भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज का महायोग-
भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज का महायोग- ‘विरोधकृत’ संवत्सर में मुख्य घटना होगी- मंत्रिमण्डल में दो विरोधी मंत्री होने का मुख्य असर-
इस वर्ष के राजा सूर्य है। मंत्री शनि तथा अन्य विभागों पर चंद्र, शुक्र, बुध, गुरु का आधिपत्य है
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर 18 मार्च को विक्रम संवत् 2075 का आरंभ होगा। इस बार ‘विरोधकृत’ संवत्सर रहेगा, जिसके राजा सूर्य तथा मंत्री शनिदेव होंगे। 10 सदस्यीय मंत्रीमंडल में 7 विभाग शुभ ग्रहों के पास रहेंगे। इनमें सूर्य के पास 2, चंद्रमा के पास 3 तथा शुक्र के पास 2 विभाग होंगे। भ्रष्टाचार का उन्मूलन होगा। भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज गिरेगी। सत्य, प्रगति तथा धर्म के लिए अनुकूल स्थिति निर्मित होगी। शासकों एवं आम जनता में मतभेद उजागर होंगे। ‘मन्त्री शनि का फल-शनि संवत्सर का मन्त्री होने के कारण अपने कर्तव्य एवं परम्परा की उपेक्षा करने वाले शासकों को जनता सबक सिखायेगी। भारत की वैश्विक स्तर पर ख्याति बढ़ेगी। अन्याय व अपराध करने वालों के लिए कठोर दण्ड के नियम बनेंगे। अनकेत्र दुर्भिक्ष की स्थिति भी बनने के योग है।
विक्रम संवत 2075,वर्ष 2018 का यह साल कोहराम मचा देने वाला साबित होगा। विरोधकृत नामक संवत्सर के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है,कि देश दुनिया में विरोध और संघर्ष लगातार होता रहेगा ज्योतिषाचार्य पं आनंद शंकर व्यास द्वारा 120 वर्ष पुराने हस्त लिखित पंचांग से तैयार किए गए संवत्सर 2075 के श्री महाकाल पंचांग के अनुसार वर्ष 2018 में ग्रहयोग कुछ ऐसे बन रहे है जो देश में कोहराम मचा सकते है। पं व्यास ने बताया कि विरोधकृत वर्ष नाम ही परस्पर विरोध व संघर्ष का संदेश दे रहा है।
विरोध वर्ष में परस्पर विरोधी नेतृत्व रवि और शनि का होने से सर्वत्र संघर्ष व कष्ट का वातावरण निर्मित हो सकता हैं। इस पुरे वर्ष भारतीय सीमा पर शत्रु राष्ट्रों का उन्माद बढ़ेगा। सत्ता विपक्ष के उग्र व हिंसक संघर्ष व आंदोलन प्रदर्शन विशेष रूप से होंगे। इतना ही नहीं इसी बीच विश्व युद्ध की भी संभावनाए बन सकती हैं। विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता है। संवत्सर पांच तरह का होता है जिसमें सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास आते हैं। विक्रम संवत में यह सब शामिल रहते हैं। हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं,लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं।
विरोधीकृत नामक इस संवत् का वास वैश्य (वणिक) के घर में, रोहिणी का वास संधि में एवं संवत् का वाहन अश्व (घोड़ा) है। धान्य का स्वामी सूर्य, मेघेश (वर्षा) का स्वामी शुक्र, धनेश (धन-कोशपति) चंद्रमा तथा सेनापति (दुर्गेश) का भार शुक्र के पास रहेगा। इनके प्रभाव से वर्षा अच्छी होगी, सामान्य लोगों में सुविधाएं बढ़ेंगी, धर्म कार्यों में प्रवृत्त होंगे, शासक वर्ग ब्राह्मण-विद्वान एव विशिष्टजन का सम्मान हित करेंगे, प्रशासक वर्ग प्रजा की भलाई एवं कल्याण-प्रगति-सुख आदि हेतु प्रयत्न करेंगे। देश की सुरक्षा में मजबूती एवं दृढ़ता रहती है। धन-धान्य-सुख ऐश्वर्य वस्तुओं में वृद्धि एवं धन का प्रचार भी अधिक होगा।
