गुजरात में चूके तो योगी सुपर पावर; आरएसएस ताे गदगद है योगी से

80 MP सीटों वाली यूपी से शायद योगी ज्यादा ताकतवर बन सकते हैं# मोदी की राह पर योगी !  

गुजरात में “भिलीस्तान आंदोलन” भाजपा के लिए बडी चुनौती

आदिवासी समाज में भारी विद्रोह #मोदी का मुख्य निशाना गुजरात #गुजरात चुनाव एक बड़ी चुनौती है # 2019 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है गुजरात के विधानसभा चुनाव #गुजरात में भाजपा का धरातल कमजोर #दलों की दौड़ ‘येन-केन-प्रकारेण’ भाजपा को हराना #भाजपा को हराने की सकारात्मक संभावनाएं  क्यों #आदिवासी नेताओं की उपेक्षा, भिलीस्तान जैसी समस्या आदि चुनौतियां  #गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत का रास्ता सुगम नहीं  # राज्य के आदिवासी इलाकों में षडयंत्रपूर्वक भिलीस्तान आंदोलन खड़ा किया जा रहा है  #  गुजरात के आदिवासी समाज की उपेक्षा  # www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND) Leading Digital & Daily Newspaper.

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संघ परिवार के वरदहस्त के साथ अगर योगी ने मोदी की तरह विकास की राह पकड़ ली तो तमाम आलोचनाओं के बावजूद योगी कुछ वक्त बाद मोदी की राह पर होंगे. अगर 26 सीटों वाले गुजरात से मोदी देश के भीतर इतने ताकतवर बनकर उभर सकते हैं तो 80 MP सीटों वाली यूपी से शायद योगी ज्यादा ताकतवर बन सकते हैं.
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी के भीतर का बदलाव अनायास नहीं है. योगी को मालूम है कि अगर यूपी जैसे बड़े प्रदेश में सरकार चलानी है तो केवल बयानबाजी और बड़बोलेपन भर से काम नहीं चलने वाला है. इसके लिए जनता के हित से जुड़े बेहतर काम भी करके दिखाना होगा.
लगता है योगी ने मोदी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर ही यूपी मॉडल को इजाद करने की तैयारी शुरू कर दी है. जहां केवल विकास, विकास और विकास की बात होती है.
यूपी के मुख्यमंत्री का पद संभालने के साथ ही योगी आदित्यनाथ इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं. चर्चा इस बात की हो रही है, कि तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरकार योगी आदित्यनाथ को ही यूपी का सरताज क्यों बना दिया?
क्या यह मोदी-शाह की रणनीति का हिस्सा था या फिर संघ का दखल, इस पर बहस जारी है. हकीकत तो यही है कि भगवाधारी योगी को यूपी की कमान सौंपी जा चुकी है. यूपी के भीतर अब योगी राज का आगाज हो चुका है.
मोदी-मोदी के साथ अब योगी-योगी के नारे लगने लगे हैं. हिंदुत्व के झंडाबरदार और भगवा ब्रिगेड के एजेंडे को आगे बढ़ाने के प्रतीक के तौर पर योगी आदित्यनाथ को देखा जाने लगा है.
इसकी शुरूआत यूपी के भीतर दिखने भी लगी है, जब सरकार बनने के बाद सबसे पहले यूपी के भीतर हिंदुत्व के एजेंडे को लागू करने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. सबसे पहले यूपी के भीतर चल रहे अवैध कत्लखाने बंद होने लगे हैं और एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन कर दिया गया है.
चुनावों के वक्त बीजेपी की तरफ से इन मुद्दों के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश हुई थी जिसका बीजेपी को फायदा भी मिला. अब योगी की अगुआई में इसी एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है.
कान में कुंडल, भगवा चोला और योगी के वेश-भूषा में रहने वाले गोरक्षपीठ के महंथ योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी मात्र ही हिंदुत्व के पोस्टर ब्वाय के रूप में उन्हें आगे कर देती है. उनके विवादित बोल तो पहले से ही उनकी कट्टरपंथी छवि को उजागर करते रहते हैं.
गोरखपुर और आस-पास के इलाकों में एक समानांतर संगठन के जरिए योगी अबतक अपनी मनमानी करते रहे हैं. हिंदू युवा वाहिनी नामक संगठन के जरिए योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर मुहिम चलाते रहे हैं. कहा जाता है कि यूपी में सरकार किसी की रहे गोरखपुर में योगी की ही सरकार चलती है.
योगी के हाथों में यूपी की बागडोर आने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि शायद यूपी में विकास का मुद्दा पीछे छूट जाएगा और हिंदुत्व ज्यादा हावी हो जाएगा.
लेकिन, यूपी की कमान संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को दोहराकर एक संदेश देने की कोशिश की है.
योगी भी इस बात को समझते हैं कि अगर वो विकास की राह पर चलकर यूपी के भीतर भयमुक्त बेहतर शासन दे पाए तो अपने उन तमाम आलोचकों का मुंह बंद कर देंगे जो अबतक उनकी प्रशासनिक काबिलियत पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लोकसभा सांसद के तौर पर सदन के भीतर उनके भाषण से वो सारी बातें साफ होती नजर आ रही हैं. लोगों के मन की शंका के बादल को हटाने की कोशिश करते दिखते हैं. जिसमें योगी दंगामुक्त प्रदेश बनाने की बात पर जोर दे रहे हैं.
लव जेहाद से लेकर घर वापसी तक और आईएसआई से लेकर मुस्लिम जनसंख्या को लेकर लगातार हमलावर योगी अब जीडीपी की बात करने लगे हैं.
मुख्यमंत्री रहते मोदी ने जिस गुजरात मॉडल को आगे बढ़ाया, उसमें विकास के साथ ही भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की बात थी और जहां कानून का राज था. प्रखर हिंदुत्ववादी नेता की मोदी की छवि एक सख्त शासक की थी जो विकास के मॉडल के साथ मिलकर मोदी को एक बड़े ब्रांड के रूप में स्थापित कर गई.
योगी की छवि भी यूपी के भीतर भी ठीक वैसी ही है एक प्रखर हिंदुत्ववादी नेता की. अगर विकास के साथ योगी एक सख्त प्रशासक की भूमिका में अपने-आप को स्थापित कर पाए तो वो भी मोदी की तरह ही एक बड़े ब्रांड के तौर पर सामने आ सकते हैं.
योगी की शैली भी एक ऐसे वक्ता की है जो चुटीले अंदाज में अपने विरोधियों पर वार करता है तो कभी उन्हें खुली चुनौती देकर ललकारने भी लगता है. योगी की लोकप्रियता भी यूपी में काफी है. मुख्यमंत्री बनते ही योगी-योगी के नारे लगने शुरू हो गए है.

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