क्या युवा वर्ग का रुख कुछ संकेत दे रहा है.

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की विशेष प्रस्‍तुति-

पटेलो  की नाराज़गी बीजेपी को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.  वही दूसरी ओर क्या युवा वर्ग का रुख कुछ संकेत दे रहा है. इन संकेतों के पीछे बेरोजगारी ; हाल के दिनों में छात्र राजनीति के मैदान में बीजेपी को मात खानी पड़ी है. हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल ब्‍यूरो रिपोर्ट- 

हाल के दिनों में छात्र राजनीति के मैदान में बीजेपी को मात खानी पड़ी है.
इस साल के अंत में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसी के मद्देनज़र कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज तीन दिन के दौरे पर गुजरात पहुंचे हैं. राहुल के गुजरात दौरे के साथ ही सूबे की सियासत गरमा गई है. बीजेपी से सख्त नाराज़ पटेल समाज के नेता हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी के गुजरात दौरे पर उनका स्वागत किया है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि हार्दिक पटेल ने किसी राजनीतिक गठबंधन के संकेत दिए हैं.
हार्दिक पटेल ने राहुल के आगमन के मौके पर ट्वीट करते हुए कहा, “कहा कि अगर राहुल गांधी आरक्षण का वादा करती है तो वो कांग्रेस को समथन देने को तैयार हैं. कोंग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल जी का गुजरात में हार्दिक स्वागत हैं. जय श्री कृष्णा.” हार्दिक पटेल अपने समाज के आरक्षण के लिए बीते दो साल से आंदोलनरत है, लेकिन बीजेपी उनकी मांग को ठुकराती रही है. उनपर देशद्रोह का केस भी दर्ज किया गया और उन्हें जेल भी जानी पड़ी.
चुनाव विश्लेषकों की माने तो हार्दिक पटेल की नाराज़गी दरअसल पटेल समाज की नाराज़गी है और अगर विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें नहीं मनाया गया तो बीजेपी को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
गुजरात में बीते चार चुनावों में बीजेपी लगातार जीत रही है. 1998 से ही बीजेपी सत्तासीन है, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद सूबे में बीजेपी को भारी विरोध का सामना है. मोदी लगातार 13 साल सीएम रहे, लेकिन उनके बाद सीएम बनीं आनंदीबेन पटेल को दो साल बाद ही सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा.

क्या युवा वर्ग का रुख कुछ संकेत दे रहा है. इन संकेतों के पीछे बेरोजगारी
हाल के दिनों में छात्र राजनीति के मैदान में बीजेपी को मात खानी पड़ी है.
ऐसे कैसे बचेगी और पढ़ेंगी बेटियां
दिल्ली से लेकर हैदराबाद में एबीवीपी को पिटना पड़ा है. कहीं कांग्रेस जीती है तो कहीं वाम दलों का महागठबंधन. जो बीजेपी 2019 के चुनावों में पहली बार वोट देने वाले करीब तीन साढे तीन करोड़ युवा वोटरों पर नजर रखे हैं उस बीजेपी का इस तरह छात्र राजनीति में पिटना एक चिंता का कारण होना चाहिए. क्या युवा वर्ग का रुख कुछ संकेत दे रहा है. इन संकेतों के पीछे बेरोजगारी है,
जिस राज्य में बेटियों को शोहदों से बचाने के लिए एंटी रोमियो स्काड बनाए गए और थानों में विशेष व्यवस्था की गयी उसी राज्य के एक शहर में शोहदें क्यों मनमानी करते रहे. कहां गया शहर का एंटी रोमियो दल. सोशल मीडिया में इस खबर पर यूनिवर्सिटी से लेकर सरकार तक की जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही है. कांग्रेस नेताओं के काशी दौरे शुरु हो गये हैं. समाजवादी पार्टी भी विरोध कर रही है. घटना के बाद राजनीति उबाल पर है. उसकी वजह भी है. बीएचयू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव क्षेत्र का हिस्सा है. और लड़कियां तब धरने पर बैठी थीं जब वो खुद वहां के दौरे पर थे. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि खुद प्रधानमंत्री ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा दिया है और फिर अगर उन्हीं के इलाके में इस तरह की घटना हो तो फिर ऐसे कैसे बचेगी और पढ़ेंगी बेटियां.
मामला सिर्फ बीएचयू तक सीमित होकर नहीं रह गया है दूसरे जिलों से या राज्यों से बीएचयू आकर वहां पढ़ रही बेटियों के परिजन तो ज्यादा ही चिंतित हैं. ऐसे परिजन देश भर में फैले हुए हैं. आखिर जिस देश की 60 फीसद से ज्यादा आबादी 35 साल से कम हो और जहां महिलाओं की संख्या करीब करीब बराबर की हो उस देश में अगर बेटियों को छेड़खानी के विरोध में धरना देना पड़े और बदले में लाठी खानी पड़े तो फिर सवाल तो उठेंगे ही और सोशल मीडिया में तंज भी कसे जाएंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की छात्राओं ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुई घटना के विरोध में प्रदर्शन किया ।
प्रदर्शनकारी छात्राएं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्राओं के साथ हुई कथित पुलिस ज्यादती के विरोध में कल सड़कों पर उतरीं और नारेबाजी की । प्रदर्शनकारी छात्राओं के एक प्रतिनिधि ने बताया कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर इस प्रकरण में हस्तक्षेप का आग्रह किया है । उन्होंने कहा कि एएमयू की छात्राएं इस समय सदमे से गुजर रहीं बीएचयू की अपनी बहनों को कभी अकेला नहीं छोड़ेंगी । ज्ञापन में कहा गया कि बीएचयू के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय राज्य प्रशासन मामले को रफा दफा करने में लगा है ।
प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन जिला प्रशासन के एक अधिकारी को सौंपा ताकि वह इसे राष्ट्रपति को भेज सकें ।

वहीं  कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के नेतृत्व में सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं पर हुई पुलिस की कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। बीएचयू की ये छात्राएं वाराणसी में बीएचयू परिसर में एक छात्रा के साथ कथित छेड़छाड़ के विरोध में प्रदर्शन कर रही थीं। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्राओं पर शनिवार रात पुलिस के लाठीचार्ज के बाद उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने पर असफल रहने पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना की। 

एनएसयूआई समर्थकों ने मोदी और योगी विरोधी नारेबाजी के बीच संवाददाताओं को बताया, “मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियान चला रहे हैं लेकिन मुझे बताइए कि जब पुलिस ही शांतिपूर्ण ढंग से हो रहे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए इस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल करे तो छात्राएं कैसे सुरक्षित रहेंगी। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि वे दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर कूच करेंगे। बीएचयू में शनिवार को प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर पुलिसकर्मियों द्वारा लाठीचार्ज करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में रोष है। बीएचयू को दो अक्टूबर तक के लिए बंद कर दिया गया है और ऐसी भी खबरें हैं कि प्रदर्शन कर रही छात्राओं को छात्रावास खाली करने के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घटना के मोबाइल फोन वीडियो की जांच के आदेश दिए हैं।

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