ग्रहों का प्रभाव
राजा सूर्य- प्रदूषण का प्रभाव बढ़ेगा। दूध पदार्थों के भाव बढ़ेंगे। बाजार में तेजी आएगी।
मंत्री शनि- आमजन शासकीय नीतियों से असंतुष्ट नजर आएगा। शासन-प्रशासन व निम्न अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी रहेगी। जनता में परिश्रम की अधिकता रहेगी।
सस्येश चंद्रमा- देश के अधिकांश क्षेत्रों में मेघों की कृपा बरसेगी। समाज का श्रेष्ठि वर्ग आमजन के सम्मान, संस्कार व मर्यादा का ध्यान रखेगा। प्रजा सुख-संपन्नता का आधार धर्म आध्यात्म में ढूंढेगी। धान्येश सूर्य- राजनीतिक दलों में वर्चस्व का प्रभाव दिखाई देगा। शीतकालीन फसलों में प्राकृतिक आपदा की आशंका रहेगी।
संवत् का राजा : इस वर्ष संवत् का राजा सूर्य होने से क्रोध-उत्तेजना एवं कुछ नए एवं विचित्र रोगों से कष्ट, राजकीय प्रवृत्तियां बढ़ेंगी।
मंत्री शनि : संवत् के मंत्री का पद शनि को मिला है। सूर्य एवं शनि यद्यपि पिता-पुत्र हैं परंतु इनका आपस में परस्पर विरोध है । धार्मिक-सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में आपसी खींचातानी से मतभेद बढ़ता है। देश के कुछ भागों में कम वर्षा तो कुछ प्रदेशों में तूफानी वर्षा-बाढ़-बिजली गिरने कुदरती आफत, पहाड़ खिसकने, नदियों के उफान से मार्ग बदलेंगे एवं हानि होगी। संवत् 2075 में नैसर्गिक दृष्टि से राजा सूर्य और मंत्री शनि में परस्पर विरोध है। अत: नए संवत् 2075 में सूर्य देव का पूरा दबदबा रहेगा तथा सत्ता सूर्य देव के पास रहेगी व मंत्री का अधिकार क्षेत्र न्यायाधीश श्री शनि देव के अधीन रहेगा, जिससे समाज में अशांति, भय इत्यादि हिंसक घटनाओं में वृद्धि होगी।
राजा सूर्य होने से भारतवर्ष विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने में सफल रहेगा तथा मंत्री शनि होने से भारत विरोधियों को सबक देने में सक्षम होगा, साथ ही विश्व पटल पर विश्व गुरु के समान अपनी अहम भूमिका निभाने में योगदान देगा। इस संवत्सर में सेनापति और जल का प्रभार दैत्यगुरु शुक्र के अधीन होने से सेना के सुख-साधनों में वृद्धि होगी।
साथ ही दृढ़ शासन तथा सर्वत्र शांति बनी रहेगी और वर्षा का स्वामित्व भी शुक्र के पास होने से वर्षा अच्छी रहेगी। वित्त विभाग, कृषि, धातु के अधिकार को चंद्र देव संभालेंगे। अत: व्यापार व धन संबंधी मामलों को गति प्रदान होगी, आम जनमानस को नई योजनाओं से लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी और प्रजा सहर्ष कानूनों का पालन करेगी।
2 मई से 5 नवम्बर तक मंगल केतु की मकर राशि युति होने से राजनीतिक क्षेत्र में गतिरोध व प्रमुख नेता के लिए समय अनिष्टकारी रहेगा। साथ ही यह समय भारत में एक बड़ा सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन वाला रह सकता है।
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