। बिहार में ही तीन सांसदों के साथ उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरजेडी के साथ दोस्ताना हो रही है। यहां तक कि रामविलास पासवान भी बीजेपी को उपदेश दे रहे हैं,

 

यह कोई पहला मौका नहीं है जब यशवंत सिन्हा ने भाजपा की आलोचना की है। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने नोटबंदी को लेकर मोदी पर निशाना साधा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि नोटबंदी से घोषित उद्देश्यों में से किसी को भी पूरा नहीं किया जा सका। सिन्हा ने मोदी का नाम लिये बिना कहा था कि इस सरकार में केवल एक व्यक्ति ही नीतियां बनाता है तथा नोटबंदी से पहले किसी को भी विश्वास में नहीं लिया गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना मोहम्मद बिन तुगलक से कर डाली थी।

हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो)

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